ओवरसाइट बोर्ड ने डेमोग्राफ़िक बदलावों पर राजनेता के कमेंट वाले केस में Metaके फ़ैसले को सही ठहराया

ओवरसाइट बोर्ड ने एक वीडियो क्लिप को प्लेटफ़ॉर्म से नहीं हटाने के Meta के फ़ैसले को सही ठहराया, जिसमें फ़्रेंच राजनेता एरिक ज़ेमौर यूरोप और अफ़्रीका के डेमोग्राफ़िक बदलावों के बारे में बात कर रहे हैं. उस कंटेंट से नफ़रत फैलाने वाली भाषा से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन नहीं हो रहा है, क्योंकि उसमें नस्ल, जातीयता या राष्ट्रीय मूल जैसी सुरक्षित विशिष्टताओं के आधार पर लोगों पर कोई सीधा हमला नहीं किया गया है. बोर्ड के ज़्यादातर सदस्यों ने पाया कि कंटेंट को नहीं हटाने का फ़ैसला, Meta की मानवाधिकार से जुड़ी ज़िम्मेदारियों के हिसाब से सही है. हालाँकि, बोर्ड ने सुझाव दिया कि Meta को सार्वजनिक रूप से यह स्पष्ट करना चाहिए कि वह इमिग्रेशन से जुड़ी चर्चाओं को नुकसानदेह षड्यंत्रकारी विचारधारा सहित उन नुकसानदेह बयानों से किस तरह अलग करके देखता है, जो लोगों की प्रवासी स्थिति के आधार पर उन्हें टार्गेट करते हैं.

केस की जानकारी

जुलाई 2023 में फ़्रेंच राजनेता एरिक ज़ेमौर के आधिकारिक Facebook पेज पर एक यूज़र, जो पेज का एडमिनिस्ट्रेटर भी है, ने एक वीडियो क्लिप पोस्ट की, जिसमें ज़ेमौर, यूरोप और अफ़्रीका के डेमोग्राफ़िक बदलावों पर बात कर रहे हैं. यह क्लिप, राजनेता के एक लंबे वीडियो इंटरव्यू का एक भाग है. वीडियो में ज़ेमौर कहते हैं: “Since the start of the 20th century, there has been a population explosion in Africa” (20वीं सदी की शुरुआत से लेकर अब तक, यूरोप में जनसंख्या का विस्फोट हुआ है). वह आगे कहते हैं कि यूरोप की आबादी अभी भी लगभग 400 मिलियन के आसपास बनी हुई है, लेकिन अफ़्रीका की आबादी बढ़कर 1.5 बिलियन तक पहुँच गई है, “so the power balance has shifted” (इसलिए ताकत के मामले में उनका पलड़ा भारी हो गया है). फ़्रेंच भाषा में लिखे पोस्ट के कैप्शन में कहा गया है कि 1900 के दशक में “when there were four Europeans for one African, [Europe] colonized Africa” (जब एक अफ़्रीकी व्यक्ति के मुकाबले चार यूरोपीय लोग हुआ करते थे, तब [यूरोप] ने अफ़्रीका को नियंत्रण में लेकर उपनिवेश बनाया) और अब “there are four Africans for one European and Africa colonizes Europe” (एक यूरोपीय व्यक्ति के मुकाबले चार अफ़्रीकी लोग हैं और अफ़्रीका, यूरोप को नियंत्रण में लेकर उपनिवेश बना रहा है). ज़ेमौर के Facebook पेज के लगभग 300,000 फ़ॉलोअर हैं, जबकि इस पोस्ट को जनवरी 2024 तक लगभग 40,000 बार देखा गया था.

नस्लवाद फैलाने और मुसलमानों, अफ़्रीकी और अश्वेत लोगों के बारे में अपमानजनक नस्लीय टिप्पणियाँ करने के कारण फ़्रांस में ज़ेमौर पर कई मुकदमे चल रहे हैं और एक से ज़्यादा मामलों में उन्हें दोषी पाया गया है. उन्होंने 2022 में राष्ट्रपति का चुनाव भी लड़ा था लेकिन वे पहले राउंड से आगे नहीं जा पाए. उनका चुनावी कैंपेन ग्रेट रिप्लेसमेंट थ्योरी पर आधारित रहा है, जिसमें यह दावा किया गया है कि श्वेत यूरोपीय लोगों को पलायन करने पर मजबूर करके और अल्पसंख्यक समुदायों की जनसंख्या बढ़ाकर जान-बूझकर नस्लीय और सांस्कृतिक बदलाव लाया जा रहा है. भाषाई विशेषज्ञों ने नोट किया कि यह थ्योरी और उससे जुड़े शब्द “अप्रवासियों, अश्वेत यूरोपीय लोगों के खिलाफ़ नस्लवाद, नफ़रत और हिंसा भड़काते हैं और खास तौर पर मुसलमानों को टार्गेट करते हैं.” इस पोस्ट के वीडियो में उस थ्योरी का स्पष्ट रूप से कोई उल्लेख नहीं किया गया है.

दो यूज़र्स ने Meta की नफ़रत फैलाने वाली भाषा से जुड़ी पॉलिसी का उल्लंघन होने की बात कहते हुए इस कंटेंट की रिपोर्ट की, लेकिन 48 घंटों की अवधि में रिपोर्ट्स को रिव्यू के लिए नहीं चुने जाने से वे अपने आप बंद हो गईं. उल्लंघन की आशंका की गंभीरता, कंटेंट के वायरल होने (देखे जाने की संख्या) और उल्लंघन की आशंका के आधार पर Meta के ऑटोमेटेड सिस्टम, रिपोर्ट्स को प्राथमिकता देते हैं. उनमें से एक यूज़र ने फिर Meta से अपील की, जिसके बाद कंपनी के ह्यूमन रिव्यूअर्स ने रिव्यू करके यह फ़ैसला लिया कि कंटेंट से Meta के नियमों का उल्लंघन नहीं हो रहा है. इसके बाद उस यूज़र ने बोर्ड से इस फ़ैसले के खिलाफ़ अपील की.

मुख्य निष्कर्ष

बोर्ड के ज़्यादातर सदस्य इस नतीजे पर पहुँचे कि इस कंटेंट से नफ़रत फैलाने वाली भाषा से जुड़े Meta के कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन नहीं होता. वीडियो क्लिप में कही गई बात, इमिग्रेशन से जुड़ी राय की सुरक्षित (हालाँकि विवादास्पद) अभिव्यक्ति का एक उदाहरण है और उसमें न तो हिंसा करने की बात कही गई है और न ही उसमें कमज़ोर वर्ग के लोगों के बारे में सीधे तौर पर हीन भावना जगाने या नफ़रत फैलाने वाली भाषा का उपयोग किया गया है. ज़ेमौर पर पहले नफ़रत फैलाने वाली भाषा के उपयोग के लिए मुकदमा चलाया जा चुका है और इस वीडियो की थीम, ग्रेट रिप्लेसमेंट थ्योरी जैसी ही है, फिर भी ये तथ्य किसी ऐसी पोस्ट को हटाने के लिए काफ़ी नहीं है जो Meta के स्टैंडर्ड का उल्लंघन नहीं करती.

उल्लंघन करने वाली बात तब होती, जब उस पोस्ट में किसी पर “सीधा हमला” किया जाता, खास तौर पर “सुरक्षित विशिष्टता” वाले समूह के “बहिष्कार या अलगाव” का आह्वान किया जाता. चूँकि ज़ेमौर की टिप्पणियों में कोई सीधा हमला नहीं है और वीडियो में न तो किसी समूह का यूरोप से बहिष्कार करने का सीधा आह्वान है और न ही ऐसा कोई कथन है जो नुकसानदेह रूढ़िवाद, गाली या किसी अन्य सीधे हमले के समान हो, इसलिए उससे नफ़रत फैलाने वाली भाषा से जुड़े Meta के नियमों का उल्लंघन नहीं होता. पॉलिसी बनाने के कारण में भी यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि Meta “इमिग्रेशन पॉलिसी पर कमेंट्री और उसकी आलोचना” की परमिशन देता है, लेकिन कंपनी ने यह बात सार्वजनिक रूप से नहीं बताई है कि वह इमिग्रेशन पॉलिसी के बारे में बात करते समय बहिष्कार के आह्वानों की परमिशन देती है.

हालाँकि बोर्ड ने इस बात को लेकर चिंता जताई कि Meta, अफ़्रीकी लोगों को सुरक्षित विशिष्टता वाला समूह नहीं मानता, जबकि Meta की पॉलिसी और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून, दोनों में राष्ट्रीय मूल, नस्ल और धर्म को सुरक्षा प्रदान की गई है. पूरे कंटेंट में ‘अफ़्रीकन’ का उल्लेख किया गया है और इस वीडियो में इस शब्द को अश्वेत अफ़्रीकी लोगों के लिए उपयोग किया गया है.

बोर्ड ने इस केस में खतरनाक संगठनों और लोगों से जुड़ी पॉलिसी की प्रासंगिकता पर भी विचार किया. हालाँकि, बोर्ड के ज़्यादातर सदस्यों ने पाया कि पोस्ट से इस पॉलिसी का उल्लंघन नहीं होता है, क्योंकि हिंसा भड़काने के षड्यंत्र वाले व्यापक नेटवर्क से जुड़े होने के मामले में इसका रिव्यू करने के लिए पर्याप्त चीज़ें मौजूद नहीं हैं. Meta इन नेटवर्क को ऐसे गैर-सरकारी लोगों का समूह मानता है, जो काफ़ी प्रभावी होते हैं और जिनका मिशन स्टेटमेंट एक ही है, जो ऐसी आधारहीन विचारधारा को बढ़ावा देते हैं जिनमें दावा किया जाता है कि सामाजिक और राजनैतिक समस्याओं के पीछे ताकतवर लोगों का गुप्त षडयंत्र है और जो ऑफ़लाइन नुकसान के किसी पैटर्न से सीधे तौर पर जुड़े होते हैं.

बोर्ड के कुछ सदस्यों ने पाया कि षड्यंत्रकारी नुकसानदेह विचारधारा को बढ़ावा देने वाले कंटेंट से निपटने का Meta का तरीका उन पॉलिसी के लक्ष्यों को पूरा नहीं करता है, जिन्हें उसने ऑनलाइन और ऑफ़लाइन तौर पर अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को घटाने वाले बहिष्कार पर रोक लगाने के लिए बनाया गया है. इन पॉलिसी के तहत, डरे-सहमे अल्पसंख्यक समूहों की सुरक्षा के लिए ऐसे कंटेंट को मॉडरेट किया जाता है जिसमें षड्यंत्र वाले कुछ अन्य कथन होते हैं. बोर्ड के ये सदस्य मानते हैं कि इमिग्रेशन जैसे मुद्दों की आलोचना करने की आज़ादी दी जानी चाहिए. इस विषय पर खास तौर पर सबूतों के आधार पर चर्चा करना बेहद ज़रूरी है, क्योंकि ग्रेट रिप्लेसमेंट थ्योरी जैसी षड्यंत्रकारी विचारधारा का फैलना नुकसानदेह हो सकता है. कंटेंट के अलग-अलग हिस्सों से कोई समस्या नहीं है, लेकिन बड़े पैमाने पर और तेज़ गति से ऐसे कंटेंट को शेयर किए जाने के संयुक्त प्रभाव, सोशल मीडिया कंपनियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनते हैं. इसलिए, Meta को अपनी पॉलिसी पर फिर से विचार करना चाहिए, ताकि इस तरह के लोग उसकी सेवाओं का दुरुपयोग न कर सकें, जो ऑनलाइन और ऑफ़लाइन नुकसान पहुँचाने वाली षड्यंत्रकारी विचारधारा को बढ़ावा देते हैं.

Meta ने पॉलिसी लाइन के बारे में एक रिसर्च करवाई है, जिससे नुकसानदेह षड्यंत्रकारी विचारधारा पर लगाम लगाई जा सकती है, लेकिन कंपनी को यह समझ में आया कि इसकी वजह से बहुत ज़्यादा मात्रा में राजनैतिक बयानबाज़ी हट जाएगी. बोर्ड को यह बात ठीक नहीं लगी कि Meta ने इस प्रोसेस के बारे में बहुत कम जानकारी शेयर की है.

ओवरसाइट बोर्ड का फ़ैसला

ओवरसाइट बोर्ड ने पोस्ट को प्लेटफ़ॉर्म से नहीं हटाने के Meta के फ़ैसले को कायम रखा है.

बोर्ड ने सुझाव दिया है कि Meta:

  • नफ़रत फैलाने वाली भाषा से जुड़े अपने कम्युनिटी स्टैंडर्ड की अपनी भाषा में इस बात की ज़्यादा जानकारी दे कि किस तरह वह इमिग्रेशन से जुड़ी बातचीत को अप्रवासी पहचान के आधार पर लोगों को टार्गेट करने वाले नुकसानदेह बयानों से अलग करता है. इसमें यह भी बताए कि कंपनी किस तरह नुकसानदेह षड्यंत्रकारी विचारधारा का प्रसार करने वाले कंटेंट को मैनेज करती है, ताकि यूज़र्स यह समझ सकें कि इन विचारधाराओं के संभावित ऑफ़लाइन नुकसानों को रोकते हुए Meta किस तरह इमिग्रेशन से जुड़े राजनैतिक बयानों की रक्षा करता है.

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