ओवरसाइट बोर्ड ने फ़ास्ट-ट्रैक रिव्यू के लिए इज़राइल-हमास युद्ध से जुड़े नए केसों की घोषणा की

आज, ओवरसाइट बोर्ड ने इज़राइल-हमास युद्ध से जुड़े दो केसों का रिव्यू करने की घोषणा की है. यह एक फ़ास्ट-ट्रैक रिव्यू होगा. बोर्ड के फ़ैसले जल्द से जल्द, लेकिन 30 दिन के अंदर प्रकाशित कर दिए जाएँगे.

ओवरसाइट बोर्ड के उपनियमों में “असाधारण परिस्थितियों” में फ़ास्ट-ट्रैक रिव्यू करने का प्रावधान है. असाधारण परिस्थितियों में ऐसी परिस्थितियाँ भी शामिल होती हैं, जिनमें किसी कंटेंट से लोगों को जल्दी ही जान-मान का नुकसान हो सकता है.” बोर्ड का मानना है कि इज़राइल और गाज़ा की स्थिति ऐसी ही हो गई है. बोर्ड इन केसों में ही पहली बार फ़ास्ट-ट्रैक रिव्यू प्रोसेस का इस्तेमाल करेगा.

मध्य पूर्व में हाल ही में हुई घटनाओं ने इस विषय को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं कि सोशल मीडिया कंपनियों को युद्ध की स्थितियों में कंटेंट कैसे मॉडरेट करना चाहिए. युद्ध शुरू होने के बाद वाले हफ़्तों में, बोर्ड को ऐसी अपीलों के दैनिक औसत में तीन गुना बढ़ोतरी देखने को मिली, जिन्हें यूज़र्स ने मध्य पूर्व और उत्तरी अफ़्रीका क्षेत्र से संबंधित चिह्नित किया था.

कई तरह की अपीलों पर विचार करने के बाद, बोर्ड ने ऐसे दो केस चुन लिए हैं, जो युद्ध से संबंधित अहम सवाल उठाने के साथ-साथ Facebook और Instagram के यूज़र्स को प्रभावित करने वाले व्यापक विषयों पर भी रोशनी डालते हैं.

अल-शिफा अस्पताल

Instagram पर कंटेंट को रीस्टोर करने के लिए यूज़र की अपील

पहले कंटेंट में एक वीडियो है, जिसमें गाज़ा शहर के अल-शिफा अस्पताल के बाहर के एक यार्ड में हुए हमले के बाद का दृश्य दिखाया गया है. नवंबर महीने की शुरुआत में Instagram पर पोस्ट किए गए इस कंटेंट में बच्चों सहित कई लोग दिखाई दे रहे हैं, जो ज़मीन पर घायल या मृत अवस्था में पड़े हुए हैं और/या रो रहे हैं. वीडियो के नीचे अरबी और अंग्रेज़ी भाषा के कैप्शन में लिखा है कि अस्पताल को "usurping occupation" (कब्ज़ा करने वालों) ने निशाना बनाया है, इन शब्दों के ज़रिए इज़राइल की सेना की ओर इशारा किया गया है. इस कैप्शन में मानवाधिकार और समाचार संगठनों को टैग भी किया गया है. शुरुआत में Meta ने हिंसक और आपत्तिजनक कंटेंट से संबंधित अपने नियमों का उल्लंघन करने की वजह से इस पोस्ट को हटा दिया था. लेकिन, जब बोर्ड ने इस केस को रिव्यू करने के लिए चुना तब Meta ने अपने शुरुआती फ़ैसले को पलट दिया और कंटेंट को रीस्टोर करके उस पर "परेशान करने वाला कंटेंट" चेतावनी स्क्रीन लगा दी.

इज़राइल से बंधकों का अपहरण

Facebook पर कंटेंट रीस्टोर करने के लिए यूज़र की अपील

दूसरे केस में एक महिला को दिखाया गया है, जिसे अपहरणकर्ता बंधक बनाकर मोटरसाइकिल पर बैठाकर ले जा रहे हैं और वह उनसे अपनी जान की भीख माँग रही है. महिला मोटरसाइकिल पर पीछे बैठी दिख रही है और गिड़गिड़ा रही है कि वे उसे ज़िंदा छोड़ दें. इसके बाद, उस वीडियो में एक पुरुष दिखाई देता है, जिसे देखकर लगता है कि उसे भी बंधक बना लिया गया है और अपहरणकर्ता उसे ज़बर्दस्ती कहीं ले जा रहे हैं. इस कंटेंट को पोस्ट करने वाले यूज़र ने कैप्शन में लिखा है कि वीडिया में दिख रहे अपहरणकर्ता, हमास के उग्रवादी हैं और कैप्शन में लोगों से इस वीडियो को देखने का आग्रह किया गया है, ताकि वे इस बात को "अच्छी तरह समझ पाएँ" कि 7 अक्टूबर, 2023 को इज़राइल के लोगों ने किस दहशत का सामना किया था. यूज़र ने 7 अक्टूबर को हुए हमलों के हफ़्ते भर बाद यह कंटेंट पोस्ट किया था. खतरनाक संगठनों और लोगों से संबंधित अपनी पॉलिसी के तहत, Meta ने हमास को प्रथम श्रेणी के खतरनाक संगठन और 7 अक्टूबर के हमलों को आतंकवादी हमले के तौर पर चिह्नित किया है.

Meta ने इस पोस्ट को हटा दिया और बताया कि इसमें पॉलिसी से जुड़े दो नियमों का उल्लंघन किया गया था. इनमें से पहले हैं, हिंसा और उकसावे से जुड़े उसके नियम, जिन्हें ऐसे कंटेंट को शामिल करने के लिए अस्थायी तौर पर संशोधित किया गया था, जिसमें बंधकों की साफ़ तौर पर पहचान होती है, भले ही ऐसा उनकी परिस्थिति की निंदा करने या उसके लिए जागरूकता फैलाने के इरादे से किया गया हो. और दूसरे हैं, Meta की खतरनाक संगठनों और लोगों से जुड़ी पॉलिसी के नियम, जो थर्ड पार्टी की ऐसी फ़ोटो या वीडियो को सीधे तौर पर प्रतिबंधित करते हैं, जिसमें पीड़ित लोगों पर आतंकवादी हमला होते हुए दिखाया जाता है. हालाँकि, अक्टूबर के हमलों के बाद वाले हफ़्तों में, जिस तरह बंधकों के अपहरण के वीडियो शेयर और रिपोर्ट किए जा रहे थे, उन्हें ध्यान में रखते हुए Meta ने अपने पॉलिसी गाइडेंस में कुछ बदलाव किए. इसके बाद ही, Meta ने इस केस से जुड़े अपने शुरुआती फ़ैसले को पलट दिया और कंटेंट को रीस्टोर करके उस पर चेतावनी स्क्रीन लगा दी.

इसके बाद क्या होगा?

अब बोर्ड के सदस्यों का एक दल इन केसों पर विचार-विमर्श करके इस बारे में फ़ैसले लेगा कि क्या Facebook या Instagram पर ऐसे कंटेंट को परमिशन मिलनी चाहिए. ये फ़ैसले Meta के लिए बाध्यकारी होंगे.

समय की कमी होने की वजह से बोर्ड फ़ास्ट-ट्रैक केसों में लोगों के कमेंट्स पर ध्यान नहीं दे पाएगा. इन केसों से जुड़े फ़ैसले, यह घोषणा किए जाने के 30 दिन के अंदर बोर्ड की वेबसाइट पर प्रकाशित कर दिए जाएँगे.

ध्यान दें: ओवरसाइट बोर्ड एक निष्पक्ष संगठन है, जो चुनिंदा प्रतीकात्मक मामलों में Facebook और Instagram पर कंटेंट को बनाए रखने या उसे हटाने से जुड़े Meta के फ़ैसलों की जाँच करता है. बोर्ड कंपनी के फ़ैसलों का रिव्यू करता है और ज़रूरी होने पर उन्हें पलट भी देता है.

समाचार पर लौटें