ओवरसाइट बोर्ड के शुरुआती फ़ैसलों की घोषणा

आज, ओवरसाइट बोर्ड अपने शुरुआती फ़ैसलों की घोषणा करने वाला है.

आज प्रकाशित किए गए पाँच केस से जुड़े फ़ैसलों में से बोर्ड ने Facebook के चार फ़ैसलों पर असहमति जताते हुए उन्हें बदला है, वहीं एक फ़ैसले को सही ठहराते हुए कायम रखा है और कंपनी को पॉलिसी से जुड़े नौ सुझाव दिए हैं. ये केस इन चार महाद्वीपों से जुड़े हुए हैं: एशिया, यूरोप, उत्तरी अमेरिका और दक्षिणी अमेरिका.

इनमें से हर केस को सुलझाना बड़ा मुश्किल रहा और विचार-विमर्श से इन मुद्दों में शामिल काफ़ी जटिल बातें सामने आई हैं.

एक केस में बोर्ड मेंबर्स ने विचार किया कि क्या किसी सशस्त्र संघर्ष वाली परिस्थिति में Facebook का नफ़रत से भरे अपशब्द वाली एक ऐसी पोस्ट को हटाने का फ़ैसला सही था, जिसे सामान्य परिस्थिति में परमिशन मिल गई होती. एक अन्य केस में उन्होंने एक ऐसी पोस्ट को लेकर छानबीन की, जिसके बारे में COVID-19 संबंधी ऐसी गलत जानकारी फैलाने का आरोप था, जिससे कि जल्द ही नुकसान पहुँचने की आशंका थी. कई केस में मेंबर्स ने सवाल उठाया कि क्या Facebook के नियम इतने स्पष्ट हैं कि वे यूज़र्स को समझ में आ सकें.

ये सभी फ़ैसले एक प्रक्रिया के तहत लिए गए, जो कि व्यापक होने के साथ-साथ न्यायपूर्ण है और वैश्विक रूप से प्रासंगिक है, जैसा कि बोर्ड की रूलबुक में बताया गया है. बोर्ड के फ़ैसले Facebook पर बाध्यकारी हैं और जिनमें कंपनी के कंटेंट मॉडरेट करने के तरीके की जाँच निष्पक्ष रूप से की जाती है.

बोर्ड के फ़ैसलों के परिणाम

काफ़ी सोच-विचार करने के बाद बोर्ड ने:

केस 2020-002-FB-UA के बारे में Facebook के उस फ़ैसले पर असहमति जताते हुए बदला है, जिसमें अभद्र भाषा से जुड़े उनके कम्युनिटी स्टैंडर्ड के तहत किसी पोस्ट को हटाया गया था. उस पोस्ट में फ़्रांस में कार्टून को लेकर हुई हिंसक घटना को देखते हुए चीन में उइगर मुसलमानों के साथ किए जा रहे व्यवहार पर कमेंट किया गया था अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें.

केस 2020-003-FB-UA के बारे में Facebook के उस फ़ैसले पर सहमति जताते हुए उसे कायम रखा है, जिसमें अभद्र भाषा से जुड़े उनके कम्युनिटी स्टैंडर्ड के तहत किसी पोस्ट को हटाया गया था. उस पोस्ट में अज़रबैजानी लोगों को रूसी भाषा के एक शब्द “тазики” (“ताज़िक्स”) से संबोधित किया गया था, जिसमें यूज़र ने दावा किया था कि आर्मेनियाई लोगों की तुलना में अज़रबैजानी लोगों का कोई इतिहास नहीं है. अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें.

केस 2020-004-IG-UA के बारे में Facebook के उस फ़ैसले पर असहमति जताते हुए उसे बदला है, जिसमें वयस्क नग्नता और यौन गतिविधि से जुड़े उनके कम्युनिटी स्टैंडर्ड के तहत किसी पोस्ट को हटाया गया था. उस पोस्ट में स्तन कैंसर के लक्षण बताने वाली फ़ोटो थीं, जिसमें से कुछ में महिलाओं के निप्पल दिखाए गए थे. अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें.

केस 2020-005-FB-UA के बारे में Facebook के उस फ़ैसले पर असहमति जताते हुए बदला है, जिसमें खतरनाक लोग और संगठनों से जुड़े उनके कम्युनिटी स्टैंडर्ड के तहत किसी पोस्ट को हटाया गया था. उस पोस्ट में जोसेफ़ गोएबेल्स का कथित उद्धरण था, जो कि नाज़ी जर्मनी में प्रोपगेंडा के रीश मिनिस्टर थे. अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें.

केस 2020-006-FB-FBR के बारे में Facebook के उस फ़ैसले पर असहमति जताते हुए बदला है, जिसमें हिंसा और उकसावे से जुड़े उनके कम्युनिटी स्टैंडर्ड के तहत किसी पोस्ट को हटाया गया था. उस पोस्ट में फ़्रांस की हेल्थ स्ट्रेटेजी नहीं होने की आलोचना करने के साथ दावा किया गया था कि COVID-19 का इलाज मौजूद है. अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें.

हमने बोर्ड की वेबसाइट पर सभी फ़ैसलों को पूरी जानकारी के साथ प्रकाशित किया.

बोर्ड ने ये फ़ैसले किस तरह लिए

अक्टूबर 2020 में जबसे हमने केस स्वीकारने शुरू किए हैं, तब से लेकर अब तक बोर्ड से 150,000 से ज़्यादा केस की अपील की गई है. चूँकि हम सभी अपील पर सुनवाई नहीं कर सकते हैं, इसलिए हम उन केसों को प्राथमिकता दे रहे हैं जिनमें दुनिया भर के यूज़र्स पर असर डालने की संभावना हो, और जो सार्वजनिक विचार-विमर्श के लिए बेहद ज़रूरी हों, या जो Facebook की पॉलिसी के बारे में ज़रूरी सवाल खड़े करते हैं. हर केस पाँच मेंबर्स वाले पैनल के सामने रखा जाता है और उस पैनल का कम से कम एक मेंबर उस क्षेत्र का होता है, जो कंटेंट से संबंधित है, साथ ही पैनल में सभी लिंग के लोगों का मिला-जुला प्रतिनिधित्व होता है.

हर एक केस में मेंबर्स तय करते हैं कि संबंधित कंटेंट से Facebook कम्युनिटी स्टैंडर्ड और Facebook के मूल्यों का उल्लंघन हुआ था या नहीं. वे इस बात पर भी ध्यान देते हैं कि Facebook द्वारा उस कंटेंट को हटाया जाना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और अन्य मानवाधिकारों सहित अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों के अनुरूप था या नहीं. मेंबर्स भाषा की बारीकियों से लेकर यूज़र के इरादे और उस कंटेंट को पोस्ट करने से जुड़े संदर्भ तक, सभी चीज़ों पर विचार करते हैं.

अलग-अलग देशों के मेंबर्स विचार-विमर्श के दौरान कई तरह के अनुभव पेश करते हैं. पत्रकारिता, प्रौद्योगिकी और मानवाधिकार जैसे क्षेत्रों में विशेषज्ञता के कारण उनका विश्लेषण काफ़ी व्यापक होता है, जबकि अलग-अलग विचारधारा यह सुनिश्चित करती है कि हर पहलू को ध्यान में रखते हुए अच्छी तरह से विचार-विमर्श किया जाए.

प्रत्येक पैनल की ओर से कोई फ़ैसला लिए जाने के बाद, बोर्ड इसके निष्कर्षों की समीक्षा करके बहुमत के आधार पर स्वीकृति देता है. फ़ैसला जारी करने के लिए ऐसा करना ज़रूरी है.

Facebook को जवाबदेह बनाना

आज के फ़ैसले Facebook पर बाध्यकारी हैं और हम उन्हें अमल में लाने की ज़िम्मेदारी इस कंपनी को सौपेंगे.

अब Facebook के पास बोर्ड के फ़ैसलों के अनुसार कंटेंट को रीस्टोर करने के लिए सात दिन हैं. कंपनी इस बात का भी पता लगाएगी कि कहीं अगर कोई ऐसा कंटेंट है, जिसका वही संदर्भ है जिसे लेकर बोर्ड ने फ़ैसला सुनाया है, तो वह कंटेंट भी उसके प्लेटफ़ॉर्म पर बना रहे. वहीं बोर्ड के फ़ैसले में दिए गए पॉलिसी से संबंधित किसी भी तरह के सुझाव पर Facebook को 30 दिनों के भीतर सार्वजनिक रूप से जवाब भी देना होगा.

पब्लिक के कमेंट

आज, अपने शुरुआती फ़ैसलों के साथ हम करीब 80 पब्लिक कमेंट भी प्रकाशित करने जा रहे हैं.

इन कमेंट से स्थानीय संदर्भ और Facebook कम्युनिटी स्टैंडर्ड जैसे मामलों में बहुत महत्वपूर्ण जानकारियाँ मिली हैं, साथ ही इनमें पब्लिक कमेंट की प्रोसेस के बारे में फ़ीडबैक भी दिया गया है. उन्होंने बोर्ड की सोच को आकार दिया और एक मामले में तो पब्लिक कमेंट के आधार पर ही पॉलिसी से जुड़ा सुझाव पेश किया गया है.

बोर्ड के सभी शुरुआती कामों की तरह इस मामले में भी जैसे-जैसे हमें फ़ीडबैक मिलते जाएँगे, वैसे-वैसे हम पब्लिक कमेंट से जुड़ी अपनी प्रोसेस को दोहराने और सुधारने का काम करते जाएँगे. ख़ास तौर पर हम इस बारे में विचार कर रहे हैं कि हमारे केस के विवरण में अधिक से अधिक संदर्भ और कमेंट के लिए थर्ड पार्टी को ज़्यादा समय कैसे दिया जाए. हम चाहते हैं कि लोग और संगठन नए केस से जुड़े अपडेट पाने के लिए रजिस्टर करें और भविष्य में पब्लिक कमेंट के लिए आमंत्रित किए जाने पर सहयोग दें.

इसके बाद क्या होगा

बोर्ड के शुरुआती केस के फ़ैसले एक मज़बूत संस्थान बनाने की दिशा में बढ़ाया गया एक और कदम है, जो लंबे समय तक Facebook को जवाबदेह बनाए रख सकता है.

आने वाले दिनों में उम्मीद है कि हम 2020-007-FB-FBR केस पर फ़ैसला प्रकाशित करेंगे. यह केस भारत से संबंधित है, जिसमें एक पोस्ट को Facebook के हिंसा और उकसावे से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड के तहत हटाया गया था. हम जल्द ही बोर्ड के आगामी केस की घोषणा भी करेंगे, साथ ही पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प की Facebook और Instagram की एक्सेस पर अनिश्चित समय के लिए लगाई गई रोक से संबंधित केस पर पब्लिक कमेंट लेना भी शुरू करेंगे, जिस केस को बोर्ड ने पिछले सप्ताह ही स्वीकार किया था.

अमेरिका और दुनिया भर में हुईं हाल की घटनाओं से यह बात समाने आई है कि इंटरनेट सेवाओं द्वारा कंटेंट के बारे में लिए जाने वाले फ़ैसलों का मानवाधिकारों और अभिव्यक्ति की स्वंतत्रता पर बड़े पैमाने पर असर पड़ता है. कंटेंट मॉडरेट करने के लिए अपनाए जा रहे मौजूदा तरीकों की चुनौतियाँ और सीमाएँ, Facebook जैसी कंपनियों द्वारा लिए गए परिणामी फ़ैसलों से स्वतंत्र निरीक्षण के महत्व की ओर सभी का ध्यान खींचती हैं.

हमारा मानना है कि दुनिया भर के यूज़र्स और कम्युनिटी के हितों के लिए पहल करने और Facebook के कंटेंट मॉडरेशन के तरीके को फिर से आकार देने में, Facebook को जवाबदेह बनाए रखने की हमारी प्रतिबद्धता को ओवरसाइट बोर्ड के शुरुआती फ़ैसलों ने दर्शाया है. यह एक ऐसी प्रक्रिया की शुरुआत है, जिसमें समय लगेगा और हम बोर्ड के आगामी फ़ैसलों के ज़रिए अपनी प्रगति से जुड़ी जानकारी आपसे शेयर करने के लिए बहुत उत्साहित हैं.

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