इस केस की घोषणा: 2021-008-FB-FBR

आज बोर्ड एक नए केस की सुनवाई करने की घोषणा करने जा रहा है.

केस का चयन

चूँकि हम सभी अपील पर सुनवाई नहीं कर सकते हैं, इसलिए बोर्ड उन केसों को प्राथमिकता देता है जिनमें दुनिया भर के यूज़र्स पर असर डालने की संभावना हो और जो सार्वजनिक विचार-विमर्श के लिए बेहद ज़रूरी हों या जो Facebook की पॉलिसी के बारे में ज़रूरी सवाल खड़े करते हों.

आज हम इस केस की घोषणा करने जा रहे हैं:

2021-008-FB-FBR

Facebook द्वारा रेफ़र किया गया केस

पब्लिक कमेंट यहाँ सबमिट करें.

मार्च 2021 में ब्राज़ील की राज्य स्तरीय चिकित्सा परिषद के Facebook पेज की ओर से एक लिखित नोटिस की फ़ोटो पोस्ट की गई, जिसमें COVID-19 को फैलने से रोकने के उपायों को लेकर मैसेज था. नोटिस में दावा किया जाता है कि लॉकडाउन बेअसर हैं, संविधान के मौलिक अधिकारों के खिलाफ़ हैं और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे गलत ठहराया है. इसमें WHO के डॉ. डेविड नबारो का कथित उद्धरण भी शामिल है जिसमें कहा गया है कि “the lockdown does not save lives and makes poor people much poorer” (लॉकडाउन लोगों की ज़िंदगी नहीं बचाता है साथ ही वह गरीब को और भी गरीब बना देता है). नोटिस में यह दावा भी किया जाता है कि ब्राज़ीलियाई राज्य एमेज़ोनस में लॉकडाउन के बाद मौतों और हॉस्पिटल में भर्ती होने वाले मरीज़ों की संख्या में बढ़ोतरी हुई, जिससे साबित होता है कि लॉकडाउन के रूप में लगाई गई रोक बेअसर रही. नोटिस में दावा किया गया है कि लॉकडाउन से लोगों में मानसिक विकार बढ़ेंगे, शराब और नशीली दवाओं का दुरुपयोग बढ़ने के साथ-साथ आर्थिक नुकसान के अलावा और भी कई चीज़ें होंगी. इसमें आखिरी में कहा गया कि COVID-19 से बचाव के प्रभावी उपायों में स्वच्छता के उपाय, मास्क के उपयोग, सामाजिक दूरी, टीकाकरण के बारे में जानकारी देने वाले कैंपेन चलाना और सरकार द्वारा व्यापक रूप से निगरानी रखना है - न कि लॉकडाउन लगाने का फ़ैसला लेना.

इस कंटेंट को करीब 32,000 बार देखा गया और 270 से भी ज़्यादा बार शेयर किया गया. किसी भी यूज़र ने इस कंटेंट की रिपोर्ट नहीं की. Facebook ने इस कंटेंट को लेकर कोई एक्शन नहीं लिया और यह केस बोर्ड को रेफ़र कर दिया. वह कंटेंट अभी प्लेटफ़ॉर्म पर मौजूद है.

बोर्ड को केस रेफर करते हुए Facebook ने कहा कि यह केस “इसलिए जटिल है, क्योंकि यह कंटेंट Facebook की पॉलिसी का उल्लंघन नहीं करता है, लेकिन फिर भी इस वैश्विक महामारी के दौरान कुछ सुरक्षा उपायों की सिफ़ारिश के तौर पर यह कुछ लोगों के पढ़ने में आ सकता है.” इसमें कहा गया कि गलत जानकारी और नुकसान से जुड़ी उनकी पॉलिसी के अनुसार, वे गलत जानकारी देने वाले किसी कंटेंट को तब निकाल देते हैं, “जब सार्वजनिक स्वास्थ्य प्राधिकरण यह निष्कर्ष देते हैं कि वह जानकारी गलत है और उसके कारण किसी तरह की हिंसा या शारीरिक नुकसान हो सकता है.” Facebook का कहना है कि “यह कंटेंट इन स्टैंडर्ड को पूरा नहीं करता है. वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन और स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े अन्य विशेषज्ञों ने Facebook को किसी भी ऐसे दावे से जुड़े कंटेंट को निकालने की सलाह दी है, जिसमें सामाजिक दूरी जैसे स्वास्थ्य से जुड़े किसी काम के खिलाफ़ बात कही गई हो, लेकिन उन्होंने लॉकडाउन के खिलाफ़ बातें करने वाले किसी भी दावे से जुड़े कंटेंट को निकालने की कोई सलाह Facebook को नहीं दी है.”

बोर्ड ऐसे पब्लिक कमेंट का स्वागत करेगा, जो इन बातों को लेकर किए जाते हैं:

  • क्या उस कंटेंट के खिलाफ़ कोई एक्शन नहीं लेने का Facebook का फ़ैसला उनके कम्युनिटी स्टैंडर्ड और अन्य पॉलिसी के हिसाब से सही था, जिसमें गलत जानकारी और नुकसान से जुड़ी पॉलिसी भी आती है (जो कि हिंसा और उकसावाके नियमों के तहत आती है).
  • क्या कोई एक्शन नहीं लेने का Facebook का फ़ैसला कंपनी के घोषित मूल्यों और मानवाधिकार से जुड़ी प्रतिबद्धताओं के हिसाब से सही है.
  • क्या इस केस में Facebook को उस कंटेंट को निकालने के लिए एन्फ़ोर्समेंट से जुड़े वैकल्पिक उपायों पर अमल करना चाहिए (जैसे कि फ़र्ज़ी ख़बर से जुड़ा कम्युनिटी स्टैंडर्ड “कम करना” और “जानकारी आधार” पर ज़्यादा ज़ोर देता है, जिसमें ये चीज़ें भी आती हैं: लेबल लगाना, रैंक कम करना, अतिरिक्त संदर्भ देना आदि), साथ ही इन उपायों को अमल में लाना किन सिद्धातों के आधार पर होना चाहिए.
  • Facebook को राष्ट्रीय या उप-राष्ट्रीय स्तर के सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थाओं के आधिकारिक अकाउंट की ओर से पोस्ट किए गए कंटेंट को किस तरह से लेना चाहिए, जिसमें यह बात भी आती है कि इनका मत अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठनों के आधिकारिक मार्गदर्शन से कहाँ अलग हो सकता है.
  • पोस्ट के दावों और ब्राज़ील के मामले में उनके संभावित प्रभाव को लेकर इनसाइट, जिसमें COVID-19 को फैलने से रोकने के राष्ट्रीय स्तर की कोशिशों की जानकारी भी शामिल हो.
  • क्या Facebook को स्वास्थ्य से जुड़ी गलत जानकारी को लेकर नया कम्युनिटी स्टैंडर्ड बनाना चाहिए, जैसा कि ओवरसाइट बोर्ड ने केस के फ़ैसले 2020-006-FB-FBR में सुझाव दिया है.

बोर्ड अपने फ़ैसलों में Facebook को पॉलिसी से जुड़े सुझाव दे सकता है. सुझाव बाध्यकारी नहीं हैं, लेकिन Facebook को 30 दिनों के अंदर इनका जवाब देना होगा. इसी तरह, बोर्ड इस केस के लिए प्रासंगिक सुझाव देने वाले पब्लिक कमेंट की सराहना करता है.

पब्लिक कमेंट

अगर आपको या आपके संगठन को लगता है कि आज घोषित इस केस को लेकर आप हमें ऐसे मूल्यवान दृष्टिकोण बता सकते हैं, जिनसे हमें फ़ैसला लेने में मदद मिलेगी, तो ऊपर दिए गए लिंक के ज़रिए आप अपनी राय रख सकते हैं. इस केस के लिए पब्लिक कमेंट की विंडो 14 दिनों तक खुली रहेगी, जो बुधवार, 16 जून 2021 को UTC के अनुसार दोपहर 3:00 बजे बंद होगी.

इसके बाद क्या होगा

आने वाले हफ़्तों में बोर्ड के सदस्य इस केस पर विचार-विमर्श करेंगे. जब वे अपने आख़िरी फ़ैसले पर पहुँच जाएँगे, तब हम उस फ़ैसले को ओवरसाइट बोर्ड की वेबसाइट पर पोस्ट करेंगे.

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