इस केस की घोषणा: 2021-003-FB-UA

हाल ही में केसों के अगले राउंड को लेकर हुई घोषणा के बाद, बोर्ड ने विचार-विमर्श के लिए अब एक और केस चुना है.

अक्टूबर 2020 में जबसे हमने केस स्वीकारने शुरू किए हैं, तब से लेकर अब तक बोर्ड के सामने 180,000 से ज़्यादा केस की अपील पेश की जा चुकी है. चूँकि हम सभी अपील पर सुनवाई नहीं कर सकते हैं, इसलिए हम उन केसों को प्राथमिकता दे रहे हैं जिनमें दुनिया भर के यूज़र्स को प्रभावित करने की संभावना हो, और जो सार्वजनिक विचार-विमर्श के लिए बेहद ज़रूरी हों, या जो Facebook की पॉलिसी के बारे में ज़रूरी सवाल खड़े करते हों.

हम इस केस की घोषणा करने जा रहे हैं:

2021-003-FB-UA

यूज़र द्वारा रेफ़र किया गया केस

पब्लिक कमेंट यहाँ सबमिट करें.

नवंबर 2020 में एक यूज़र ने पंजाबी भाषा के ऑनलाइन मीडिया प्लेटफ़ॉर्म Global Punjab TV की एक ऐसी पोस्ट और उसके टेक्स्ट को शेयर किया, जिसमें दावा किया जा रहा है कि हिन्दू राष्ट्रवादी संगठन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सिखों को नरसंहार के ज़रिए धमका रहे हैं.

उस यूज़र ने Global Punjab TV की जिस पोस्ट को शेयर किया, उसमें प्रोफ़ेसर मंजीत सिंह का 17-मिनट का इंटरव्यू है. Global Punjab TV ने उस वीडियो पोस्ट का कैप्शन रखा था “RSS, एक नया खतरा. राम नाम सत्य है. कट्टरता की ओर बढ़ती बीजेपी” [RSS ਦੀ ਨਵੀਂ ਧਮਕੀ, ਰਾਮ ਨਾਮ ਸੱਤ ਹੈ! ਕੱਟੜਤਾ ਵੱਲ ਹੋਰ ਵਧੀ ਬੀਜੇਪੀ]. मीडिया कंपनी ने उस पोस्ट में यह टेक्स्ट भी शामिल किया था, “नया खतरा. राम नाम सत्य है! कट्टरता की ओर बढ़ती बीजेपी [भारत का सत्तारूढ़ राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी]. प्रोफ़ेसर की मोदी को सीधी चुनौती!”

उस पोस्ट में दिए टेक्स्ट में यूज़र ने कहा कि CIA ने RSS को एक “कट्टर हिंदू आतंकवादी संगठन” घोषित किया है और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कभी उसी संघ के नेता थे. वह यूज़र यह भी लिखता है कि RSS सिक्खों को मारने और 1984 के उस “भयावह इतिहास” को दोहराने की धमकी दे रहा है, जिसमें हिन्दुओं की भीड़ ने सिख पुरुषों, महिलाओं और बच्चों का नरसंहार किया था और उन्हें जला दिया था. वे आगे कहते हैं कि “RSS ने मृत्यु के समय बोले जाने वाले वाक्य ‘राम नाम सत्य है’ का उपयोग किया था.” वह यूज़र आगे कहता है कि RSS प्रमुख मोहन भागवत के कहने पर खुद प्रधानमंत्री मोदी “सिक्खों के नरसंहार” को लेकर डर का माहौल बना रहे हैं. उस पोस्ट से जुड़े टेक्स्ट के आखिर में भारत में सिक्खों को हाई अलर्ट पर रहने की सलाह देते हुए यह दावा किया कि सेना की सिक्ख रेजिमेेंट ने प्रधानमंत्री मोदी को चेताया है कि वे पंजाब के सिक्ख किसानों और उनकी जमीन की रक्षा करने के लिए अपनी जान कुर्बान करने को भी तैयार हैं.

उस पोस्ट को 500 से कम बार देखा गया और एक रिपोर्ट के बाद उसे हटा दिया गया. Facebook ने खतरनाक लोग और संगठन से संबंधित अपने कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन करने के कारण उस कंटेंट को हटा दिया. संबंधित यूज़र द्वारा बोर्ड को अपील सबमिट किए जाने के बाद Facebook ने जाना कि इस पोस्ट को हटाना एन्फ़ोर्समेंट की गलती थी और कंटेंट को रीस्टोर किया गया.

उनकी अपील के तहत यूज़र ने बोर्ड को बताया कि वह पोस्ट धमकी भरी या आपराधिक नहीं थी. यूज़र ने दलील दी कि उस कमेंट में बस वीडियो का सार बताया गया है और इसके विचारों को प्रकट किया है. यूज़र ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि अगर उस वीडियो के कंटेंट में कुछ समस्या थी, तो वह वीडियो अभी भी Facebook पर क्यों मौजूद है. उस यूज़र ने Facebook पर पोस्ट करने की उनकी क्षमता पर रोक लगाने की शिकायत भी की. यूज़र ने उल्लेख किया कि हज़ारों लोग उनका कंटेंट देखते हैं और उन्होंने उस अकाउंट को तुरंत रीस्टोर करने की अपील की है. यूज़र ने सुझाव दिया कि Facebook को ऐसा कंटेंट हटाना चाहिए, जो Facebook के कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन करता है और केवल उन्हीं अकाउंट पर रोक लगानी चाहिए, जिनके यूज़र्स डराने-धमकाने, आपराधिक या गुमराह करने वाली गतिविधियों में शामिल होते हैं.

पब्लिक कमेंट

अगर आपको या आपके संगठन को लगता है कि आज घोषित इस केस को लेकर आप हमें ऐसे मूल्यवान दृष्टिकोण दे सकते हैं, जिनसे हमें फ़ैसला लेने में मदद मिलेगी, तो ऊपर दिए गए लिंक के ज़रिए आप अपनी राय बता सकते हैं. इस केस के लिए पब्लिक कमेंट की विंडो 14 दिनों तक खुली रहेगी, जो कि मंगलवार, 23 फ़रवरी 2021 को UTC के अनुसार दोपहर 3:00 बजे बंद होगी.

इसके बाद क्या होगा

आने वाले हफ़्तों में बोर्ड के सदस्य इस केस पर विचार-विमर्श करेंगे. जब वे अपने आखिरी फ़ैसले पर पहुँच जाएँगे, तब हम उस फ़ैसले को ओवरसाइट बोर्ड की वेबसाइट पर पोस्ट करेंगे.

साथ ही आगामी दिनों में उम्मीद है कि हम 2020-007-FB-FBR केस पर फ़ैसला प्रकाशित करेंगे. यह केस भारत से संबंधित है, जिसमें एक पोस्ट को Facebook के हिंसा और उकसावे से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड के तहत हटाया गया था.

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