ओवरसाइट बोर्ड ने Facebook के फ़ैसले को बदला: केस 2020-007-FB-FBR

ओवरसाइट बोर्ड ने Facebook के हिंसा और उकसावे के कम्युनिटी स्टैंडर्ड के तहत एक पोस्ट को हटाने के उसके फ़ैसले को बदल दिया है. कंपनी ने माना कि पोस्ट में अप्रत्यक्ष धमकी थी, लेकिन बोर्ड के अधिकांश सदस्यों का मानना था कि इसे रीस्टोर कर देना चाहिए. यह फ़ैसला सिर्फ़ यूज़र नोटिफ़िकेशन और सहमति पर लागू किया जाना चाहिए.

केस की जानकारी

अक्टूबर 2020 के अंत में, एक Facebook यूज़र ने भारतीय मुस्लिमों के फ़ोरम के रूप में वर्णित पब्लिक ग्रुप में पोस्ट की. उस पोस्ट में तुर्की भाषा के एक टेलीविज़न शो “Diriliş: Ertuğrul” की कोई फ़ोटो वाला एक मीम था, जिसमें शो के ही एक किरदार को दर्शाया गया था जिसने चमड़े का कवच पहना था और उसके हाथ में म्यान में रखी तलवार थी. मीम में हिन्दी भाषा का टेक्स्ट ओवरले था. Facebook ने टेक्स्ट का अंग्रेज़ी में यह अनुवाद किया: "अगर काफ़िर ने पैगंबर के खिलाफ़ आवाज़ उठाई, तो फिर तलवार को म्यान से निकालना ही होगा." पोस्ट में फ़्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को शैतान बताने वाले और फ़्रांसीसी प्रोडक्ट का बहिष्कार करने की अपील करने वाले हैशटेग भी शामिल थे.

अपने रेफ़रल में, Facebook ने इसे धार्मिक भाषण और हिंसा की संभावित धमकी माना और इस पर ध्यान दिया कि कंटेंट इन दोनों ही बातों के बीच होने वाले तनाव को हाइलाइट करता है, भले ही ऐसा स्पष्ट तौर पर न हुआ हो.

मुख्य निष्कर्ष

Facebook ने हिंसा और उकसावे के अपने कम्युनिटी स्टैंडर्ड के तहत पोस्ट को हटा दिया, जिसमें कहा गया है कि यूज़र को कोड वाले बयान पोस्ट नहीं करने चाहिए, जिनमें “धमकी अप्रत्यक्ष या निहित हो.” Facebook ने “तलवार को म्यान से निकालना ही होगा” को "काफ़िरों" के लिए धमकी माना और कंपनी ने इस शब्द की व्याख्या गैर-मुस्लिमों के विरुद्ध बदले की भावना रखने के रूप में की है.

केस की परिस्थितियों पर ध्यान देते हुए बोर्ड के अधिकांश सदस्यों ने यह नहीं माना कि इस पोस्ट के कारण नुकसान पहुँच सकता था. उन्होंने Facebook के तर्क पर सवाल खड़े किए जिसमें बताया गया था कि मुस्लिमों के विरुद्ध हिंसा के खतरों के कारण ऐसी धमकियों के प्रति Facebook की संवेदनशीलता बढ़ी है, लेकिन इस ग्रुप का कंटेंट मॉडरेट करते समय भी संवेदनशीलता बढ़ी.

बोर्ड के कुछ सदस्यों ने इस पोस्ट को ईश्वर की निंदा के लिए किसी तरह की हिंसक प्रतिक्रिया के लिए धमकाने के तौर पर देखा, लेकिन अधिकांश सदस्यों ने राष्ट्रपति मैक्रों के संदर्भों और फ़्रांसीसी प्रोडक्ट के बहिष्कार को ऐसी अपील के रूप में माना जो आवश्यक रूप से हिंसक नहीं हैं. भले ही टेलीविज़न शो के किरदार ने तलवार पकड़ी है, लेकिन बोर्ड के अधिकांश सदस्यों ने पोस्ट की व्याख्या करते हुए कहा कि यह हिंसा की ही धमकी देना नहीं बल्कि धर्म की आड़ में हिंसा पर मैक्रों की प्रतिक्रिया की आलोचना है. बोर्ड ने नोट किया कि इस पोस्ट को रीस्टोर करने के उसके फ़ैसले से उसके कंटेंट का समर्थन नहीं होता है.

अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों के तहत, लोगों को सभी तरह के सुझाव और राय माँगने, पाने और देने का अधिकार है, जिनमें वे शामिल हैं जो विवादास्पद या काफ़ी आपत्तिजनक हो सकते हैं. इस प्रकार, बोर्ड के अधिकांश सदस्यों ने माना कि जिस तरह लोगों को धर्म या धार्मिक लोगों की आलोचना करने का अधिकार है, उसी तरह धार्मिक लोगों को भी इस तरह की अभिव्यक्ति पर नाराज़गी जताने का अधिकार है.

अभिव्यक्ति से संबंधित प्रतिबंध आसानी से समझे जाने वाले और सुविधाजनक होने चाहिए. इस केस में, बोर्ड ने नोट किया कि अप्रत्यक्ष धमकियों को निर्धारित करने की Facebook की प्रक्रिया और मानदंड के बारे में कम्युनिटी स्टैंडर्ड में यूज़र को नहीं समझाया गया है.

अंत में, बोर्ड के अधिकांश सदस्यों ने पाया कि इस खास पोस्ट के लिए, Facebook ने सभी संदर्भ जानकारी का सही आंकलन नहीं किया और यह भी कि अभिव्यक्ति से संबंधित अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानक, बोर्ड के कंटेंट रीस्टोर करने के फ़ैसले को सही ठहराते हैं.

ओवरसाइट बोर्ड का फ़ैसला

बोर्ड ने Facebook के कंटेंट हटाने के फ़ैसले को बदल दिया है और पोस्ट को रीस्टोर करने के लिए कहा गया है.

पॉलिसी से जुड़े सुझाव देते हुए बोर्ड ने कहा कि:

  • यह फ़ैसला सिर्फ़ यूज़र नोटिफ़िकेशन और सहमति पर लागू किया जाना चाहिए.
  • Facebook, यूज़र को अप्रत्यक्ष धमकियों से संबंधित प्रतिबंधों के दायरे और प्रवर्तन की अतिरिक्त जानकारी दे. इससे यूज़र को यह समझने में मदद मिलेगी कि इस विषय में किस कंटेंट की परमिशन है. Facebook को अपने प्रवर्तन मानदंड को सार्वजनिक करना चाहिए. इनमें यूज़र के उद्देश्य और पहचान के साथ ही उनकी ऑडियंस और व्यापक संदर्भ पर ध्यान दिया जाना चाहिए.

अधिक जानकारी के लिए:

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