सही ठहराया

पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप का सस्पेंशन

बोर्ड ने Facebook के 7 जनवरी 2021 को लिए गए उस फ़ैसले को कायम रखा है, जिसके अनुसार तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को उनके Facebook पेज और Instagram अकाउंट पर कंटेंट पोस्ट करने से रोक दिया गया था.

निर्णय का प्रकार

मानक

नीतियां और विषय

विषय
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, राजनीति, सुरक्षा
सामुदायिक मानक
ख़तरनाक लोग और संगठन

क्षेत्र/देश

जगह
अमेरिका

प्लैटफ़ॉर्म

प्लैटफ़ॉर्म
Facebook

इस फ़ैसले का PDF देखने के लिए यहाँ क्लिक करें.

केस का सारांश

बोर्ड ने Facebook के 7 जनवरी 2021 को लिए गए उस फ़ैसले को कायम रखा है, जिसके अनुसार तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को उनके Facebook पेज और Instagram अकाउंट पर कंटेंट पोस्ट करने से रोक दिया गया था.

हालाँकि Facebook की ओर से अनिश्चित काल के लिए निलंबित करने का दंड देना उचित नहीं था, क्योंकि ऐसे किसी दंड का कोई प्रावधान नहीं है. Facebook के सामान्य दंडों में उल्लंघन करने वाले कंटेंट को हटाना, एक निश्चित समय के लिए निलंबन या पेज और अकाउंट को हमेशा के लिए बंद करना शामिल हैं.

बोर्ड ने इस बात पर ज़ोर दिया कि Facebook इस मामले का रिव्यू करके एक ऐसा उचित जवाब तय करे, जो इसके प्लेटफ़ॉर्म के अन्य यूज़र्स पर लागू होने वाले नियमों के अनुरूप हो. Facebook को इस फ़ैसले की तारीख से छह महीनों के भीतर इस मामले को लेकर अपना रिव्यू पूरा करना होगा. बोर्ड ने Facebook को पॉलिसी से जुड़े ऐसे सुझाव भी दिए, जिन पर अमल करके उसे ऐसी स्पष्ट, आवश्यक और उचित पॉलिसी बनानी है, जो पब्लिक सेफ़्टी को बढ़ावा दे और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान करे.

केस की जानकारी

चुनाव लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं. 6 जनवरी, 2021 को 2020 राष्ट्रपति चुनाव की मतगणना के दौरान उपद्रवियों की भीड़ जबरन वॉशिंगटन डीसी स्थित कैपिटॉल बिल्डिंग में घुस गई. इस हिंसा से संवैधानिक प्रक्रिया खतरे में आ गई. इस हिंसा में पाँच लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए. इन घटनाओं के दौरान, तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दो बार कंटेंट पोस्ट किया.

उपद्रव जारी होने के दौरान, इस्टर्न स्टैंडर्ड टाइम के अनुसार शाम 4:21 पर पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप ने Facebook और Instagram पर एक वीडियो पोस्ट किया:

I know your pain. I know you’re hurt. We had an election that was stolen from us. It was a landslide election, and everyone knows it, especially the other side, but you have to go home now. We have to have peace. We have to have law and order. We have to respect our great people in law and order. We don’t want anybody hurt. It’s a very tough period of time. There’s never been a time like this where such a thing happened, where they could take it away from all of us, from me, from you, from our country. This was a fraudulent election, but we can't play into the hands of these people. We have to have peace. So go home. We love you. You're very special. You've seen what happens. You see the way others are treated that are so bad and so evil. I know how you feel. But go home and go home in peace. (मैं आपका दर्द समझता हूँ. मुझे पता है आपको ठेस लगी है. इस चुनाव में हमारे साथ धांधली हुई. हमारी जीत बड़े अंतर से होने वाली थी और यह सब जानते हैं, ख़ास तौर पर विपक्ष के लोग, लेकिन अब आपको घर वापस जाना होगा. हमें शांति बनाए रखनी है. हमें कानून और व्यवस्था को बनाए रखना है. हमें कानून और व्यवस्था में मौजूद अपने महान लोगों का सम्मान करना है. हम नहीं चाहते कि किसी को भी चोट पहुँचे. यह बहुत ही मुश्किल दौर है. ऐसा दौर पहले कभी नहीं आया जब इस तरह की घटना हुई हो, जहाँ वे हम सबसे - मुझसे, आपसे, हमारे देश से - सब कुछ छीन ले जाएँ. यह धोखाधड़ी से भरा चुनाव था, लेकिन हम इन लोगों के हाथों की कठपुतली नहीं बन सकते. हमें शांति बनाए रखनी है. इसलिए घर जाएँ. हमें आपसे प्यार है. आप बेहद ख़ास हैं. आपने देखा कि क्या-क्या होता है. आपने देखा कि दूसरों से जैसा बर्ताव हो रहा है, वह कितना बुरा और हैवानियत से भरा है. मुझे पता है कि आप कैसा महसूस कर रहे हैं. लेकिन घर जाएँ और शांति से घर जाएँ.)

इस्टर्न स्टैंडर्ड टाइम के अनुसार शाम 5:41 बजे Facebook ने खतरनाक लोगों और संगठनों से जुड़े अपने कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन करने के कारण इस पोस्ट को हटा दिया.

इस्टर्न स्टैंडर्ड टाइम के अनुसार शाम 6:07 बजे, जब पुलिस उपद्रवियों से कैपिटॉल बिल्डिंग को बचा रही थी, तब पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप ने Facebook पर लिखित बयान पोस्ट किया:

These are the things and events that happen when a sacred landslide election victory is so unceremoniously viciously stripped away from great patriots who have been badly unfairly treated for so long. Go home with love in peace. Remember this day forever! (इसी तरह की चीज़ें और घटनाएँ होती हैं, जब एक पवित्र और बड़ी चुनावी जीत को बड़े अपवित्र और क्रूर तरीके से उन महान देशभक्तों से छीन लिया जाए, जिनके साथ लंबे समय से बुरा बर्ताव होता आया है. प्रेम और शांति से घर जाएँ. इस दिन को हमेशा के लिए याद रखें!)

इस्टर्न स्टैंडर्ड टाइम के अनुसार शाम 6:15 बजे Facebook ने खतरनाक लोगों और संगठनों से जुड़े अपने कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन करने के कारण इस पोस्ट को हटा दिया. पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप को 24 घंटों के लिए Facebook या Instagram पर पोस्ट करने से भी ब्लॉक कर दिया.

7 जनवरी को पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप की पोस्ट, Facebook के बाहर उनकी हालिया बातचीत और कैपिटॉल बिल्डिंग में हुई हिंसा की गंभीरता से जुड़ी अतिरिक्त जानकारी का रिव्यू करने के बाद, Facebook ने उनके अकाउंट पर लगाए गए “ब्लॉक को अनिश्चित काल और कम से कम अगले दो हफ़्तों के लिए तब तक बढ़ा दिया, जब तक सत्ता का शांतिपूर्ण हस्तांतरण पूरा नहीं हो जाता.”

20 जनवरी को राष्ट्रपति जो बाइडन के शपथ ग्रहण करने के साथ ही पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप का अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में कार्यकाल समाप्त हो गया.

21 जनवरी को Facebook ने यह घोषणा की कि उसने यह केस बोर्ड को सौंप दिया है. Facebook ने पूछा कि क्या 7 जनवरी को Facebook और Instagram पर पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के कंटेंट पोस्ट करने पर अनिश्चित काल के लिए रोक लगाने का उसका फ़ैसला सही था. कंपनी ने उन निलंबनों के बारे में सुझाव भी माँगे, जब यूज़र कोई राजनेता हो.

6 जनवरी की दो पोस्ट के अलावा Facebook को Donald J. Trump वाले Facebook पेज पर पहले पोस्ट किए गए ऑर्गेनिक कंटेंट में अपने कम्युनिटी स्टैंडर्ड के पाँच उल्लंघन मिले थे, जिनमें से तीन पिछले साल हुए थे. उल्लंघन करने वाली उन पाँच पोस्ट को हटा दिया गया था, लेकिन अकाउंट पर कोई भी रोक नहीं लगाई गई थी.

मुख्य निष्कर्ष

बोर्ड ने यह पाया कि 6 जनवरी को पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा की गईं दो पोस्ट में Facebook के कम्युनिटी स्टैंडर्ड और Instagram की कम्युनिटी गाइडलाइन का गंभीर रूप से उल्लंघन हुआ था. पहली पोस्ट में कहे गए शब्दों "We love you (हमें आपसे प्यार है), You’re very special (आप बेहद ख़ास हैं)" और दूसरी पोस्ट में कहे गए शब्दों "great patriots (महान देशभक्त)" और "remember this day forever (इस दिन को हमेशा के लिए याद रखें)" से Facebook के उन नियमों का उल्लंघन हुआ था, जो हिंसा में शामिल लोगों की प्रशंसा और समर्थन पर रोक लगाते हैं.

बोर्ड ने यह पाया कि चुनावी धोखाधड़ी के बेबुनियादी बयान और कार्रवाई करने की लगातार अपीलों को बनाए रखते हुए, पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप ने एक ऐसा माहौल बनाया, जिससे हिंसा का गंभीर जोखिम हो सकता था. पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप की पोस्ट के समय, तुरंत नुकसान होने की संभावना स्पष्ट दिखाई दे रही थी और दंगों में शामिल लोगों के समर्थन में कहे गए उनके शब्द उन लोगों की हिंसक कार्रवाइयों को सही साबित कर रहे थे. राष्ट्रपति के तौर पर, पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप की बातों का बड़े पैमाने पर असर पड़ सकता था. Facebook पर 3.5 करोड़ और Instagram पर 2.4 करोड़ फ़ॉलोअर्स होने के कारण उनकी पोस्ट देखने वाले लोगों की संख्या काफ़ी थी.

उल्लंघनों की गंभीरता और हिंसा के जारी जोखिम को देखते हुए, 6 जनवरी को पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के अकाउंट को निलंबित करने और 7 जनवरी को अकाउंट निलंबित रहने की अवधि बढ़ाने में Facebook सही साबित हुआ.

हालाँकि, अकाउंट को 'अनिश्चित काल' के लिए निलंबित करना Facebook के लिए उचित नहीं था.

Facebook को इसकी अनुमति नहीं है कि वह किसी यूज़र को एक अनिश्चित समय तक प्लेटफ़ॉर्म से बाहर रखे, वह भी बिना किसी मानदंड के कि अकाउंट को कब रीस्टोर किया जाएगा या रीस्टोर किया जाएगा भी या नहीं.

यह दंड लगाते समय, Facebook ने किसी स्पष्ट और प्रकाशित प्रक्रिया का पालन नहीं किया था. कंपनी की कंटेंट पॉलिसी में किसी अकाउंट को 'अनिश्चित काल' के लिए निलंबित करने के बारे में नहीं बताया गया है. Facebook के सामान्य दंडों में उल्लंघन करने वाले कंटेंट को हटाना, एक निश्चित समय के लिए निलंबन या पेज और अकाउंट को हमेशा के लिए बंद करना शामिल हैं.

यह Facebook का काम है कि वह ऐसी आवश्यक और यथोचित पेनल्टियाँ तय करे, जो उसकी कंटेंट पॉलिसी के गंभीर उल्लंघनों के लिए उपयुक्त हों. बोर्ड का काम यह सुनिश्चित करना है कि Facebook के नियम और प्रक्रियाएँ, उसकी कंटेंट पॉलिसी, उसके मूल्यों और मानवाधिकारों से जुड़ी उसकी प्रतिबद्धताओं के अनुरूप हों.

अस्पष्ट और बिना प्रावधान वाला दंड लगाने के बाद इसके निपटारे के लिए केस बोर्ड को सौंपकर, Facebook अपनी ज़िम्मेदारियों से भागने की कोशिश कर रही है. बोर्ड ने Facebook का अनुरोध ठुकराते हुए इस बात पर ज़ोर दिया कि Facebook प्रावधान के तहत दंड लगाए और उसे उचित ठहराए.

ओवरसाइट बोर्ड का फ़ैसला

ओवरसाइट बोर्ड ने Facebook के 7 जनवरी 2021 को लिए गए उस फ़ैसले को कायम रखा है, जिसके अनुसार पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप की Facebook और Instagram पर कंटेंट पोस्ट करने की एक्सेस को निलंबित किया गया था. हालाँकि, Facebook ने पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के अकाउंट 'अनिश्चित काल' के लिए निलंबित कर दिए थे, इसलिए कंपनी को इस दंड का फिर से मूल्यांकन करना होगा.

यह फ़ैसला लेने के छह महीनों के भीतर, Facebook को 7 जनवरी को लगाए गए मनमाने दंड की फिर से जाँच करके उचित दंड तय करना होगा. यह दंड, उल्लंघन की गंभीरता और भविष्य में होने वाले नुकसान की संभावना पर आधारित होना चाहिए. यह गंभीर उल्लंघनों के लिए बनाए गए Facebook के नियमों के अनुरूप भी होना चाहिए, जहाँ कि ये नियम स्पष्ट, उचित और तर्कसंगत हों.

अगर Facebook पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के अकाउंट रीस्टोर करने का फ़ैसला करता है, तो कंपनी को उस फ़ैसले पर अपने नियम लागू करने होंगे. उसमें बोर्ड के पॉलिसी से जुड़े निम्न सुझावों को अमल में लाने के लिए Facebook द्वारा किए गए बदलाव भी शामिल होने चाहिए. इस मामले में, Facebook को आगे होने वाले उल्लंघनों का तुरंत और अपनी बनाई गईं कंटेंट पॉलिसी के अनुसार समाधान करना होगा.

बोर्ड के कुछ सदस्यों ने इस बात पर ज़ोर दिया कि Facebook को ऐसे कदम उठाने चाहिए जिनके ज़रिए मानवाधिकारों पर बार-बार होने वाले प्रतिकूल प्रभावों से बचा जा सके और यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि अकाउंट को निलंबित कर दिए जाने के बाद उसकी बहाली की कोशिश करने वाले यूज़र्स को अपनी गलती का एहसास हो और वे भविष्य में नियमों का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध हों.

यह केस बोर्ड को सौंपते समय Facebook ने ख़ास तौर पर “उन निलंबनों के बारे में विचार या सुझाव माँगे, जब यूज़र कोई राजनेता हो.”

पॉलिसी से जुड़े सुझाव के कथन में बोर्ड ने राजनेताओं और अन्य प्रभावशाली हस्तियों की वजह से होने वाले किसी बड़े नुकसान की आशंका को ध्यान में रखते हुए Facebook की पॉलिसी तैयार करने में मार्गदर्शन के लिए कई सुझाव दिए.

बोर्ड ने कहा कि यह जानते हुए भी राजनेताओं और अन्य प्रभावशाली हस्तियों के बीच एक स्पष्ट अंतर बताना हमेशा उपयोगी साबित नहीं होता है, क्योंकि बड़ी ऑडियंस वाले अन्य यूज़र्स भी बड़े नुकसान का कारण बन सकते हैं.

हालाँकि सभी यूज़र्स पर एक जैसे नियम लागू होने चाहिए, लेकिन नुकसान की आशंका और निकटता का मूल्यांकन करते समय संदर्भ मायने रखता है. प्रभावशाली यूज़र्स की पोस्ट के कारण तात्कालिक नुकसान की ज़्यादा आशंका होने पर, Facebook को अपने नियम लागू करने के लिए तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए. भले ही Facebook ने यह बताया था कि उसने इस केस में 'ख़बर योग्य होने संबंधी' अनुमोदन लागू नहीं किया, लेकिन बोर्ड ने Facebook से इस बारे में बड़े पैमाने पर व्याप्त भ्रम की स्थिति दूर करने को कहा कि प्रभावशाली यूज़र्स से जुड़े फ़ैसले किस तरह लिए जाते हैं. बोर्ड ने इस बात पर ज़ोर दिया कि गंभीर नुकसान से बचने के लिए तुरंत एक्शन लेना ज़रूरी होने पर ख़बर योग्य होने की बात पर ध्यान देने को प्राथमिकता नहीं दी जानी चाहिए.

Facebook को ऐसे नियमों के बारे में सार्वजनिक रूप से बताना चाहिए, जिनका उपयोग वह प्रभावशाली यूज़र्स पर अकाउंट लेवल के प्रतिबंध लगाते समय करता है. इन नियमों से यह सुनिश्चित होना चाहिए कि जब Facebook गंभीर नुकसान की संभावना को कम करने के लिए किसी प्रभावशाली यूज़र के अकाउंट को निर्धारित समय के लिए निलंबित करे, तब निलंबित रहने की अवधि पूरी होने से पहले वह जोखिम कम होने के बारे में मूल्यांकन करेगा. अगर Facebook को किसी यूज़र द्वारा तात्कालिक हिंसा भड़काने, भेदभाव करने या कोई अन्य गैरकानूनी एक्शन लेने का गंभीर जोखिम दिखता है, तो एक निश्चित समय के लिए यूज़र को निलंबित कर देना चाहिए, अगर पब्लिक सेफ़्टी का ध्यान रखने और जोखिम को देखते हुए ऐसे कदम उठाने ज़रूरी लग रहे हों.

बोर्ड ने गौर किया कि अन्य लोगों की तुलना में राज्यों के प्रमुख और सरकार के अन्य बड़े अधिकारियों के प्रभाव की वजह से ज़्यादा नुकसान पहुँच सकता है. अगर राज्य के किसी प्रमुख या बड़े सरकारी अधिकारी ने लगातार ऐसे मैसेज पोस्ट किए हैं, जिनसे अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों के तहत नुकसान की आशंका हो सकती है, तो Facebook को तात्कालिक नुकसान से सुरक्षा के लिए ज़रूरी समय तक अकाउंट को निलंबित कर देना चाहिए. अकाउंट को उस समय तक निलंबित किया जाना चाहिए, जितने समय में दुर्व्यवहार का निवारण किया जा सके और उचित मामलों में अकाउंट या पेज को डिलीट करने का एक्शन शामिल हो सकता है.

अन्य सुझावों में बोर्ड ने कहा कि Facebook:

  • काफ़ी प्रभावशाली यूज़र्स के राजनीतिक भाषण वाले कंटेंट को तुरंत इसी काम के लिए नियुक्त विशेष स्टाफ़ के पास भेजें, जो भाषाई और राजनीतिक संदर्भों के जानकार हैं. इस स्टाफ़ को राजनीतिक और आर्थिक हस्तक्षेप के साथ-साथ अनुचित प्रभाव से अलग रखा जाना चाहिए.
  • प्रभावशाली अकाउंट की वजह से होने वाले नुकसान की आशंकाओं का मूल्यांकन करने के लिए पर्याप्त संसाधन और विशेषज्ञों की टीम को ख़ास तौर पर वैश्विक रूप से इस काम में लगाए.
  • ज़्यादा से ज़्यादा जानकारी उपलब्ध करवाए ताकि यूज़र्स को ख़बर योग्य होने के अनुमोदन लागू करने की प्रक्रिया और मानदंडों को समझने और मूल्यांकन करने में मदद मिले, जिसमें प्रभावशाली अकाउंट पर इसके लागू होने का तरीका शामिल है. कंपनी को क्रॉस चेक रिव्यू के औचित्य, मानकों और प्रक्रियाओं के बारे में भी स्पष्ट रूप से बताना चाहिए और साधारण प्रवर्तन प्रक्रियाओं की तुलना में क्रॉस चेक के ज़रिए किए गए निर्धारणों से संबंधित एरर रेट को रिपोर्ट करना चाहिए.
  • चुनावी धोखाधड़ी के बयान और 6 जनवरी को अमेरिका में खराब हालातों के चलते हुई हिंसा में Facebook के संभावित योगदान का विस्तार से रिव्यू करे. इसके ज़रिए Facebook की डिज़ाइन और पॉलिसी से जुड़े ऐसे विकल्प खुले तौर पर प्रदर्शित होने चाहिए, जिनसे इसके प्लेटफ़ॉर्म का दुरुपयोग हो सकता है.
  • अपनी कॉर्पोरेट मानवाधिकार पॉलिसी में यह स्पष्ट करे कि वह अंतरराष्ट्रीय आपराधिक, मानवाधिकारों और मानवीय कानून के गंभीर उल्लंघनों की जाँच और संभावित अभियोग में सहायता के लिए जानकारी को किस तरह एकत्रित करता है, सुरक्षित रखता है और उचित होने पर, किस तरह शेयर करता है.
  • प्रोफ़ाइल, पेज, ग्रुप और अकाउंट प्रतिबंधित करने के लिए दंड और पेनल्टियाँ लगाने की अपनी प्रक्रिया के बारे में Facebook के कम्युनिटी स्टैंडर्ड और Instagram की कम्युनिटी गाइडलाइन में बताए.
  • क्षेत्र और देश के अनुसार फ़िल्टर की गई जानकारी सहित अपनी पारदर्शिता रिपोर्टिंग में प्रोफ़ाइल, पेज और अकाउंट से संबंधित प्रतिबंधों की संख्या शामिल करे.
  • यूज़र्स को इस बारे में जानकारी उपलब्ध करवाए कि उनके विरुद्ध कितने उल्लंघन, दंड और पेनल्टियाँ सामने आई हैं और भविष्य में होने वाले उल्लंघनों के क्या परिणाम होंगे.
  • ऐसी पॉलिसी बनाकर उसे प्रकाशित करे जो ऐसे संकटों या नई तरह की स्थितियों को लेकर Facebook की प्रतिक्रिया को नियंत्रित करेगी, जहाँ इसकी सामान्य प्रक्रियाओं के ज़रिए तात्कालिक नुकसान से बचना मुश्किल होगा. इस मार्गदर्शन में इस तरह के एक्शन के लिए उचित पैरामीटर सेट किए जाने चाहिए, जिसमें निश्चित समय में अपने फ़ैसले का रिव्यू करने की ज़रूरत भी शामिल है.

*केस के सारांश से केस का ओवरव्यू पता चलता है और आगे के किसी फ़ैसले के लिए इसको आधार नहीं बनाया जा सकता है.

केस का पूरा फ़ैसला

इस केस में Facebook ने बोर्ड से दो सवालों के जवाब माँगे:

Facebook के मूल्यों, ख़ास तौर पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सुरक्षा को लेकर उसकी प्रतिबद्धता पर विचार करके, क्या 7 जनवरी 2021 को डोनाल्ड जे. ट्रंप की Facebook और Instagram पर कंटेंट पोस्ट करने की एक्सेस पर अनिश्चित काल के लिए रोक लगाने का उसका फ़ैसला सही था?

अनिश्चित काल के लिए लगाए गए निलंबन को कायम रखना है या बदलना है, बोर्ड के इस फ़ैसले के अलावा, Facebook उन निलंबनों के बारे में बोर्ड के विचार या सुझाव का स्वागत करता है, जब यूज़र कोई राजनेता हो.

1. फ़ैसले का सारांश

बोर्ड ने 7 जनवरी 2021 को Facebook द्वारा लिए गए उस फ़ैसले को कायम रखा, जिसमें उसने तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के Facebook पेज और Instagram अकाउंट पर कंटेंट पोस्ट करने की उनकी एक्सेस को प्रतिबंधित कर दिया था.

हालाँकि Facebook की ओर से अनिश्चित काल के लिए निलंबित करने का दंड देना उचित नहीं था, क्योंकि ऐसे किसी दंड का कोई प्रावधान नहीं है. Facebook के सामान्य दंडों में उल्लंघन करने वाले कंटेंट को हटाना, एक निश्चित समय के लिए निलंबन या पेज और अकाउंट को हमेशा के लिए बंद करना शामिल हैं.

बोर्ड ने इस बात पर ज़ोर दिया कि Facebook इस मामले का रिव्यू करके एक ऐसा उचित जवाब तय करे, जो इसके प्लेटफ़ॉर्म के अन्य यूज़र्स पर लागू होने वाले नियमों के अनुरूप हो. Facebook को इस फ़ैसले की तारीख से छह महीनों के भीतर इस मामले को लेकर अपना रिव्यू पूरा करना होगा. बोर्ड Facebook को पॉलिसी से जुड़े ऐसे सुझाव भी देता है, जिन पर अमल करके उसे ऐसी स्पष्ट, आवश्यक और उचित पॉलिसी बनानी है, जो पब्लिक सेफ़्टी को बढ़ावा दे और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान करे.

2. केस का विवरण

चुनाव लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं. इनके ज़रिए दुनियाभर के लोग सामाजिक संघर्षों को नियंत्रित कर सकते हैं और शांतिपूर्ण तरीके से इनका समाधान निकाल सकते हैं. अमेरिका का संविधान कहता है कि राष्ट्रपति का चयन इलेक्टोरल कॉलेज वोटों की गणना करके किया जाता है. 6 जनवरी 2021 को 2020 के इलेक्टोरल वोट की गणना के दौरान, उपद्रवियों की भीड़ कैपिटॉल बिल्डिंग में घुस आई, जहाँ इलेक्टोरल वोट की गणना की जा रही थी और उन्होंने संवैधानिक प्रक्रिया को खतरे में डाल दिया. इस हिंसा में पाँच लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए.

6 जनवरी से पहले, तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सबूत के बिना दावा किया कि नवंबर 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में धांधली हुई है. पूर्व राष्ट्रपति और अन्य लोगों द्वारा चुनावी धोखाधड़ी को लेकर किए गए कानूनी दावों को 70 से ज़्यादा मामलों में खारिज कर दिया गया था और तत्कालीन अटॉर्नी जनरल ने जाँच के बाद कहा कि ऐसी कोई धोखाधड़ी नहीं हुई थी ”जिसका दायरा इतना बड़ा हो कि उससे चुनाव का कोई दूसरा परिणाम मिलता.” इसके बावजूद, पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप ने Facebook का उपयोग करके ये बेबुनियादी दावे करना जारी रखा और 6 जनवरी को रैली करने के प्लान के बारे में बताया:

  1. 19 दिसंबर, 2020 को ट्रंप के Facebook पेज पर यह पोस्ट की गई: “Peter Navarro releases 36-page report alleging election fraud 'more than sufficient' to swing victory to Trump - A great report by Peter. Statistically impossible to have lost the 2020 Election. Big protest in D.C. on January 6th. Be there, will be wild!” (पीटर नावेरो ने 36 पेजों की रिपोर्ट जारी की है, जिसमें उन्होंने बताया कि ट्रंप की जीत को हार में बदलने के लिए ‘काफ़ी हद तक’ चुनावी धोखाधड़ी की गई है - पीटर की शानदार रिपोर्ट. आँकड़ों की दृष्टि से 2020 का चुनाव हारना असंभव है. 6 जनवरी को वॉशिंगटन डीसी में बड़ा विरोध प्रदर्शन होगा. वहाँ आएँ, बहुत कुछ होगा!)
  2. 1 जनवरी, 2021 को ट्रंप के Facebook पेज पर यह पोस्ट की गई: “The BIG Protest Rally in Washington, D.C., will take place at 11.00 A.M. on January 6th. Locational details to follow. StopTheSteal!” (6 जनवरी को सुबह 11 बजे वॉशिंगटन डीसी में एक बड़ी विरोध रैली होगी. लोकेशन के बारे में जल्द ही बताएँगे. धांधली को रोकें)

6 जनवरी, 2021 की सुबह, पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप, व्हाइट हाउस के पास एक रैली में शामिल हुए और भाषण दिया. वे लगातार बेबुनियादे दावे करते रहे कि उन्होंने चुनाव जीत लिया है और उन्होंने सुझाव दिया कि उपराष्ट्रपति माइक पेंस को चुने गए राष्ट्रपति जो बाइडन की जीत का फ़ैसला बदल देना चाहिए, जो उपराष्ट्रपति पेंस के हाथों में नहीं था. उन्होंने यह भी कहा कि “we will stop the steal (हम धांधली को रोकेंगे),” और “we’re going to the Capitol (हम कैपिटॉल बिल्डिंग जा रहे हैं).”

इसके बाद रैली में शामिल हुए कई लोग अमेरिका की कैपिटॉल बिल्डिंग की ओर चल पड़े, जहाँ वे पहले से मौजूद अन्य प्रदर्शनकारियों के साथ मिल गए. कई प्रदर्शनकारियों ने कैपिटॉल की सुरक्षा पर हमला किया और बिल्डिंग में हिंसात्मक तरीके से घुसकर वहाँ दंगा किया. उपराष्ट्रपति पेंस और काँग्रेस के अन्य सदस्य इस तरह सोच समझकर की गई हिंसा के कारण गंभीर जोखिम में पड़ गए. पाँच लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए.

इन घटनाओं के दौरान, पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने Facebook पेज (जिसके कम से कम 3.5 करोड़ फ़ॉलोअर्स थे) पर एक वीडियो और बयान पोस्ट किया तथा वीडियो उनके Instagram अकाउंट (जिसके कम से कम 2.4 करोड़ फ़ॉलोअर्स थे) पर भी शेयर किया गया. इन पोस्ट में कहा गया कि 2020 के चुनाव में “stolen (धांधली)” की गई थी, और उसे “stripped away (छीन लिया गया था)”. उन पोस्ट में उस समय कैपिटॉल बिल्डिंग में उपद्रव करने वाले लोगों की सराहना करते हुए उनका समर्थन भी किया गया था, वहीं उनसे शांति बनाए रखने की अपील भी की गई थी. उस Facebook पेज और Instagram अकाउंट, दोनों पर पेज या अकाउंट के नाम के पास ब्लू टिक थी, जिसका मतलब है कि Facebook ने कन्फ़र्म कर लिया है कि वह अकाउंट “उस सार्वजनिक हस्ती की प्रामाणिक मौजूदगी” है, जिसका वह अकाउंट प्रतिनिधित्व करता है.

उपद्रव जारी होने के दौरान इस्टर्न स्टैंडर्ड टाइम के अनुसार शाम 4:21 बजे पोस्ट किए गए उस एक मिनट के वीडियो में पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा:

I know your pain. I know you’re hurt. We had an election that was stolen from us. It was a landslide election, and everyone knows it, especially the other side, but you have to go home now. We have to have peace. We have to have law and order. We have to respect our great people in law and order. We don’t want anybody hurt. It’s a very tough period of time. There’s never been a time like this where such a thing happened, where they could take it away from all of us, from me, from you, from our country. This was a fraudulent election, but we can't play into the hands of these people. We have to have peace. So go home. We love you. You're very special. You've seen what happens. You see the way others are treated that are so bad and so evil. I know how you feel. But go home and go home in peace. (मैं आपका दर्द समझता हूँ. मुझे पता है आपको ठेस लगी है. इस चुनाव में हमारे साथ धांधली हुई. हमारी जीत बड़े अंतर से होने वाली थी और यह सब जानते हैं, ख़ास तौर पर विपक्ष के लोग, लेकिन अब आपको घर वापस जाना होगा. हमें शांति बनाए रखनी है. हमें कानून और व्यवस्था को बनाए रखना है. हमें कानून और व्यवस्था में मौजूद अपने महान लोगों का सम्मान करना है. हम नहीं चाहते कि किसी को भी चोट पहुँचे. यह बहुत ही मुश्किल दौर है. ऐसा दौर पहले कभी नहीं आया जब इस तरह की घटना हुई हो, जहाँ वे हम सबसे - मुझसे, आपसे, हमारे देश से - सब कुछ छीन ले जाएँ. यह धोखाधड़ी से भरा चुनाव था, लेकिन हम इन लोगों के हाथों की कठपुतली नहीं बन सकते. हमें शांति बनाए रखनी है. इसलिए घर जाएँ. हमें आपसे प्यार है. आप बेहद ख़ास हैं. आपने देखा कि क्या-क्या होता है. आपने देखा कि दूसरों से जैसा बर्ताव हो रहा है, वह कितना बुरा और हैवानियत से भरा है. मुझे पता है कि आप कैसा महसूस कर रहे हैं. लेकिन घर जाएँ और शांति से घर जाएँ.)

EST के अनुसार शाम 5:41 बजे Facebook ने उस पोस्ट को खतरनाक लोग और संगठन से जुड़े अपने कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन करने के कारण हटा दिया था.

पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप ने यह लिखित बयान EST के अनुसार शाम 6:07 बजे पोस्ट किया, उस समय पुलिस उपद्रवियों से कैपिटॉल बिल्डिंग को बचा रही थी:

These are the things and events that happen when a sacred landslide election victory is so unceremoniously viciously stripped away from great patriots who have been badly unfairly treated for so long. Go home with love in peace. Remember this day forever! (इसी तरह की चीज़ें और घटनाएँ होती हैं, जब एक पवित्र और बड़ी चुनावी जीत को बड़े अपवित्र और क्रूर तरीके से उन महान देशभक्तों से छीन लिया जाए, जिनके साथ लंबे समय से बुरा बर्ताव होता आया है. प्रेम और शांति से घर जाएँ. इस दिन को हमेशा के लिए याद रखें!)

EST के अनुसार शाम 6:15 बजे Facebook ने इस पोस्ट को खतरनाक लोग और संगठन से जुड़े अपने कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन करने के कारण निकाल दिया और पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप को Facebook या Instagram पर पोस्ट करने से 24 घंटे के लिए ब्लॉक कर दिया.

7 जनवरी, 2021 को पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप की पोस्ट, Facebook के बाहर उनकी हालिया बातचीत और कैपिटॉल बिल्डिंग में हुई हिंसा की गंभीरता से जुड़ी अन्य जानकारी का रिव्यू करने के बाद, Facebook ने उनके अकाउंट पर लगाए गए “ब्लॉक को अनिश्चित काल और कम से कम अगले दो हफ़्तों के लिए तब तक बढ़ा दिया, जब तक सत्ता का शांतिपूर्ण हस्तांतरण पूरा नहीं हो जाता. Facebook ने उल्लेख किया कि पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप की ओर से “हमारे प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार के खिलाफ़ हिंसक बगावत उकसाने के लिए किया गया."

6 जनवरी के बाद उस उपद्रव में शामिल कुछ लोगों ने सार्वजनिक रूप से कहा कि उन्होंने यह काम राष्ट्रपति के कहने पर किया. ऐसे ही एक व्यक्ति के बयान का उल्लेख Washington Post में किया गया (16 जनवरी, 2021): “I thought I was following my president. . . . He asked us to fly there. He asked us to be there. So I was doing what he asked us to do.” (मुझे लगा कि मैं अपने राष्ट्रपति की बात सुन रहा हूँ... उन्होंने हमसे वहाँ पहुँचने को कहा था. वहाँ मौजूद रहने को कहा था. तो मैं वही कर रहा था जो उन्होंने हमसे करने को कहा था.) कैपिटॉल बिल्डिंग की सीढ़ियों पर एक उपद्रवी का वीडियो कैप्चर किया गया, जिसमें वह पुलिस अधिकारियों को चिल्ला-चिल्लाकर कह रहा था कि, “हमें यहाँ बुलाया गया था! हमें अमेरिका के राष्ट्रपति ने बुलाया था!”

डिस्ट्रिक्ट ऑफ़ कोलंबिया ने 6 जनवरी को सार्वजनिक आपातकाल की घोषणा की और उसी दिन उसे 21 जनवरी तक के लिए बढ़ा दिया गया. 27 जनवरी को डिपार्टमेंट ऑफ़ होमलैंड सिक्योरिटी (DHS) ने नेशनल टेररिज़्म एडवाइज़री सिस्टम बुलेटिन जारी करके “अमेरिका में खतरा बढ़ने की चेतावनी दी, जिस बारे में DHS का मानना है कि यह खतरा राष्ट्रपति के सफलतापूर्वक शपथ ग्रहण करने के बाद कुछ हफ्तों तक बना रहेगा.” इसमें कहा गया कि “2021 की शुरुआत में हिंसा करने वाले सक्रिय रहेंगे और 6 जनवरी, 2021 को वॉशिंगटन डीसी की कैपिटॉल बिल्डिंग में घुसने की घटना से उनमें से कुछ लोगों [घरेलू हिंसक चरमपंथियों] का हौसला बढ़ा हुआ हो सकता है और वे चुने गए पदाधिकारियों और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुँचाने की कोशिश कर सकते हैं.”

हालाँकि Facebook को अपनी कंटेंट पॉलिसी का उल्लंघन करने वालीं जो भी पोस्ट मिलीं, उन्हें निकाल दिया गया, वहीं पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप का Facebook पेज और Instagram अकाउंट सार्वजनिक रूप Facebook और Instagram पर उपलब्ध है. उनके पेज या अकाउंट पर Facebook द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के बारे में किसी भी तरह का नोटिस नहीं है. 21 जनवरी 2021 को Facebook ने घोषणा कि थी कि उसने यह केस ओवरसाइट बोर्ड को रेफ़र कर दिया है.

6 जनवरी 2021 की दो पोस्ट के अलावा, Facebook को डोनाल्ड जे. ट्रंप के Facebook पेज पर पहले कभी पोस्ट किए गए ऑर्गेनिक कंटेंट में अपने कम्युनिटी स्टैंडर्ड से जुड़े पाँच उल्लंघन मिले थे, जिनमें से तीन पिछले साल हुए थे. उल्लंघन करने वाली उन पाँच पोस्ट को हटा दिया गया था, लेकिन अकाउंट लेवल के कोई भी प्रतिबंध नहीं लगाए गए थे. बोर्ड के यह पूछने पर कि क्या उन पर कोई प्रतिबंध लगाया जा चुका है, तो Facebook ने जवाब देते हुए कहा कि अगस्त 2020 में एक पोस्ट को लेकर उनके पेज पर प्रतिबंध लगाया गया था, जिसमें COVID-19 से जुड़ी गलत जानकारी और नुकसान पर आधारित उनकी पॉलिसी का उल्लंघन किया गया था. Facebook यह नहीं समझा पाया कि उनके द्वारा हटाए गए उल्लंघन करने वाले अन्य कंटेंट को लेकर प्रतिबंध क्यों नहीं लगाए गए.

अगर Facebook कंटेट को “ख़बर के योग्य और सार्वजनिक हित” के लिए मान्य करता है, तो Facebook के पास “ख़बर योग्य होने संबंधी अनुमोदन” है, जिसके तहत उनकी पॉलिसी का उल्लंघन करने वाला कंटेंट प्लेटफ़ॉर्म पर बना रहता है. Facebook ने पूरे दावे के साथ कहा कि उन्होंने “पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के Facebook पेज या Instagram अकाउंट से पोस्ट किए कंटेंट को कभी भी ख़बर योग्य होने संबंधी अनुमोदन नहीं दिया.”

बोर्ड के सवाल का जवाब देते हुए Facebook ने खुलासा किया कि “ट्रंप के Facebook पेज और Instagram अकाउंट पर 20 ऐसे कंटेंट थे, जिन्हें कंटेंट रिव्यूवर या ऑटोमेशन ने शुरुआत में Facebook के कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन करने के कारण चिह्नित किया था, लेकिन बाद में आखिरकार वे उल्लंघनकारी नहीं साबित हुए.”

Facebook ने बोर्ड को बताया कि वह कुछ “हाई प्रोफ़ाइल” अकाउंट के लिए “क्रॉस चेक” सिस्टम का उपयोग करता है, ताकि “एन्फ़ोर्समेंट में गलतियाँ होने की आशंका को दूर किया जा सके.” इन अकाउंट के मामले में, Facebook अपने कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन करते पाए गए कंटेंट को अतिरिक्त आंतरिक रिव्यू के लिए भेजता है. कंटेंट को रिव्यू के लिए आगे बढ़ाने के बाद Facebook तय करता है कि उस कंटेंट से उल्लंघन हुआ है या नहीं. Facebook ने बोर्ड से कहा कि “उनका कभी भी कोई ऐसा सामान्य नियम नहीं रहा कि राजनेताओं द्वारा पोस्ट किए गए कंटेंट को ज़्यादा छूट दी जाए.” जहाँकि समान सामान्य नियम लागू होते हैं, वहीं “क्रॉस चेक” सिस्टम का मतलब है कि फ़ैसले लेने की प्रक्रिया कुछ “हाई प्रोफ़ाइल” यूज़र्स के लिए अलग है.

3. प्राधिकार और दायरा

ओवरसाइट बोर्ड के पास Facebook द्वारा रेफ़र किए गए सवालों के व्यापक सेट का रिव्यू करने का अधिकार है (चार्टर अनुच्छेद 2, सेक्शन 1; उपनियम अनुच्छेद 2, सेक्शन 2.1). इन सवालों को लेकर दिए गए फ़ैसले बाध्यकारी होते हैं और उनमें पॉलिसी से जुड़ी सलाह के कथनों के साथ सुझाव भी शामिल हो सकते हैं. ये सुझाव बाध्यकारी नहीं होते हैं, लेकिन Facebook को उन्हें लेकर जवाब देना होगा (चार्टर अनुच्छेद 3, सेक्शन 4). पारदर्शी और नैतिक तरीके से विवादों को सुलझाने के लिए यह बोर्ड एक स्वतंत्र शिकायत निवारण सिस्टम है.

4. प्रासंगिक स्टैंडर्ड

ओवरसाइट बोर्ड के चार्टर के तहत, इसे इन स्टैंडर्ड को देखते हुए ही हर केस पर विचार करना चाहिए:

I. Facebook की कंटेंट पॉलिसी:

Facebook के कम्युनिटी स्टैंडर्ड हैं, जो यह बताते हैं कि यूज़र्स Facebook पर कौन-सी चीज़ें पोस्ट नहीं कर सकते हैं, वहीं Instagram की कम्युनिटी गाइडलाइन हैं, जो यह बताती हैं कि यूज़र्स Instagram पर कौन-सी चीज़ें पोस्ट नहीं कर सकते हैं.

खतरनाक लोग और संगठन से जुड़े Facebook के कम्युनिटी स्टैंडर्ड “ऐसे कंटेंट पर रोक लगाते हैं जिनमें ऐसी घटनाओं की प्रशंसा, समर्थन या उनका प्रतिनिधित्व हो, जिन्हें Facebook आतंकवादी हमलों, नफ़रत फैलाने वाली घटनाओं, जनसंहार या जनसंहार की कोशिश, सीरीयल किलिंग, नफ़रत फैलाने से जुड़े अपराध और नियमों का उल्लंघन करने वाली घटनाओं के रूप में चिह्नित करता है.” ये स्टैंडर्ड अन्य प्रकार के संगठनों के साथ ही नफ़रत फैलाने वाले संगठनों और आपराधिक संगठनों का उल्लेख करते हुए “ऐसे कंटेंट पर भी रोक लगाते हैं, जो ऊपर बताए गए किसी भी संगठन या व्यक्ति या उनके द्वारा किए गए किसी भी काम का गुणगान करता है".

Instagram की कम्युनिटी गाइडलाइन में बताया गया है कि “Instagram वह जगह नहीं है, जहाँ अातंकवाद, संगठित अपराध, या नफ़रत फैलाने वाले समूहों का समर्थन या गुणगान किया जाए,” साथ ही इसमें खतरनाक लोग और संगठन से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड का लिंक भी दिया गया है.

Facebook के हिंसा और उकसावे से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड के अनुसार “जब [उसे] लगता है कि वास्तव में शारीरिक नुकसान पहुँचने का जोखिम है या पब्लिक सेफ़्टी सीधे तौर पर खतरे में है, तो वह कंटेंट निकाल देता है, अकाउंट बंद कर देता है और कानूनी एजेंसियों की मदद लेता है.” यह स्टैंडर्ड ख़ास तौर पर इन बातों पर रोक लगाता है: “हिंसा से जुड़े बेहद गंभीर मामलों का समर्थन करने वाले बयान” और “वोटिंग, वोटर रजिस्ट्रेशन या चुनाव के क्रियान्वयन या उसके परिणाम के कारण कोई भी ऐसा कंटेंट, जिसमें हिंसा के इरादे से दिए गए बयान, अपीलें, उसका समर्थन या सशर्त बयान हो.” यह “ऐसी गलत जानकारी और गैर-सत्यापित अफ़वाहों पर भी रोक लगाता है, जिनसे हिंसा भड़कने या किसी को शारीरिक नुकसान पहुँचने के जोखिम को बढ़ावा मिलता है.”

Instagram की कम्युनिटी गाइडलाइन में बताया गया है कि Facebook “ऐसे कंटेंट को निकाल देता है, जिससे वाकई में खतरा हो” और जिससे “सार्वजनिक और व्यक्तिगत सुरक्षा को नुकसान पहुँचने के बड़े खतरे हों, ऐसे कंटेंट पोस्ट नहीं किए जा सकते हैं.” दोनों ही सेक्शन में हिंसा और उकसावे से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड के लिंक शामिल हैं.

Facebook की सेवा की शर्तों में बताया गया है कि Facebook किसी अकाउंट की एक्सेस को “निलंबित कर सकता है या उसे हमेशा के लिए बंद कर सकता है”, अगर उसे पता चलता है कि संबंधित यूज़र ने उसकी शर्तों या पॉलिसी का “स्पष्ट रूप से, गंभीर प्रकृति का, या बार-बार” उल्लंघन किया है. कम्युनिटी स्टैंडर्ड के प्रस्तावना में बताया गया है कि “हमारे कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन करने के परिणाम, उल्लंघन की गंभीरता और प्लेटफ़ॉर्म पर व्यक्ति के इतिहास के आधार पर अलग-अलग होते हैं.”

Instagram की सेवा की शर्तों में बताया गया है कि Facebook “अपनी कम्युनिटी या सेवाओं की सुरक्षा के लिए या अगर आप हमारे लिए कोई जोखिम या कानूनी समस्या पैदा करते हैं, इन उपयोग की शर्तों या (हमारी Instagram कम्युनिटी गाइडलाइन सहित) हमारी पॉलिसी का उल्लंघन करते हैं, तो आपको पूरी सेवा या सेवा का हिस्सा उपलब्ध कराने से तुरंत मना कर सकता है या उसे बंद कर सकता है (इसमें Facebook प्रोडक्ट और Facebook कंपनी प्रोडक्ट की आपकी एक्सेस को समाप्त या बंद करना शामिल है).” Instagram कम्युनिटी गाइडलाइन में बताया गया है कि “इन सीमाओं का उल्लंघन करने पर कंटेंट को डिलीट किया जा सकता है, अकाउंट बंद किए जा सकते हैं या अन्य प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं.”

II. Facebook के मूल्य:

Facebook के पाँच मूल्य हैं, जिनका उल्लेख कम्युनिटी स्टैंडर्ड के प्रस्तावने में किया गया है, उनका दावा है कि ये पाँच मूल्य गाइड की तरह हैं, जो बताते हैं कि उनके प्लेटफ़ॉर्म पर किन-किन चीज़ों की परमिशन है. उनमें से तीन मूल्य हैं “अभिव्यक्ति,” “सुरक्षा” और “गरिमा.”

Facebook “अभिव्यक्ति” की व्याख्या एक ऐसे मूल्य के रूप में करता है कि “लोग अपने लिए महत्व रखने वाले मुद्दों को लेकर खुलकर अपनी बात रख सकें, भले ही कुछ लोग उनकी बात से असहमत हों या उन्हें वह बात आपत्तिजनक लगे. […] हम अभिव्यक्ति को सबसे ज़्यादा महत्व देने के लिए प्रतिबद्ध हैं, लेकिन हम मानते हैं कि इंटरनेट के मामले में उसका दुरुपयोग करने के नए-नए मौके मिलते हैं, जो कि बढ़ते जाते हैं.”

Facebook “सुरक्षा” की व्याख्या “Facebook को एक सुरक्षित जगह बनाने” की Facebook की प्रतिबद्धता के तौर पर करता है और कहता है कि “डराने-धमकाने वाले विचार अभिव्यक्त करने से लोगों में डर, अलगाव की भावना आ सकती है या हो सकता है कि वे अपनी आवाज़ उठाना बंद कर दें और Facebook पर ऐसा होने नहीं दिया जा सकता है.”

Facebook “गरिमा” की व्याख्या अपनी एक ऐसी धारणा के तौर पर करता है कि “गरिमा और अधिकारों के मामले में सभी लोग बराबर हैं” साथ ही यह कहता है कि “लोगों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे अन्य लोगों की गरिमा का सम्मान करेंगे और उन्हें परेशान या अपमानित नहीं करेंगे.”

III. मानवाधिकार के स्टैंडर्ड:

16 मार्च 2021 को Facebook ने अपनी कॉर्पोरेट मानवाधिकार पॉलिसी की घोषणा की, जहाँ इन्होंने UN Guiding Principles on Business and Human Rights (बिज़नेस और मानव अधिकार के बारे में संयुक्त राष्ट्र संघ के मार्गदर्शक सिद्धांत) (UNGP) के अनुसार अधिकारों का ध्यान रखने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया. UNGP, जिसे 2011 में संयुक्त राष्ट्र संघ की मानव अधिकार समिति का समर्थन मिला है, प्राइवेट बिज़नेस की मानवाधिकारों से जुड़ी ज़िम्मेदारियों का स्वैच्छिक ढांचा तैयार करते हैं. UNGP के लिए प्रतिबद्ध एक ग्लोबल कॉर्पोरेशन के तौर पर, Facebook जहाँ भी काम करता है, उसे अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों का सम्मान करना चाहिए. Facebook पर लागू होने वाले अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों के मद्देनजर Facebook के फ़ैसले का मूल्यांकन करने के लिए ओवरसाइट बोर्ड से अपील की जाती है.

बोर्ड ने इस केस में इन मानवाधिकार मानकों को ध्यान में रखते हुए Facebook की मानवाधिकार से जुड़ी ज़िम्मेदारियों का विश्लेषण किया:

  • अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार: नागरिक और राजनीतिक अधिकारों पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिज्ञापत्र ( ICCPR), अनुच्छेद 19 और 20; जैसा कि सामान्य टिप्पणी सं. 34, मानव अधिकार समिति (2011) ( सामान्य टिप्पणी 34); the रैबट प्लान ऑफ़ एक्शन, OHCHR, (2012) द्वारा व्याख्या की गई है; विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रिपोर्ट पर संयुक्त राष्ट्र का विशेष रैपर्टर A/HRC/38/35 (2018); COVID-19 को देखते हुए अभिव्यक्ति की अंतरराष्ट्रीय स्वतंत्रता का संयुक्त कथन (मार्च, 2020).
  • जीवन का अधिकार: ICCPR अनुच्छेद 6.
  • व्यक्ति की सुरक्षा का अधिकार: ICCPR अनुच्छेद 9 पैरा. 1.
  • भेदभाव न किए जाने का अधिकार: ICCPR अनुच्छेद 2 और 26; हर तरह के नस्लीय भेदभाव के उन्मूलन पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन ( ICERD), अनुच्छेद 1 और 4;
  • सार्वजनिक मामलों में भागीदारी और वोट का अधिकार: ICCPR अनुच्छेद 25.
  • उपाय का अधिकार: ICCPR अनुच्छेद 2; सामान्य टिप्पणी सं. 31, मानव अधिकार समिति (2004) ( सामान्य टिप्पणी 31); UNGP, सिद्धांत 22.

5. कंटेंट क्रिएटर का बयान

Facebook के बोर्ड को कोई केस रेफ़र करने पर बोर्ड उस व्यक्ति को बयान सबमिट करने का मौका देता है, जो उस उल्लंघन करने वाले कंटेंट के लिए जवाबदेह है. इस केस में पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप की ओर से American Center for Law and Justice और उनके पेज के एडमिनिस्ट्रेटर ने बोर्ड को बयान सबमिट किया. इस बयान में बोर्ड से अनुरोध किया जाता है कि वह “पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के Facebook अकाउंट को अनिश्चित समय के लिए निलंबित करने के Facebook के फ़ैसले को रद्द करे.”

उस बयान में 6 जनवरी 2021 को Facebook और Instagram से हटाई गईं पोस्ट और उसी दिन इससे पहले राष्ट्रपति ट्रंप के भाषण के बारे में चर्चा की गई है. उसमें बताया जाता है कि उन पोस्ट में “कैपिटॉल बिल्डिंग और उसके आसपास मौजूद लोगों को शांतिपूर्ण तरीके से कानून का पालन और पुलिस का सम्मान करते हुए वहाँ आने के लिए कहा गया था” और यह “बात समझ से परे है कि उन दोनों ही पोस्ट में से किसी को भी पब्लिक सेफ़्टी के लिए खतरे या हिंसा भड़काने वाली पोस्ट के तौर पर देखा जा सकता है.” उसमें यह भी बताया जाता है कि “यह पूरी तरह से स्पष्ट है कि उनके भाषण में बगावत करने की कोई भी अपील नहीं की गई, न ही हिंसा भड़काने वाली कोई बात कही गई और न ही उससे पब्लिक सेफ़्टी को किसी भी तरह का कोई खतरा पैदा हो रहा था,” साथ ही उस बयान में बताया जाता है कि “पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के भाषण और कैपिटॉल बिल्डिंग पर हुए हमले के बीच कोई पुख्ता संबंध नहीं है.”

उस बयान में प्रतिबंध लगाने के पीछे के Facebook के कारणों पर भी चर्चा की जाती है. बयान में बताया गया कि जब “पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप ने रैली में शामिल होने वाले लोगों को ऐसा कुछ भी नहीं कहा, जिसे तार्किक रूप से पब्लिक सेफ़्टी के लिए खतरे के रूप में देखा जा सकता हो,” तो Facebook के प्रतिबंध के पीछे की वजह सुरक्षा से संबंधित नहीं हो सकती है. यह भी कहा गया कि “सुरक्षा को प्रभावित करने वाले किसी भी कंटेंट का हिंसा के वास्तविक जोखिम से सीधा और स्पष्ट संबंध होना चाहिए.” उस बयान में आगे यह भी कहा गया कि रैली में दिए गए भाषण के दौरान उपयोग किए गए “fight (लड़ाई)” या “fighting (लड़ना)” शब्दों का “आशय कानूनी तौर पर राजनीतिक और नागरिक सहभागिता की अपील से था,” और अंत में यह कहा गया कि “उन शब्दों के उपयोग के पीछे का इरादा न तो हिंसक विद्रोह करने या अराजकता फैलाने के लिए लोगों को उकसाने का था और न ही किसी सही समीक्षक या श्रोता ने इन शब्दों का यह अर्थ निकाला होगा.”

बयान में "कैपिटॉल बिल्डिंग पर हुए हमले” पर भी बात रखी गई. उसमें कहा गया कि "वहाँ मौजूद पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के सभी सच्चे समर्थक कानून का पालन करने वाले थे" और उस हमले के पीछे “निश्चित रूप से किसी और का हाथ है, और इसकी पूरी आशंका है कि किन्हीं बाहरी ताकतों ने यह आग भड़काई थी.” बयान में Oath Keepers के खिलाफ़ केंद्र की ओर से की गई शिकायत का उल्लेख करते हुए कहा गया कि इस समूह का “किसी भी तरह से पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप या उनके राजनीतिक संगठन से कोई संबंध नहीं था.” उसमें आगे बताया गया कि Oath Keepers “मौकापरस्त के रूप में ट्रंप की रैली का उपयोग कर रहे थे और अपने खुद के उद्देश्यों के लिए इलेक्टोरल कॉलेज की बहस के मुद्दे को भुना रहे थे.”

उसमें यह भी कहा गया कि हिंसा और उकसावे से जुड़ा कम्युनिटी स्टैंडर्ड “पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के Facebook अकाउंट को निलंबित किए जाने के कदम को सही ठहराने में विफल हो जाता है” क्योंकि वे दोनों ही पोस्ट “महज़ शांति और सुरक्षा की अपील थीं” और “तार्किक रूप से देखें तो उनके भाषण के किसी भी शब्द का अर्थ, जब उनके सही संदर्भ को ध्यान में रखा जाए, हिंसा और अराजकता को बढ़ावा देने के रूप में कभी भी नहीं लगाया जा सकता.” इसमें बोर्ड को “सत्ता के शांतिपूर्ण हस्तांतरण” का उल्लेख करते हुए Facebook के रेफ़रल का भी हवाला दिया गया और बताया गया कि “सत्ता के शांतिपूर्ण हस्तांतरण के लिए बने नए अस्थायी नियम न सिर्फ़ बहुत अस्पष्ट हैं, बल्कि उन घटनाओं के बाद तक मौजूद नहीं थे, जब तक कि Facebook ने इन्हें सही ठहराने के लिए उनका उपयोग नहीं किया.”

बयान में यह भी तर्क दिया गया है कि बोर्ड को "इस अपील में अमेरिकी कानून को अलग रखना चाहिए” और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार पर प्रतिबंध लगाने, उसकी वैधता, कानूनी उद्देश्य के साथ आवश्यकता और आनुपातिकता के लिए अंतरराष्ट्रीय कानूनी मानकों पर चर्चा की गई, जिसमें हर एक पहलू की व्याख्या अमेरिका के संवैधानिक कानून के संदर्भ में की गई. वैधता को लेकर बयान में अतिशियोक्तिपूर्ण बातों और आँकड़ों की गलत बयानी और Facebook द्वारा सार्वजनिक विचार-विमर्श को दिए जाने वाले महत्व का हवाला दिया गया. इसमें कहा गया कि “कंटेंट से जुड़े फ़ैसले ‘सही’ लगने वाली चीज़ों के आधार पर लेना या कोई ‘तर्कशील व्यक्ति’ उस कंटेंट को लेकर क्या प्रतिक्रिया देता है, उस आधार पर लेना सही नहीं है” और Facebook को इसके लिए “उच्च मापदंड बनाने के बारे में सोचना चाहिए.” इसमें कहा गया कि सर्वोच्च न्यायालय को राजनीतिक भाषण पर लागू होने वाले कानूनों की कड़ाई से जाँच-पड़ताल करने की ज़रूरत है और Facebook का बाज़ार पर प्रभुत्व है. इसमें हिंसा भड़काने से जुड़े संवैधानिक मानकों पर भी चर्चा की गई. सही उद्देश्य को लेकर इसमें कहा गया कि पब्लिक सेफ़्टी बनाए रखना एक सही उद्देश्य है, लेकिन पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के भाषण में ऐसी कोई भी बात नहीं कही गई, जिससे सुरक्षा को लेकर चिंता पैदा हो. आवश्यकता और ज़रूरत के मामले पर, इस बयान में प्रतिबंधों की वैधता को झुठलाते हुए कहा गया है कि जो दंड लगाया गया, वह अनुचित था.

कथन के अंत में यूज़र के राजनेता होने पर लागू किए जा सकने वाले प्रतिबंधों के बारे में बोर्ड के पॉलिसी संबंधी सुझाव दिए गए हैं. कथन में यह तर्क दिया गया है कि "जिस राष्ट्र में यह राजनेता है या जहाँ शासकीय कार्य कर रहा था, उस राष्ट्र के कानूनी सिद्धांतों के अनुसार" बोर्ड को इसे अलग मानना चाहिए. कथन में आगे, कानून के शासन के मूल्यांकनों, अधिकारों की गारंटी, कानून बनाने की प्रक्रिया, न्यायिक समीक्षा की प्रक्रिया और ख़ास देशों में प्रासंगिक कानूनी सिद्धांतों के अस्तित्व के आधार पर इस मान्यता के कई अपवादों के बारे में बताया गया.

6. अपने फ़ैसले पर Facebook का स्पष्टीकरण

हर एक मामले के लिए, Facebook बोर्ड को अपने द्वारा की गई कार्रवाई का कारण समझाता है, और बोर्ड अपना फ़ैसला लेने के लिए Facebook से सवाल पूछ कर आगे की जानकारी लेता है. इस मामले में Facebook ने कहा है कि उसने 6 जनवरी 2021 को पोस्ट किए गए, खतरनाक लोगों और संगठनों से संबंधित कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन करने वाले वे दो कंटेंट हटाए. ये कंटेंट ख़ास तौर पर, "अभिहित हिंसात्मक घटनाओं की प्रशंसा, समर्थन और प्रतिनिधित्व को प्रतिबंधित करने वाली इसकी पॉलिसी" का उल्लंघन करने के कारण हटाए गए थे. Facebook ने यह भी बताया कि इसमें "खतरनाक लोगों और संगठनों से संबंधित उस पॉलिसी का उल्लंघन भी शामिल है, जिसमें उन लोगों की प्रशंसा को प्रतिबंधित किया गया है जो किसी भी तरह की संगठित हिंसा में संलग्न होते हैं." कंपनी ने यह भी बताया है कि इसके कम्युनिटी स्टैंडर्ड इन चीज़ों को सपष्ट रूप से प्रतिबंधित करते हैं, "ऐसे ग्रुप, नेताओं और लोगों के प्रति समर्थन दिखाने वाला या इनकी प्रशंसा करने वाला कंटेंट" जो आतंकवाद, संगठित हिंसा या आपराधिक गतिविधि में शामिल हों, और यह कि इसमें संगठित हमला, और किसी व्यक्ति को नुकसान पहुँचाने की कोशिश करने वाले हिंसा के वे संगठित कार्य शामिल हैं, जिनका इरादा किसी राजनैतिक उद्देश्य को पूरा करने के लिए सरकार को धमकाने का हो.

Facebook ने बताया कि उसके आकलन में उसकी पॉलिसी और कैपिटॉल में जारी हिंसा सहित दिए गए बयान से जुड़े संदर्भ, दोनों को दर्शाया गया है. इसमें कहा गया है कि हालाँकि पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप ने लोगों से इस वीडियो में कहा कि वे "go home in peace (शांति से घर जाएँ)", वहीं उन्होंने यह आरोप भी दोहराया कि चुनाव धोखाधड़ी पूर्ण था और जब उन्होंने कहा कि "I know how you feel (मुझे पता है कि आप कैसा महसूस कर रहे हैं)", तो इसमें एक साझा उद्देश्य झलक रहा था. उनकी टिप्पणियों के समय चल रही अस्थिरता और उनके शब्दों के पूरे तात्पर्य को देखते हुए, Facebook ने यह निष्कर्ष निकाला है कि “We love you (हमें आपसे प्यार है), You’re very special (आप बेहद ख़ास हैं)", ये शब्द उन लोगों की प्रशंसा में कहे गए थे जो कानून तोड़कर कैपिटॉल में उपद्रव मचा रहे थे. इसमें यह भी माना गया है कि दूसरे कथन में भी घटना की प्रशंसा की गई थी और पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप ने कैपिटॉल में उपद्रव मचा रहे लोगों को "great patriots (महान देशभक्त)" कहकर संबोधित किया और लोगों से कहा कि "[r]emember this day forever (इस दिन को हमेशा के लिए याद रखें)".

Facebook ने बताया है कि वह नियमित रूप से उन Facebook पेज और प्रोफ़ाइल तथा Instagram अकाउंट की कार्यक्षमता पर प्रतिबंध लगाता है, जो बार-बार या गंभीर रूप से इसकी पॉलिसी का उल्लंघन करते हैं. जहाँ भी Facebook इस निष्कर्ष पर पहुँचता है कि "अति आवश्यक और गंभीर सुरक्षा जोखिम" है, वहाँ यह "अपने स्टैंडर्ड एन्फ़ोर्समेंट प्रोटोकॉल से परे जाकर उल्लंघन करने वाले आचरण में संलग्न यूज़र्स और पेज के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करता है.” ऐसे मामलों में Facebook का कहना है कि इसके एन्फ़ोर्समेंट एक्शन, इसके कम्युनिटी स्टैंडर्ड और Instagram कम्युनिटी गाइडलाइन के अनुसार हैं. इसका कहना है कि इसमें “ऐसी विशेष परिस्थियों में यह निर्णय लेने से पहले कि कौन सा एक्शन लिया जाए, यह सभी उपलब्‍ध एन्फ़ोर्समेंट टूल पर विचार करता है, जिसमें स्थायी रूप से बैन करना शामिल है . उन मामलों में, जहाँ Facebook को कोई आपातकालीन निर्णय लेना होता है जिसका प्रभाव बहुत व्यापक हो सकता है, वह अपने निर्णय और उसके पीछे के अपने तर्क को लोगों के साथ शेयर करने की कोशिश करता है. अधिकतर न्यूज़रूम में पोस्ट के माध्यम से इसे शेयर किया जाता है.

Facebook का कहना है कि वह आमतौर पर पेज की पोस्ट करने या कंटेंट के साथ इंटरैक्ट करने की क्षमता को ब्लॉक नहीं करता, लेकिन गंभीर रूप से या बार-बार Facebook की पॉलिसी का उल्लंघन करने वाले पेज हटा देता है. हालांकि, Facebook ने बताया है कि फ़ीचर ब्लॉक सहित प्रोफ़ाइल के लिए इसके अन्य एन्फ़ोर्समेंट प्रोटोकॉल भी Facebook पेज पर लागू किए जा सकते हैं, अगर उनका इस्तेमाल किसी के व्यक्तिपरक विचारों के लिए किया जाता है, जैसा कि डोनाल्ड जे ट्रंप का पेज करता है. इस मामले में, Facebook कहता है कि अपने एन्फ़ोर्समेंट प्रोटोकॉल के अनुसार, शुरुआत में उसने Facebook पेज और Instagram अकाउंट की पोस्ट करने की क्षमता को 24 घंटे के लिए ब्लॉक किया था. बदलते हुए घटनाक्रम और कैपिटॉल में हो रही हिंसा के बारे में आ रहे ख़बरों का आकलन करने के बाद, Facebook ने तय किया कि शायद "ट्रंप Facebook और Instagram पर अपनी मौजूदगी का उपयोग करके और हिंसा का खतरा बढ़ा देंगे", इसलिए सिर्फ़ 24 घंटों का बैन काफ़ी नहीं होगा.

Facebook ने बताया कि श्री बाइडन के मनोनीत होने के बाद भी उसने अनिश्चित काल के लिए निलंबन इसलिए जारी रखा, क्योंकि यह लग रहा था कि पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप से जुड़ी हिंसा पूरी तरह समाप्त नहीं हुई है. उसने डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्युरिटी (DHS), द्वारा 27 जनवरी को जारी नैशनल टेररिज़्म एड्वाइज़री सिस्टम बुलेटिन का हवाला देते हुए कहा कि, "पूरे अमेरिका में खतरे और डर का माहौल है, जो DHS के अनुसार राष्ट्रपति के मनोनीत होने के बाद कुछ हफ़्तों तक बना रहेगा" और "हिंसा के कारण 2021 की शुरुआत में बने रहेंगे और [कुछ आंतरिक हिंसक उग्रवादी] 6 जनवरी 2021 को अमेरिका की वॉशिंगटन डीसी की कैपिटॉल बिल्डिंग में घुसने की घटना से उनमें से कुछ लोगों [घरेलू हिंसक चरमपंथियों] का हौसला बढ़ा हुआ हो सकता है और वे चुने गए पदाधिकारियों और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुँचाने की कोशिश कर सकते हैं.” Facebook ने लिखा है कि हिंसा के खतरे के समाप्त हो जाने के बाद भी, 6 जनवरी को श्रीमान ट्रंप ने जो गंभीर उल्लंघन किए और फिर आरोप लगाए कि श्रीमान बाइडन का चुनाव धोखे से किया गया है, अन्य गलत जानकारी शेयर की और अब वे राष्ट्रपति नहीं हैं, तो उनकी पोस्ट करनी की क्षमता को स्थायी रूप से ब्लॉक करना उचित रहेगा.

Facebook ने बताया कि उसने अपना निर्णय "ICCPR के अनुच्छेद 19 और संयुक्त राष्ट्र की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बारे में सामान्य टिप्पणी संख्या 34 को ध्यान में रखकर लिया था, जो ऐसी सार्वजनिक आपातकालीन परिस्थितियों में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अनिवार्य और यथोचित प्रतिबंधों की अनुमति देता है, जब राष्ट्र को खतरा हो. इस मामले में, डिस्ट्रिक्ट ऑफ कोलंबियाउस आपातकाल की स्थिति में अपना काम कर रही थी, जो कि अमेरिका के कैपिटॉल परिसर की सुरक्षा के लिए लागू की गई थी." Facebook ने बताया कि उसने राष्ट्रीय, नस्लीय या धार्मिक नफरत की वकालत को निषिद्ध करने से जुड़े रबात प्लान ऑफ एक्शन के छह प्रासंगिक आधारों को भी ध्यान में रखा. रबात प्लान ऑफ एक्शन संयुक्त राष्ट्र की सहायता से, विशेषज्ञों द्वारा उन परिस्थितियों में राज्यों की मदद के लिए बनाया गया था, जिनमें नस्लीय, धार्मिक या राष्ट्रीय घृणा की वकालत, भेदभाव, शत्रुता या हिंसा को उकसाती है, और इतनी गंभीर हो जाती है कि राज्य द्वारा लगाए गए आपराधिक प्रतिबंधों का सहारा लेना उचित लगता है, जबकि ICCPR के पैरा 2 के अनुच्छेद 19 और अनुच्छेद 20 के तहत राज्यों के दायित्वों के अनुसार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा की जाती है.

Facebook ने तर्क दिया है कि 6 जनवरी की घटना ने अमेरिका की लोकतांत्रिक प्रक्रिया और संवैधानिक कार्यप्रणाली के प्रति एक अनपेक्षित खतरा दर्शाया है. हालांकि Facebook का दावा है कि वह अनपेक्षित और अस्थिर परिस्थितियों को देखते हुए सार्वजनिक संभाषणों को आनुपातिक और जवाबदेह ढंग से बाधित करता है, Facebook का मानना है कि उसे स्थायी बैन सहित आगे की कोई भी कार्रवाई करने के लिए संचालन में लचीलापन बनाए रखना चाहिए.

इस मामले में बोर्ड ने Facebook से 46 सवाल पूछे और इनमें से सात का जवाब देने से Facebook ने साफ़ इन्कार कर दिया और दो का आंशिक रूप से जवाब दिया. Facebook ने जिन सवालों का जवाब नहीं दिया उनमें ये सवाल शामिल थे कि Facebook की न्यूज़फ़ीड और अन्य फ़ीचर ने पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के कंटेंट की दृशयता को किस तरह प्रभावित किया; क्या Facebook ने 6 जनवरी 2021 की घटना से जुड़े महत्वपूर्ण निर्णयों के बारे में कोई शोध किया या शोध का विचार है; और ट्रंप के अकाउंट के फ़ॉलोअर्स के उल्लंघन करने वाले कंटेंट के बारे में जानकारी के सवाल. बोर्ड ने अन्य राजनैतिक हस्तियों के निलंबन और अन्य कंटेंट को हटाने से संबंधित सवाल भी पूछे; क्या राजनैतिक पदाधिकारियों या उनके कर्मचारियों ने पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के अकाउंट के निलंबन के संबंध में Facebook से संपर्क किया था; और क्या अकाउंट निलंबित या डिलीट करने से विज्ञापनदाताओं के फ़ॉलोअर्स के अकाउंट को लक्षित करने की क्षमता प्रभावित होती है. Facebook ने यह निर्धारित किया कि चार्टर के उद्देश्य के अनुसार फ़ैसला लेने के लिए इस जानकारी की आवश्यकता नहीं थी; इसे देना तकनीकी तौर पर संभव नहीं था; वकील/ क्लाइंट सुविधा द्वारा संरक्षित थी; और/या इसे कानूनी, प्राइवेसी, सुरक्षा या डेटा प्रोटेक्शन की चिंताओं के कारण नहीं दिया जा सकता.

7. थर्ड पार्टी सबमिशन

इस केस के संबंध में, ओवरसाइट बोर्ड को लोगों की ओर से 9,666 कमेंट मिले. अस्सी कमेंट एशिया पैसिफ़िक और ओशेनिया से, सात मध्य और दक्षिण एशिया से, 136 यूरोप, 23 लैटिन अमेरिका और कैरिबियन से, 13 मध्य पूर्व और उत्तरी अफ़्रीका से, 19 सब-सहारा अफ़्रीका से और 9388 अमेरिका और कनाडा से सबमिट किए गए.

सबमिशन में नीचे दिए गए विषय शामिल हैं, जिसमें वे मुद्दे शामिल हैं जिनके बारे में बोर्ड ने विशेष रूप से, पब्लिक कमेंट के संबंध में किए गए अपने अनुरोध में पूछा है:

  • Facebook द्वारा पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के अकाउंट को अनिश्चित काल के लिए निलंबित करना, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और मानवाधिकारों का सम्मान करने के लिए कंपनी की उत्तरदायित्वों के साथ इसका संभावित अनुपालन, और क्या कोई वैकल्पिक कार्यवाई की जा सकती थी.
  • Facebook से बाहर के संदर्भ में Facebook के कम्युनिटी स्टैंडर्ड लागू करने का आकलन करने वाली इसकी पॉलिसी और कार्यप्रणाली, विशेष तौर पर जब वह कंटेंट हिंसा फैला सकता हो.
  • अकाउंट अक्षम करने के Facebook के नियमों में स्पष्टता संबंधी समस्याओं का आना.
  • Facebook की "ख़बर योग्य होने" संबंधी अनुमोदन के और जनता के सूचना के अधिकार की प्रासंगिकता सहित राजनैतिक उम्मीदवारों, पदाधिकारियों और पूर्व पदाधिकारियों से संबंधित Facebook की ग्लोबल कंटेंट पॉलिसी.
  • राजनैतिक झुकाव के आधार पर Facebook कम्युनिटी स्टैंडर्ड लागू करने में अनुकूलता के बारे में चिंताएँ.
  • पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप की पिछली पोस्ट के संबंध में Facebook कम्युनिटी स्टैंडर्ड लागू करने से जुड़ी चिंताएँ, जिनमें वे पोस्ट भी शामिल थीं, जिनसे शायद लोगों के किसी ख़ास ग्रुप को नुकसान हुआ हो और गलत जानकारी फैलाई गई हो.
  • 6 जनवरी से पहले और उस दिन, पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप की अभिव्यक्ति ने हिंसा को प्रोत्साहित किया या नहीं.
  • अमेरिकी चुनाव का नतीजा और ट्रंप का शासनकाल.

इस केस के संबंध में सबमिट किए गए पब्लिक कमेंट देखने के लिए कृपया यहाँ क्लिक करें.

8. ओवरसाइट बोर्ड का विश्लेषण

8.1 कंटेंट पॉलिसी का अनुपालन

बोर्ड Facebook के इस फ़ैसले से सहमत है कि, 6 जनवरी को की गईं पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप की उन दो पोस्ट ने Facebook कम्युनिटी स्टैंडर्ड का और Instagram की कम्युनिटी गाइडलाइन का उल्लंघन किया. खतरनाक लोगों और संगठनों पर Facebook के कम्युनिटी स्टैंडर्ड के अनुसार यूज़र्स को ऐसा कंटेंट पोस्ट नहीं करना चाहिए जो ऐसे "ग्रुप, नेताओं या व्यक्तियों का समर्थन या उनकी प्रशंसा करता हो" जो उल्लंघनकारी ईवेंट में शामिल हों. Facebook ने कैपिटॉल पर हुए हमले को "उल्लंघनकारी घटना" करार दिया है, और यह बताया कि वह “हिंसक” घटनाओं को भी उल्लंघनकारी घटना में शामिल मानता है.

जिस समय पोस्ट की गई थीं, उस समय कैपिटॉल में हिंसा जारी थी. दोनों पोस्ट में हिंसा में संलग्न लोगों का समर्थन और प्रशंसा की गई थी. पहली पोस्ट के शब्द, “We love you (हमें आपसे प्यार है), You’re very special (आप बेहद ख़ास हैं)”, और दूसरी पोस्ट में "great patriots (महान देशभक्त)" और "remember this day forever (इस दिन को हमेशा के लिए याद रखें)" दर्शाते हैं कि हिंसा और उस दिन कैपिटॉल में हुई घटना में संलग्न लोगों की प्रशंसा और समर्थन में ये शब्द कहे गए थे.

बोर्ड ने ध्यान दिया कि हिंसा और उकसावे वाले स्टैंडर्ड सहित, हो सकता है कि इस मामले में अन्य कम्युनिटी स्टैंडर्ड का भी उल्लंघन हुआ हो. क्योंकि Facebook का निर्णय इस स्टैंडर्ड पर आधारित नहीं था और उल्लंघन की कोई भी और खोज इस कार्रवाई के नतीजे को प्रभावित नहीं करेगी, बोर्ड का बहुमत इस वैकल्पिक आधार पर किसी भी निर्णय पर पहुँचने के लिए राज़ी नहीं है. पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के अकाउंट पर Facebook के प्रतिबंधों को लागू रखने का निर्णय, खतरनाक लोगों और संगठनों से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड के उल्लंघन पर आधारित था.

बोर्ड के कुछ सदस्य अतिरिक्त आधार पर विचार करेंगे और पता लगाएँगे कि क्या हिंसा और उकसावे से जुड़े स्टैंडर्ड का उल्लंघन हुआ था. बोर्ड के कुछ सदस्य यह मानते हैं कि संदर्भ में पढ़े जाने पर लगा कि, यह कहना कि चुनाव को "stolen from us (धोखे से जीता गया है)" और "so unceremoniously viciously stripped (बेखौफ हो कर और चालाकी से छीन लिया गया है)", साथ ही हमला करने वालों की प्रशंसा करना, यह "कार्रवाई करने योग्य", "हिंसा का समर्थन करना" और "गलत जानकारी और असत्यापित अफवाहों को फ़ैलाया जाना था जिससे तात्कालिक हिंसा और शारीरिक नुकसान का खतरा बढ़ गया था", ये सब हिंसा और उकसावे से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड के अनुसार निषिद्ध हैं.

बोर्ड ने माना कि इन दो पोस्ट ने Facebook की पॉलिसी का गंभीर रूप से उल्लंघन किया है और अंत में कहा कि Facebook का 6 और 7 जनवरी के दिन अकाउंट को प्रतिबंधित करना पूरी तरह से जायज़ था. यूज़र ने एक ऐसे दंगे के दौरान, उसमें लिप्त लोगों की प्रशंसा की और उनका समर्थन किया, जहाँ लोग मर रहे थे, सांसदों को गंभीर खतरे में डाला गया और एक अति महतवपूर्ण लोकतांत्रिक प्रक्रिया में अड़चन डाली गई. इसके अतिरिक्त 7 जनवरी को जब ये प्रतिबंध लगाए गए थे, तब भी हालात अस्थिर थे और सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता बनी हुई थी. हालात को देखते हुए, 6 और 7 जनवरी के बाद पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप की Facebook और Instagram की एक्सेस को सीमित करना, हिंसा और अराजकता की लगातार बनी हुई आशंका को देखते हुए संतुलन बनाए रखने के लिए अच्छा रहा. जैसा कि आगे और विस्तार से चर्चा की गई है, Facebook का उन प्रतिबंधों को "अनिश्चित काल" के लिए लागू करने का कम्युनिटी स्टैंडर्ड में कोई प्रावधान नहीं है और यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के सिद्धांत का उल्लंघन करता है.

बोर्ड ने कहा है कि क्रॉस चेक करने के सिस्टम और ख़बर योग्य होने संबंधी अनुमोदन के संबंध में पर्याप्त सार्वजनिक जानकारी मौजूद नहीं है. हालांकि Facebook का कहना है कि विशेष और आम दोनों तरह के लोगों के अकाउंट पर समान नियम लागू होते हैं, लेकिन अलग-अलग प्रक्रियाओं के अलग प्रस्तावित नतीजे निकल सकते हैं. Facebook ने बोर्ड को बताया कि इस मामले में उसने विवादास्पद पोस्ट के लिए ख़बर योग्य होने संबंधी अनुमोदन लागू नहीं किया. दुर्भाग्यवश, निर्णय लेने की इन प्रक्रियाओं के बारे में पारदर्शिता की कमी के कारण ऐसी धारणाओं को बढ़ावा मिलता है जिनमें समझा जा रहा था कि कंपनी शायद अनावश्यक राजनैतिक प्रभाव या वित्तीय लिहाज़ से प्रभावित है.

8.2 Facebook के मूल्यों का अनुपालन

ऊपर दिया गया विश्लेषण Facebook की "अभिव्यक्ति" और "सुरक्षा" मान्यताओं के अनुरूप है. इस मत में बताए गए कारणों के लिए, इस मामले में सार्वजनिक व्यवस्था की सुरक्षा के लिए अभिव्यक्ति को सीमित करना जायज़ लगा.

कुछ सदस्य सोचते हैं कि यह महत्वपूर्ण है कि इस बात पर भी ज़ोर दिया जाए कि "गरिमा" का भी सवाल था. Facebook "गरिमा" और समरूपता को संबद्ध मानता है और यह भी कि लोगों को अन्य व्यक्तियों को "उत्पीड़ित या उनका अनादर" नहीं करना चाहिए. उन कुछ सदस्यों ने नीचे बताया है कि, प्लेटफ़ॉर्म पर पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप की पिछली पोस्ट ने नस्लीय तनाव और अलगाव को बढ़ा दिया था और यह संदर्भ ट्रंप के कंटेंट के असर को समझने के लिए महत्त्वपूर्ण था. अन्य आधारों पर इस मामले को देखने के बाद, बहुमत ने इन पोस्ट पर कमेंट नहीं किया.

8.3 Facebook के मानवाधिकार ज़िम्मेदारियों का अनुपालन

बोर्ड अपने फैसलों के लिए राज्यों के मानवाधिकारों से जुड़े उत्तरदायित्वों या राष्ट्रीय कानूनों के लागू करने से प्रभावित नहीं होता, किंतु Facebook की कंटेंट पॉलिसी, इसके मूल्यों और एक बिज़नेस के रूप में मानवाधिकारों से जुड़े इसके उत्तरदायित्वों पर ध्यान देता है. बिज़नेस और मानवाधिकारों के बारे में संयुक्त राष्ट्र के मार्गदर्शक सिद्धांत, जिनका Facebook ने समर्थन किया है (सेक्शन 4 देखें), स्थापित करते हैं कि इन उत्तरदायित्वों को पूरा करने के लिए, बिज़नेस को अपने स्तर पर किस तरह के प्रयास करना चाहिए. इसमें मानवाधिकारों को नुकसान न पहुँचान या नुकसान में सहायता न करना, संभावित या असल नुकसान को पहचानना और उनसे बचने का प्रयास करना या उनका समाधान करना शामिल हैं (UNGP के सिद्धांत 11, 13, 15, 18). थर्ड पार्टी द्वारा किए गए नुकसान के प्रति भी ये उत्तरदायित्व हैं (UNGP का सिद्धांत 19).

राजनीति से जुड़े संभाषण के लिए Facebook लगभग अपरिहार्य माध्यम बन चुका है, खास तौर पर चुनाव के दौरान. इसकी दो तरह की जवाबदारियाँ हैं, राजनैतिक संभाषण अनुमत करना और अन्य मानवाधिकारों को किसी भी तरह के खतरे से बचाना. अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म और मीडिया कंपनियों की तरह, गलत सूचनाओं को प्रसारित करने और विवादास्पद और भड़काऊ कंटेंट को बढ़ावा देने के लिए Facebook की भी कड़ी आलोचना की गई है. Facebook के मानवाधिकार संबंधी उत्तरदायित्वों को कभी-कभी प्रतिस्पर्धी धारणाओं के प्रकाश में भी समझना चाहिए.

बोर्ड अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और जीवन, सुरक्षा और राजनैतिक भागीदारी के अधिकारों के अंतर्राष्ट्रीय स्टैंडर्ड के माध्यम से Facebook के मानवाधिकारों संबंधी उत्तरदायित्वों का विश्लेषण करता है. ICCPR के अनुच्छेद 19 ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को परिभाषित किया है. अनुच्छेद 19 कहता है कि "सभी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार होगा; इस अधिकार में सभी प्रकार की जानकारी और सुझाव लेने, प्राप्त करने और प्रदान करने की स्वतंत्रता शामिल होगी, चाहे वह किसी भी तरह की हो, मौखिक, लिखित रूप में या प्रिंट में हो, कला के रूप में, या व्यक्ति की अपनी पसंद के किसी अन्य माध्यम से हो". बोर्ड अमेरिकी संविधान के प्रथम संशोधन को लागू नहीं करता जो कि प्राइवेट कंपनियों की कार्यप्रणाली को नियंत्रित नहीं करता. हालांकि, बोर्ड का कहना है कि कई प्रासंगिक पक्षों में प्रथम संशोधन में प्रतिबिंबित अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के सिद्धांत ICCPR के अनुच्छेद 19 के अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के सिद्धांतों के समान या अनुरूप हैं.

लोकतांत्रिक बहस के महत्व के कारण राजनैतिक संभाषण को मानवाधिकार कानून के तहत उच्च सुरक्षा प्राप्त होती है. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार समिति ने ICCPR के अनुच्छेद 19 के सामान्य कमेंट संख्या 34 में आधिकारिक मार्गदर्शन प्रदान किया, जिसमें कहा गया है कि "नागरिकों, उम्मीदवारों और निर्वाचित प्रतिनिधियों के बीच सार्वजनिक और राजनैतिक मुद्दों के बारे में जानकारी और विचारों का मुक्त संचार आवश्यक है" (पैरा. 20).

पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के Facebook पेज और Instagram अकाउंट को सस्पेंड करने के Facebook के फ़ैसले में न केवल ट्रंप की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रभावित हुई है, बल्कि राजनैतिक नेताओं की बात सुनने के लोगों के अधिकार भी प्रभावित हुए हैं, चाहे वे उनका समर्थन करते हों या नहीं. हालांकि राजनैतिक हस्तियों के पास अन्य लोगों की तुलना में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिक अधिकार नहीं होता है, लेकिन उनके भाषण को प्रतिबंधित करने से अन्य लोगों के जानकारी प्राप्त करने और राजनैतिक मामलों में भाग लेने के अधिकार भी प्रभावित होते हैं. हालाँकि, अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार स्टैंडर्ड की उम्मीद है कि राज्य के नेता हिंसा की निंदा करेंगे (रबात प्लान ऑफ़ एक्शन), और जनहित के मामलों पर जनता को सही जानकारी प्रदान करेंगे, साथ ही गलत जानकारी को सही भी करेंगे (2020 का अभिव्यक्ति की अंतर्राष्ट्रीय स्वतंत्रता का संयुक्त कथन COVID-19 की निगरानी करता है).

कुछ खास स्थितियों में अंतर्राष्ट्रीय कानून अभिव्यक्ति को सीमित करने की अनुमति देता है. किसी भी तरह के प्रतिबंधों के लिए ये तीन चीज़ें होना आवश्यक हैं- नियम स्पष्ट होने चाहिए और सबके पास उनकी पहुँच होनी चाहिए, उन्हें एक वैधानिक लक्ष्य के लिए बनाया जाना चाहिए और उन्हें उचित तर्कसंगत होना चाहिए और नुकसान के जोखिम के अनुपात में होना चाहिए. जब Facebook कंटेंट और अकाउंट को प्रतिबंधित करता है, तो बोर्ड Facebook के एक्शन का विश्लेषण करने के लिए इस तीन भाग वाले टेस्ट का उपयोग करता है. अमेरिकी कानून के तहत प्रथम संशोधन के सिद्धांत भी इस बात पर ज़ोर देते हैं कि, राजकीय कार्रवाई के माध्यम से भाषण की स्वतंत्रता पर लगाए गए प्रतिबंध अस्पष्ट नहीं हो सकते हैं, इनके पीछे महत्वपूर्ण सरकारी कारण होने चाहिए और इन्हें नुकसान के जोखिम के अनुरूप लागू किया जाना चाहिए.

I. वैधानिकता (नियमों की स्पष्टता और सुलभता)

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अंतर्राष्ट्रीय कानून में, वैधानिकता के सिद्धांत के लिए यह आवश्यक है कि अभिव्यक्ति को सीमित करने वाला हर नियम स्पष्ट और सुलभ होना चाहिए. लोगों को यह समझ में आना चाहिए कि किस चीज़ की अनुमति है और किस चीज़ की नहीं. अभिव्यक्ति को सीमित करने का निर्णय लेने वाले लोगों को मार्गदर्शन देने के लिए, समान रूप से महत्वपूर्ण नियमों को पर्याप्त रूप से स्पष्ट होना चाहिए, ताकि ये नियम निरंकुश अधिकार न दें, जिसके परिणामस्वरूप नियमों को चुन कर लागू किया जा सकता हो. इस मामले में, ये नियम Facebook कम्युनिटी स्टैंडर्ड और Instagram की कम्युनिटी गाइडलाइन हैं इन पॉलिसी का लक्ष्य यह निर्धारित करना है कि लोग क्या पोस्ट नहीं कर सकते, और Facebook की पॉलिसी जो यह तय करती है कि कब Facebook और Instagram अकाउंट की एक्सेस प्रतिबंधित करनी है.

खतरनाक लोगों और संगठनों की प्रशंसा और समर्थन के खिलाफ स्टैंडर्ड का स्पष्ट होना अतिआवश्यक है, जैसा कि बोर्ड ने एक पूर्व फ़ैसले में उल्लेख किया है (केस 2020-005-FB-UA). संयुक्त राष्ट्र के अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के विशेष प्रतिवेदक ने भी खतरनाक लोगों और संगठनों से जुड़े स्टैंडर्ड की अस्पष्टता के प्रति अपनी चिंता जताई है (A/HRC/38/35, पैरा 26, फ़ुटनोट 67). जैसा के बोर्ड ने पहले भी केस2020-003-FB-UA के समय कहा था, हो सकता है कि ऐसा समय आए जब कुछ शब्द वैधानिकता की चिंताओं को बढ़ा दें, लेकिन किसी केस विशेष के संदर्भ में इन चिंताओं की आवश्यकता नहीं है. स्टैंडर्ड की शर्तों के तहत कोई भी अस्पष्टता होने के बावजूद, इस मामले की परिस्थितियों के लिए उनका लागू होना ज़रा भी संदेहात्मक नहीं है. कैपिटॉल में हुई 6 जनवरी की घटना सीधे-सीधे Facebook की पॉलिसी में तय की गई हानिकारक घटनाओं के दायरे में आती है, और जब कांग्रेस मेंबर्स उन्हें मदद के लिए पुकार रहे थे, तब पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप की पोस्ट उस समय हो रही हिंसा में संलिप्त लोगों की प्रशंसा कर रही थीं और उन्हें समर्थन दे रही थीं. इन तथ्यों के संबंध में ही Facebook की पॉलिसी ने यूज़र को पर्याप्त नोटिस दिया और नियम लागू करने वाले लोगों का मार्गदर्शन भी किया.

उल्लंघनों के लिए दंड से जुड़ी, कम्युनिटी स्टैंडर्ड और अकाउंट प्रतिबंधों से संबंधित जानकारी विभिन्न तरह के सोर्स में प्रकाशित की जाती है, जिसमें सेवा की शर्तों सहित कम्युनिटी स्टैंडर्ड का परिचय, अकाउंट की अखंडता और प्रामाणिक पहचान से जुड़ा कम्युनिटी स्टैंडर्ड,Facebook न्यूज़रूम, और Facebook हेल्प सेंटर शामिल हैं. जैसा कि इस केस 2020-006-FB-FBR में उल्लेख किया गया था, बोर्ड ने एक बार फिर से कहा है कि लागू नियमों की उलझन के कारण यूज़र्स के लिए यह समझना मुश्किल हो जाता है कि Facebook कब और क्यों अकाउंट को प्रतिबंधित करता है, और इससे कानूनी चिंताएँ बढ़ जाती हैं.

जबकि बोर्ड इस बात से संतुष्ट है कि बोलने की स्वतंत्रता की स्पष्टता और अस्पष्टता से संबंधित मानदंडों को संतुष्ट करने के लिए, इस मामले की परिस्थितियों में खतरनाक लोगों और संगठनों से जुड़े स्टैंडर्ड पर्याप्त रूप से स्पष्ट हैं, लेकिन Facebook का "अनिश्चित कालीन" प्रतिबंध लगाना अस्पष्ट और संदेहयुक्त है. “अनिश्चित कालीन” प्रतिबंधों का कम्युनिटी स्टैंडर्ड में वर्णन नहीं किया गया है, और यह स्पष्ट नहीं है कि कौन से स्टैंडर्ड के उल्लंघन के कारण यह दंड दिया जाएगा या इसे बनाए रखने या हटाने के लिए कौन से स्टैंडर्ड को नियोजित किया जाएगा. Facebook ने अभी तक कभी भी किसी केस में अनिश्चित कालीन निलंबन से संबंधित कोई जानकारी नहीं दी है. बोर्ड जनवरी के जैसी आपातकालीन परस्थितियों में अकाउंट को निलंबित करने के Facebook की कार्य स्वतंत्रता को समझता है, लेकिन यूज़र्स को अनिश्चित काल के लिए अस्थिरता की स्थिति में नहीं छोड़ा जा सकता.

बोर्ड ने Facebook के इस अनुरोध को अस्वीकार कर दिया कि वह बिना किसी स्पष्ट मापदंड के अनिश्चितकालीन प्रतिबंधों को लगाने और हटाने का समर्थन करे. कार्य स्वाधीनता से जुड़ी शक्तियों पर उचित नियंत्रण लगाना, अधिकारों के वैध उपयोग को दुनिया भर में संभावित परिस्थितियों में अलग स्थान दिलाने के लिए महत्वपूर्ण है, जैसे Facebook बिना किसी आधार के ऐसे कंटेंट को रोक सकता है जिससे कोई नुकसान नहीं है, या लोगों की सुरक्षा से जुड़ा एक्शन लेने में देरी कर सकता है.

II. वैधानिक लक्ष्य

वैधानिक लक्ष्य होने का मतलब है, अभिव्यक्ति को प्रतिबंधित करने का कोई भी उपाय ICCPR के अनुच्छेद 19 के पैरा. 3 में दिए गए किसी उद्देश्य के लिए होना चाहिए और उद्देश्यों की यह लिस्ट बहुत विस्तृत है. वैधानिक लक्ष्यों में जनता की सुरक्षा, अन्य लोगों के अधिकारों के प्रति सम्मान, जीवन, सुरक्षा और चुनाव में भागीदारी के अधिकारों सहित उनके परिणामों का सम्मान और उन्हें लागू करना भी शामिल हैं. अभिव्यक्ति में अवरोध डालने के बहाने को वैधानिक लक्ष्य नहीं माना जा सकता, उदाहरण के लिए, सुरक्षा या दूसरों के अधिकारों की रक्षा करने के उद्देश्यों का हवाला देते हुए केवल इसलिए किसी के भाषण को हटा देना क्योंकि यह प्रतिकूल या अपमानजनक है (सामान्य कमेंट संख्या 34, पैरा 11, 30, 46, 48). "उल्लंघनकारी घटनाएँ", हिंसा या आपराधिक गतिविधि में शामिल व्यक्तियों की प्रशंसा और समर्थन करने के बारे में Facebook की पॉलिसी उपरोक्त उद्देश्यों के अनुरूप थी.

III. आवश्यकता और आनुपातिकता

आवश्यकता और आनुपातिकता की ज़रूरत का मतलब है कि, अन्य बातों के अलावा, अभिव्यक्ति पर किसी भी तरह का प्रतिबंध, वैधानिक उद्देश्य को प्राप्त करने का कम से कम हस्तक्षेप वाला तरीका होना चाहिए (सामान्य कमेंट संख्या 34, पैरा. 34).

बोर्ड का मानना है कि जहाँ भी मुमकिन हो, Facebook को कोशिश करनी चाहिए कि संभावित रूप से नुकसानदायक भाषण को संबोधित करने के लिए कम से कम प्रतिबंधों वाले उपाय अपनाए जाएँ और कंटेंट हटाने और अकाउंट पर प्रतिबंध लगाने से पहले अन्य लोगों के अधिकारों की रक्षा की जाए. इसका मतलब यह होगा कि भाषण को स्पष्ट रूप से प्रतिबंधित करने के बजाय तात्कालिक हिंसा, भेदभाव, या अन्य कानूनविहीन कार्रवाई, जहां संभव हो और आनुपातिक हो, के जोखिम को बढ़ाने वाले भाषण से बचने के लिए प्रभावी तंत्र विकसित करना.

Facebook ने बोर्ड से कहा कि उसने माना कि पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप का "चुनाव की अखंडता पर सवाल उठाने के लिए Facebook और अन्य प्लेटफ़ॉर्म का बार-बार उपयोग किया जाना (जिसके लिए Facebook को बार-बार गलत जानकारी को सही करने के लिए आधिकारिक लेबल लागू करने पड़ रहा था) प्लेटफ़ॉर्म के दुरुपयोग को दर्शा रहा था". बोर्ड ने Facebook से इस बारे में भी सफाई माँगी कि किस हद तक प्लेटफ़ॉर्म के एल्गोरिद्म, पॉलिसी, प्रक्रियाएँ और तकनीकी फ़ीचर सहित डिज़ाइन संबंधी निर्णयों ने ट्रंप की पोस्ट को चुनाव के बाद बढ़ावा दिया और क्या Facebook ने कोई आंतरिक विश्लेषण किया जिससे यह पता लगाया जा सके कि क्या इन डिज़ाइन ने 6 जनवरी की घटना में कोई योगदान दिया है. Facebook ने इन सवालों के जवाब देने से मना कर दिया. इससे बोर्ड के लिए यह तय करना मुश्किल हो जाता है कि क्या पहले किए गए कम गंभीर उपाय दूसरों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त थे.

महत्वपूर्ण सवाल यह है कि क्या 6 और 7 जनवरी को पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप की एक्सेस प्रतिबंधित करने का Facebook का निर्णय, अन्य लोगों के अधिकारों को सुरक्षित करने के लिहाज़ से आवश्यक या आनुपातिक था. 6 जनवरी की पोस्ट से उत्पन्न खतरे को समझने के लिए बोर्ड ने नवंबर के चुनाव से अब तक पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप की Facebook और Instagram पोस्ट और प्लेटफ़ॉर्म से बाहर के कमेंट का मूल्यांकन किया. चुनावी धोखाधड़ी के बेबुनियादी बयान और कार्रवाई करने की लगातार माँगों को बनाए रखने के लिए, पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप ने एक ऐसा माहौल बनाया, जिससे हिंसा का गंभीर जोखिम हो सकता था. 6 जनवरी को दंगे में शामिल लोगों के समर्थन में कहे गए पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के शब्दों ने उनके हिंसक व्यवहार को न्यायसंगत करार दिया. हालांकि उन संदेशों में लोगों को अचेत रूप से कहा गया कि वे शांत रहें, लेकिन यह उनके सहायक कथनों द्वारा बढ़ाए गए तनाव को कम करने और नुकसान के जोखिम को दूर करने के लिए अपर्याप्त था. अमेरिका में बढ़ रहे तनाव के संदर्भ में Facebook का 6 जनवरी को पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप की पोस्ट और अन्य मीडिया और पब्लिक ईवेंट में उनके कथनों का विवेचन करना पूरी तरह से तर्कसंगत था.

अपने विश्लेषण के हिस्से के रूप में, बोर्ड ने रबात प्लान ऑफ़ एक्शन के छह कारकों को ध्यान में रखते हुए भाषण की क्षमता का आकलन करने की कोशिश की, कि किस तरह ये भेदभाव, हिंसा, या अन्य तरह की अराजकता के कृत्यों का गंभीर जोखिम पैदा कर सकती है.

  • संदर्भ: ये पोस्ट राजनैतिक तनाव के उस माहौल में की गईं, जब यह अस्त्यापित दावा किया जा रहा था कि नवंबर 2020 का राष्ट्रपति चुनाव धोख़े से जीता गया. ट्रंप कैंपेन ने कोर्ट में ये दावे किए, लेकिन उनके पास बहुत कम या न के बराबर सबूत थे, और उन्हें लगातार अस्वीकार किया गया. इसके बावजूद भी पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप ने Facebook और Instagram सहित सोशल मीडिया पर ये दावे करना जारी रखा, और अपने सत्तावादी स्टेटस का उपयोग करके राज्य के प्रमुख के रूप में उन्हें विश्वसनीयता देने की कोशिश करते रहे. उन्होंने समर्थकों से 6 जनवरी को राज्य की राजधानी में पहुँच कर "धोख़े की जीत को रोकने" के लिए कहा, और इशारा किया कि कोई "अनियंत्रित" घटना होने वाली है. 6 जनवरी को पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने समर्थकों से कैपिटॉल बिल्डिंग की तरफ़ जाने और मतगणना को चुनौती देने के लिए कहा. पोस्ट के समय गंभीर हिंसा चल रही थी. 7 जनवरी को जब प्रतिबंध कायम रखे गए, तब भी हालात अस्थिर ही थे. इस संदर्भ में अन्य संकेतकों के साथ डिस्ट्रिक्ट ऑफ़ कोलंबिया ने कैपिटॉल पर हिंसात्मक घटना होने का जोखिम होने की चेतावनी जारी की.
  • वक्ता का स्टेटस: अमेरिका के राष्ट्रपति और एक राजनेता होने के कारण ट्रंप की Facebook और Instagram पोस्ट में उच्च स्तर का प्रभाव था. बोर्ड ने यह माना है कि राष्ट्रपति के पद पर होने के कारण ट्रंप की जनता के बीच साख और प्रभुत्व था, जिसने 6 जनवरी की घटना में योगदान दिया. राज्य प्रमुख के रूप में राष्ट्रपति ट्रंप के पास विश्वास का उच्च स्थान था, जिसकी वजह से उनके शब्दों में बहुत ही प्रचण्डता और विश्वसनीयता दिख रही थी, लेकिन इससे इस बात का जोखिम बढ़ गया था कि उनके समर्थक यह समझेंगे कि वे अनियंत्रित व्यवहार कर सकते हैं.
  • अभिप्राय: बोर्ड पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के इरादों का निष्कर्ष तक पहुँचाने वाला आकलन करने की स्थिति में नहीं है. पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के कथन से जुड़ी हिंसा की आशंका काफ़ी स्पष्ट थी, और बोर्ड का ऐसा मानना है कि शायद उन्हें इस बात का अंदाज़ा था या अंदाज़ा होना चाहिए था कि इस तरह के उनके कथन से हिंसा का जोखिम तर्कसंगत माना जाएगा या इससे हिंसा को बढ़ावा मिलेगा.
  • कंटेंट और अभिरूप: 6 जनवरी की दोनों पोस्ट में विद्रोहियों की प्रशंसा और समर्थन किया गया, हालांकि उन्हें शांतिपूर्वक घर जाने के लिए गया था. पोस्ट में अस्त्यापित दावा दोहराया गया की चुनाव धोख़े से जीता गया. रिपोर्ट से ऐसा लगता है कि कुछ विद्रोही इस दावे के प्रति अपने कृत्यों को तर्कसंगत समझ रहे थे. यहाँ सबूतों से पता चलता है कि पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप ने कैपिटॉल पर हमलावरों के समर्थन में राष्ट्रपति पद से मिली अभिव्यक्ति की ताकत का उपयोग किया और चुनावी वोटों की वैध गिनती को रोकने का प्रयास किया.
  • प्रसार और पहुँच: पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के पास बहुत बड़ी ऑडियंस थी, Facebook पर उनके लगभग 3.5 करोड़ और Instagram पर करीब 2.4 करोड़ फ़ॉलोअर्स थे. इससे भी ज़्यादा, इन सोशल मीडिया पोस्ट को अक्सर बड़े पैमाने पर मीडिया चैनलों और पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के उच्च प्रोफ़ाइल समर्थक बड़ी ऑडियंस के साथ शेयर करते हैं, जिससे उनकी पहुँच और बढ़ जाती है.
  • हानि की आसन्नता: पोस्ट जब की गईं तब बहुत अस्थिरता का वातावरण था और हिंसा जारी थी. स्पष्ट रूप से लोगों के जीवन, चुनावी अखंडता और राजनैतिक भागीदारी, सभी जोखिम में थे. Facebook और अन्य सोशल मीडिया के माध्यम से आयोजित रैली के एक घंटे के भीतर ही कैपिटॉल में हिंसा शुरू हो गई थी. वास्तव में, जब पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप पोस्ट कर रहे थे उस समय भी विद्रोही कांग्रेस के हॉल में उपद्रव कर रहे थे और कांग्रेस के सदस्य व्हाइट हाउस को कॉल करते हुए बता रहे थे कि वे डरे हुए हैं और राष्ट्रपति से आग्रह कर रहे थे कि वे स्थिति को नियंत्रित करें. दंगे ने सीधे तौर पर, चुनावी वोटों की गिनती की अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी का निर्वहन करने की कांग्रेस की क्षमता में हस्तक्षेप किया, जिससे इस प्रक्रिया में कई घंटों की देरी हुई.

इन तत्त्वों का विश्लेषण करते हुए, बोर्ड ने निष्कर्ष निकाला कि इस मामले में मानवाधिकारों की हानि के संदर्भ में उल्लंघन अति गंभीर था. 6 जनवरी को अकाउंट पर प्रतिबंध लगाने का Facebook का निर्णय, और प्रतिबंध को 7 जनवरी तक आगे बढ़ाना आवश्यक और आनुपातिक था.

बोर्ड के कुछ सदस्यों का सोचना है कि, जबकि केवल 6 जनवरी की घटनाओं के आधार पर विस्तारित अवधि के लिए या स्थायी निलंबन को उचित ठहराया जा सकता है, वहीं नवंबर 2020 के राष्ट्रपति चुनाव से पहले के पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के Facebook के प्लेटफ़ॉर्म के उपयोग के अनुपातिक विश्लेषण की भी जानकारी दी जानी चाहिए. खास तौर पर इन मेंबर्स ने 28 मई 2020 की उस पोस्ट की तरफ इशारा किया, जो नस्लीय न्याय के विरोध के संदर्भ में की गई थी “when the looting starts, the shooting starts,” (जब लूट शुरू होती है तभी विद्रोह भी शुरू होता है). साथ ही “China Virus” (चीनी वायरस) वाली पोस्ट का भी संदर्भ दिया गया. Facebook ने भेदभाव न करने के अधिकार का सम्मान करने की प्रतिबद्धता जताई है (अनुच्छेद 2, पैरा. 1 ICCPR, अनुच्छेद 2 ICERD) और, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार पर प्रतिबंधों की आवश्यकताओं के अनुरूप (अनुच्छेद 19, पैरा. 3 ICCPR), शत्रुता, भेदभाव या हिंसा के लिए नस्लीय या राष्ट्रीय घृणा उत्पन्न करने की वकालत के लिए अपने प्लेटफार्मों के उपयोग को रोकने के लिए (अनुच्छेद 20 ICCPR, अनुच्छेद 4 ICERD). हानिकारक संचार की आवृत्ति, मात्रा और सीमा को रबात उत्थान विश्लेषण को सूचित करना चाहिए (रबात प्लान ऑफ़ एक्शन, पैरा. 29), विशेष रूप से संदर्भ और आशय के कारक के बारे में. इन कुछ मेंबर्स के लिए, यह व्यापक विश्लेषण 7 जनवरी को Facebook के आनुपातिक दंड के आकलन के बारे में सूचित करने के लिए महत्वपूर्ण होगा, जिसे अन्य राजनेताओं के लिए एक निवारक के रूप में काम करना चाहिए और, जहाँ उपयुक्त हो, पुनर्वास के अवसर के रूप में. इसके अलावा, अगर Facebook ने समय-सीमित निलंबन लागू करने का विकल्प चुना, तो बहाली से पहले आवश्यक जोखिम-विश्लेषण के समय इन तत्त्वों को भी ध्यान में रखना चाहिए. अन्य आधारों पर इस मामले को देखने के बाद, बहुमत इन मामलों में कमेंट नहीं करता.

9. ओवरसाइट बोर्ड का फ़ैसला

6 जनवरी को, पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के अकाउंट पर प्रतिबंध लगाने का Facebook का निर्णय उचित था. विचाराधीन पोस्टों ने Facebook और Instagram के नियमों का उल्लंघन किया, जो उल्लंघन की घटनाओं के समर्थन या प्रशंसा पर प्रतिबंध लगाते हैं, जिसमें उस समय अमेरिका में चल रहा दंगा भी शामिल है. कैपिटॉल. उल्लंघनों की गंभीरता और हिंसा के जारी जोखिम को देखते हुए, Facebook का अकाउंट पर प्रतिबंध लगाना और उन प्रतिबंधों को 7 जनवरी तक बढ़ाना सही साबित हुआ.

हालाँकि, अकाउंट को 'अनिश्चित काल' के लिए निलंबित करने का Facebook का निर्णय उचित नहीं था.

इस मामले में Facebook ने किसी स्पष्ट और प्रकाशित की गई प्रक्रिया का पालन नहीं किया. अपने नियमों के उल्लंघन के लिए Facebook सामान्यत: अकाउंट स्तरीय प्रतिबंध लगाता है, जैसे या तो समय-सीमित निलंबन करता है, या यूज़र के अकाउंट को स्थायी रूप से अक्षम कर देता है. बोर्ड ने कहा कि Facebook को इसकी अनुमति नहीं है कि वह किसी यूज़र को एक अनिश्चित समय तक प्लेटफ़ॉर्म से बाहर रखे, वो भी बिना किसी मानदंड के कि अकाउंट को कब रीस्टोर किया जाएगा या रीस्टोर किया जाएगा भी या नहीं.

यह Facebook का काम है कि वह ऐसी आवश्यक और यथोचित पेनल्टियाँ बनाए और इनकी जानकारी दे, जो वह अपनी कंटेंट पॉलिसी के गंभीर उल्लंघनों के जवाब में लगाता है. बोर्ड का काम यह सुनिश्चित करना है कि Facebook के नियम और प्रक्रियाएँ, उसकी कंटेंट पॉलिसी, उसके मूल्यों और मानवाधिकारों के सम्मान करने से जुड़ी उसकी प्रतिबद्धताओं के अनुरूप हों. अनिर्धारित और बिना प्रावधान वाला दंड लगाने के बाद इसके निपटारे के लिए केस बोर्ड को सौंपकर, Facebook अपनी ज़िम्मेदारियों से भागने की कोशिश कर रही है. बोर्ड ने Facebook का अनुरोध ठुकराते हुए इस बात पर ज़ोर दिया कि Facebook प्रावधान के तहत दंड लगाए और उसे उचित ठहराए.

यह फ़ैसला लेने के छह महीनों के भीतर, Facebook को 7 जनवरी को लगाए गए मनमाने दंड की फिर से जाँच करके उचित दंड तय करना होगा. यह दंड, उल्लंघन की गंभीरता और भविष्य में होने वाले नुकसान की संभावना पर आधारित होना चाहिए. यह गंभीर उल्लंघनों के लिए बनाए गए Facebook के नियमों के अनुरूप भी होना चाहिए, जिन्हें स्पष्ट, उचित और तर्कसंगत होना चाहिए.

यदि Facebook यह निर्धारित करता है कि पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के अकाउंट बहाल किए जाने चाहिए, तो Facebook को अपने नियमों को उस निर्णय पर लागू करना चाहिए और इसमें पॉलिसी के संबंध में नीचे दिए गए सुझावों से जुड़े बदलाव भी शामिल होने चाहिए. साथ ही यदि Facebook उन्हें प्लेटफ़ॉर्म पर वापस लाने का निर्णय लेता है, तो उसे आगे होने वाले उल्लंघनों का तुरंत और अपनी बनाई गईं कंटेंट पॉलिसी के अनुसार समाधान करना होगा.

बोर्ड के कुछ सदस्यों ने यह मानना है कि कुछ न्यूनतम मानदंडों को रेखांकित करना महत्वपूर्ण है, जो बोर्ड द्वारा Facebook के मानवाधिकारों के उत्तरदायित्वों के आकलन को दर्शाते हैं. बहुमत इसकी बजाय पॉलिसी निर्धारण के रूप में यह मार्गदर्शन देना पसंद करता है. बोर्ड के कुछ मेंबर स्पष्ट रूप से ध्यान देते हैं कि मानवाधिकारों का सम्मान करने के Facebook के उत्तरदायित्वों में प्रतिकूल मानवाधिकारों के प्रभाव को दूर करने में मदद करना शामिल है, जिसमें इसने योगदान दिया है (UNGP का सिद्धांत 22). उपाय, UNGP की संरचना 'सुरक्षा, सम्मान, उपाय' का एक अभिन्न घटक है और यह अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून को और अधिक व्यापक रूप से दर्शाता है (अनुच्छेद 2, पैरा. 3, ICCPR, जैसा कि मानवाधिकार समिति द्वारा सामान्य कमेंट सं. 31, पैरा. 15 - 18 में वर्णन किया गया है). प्रतिकूल प्रभाव दोहराए नहीं जाते हैं कि अपनी गारंटी के दायित्व को पूरा करने के लिए, Facebook को यह आकलन करना चाहिए कि क्या पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के अकाउंट को बहाल करने से आसन्न भेदभाव, हिंसा या अराजकता भरी किसी अन्य कार्रवाई का गंभीर जोखिम नहीं होगा. जोखिम का यह आकलन बोर्ड द्वारा ऊपर दिए गए सेक्शन 8.3.III में आवश्यकता और आनुपातिकता के विश्लेषण में विस्तृत विचार-विमर्श पर आधारित होना चाहिए, जिसमें Facebook और Instagram पर और इनके बाहर के संदर्भ और स्थितियों का भी ध्यान रखा जाना चाहिए. उदाहरण के लिए, Facebook को इस बात से संतुष्ट होना चाहिए कि, पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप ने चुनाव की धोख़ाधड़ी से जुड़े असत्यापित दावे उस तरह से करना बंद कर दिया है, जिसके कारण उचित रूप से उनके अकाउंट को 6 जनवरी को निलंबित कर दिया गया था. Facebook की एन्फ़ोर्समेंट प्रक्रियाओं का लक्ष्य पुन:स्थापित करने का होता है, और बोर्ड के कुछ सदस्यों का मानना है कि यह उद्देश्य मानवाधिकार कानून में संतुष्टि के सिद्धांत के साथ अच्छी तरह से मेल खाता है. बोर्ड के कुछ सदस्यों ने इस बात पर ज़ोर दिया कि Facebook के नियमों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि, अकाउंट को निलंबित कर दिए जाने के बाद उसकी बहाली की कोशिश करने वाले यूज़र्स को अपनी गलती का एहसास हो और वे भविष्य में नियमों का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध हों. इस मामले में, बोर्ड के कुछ सदस्य ये सुझाव देते हैं कि, Facebook को चाहिए कि पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के अकाउंट को बहाल करने से पहले, दंगों में शामिल लोगों की प्रशंसा या समर्थन को Facebook से हटा दिया जाए.

10. पॉलिसी से जुड़े सुझाव का कथन

बोर्ड इस बात को मानता है कि इस मामले ने कई गंभीर मुद्दों को उठाया है, और इस सिलसिले में इसे मिले कई विचारशील और सहभागिता दर्शाने वाले कमेंट के लिए वह आभारी है.

ओवरसाइट बोर्ड को इस मामले के अपने रेफ़रल में, Facebook ने ख़ास तौर पर “ऐसी स्थिति में अकाउंट को निलंबित करने के बारे में बोर्ड की राय या सुझाव माँगे, जब यूज़र कोई राजनेता होता है.” बोर्ड ने Facebook से कहा कि वह अपनी समझ से "राजनेता" शब्द को परिभाषित करे. Facebook ने कहा कि राजनेता ये सभी हो सकते हैं "निर्वाचित या नियुक्त किए गए सरकारी अधिकारी जो आगामी चुनाव में उम्मीदवार के रूप में सक्रिय रूप से खड़े हो रहे हैं, जिसमें चुनाव के कुछ समय बाद तक इन्हें राजनेता कहा जा सकता है भले ही इन्हें चुना न जाए", लेकिन सभी नेता राजनेता नहीं होते. इस मामले के बोर्ड के विश्लेषण के आधार पर, यह पब्लिक सेफ़्टी के मुद्दों पर अपना मार्गदर्शन देता है.

बोर्ड का कहना ​​है कि ज़रूरी नहीं है कि हमेशा राजनेताओं और अन्य प्रभावशाली यूज़र्स के बीच कोई खास अंतर बताया जाए. यह पहचानना महत्वपूर्ण है कि बड़ी ऑडियंस वाले अन्य यूज़र भी नुकसान के गंभीर जोखिम में योगदान कर सकते हैं. प्लेटफ़ॉर्म पर सभी यूज़र्स पर एक जैसे नियम लागू होने चाहिए, लेकिन जब कार्य-कारण के मुद्दों और नुकसान की संभावना और आसन्नता का मूल्यांकन करना हो तो संदर्भ मायने रखता है. एक यूज़र का अन्य यूज़र्स के ऊपर कितना प्रभाव है यह महत्वपूर्ण होता है.

जब प्रभावशाली यूज़र्स की पोस्ट से आसन्न नुकसान का गंभीर जोखिम हो, जैसा कि अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार स्टैंडर्ड के तहत मूल्यांकित किया गया है, Facebook को अपने नियमों को जल्दी से लागू करने के लिए कार्रवाई करनी चाहिए. Facebook को प्रभावशील यूज़र्स की पोस्ट का उस तरह मूल्यांकन करते रहना चाहिए जिस तरह से उन्हें फ़ॉलोअर्स समझते हैं, भले ही उनके भड़काने वाले मैसेज दायित्व से परे लपेटी हुई भाषा में दिए गए हों, जैसे ऊपरी तौर पर शांति बनाए रखना और कानून का पालन करना जैसी बातें करना. Facebook ने इस मामले में रबात प्लान ऑफ़ एक्शन के छ: प्रासंगिक कारकों का उपयोग किया है, और बोर्ड का मानना है कि भाषण से संभावित हानि के जोखिम का आकलन करने के लिए यह एक कारगर तरीका है. बोर्ड का यह भी मानना है कि ऐसी स्थितियों में समय की महत्वपूर्ण भूमिका है; प्रभावशाली यूज़र्स कोई गंभीर नुकसान करें इसके पहले ही कार्रवाई करने को, छापने की योग्यता और अन्य राजनैतिक संचार से अधिक प्राथमिकता दी जानी चाहिए.

जबकि सभी यूज़र्स को समान कंटेंट पॉलिसी के अंतर्गत रखा जाना चाहिए, राजनेताओं के भाषण का आकलन करने के लिए कुछ अनन्य कारक हैं जिन्हें ध्यान में रखना चाहिए. अन्य लोगों की तुलना में राज्यों के प्रमुख और सरकार के अन्य बड़े अधिकारियों के प्रभाव की वजह से ज़्यादा नुकसान पहुँच सकता है. Facebook को यह मानना चाहिए कि राज्य के प्रमुखों और सरकार के अन्य बड़े अधिकारियों की पोस्ट की वजह से हिंसा को प्रोत्साहन, वैधता मिलने, या भड़काने का अधिक खतरा रहता है - शायद इसलिए क्योंकि उनके पास विश्वास का उच्च स्थान होता है, जिसकी वजह से उनके शब्दों में बहुत ही प्रचण्डता और विश्वसनीयता होती है या उनके समर्थक यह समझते हैं कि वे अनियंत्रित व्यवहार कर सकते हैं. साथ ही राजनैतिक भाषण सुनने के लोगों के अधिकारों की रक्षा करना भी महत्वपूर्ण है. फिर भी, अगर राज्य के किसी प्रमुख या बड़े सरकारी अधिकारी ने लगातार ऐसे मैसेज पोस्ट किए हैं, जिनसे अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों के तहत नुकसान की आशंका हो सकती है, तो Facebook को तात्कालिक नुकसान से सुरक्षा के लिए एक निश्चित समय तक के लिए अकाउंट को निलंबित कर देना चाहिए. अकाउंट को उस समय सीमा तक निलंबित रखा जाना चाहिए, जितने समय में दुर्व्यवहार का निवारण किया जा सके और उचित मामलों में अकाउंट या पेज को डिलीट करने का एक्शन शामिल हो सकता है.

भाषण पर प्रतिबंध अक्सर शक्तिशाली राज्य अभिनेताओं के इशारे पर या उनके द्वारा, असहमतिपूर्ण आवाज और राजनैतिक प्रतिद्वंदियों के विरुद्ध लगाया जाता है. Facebook को सरकारों की तरफ से उनके प्रतिद्वंदियों की आवाज़ को दबाने के लिए आने वाले दबाव का विरोध करना चाहिए. संभावित जोखिम का आकलन करते समय Facebook को बिना भूले प्रासंगिक राजनैतिक संदर्भ को ध्यान में रखना चाहिए. अत्यधिक प्रभावशाली यूज़र्स के राजनैतिक भाषण का मूल्यांकन करने में, Facebook को तुरंत कंटेंट मॉडरेशन की प्रक्रिया को प्राथमिकता देते हुए उन विशिष्ट कर्मचारियों तक पहुँचाना चाहिए, जो भाषा और राजनीति के संदर्भ से परिचित हों और राजनैतिक और आर्थिक हस्तक्षेप और अनुचित प्रभाव से दूर हों. इस विश्लेषण को Facebook और Instagram प्लेटफॉर्म पर और इनसे बाहर अत्यधिक प्रभावशाली यूज़र्स के व्यवहार की जाँच करनी चाहिए, ताकि संभावित रूप से हानिकारक भाषण का आकलन करने के लिए पूरी तरह से संदर्भ का ज्ञान हो. इसके आगे, Facebook को सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रभावशाली अकाउंट की वजह से होने वाले नुकसान की आशंकाओं का मूल्यांकन करने के लिए पर्याप्त संसाधन और विशेषज्ञों की टीम को ख़ास तौर पर वैश्विक रूप से इस काम में लगाए.

Facebook को ऐसे नियमों के बारे में सार्वजनिक रूप से बताना चाहिए, जिनका उपयोग वह प्रभावशाली यूज़र्स पर अकाउंट लेवल के प्रतिबंध लगाते समय करता है. इन नियमों से यह सुनिश्चित होना चाहिए कि जब Facebook गंभीर नुकसान की संभावना को कम करने के लिए किसी प्रभावशाली यूज़र के अकाउंट को निर्धारित समय के लिए निलंबित करे, तब निलंबित रहने की अवधि समाप्त होने से पहले वह जोखिम कम होने के बारे में मूल्यांकन करेगा. अगर Facebook को किसी यूज़र द्वारा तात्कालिक हिंसा भड़काने, भेदभाव करने या कोई अन्य गैरकानूनी एक्शन लेने का गंभीर जोखिम दिखता है, तो एक निश्चित समय के लिए यूज़र को निलंबित कर देना चाहिए, अगर पब्लिक सेफ़्टी का ध्यान रखने और जोखिम को देखते हुए ऐसे कदम उठाने ज़रूरी लग रहे हों.

जब Facebook विशेष प्रक्रियाओं को लागू करता है जो प्रभावशाली यूज़र्स पर लागू होते हैं, तो इन्हें अच्छी तरह से नोट किया जाना चाहिए. इस मामले में Facebook ने अलग-अलग स्टैंडर्ड लागू किए हैं या नहीं यह स्पष्ट नहीं था, छापने की योग्यता के लागू किए जाने की संभावना के बारे में बोर्ड ने कई चिंताएँ सुनीं. यह अति महत्वपूर्ण है कि Facebook पार्दर्शिता के अभाव का समाधान करे और इसके कारण हुई गड़बड़ी का हल निकाले. Facebook ज़्यादा से ज़्यादा जानकारी उपलब्ध करवाए ताकि यूज़र्स को ख़बर योग्य होने के अनुमोदन लागू करने की प्रक्रिया और मानदंडों को समझने और मूल्यांकन करने में मदद मिले. Facebook को स्पष्ट रूप से बताना चाहिए कि राजनेताओं और अन्य सार्वजनिक हस्तियों सहित प्रभावशाली अकाउंट पर ख़बर योग्य होने के अनुमोदन कैसे लागू किए जाते हैं. क्रॉस चेक रिव्यू के संदर्भ में Facebook को स्पष्ट रूप से तर्क, स्टैंडर्ड और रिव्यू की प्रक्रियाओं को स्पष्ट करना चाहिए, जिसमें समावेश के लिए चुने गए पेज और अकाउंट को निर्धारित करने का मानदंड भी होना चाहिए. Facebook को सामान्य एन्फ़ोर्समेंट प्रक्रियाओं की तुलना में क्रॉस चेक प्रक्रिया के माध्यम से निर्धारित त्रुटि दर और निर्धारण की विषयगत स्थिरता की रिपोर्ट करना चाहिए.

जब Facebook प्लेटफ़ार्म का प्रभावशाली यूज़र्स द्वारा इस तरह से गलत इस्तेमाल किया जाता है, जिससे मानवाधिकारों पर गंभीर रूप से प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, तो इसे इस मामले में एक व्यापक तहकीकात करना चाहिए. Facebook को इस बात का आकलन करना चाहिए कि उसका क्या प्रभाव था और यह कि भविष्य में प्रतिकूल प्रभावों की पहचान करने, उन्हें रोकने, कम करने के लिए क्या बदलाव लागू करना चाहिए. इस मामले में, Facebook को इस बात का विस्तार से रिव्यू करना चाहिए कि क्या चुनावी धोखाधड़ी के बयान और उसकी वजह से 6, जनवरी 2021 को अमेरिका में खराब हालातों के चलते हुई हिंसा में Facebook का संभावित योगदान है. इसके ज़रिए Facebook की डिज़ाइन और पॉलिसी से जुड़े ऐसे विकल्प खुले तौर पर प्रदर्शित होने चाहिए, जिनसे इसके प्लेटफ़ॉर्म का दुरुपयोग होने की संभावना बने. Facebook को यह रुका हुआ कार्य कर देना चाहिए, अपनी खोज पर काम शुरु करने के लिए एक योजना बनानी चाहिए, और इस बारे में खुले तौर पर संवाद करना कि यह प्रतिकूल मानवाधिकारों के प्रभाव को कैसे संबोधित करता है.

ऐसे मामलों में जहाँ Facebook या Instagram यूज़र्स ICCPR के अनुच्छेद 20 के अनुसार अत्याचार अपराधों या गंभीर मानवाधिकार के उल्लंघन के साथ ही साथ उकसाने में लिप्त हों, वहाँ कंटेंट को हटाने और अकाउंट को बंद करने से संभावित रूप से नुकसान के जोखिम को कम किया जा सकता है, लेकिन साक्ष्य को हटाकर जवाबदेही के प्रयासों को भी कमजोर किया जा सकता है. Facebook का उत्तरदायित्व है कि वह जानकारी को एकत्रित करे, सुरक्षित रखे और उचित जगह पर शेयर करे ताकि अंतरराष्ट्रीय आपराधिक, मानवाधिकारों और मानवीय कानून के गंभीर उल्लंघनों की सक्षम अधिकारियों और जवाबदेही तंत्र द्वारा जाँच कराई जाए और संभावित अभियोग में सहायता की जाए. Facebook की कॉर्पोरेट मानवाधिकार पॉलिसी को स्पष्ट करना चाहिए कि इस संबंध में कंपनी का क्या प्रोटोकॉल है. इस पॉलिसी को यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि प्लेटफ़ॉर्म पर पहले से मौजूद जानकारी को शोधकर्ताओं के लिए कैसे उपलब्ध कराया जा सकता है जो अंतर्राष्ट्रीय स्टैंडर्ड और लागू डेटा प्रोटेक्शन कानूनों के अनुरूप शोध कर रहे हैं.

यह मामला Facebook की पॉलिसी में और कमियों को उजागर करता है जिन्हें उसे दूर करना चाहिए. ख़ास तौर पर बोर्ड को यह लगता है कि Facebook का पेनल्टी सिस्टम यूज़र्स के लिए पर्याप्त रूप से स्पष्ट नहीं है और Facebook की स्वाधीनता को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त मार्गदर्शन नहीं देता है. Facebook को अपने कम्युनिटी स्टैंडर्ड और गाइडलाइन, और Facebook और Instagram पर प्रोफ़ाइल, पेज, ग्रुप और अकाउंट प्रतिबंधित करने के लिए दंड और पेनल्टियाँ लगाने की प्रक्रिया के बारे में स्पष्ट, विस्तृत और एक्सेस करने योग्य जानकारी देनी चाहिए. इन पॉलिसी को यूज़र्स को यह समझने के लिए पर्याप्त जानकारी देनी चाहिए कि दंड कब लागू होते हैं (किसी भी लागू अपवाद या अनुमोदन सहित) और दंड की गणना कैसे की जाती है. Facebook को यूज़र्स को इस बारे में जानकारी उपलब्ध करवानी चाहिए कि उनके विरुद्ध उल्लंघन, स्ट्राइक और दंड लगाए जाने के कितने मामले हैं और भविष्य में उनके द्वारा किए जाने वाले उल्लंघनों के क्या परिणाम होंगे. Facebook को अपनी पारदर्शिता रिपोर्टिंग में, प्रोफ़ाइल, पेज और अकाउंट प्रतिबंधों की संख्या को शामिल करना चाहिए. इसके साथ ही उन पर की गई कार्रवाई के कारण और तरीके भी शामिल होने चाहिए. इस जानकारी को क्षेत्र और देश के अनुसार वर्गीकृत किया जाना चाहिए.

अंत में बोर्ड Facebook से एक ऐसी पॉलिसी बनाकर उसे प्रकाशित करने का आग्रह करता है जो ऐसे संकटों या नई तरह की स्थितियों को लेकर इसकी प्रतिक्रिया को नियंत्रित करेगी, जहाँ इसकी सामान्य प्रक्रियाएँ तात्कालिक नुकसान को टाल या बचा नहीं पाएँगी. हालांकि इन स्थितियों का हमेशा अनुमान नहीं लगाया जा सकता है, Facebook के इस मार्गदर्शन में इस तरह के एक्शन के लिए उचित पैरामीटर सेट किए जाने चाहिए, जिसमें निश्चित समय में अपने फ़ैसले का रिव्यू करने की ज़रूरत भी शामिल है.

*प्रक्रिया सबंधी नोट:

ओवरसाइट बोर्ड के फ़ैसले पाँच सदस्यों के पैनल द्वारा लिए जाते हैं और बोर्ड के अधिकांश सदस्य इन पर सहमति देते हैं. ज़रूरी नहीं है कि बोर्ड के फ़ैसले उसके हर एक मेंबर की निजी राय को दर्शाएँ.

मामले के निर्णयों और नीति सलाहकार राय पर लौटें