पलट जाना

जापान के प्रधानमंत्री से जुड़े बयान

जापान के प्रधानमंत्री और टैक्स धोखाधड़ी स्कैंडल से जुड़ी एक Threads पोस्ट पर एक यूज़र के जवाब के केस में, कंटेंट को हटाना न तो ज़रूरी था और न ही वह Meta की मानवाधिकार से जुड़ी ज़िम्मेदारियों के अनुरूप था.

निर्णय का प्रकार

मानक

नीतियां और विषय

विषय
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, चुनाव
सामुदायिक मानक
हिंसा और उकसावा

क्षेत्र/देश

जगह
जापान

प्लैटफ़ॉर्म

प्लैटफ़ॉर्म
Threads

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सारांश

जापान के प्रधानमंत्री और टैक्स धोखाधड़ी स्कैंडल से जुड़ी एक Threads पोस्ट पर एक यूज़र के जवाब के केस में, कंटेंट को हटाना न तो ज़रूरी था और न ही वह Meta की मानवाधिकार से जुड़ी ज़िम्मेदारियों के अनुरूप था. यह केस इस बारे में सवाल खड़े करता है कि Meta को किस तरह हिंसा की आलंकारिक और वास्तविक धमकियों के बीच अंतर करना चाहिए. बोर्ड ने बार-बार आलंकारिक धमकियों के संबंध में ज़रूरत से ज़्यादा एन्फ़ोर्समेंट की घटनाओं को हाइलाइट किया है. यह बात चिंताजनक है कि Meta की हिंसा और उकसावे से जुड़ी पॉलिसी अभी भी शाब्दिक और आलंकारिक धमकियों को स्पष्ट रूप से अलग-अलग नहीं करती. इस केस में, एक राजनेता को दी गई धमकी का इरादा गैर-शाब्दिक और राजनैतिक आलोचना करके कथित भ्रष्टाचार की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित करना था. इसमें कठोर भाषा का उपयोग किया गया था जो जापानी सोशल मीडिया पर असामान्य बात नहीं है. इससे नुकसान की आशंका नहीं थी. इसमें शामिल दो मॉडरेटर्स जापानी भाषा बोल सकते थे और स्थानीय सामाजिक-राजनैतिक संदर्भ को समझते थे, लेकिन फिर भी उन्होंने गलती से कंटेंट को हटा दिया. इसलिए, Meta को अपने रिव्यूअर्स को इस बारे में ज़्यादा मार्गदर्शन देना चाहिए कि भाषा और स्थानीय संदर्भ का मूल्यांकन किस तरह किया जाए. साथ ही उसे यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उसकी आंतरिक गाइडलाइंस, उसके पॉलिसी बनाने का कारण से मेल खाती हैं.

केस की जानकारी

जनवरी 2024 में, Threads की एक पोस्ट को शेयर किया गया था जिसमें जापान के प्रधानमंत्री फ़ुमिओ किशिदा और चंदा लेने संबंधी अनियमितताओं, जिसमें उनकी पार्टी शामिल थी, पर उनके जवाब से जुड़ा एक समाचार था. पोस्ट के कैप्शन में टैक्स की चोरी को लेकर प्रधानमंत्री की आलोचना की गई थी. एक यूज़र ने सार्वजनिक रूप से उस पोस्ट पर जवाब दिया और कहा कि जापान की विधायी संस्था को इस बारे में स्पष्टीकरण देना चाहिए. इसके बाद यूज़र ने “hah” (आश्चर्य) शब्द का उपयोग किया और “死ね” शब्द का उपयोग करके प्रधानमंत्री को टैक्स चोर कहा. इस शब्द का अंग्रेज़ी भाषा में “drop dead/die” (अचानक मृत्यु/मृत्यु) होता है. वाक्यांश में कई हैशटैग थे और यूज़र के जवाब में भी चश्मा पहनने वाले एक व्यक्ति के बारे में अपमानजनक बातें कही गई थीं.

Threads पोस्ट पर यूज़र के जवाब को कोई भी लाइक नहीं मिला और Meta के धमकी और उत्पीड़न से जुड़े नियमों के तहत उसकी एक बार रिपोर्ट की गई थी. तीन सप्ताह बाद, एक ह्यूमन रिव्यूअर ने पाया कि कंटेंट से इसके बजाय हिंसा और उकसावे से जुड़े नियमों का उल्लंघन होता है. जब यूज़र ने अपील की, तो एक अन्य ह्यूमन रिव्यूअर ने एक बार फिर पाया कि कंटेंट से उल्लंघन होता है. इसके बाद उस यूज़र ने बोर्ड को इस फ़ैसले के खिलाफ़ अपील की. बोर्ड द्वारा केस को चुने जाने के बाद, Meta ने फ़ैसला किया कि उसका शुरुआती फ़ैसला गलत था और उसने यूज़र के जवाब को Threads पर रीस्टोर कर दिया.

Threads की मूल पोस्ट और यूज़र के जवाब के समय के आसपास, जापान की लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के राजनेताओं पर चंदे से होने वाली आय को कम दिखाने के आरोप लगे थे, लेकिन उनमें प्रधानमंत्री किशिदा का नाम शामिल नहीं था. 2022 के बाद से, जब पूर्व प्रधानमंत्री शिंज़ो आबे की हत्या हुई थी, जापान में राजनैतिक हिंसा को लेकर कुछ चिंताएँ हैं.

फ़ुमियो किशिदा ने हाल ही में घोषणा की है कि वे 27 सितंबर, 2024 को होने वाले चुनाव में जापान की लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता के रूप में फिर से चुनाव नहीं लड़ेंगे और प्रधानमंत्री के पद से हट जाएँगे.

मुख्य निष्कर्ष

बोर्ड ने पाया कि वाक्यांश “drop dead/die” (मूल “死ね” से अनूदित) कोई वास्तविक धमकी नहीं है और उससे हिंसा और उकसावे के उस नियम का उल्लंघन नहीं होता जिसके तहत “हिंसा की ऐसी धमकियों को प्रतिबंधित किया गया है जिनसे मृत्यु हो सकती है”. विशेषज्ञों ने यह कन्फ़र्म किया कि इस वाक्यांश का उपयोग मोटे तौर पर आलंकारिक भाषा के रूप में किया जाता है और उसका तात्पर्य नापसंद और असहमति होता है. कंटेंट में भी “hah” शब्द का उपयोग करके, जो मनोरंजन या व्यंग्य दर्शाता है, इस आलंकारिक उपयोग की तरफ़ इशारा किया गया है.

हालाँकि, Meta का हिंसा और उकसावे से जुड़ा नियम, जो उच्च जोखिम वाले लोगों के लिए “मौत दो” वाक्यांश का उपयोग करके मृत्यु के आह्वानों को प्रतिबंधित करता है, पर्याप्त स्पष्ट नहीं है. Meta का पॉलिसी बनाने का कारण बताता है कि धमकियों का मूल्यांकन करते समय संदर्भ महत्वपूर्ण होता है, लेकिन जैसा कि बोर्ड ने एक पुराने केस में नोट किया है, Meta के शुरुआती ह्यूमन रिव्यूअर्स के पास धमकी के इरादे या विश्वसनीयता की एक्सेस नहीं होती, इसलिए अगर किसी पोस्ट में “मौत दो” जैसे धमकी वाले कथन शामिल होते हैं और उसमें कोई टार्गेट बताया जाता है (अर्थात “किसी टार्गेट पर हिंसा का आह्वान”), तो उसे हटा दिया जाता है. 2022 के एक सुझाव को दोहराते हुए बोर्ड ने Meta से कहा कि वह पॉलिसी की लोगों को दिखाई देने वाली भाषा में एक स्पष्टीकरण शामिल करे कि “मौत दो” वाक्यांश का उपयोग करने वाली आलंकारिक धमकियों को सामान्य तौर पर परमिशन दी जाती है, सिर्फ़ उन स्थितियों को छोड़कर जहाँ उनका निशाना उच्च जोखिम वाले लोग होते हैं. साथ ही वह उन स्थितियों के बारे में भी बताए जब किसी देश के प्रमुख के लिए उपयोग किए गए धमकी वाले कथनों को आलंकारिक राजनैतिक अभिव्यक्ति की रक्षा के लिए परमिशन दी जाती है.

यह बात भी भ्रमित करने वाली है कि किस तरह यह पॉलिसी किसी तरह “सार्वजनिक हस्तियों” और “उच्च जोखिम वाले लोगों” के बीच अंतर करती है. फ़िलहाल, सार्वजनिक हस्तियों के लिए उपयोग की गई मध्यम गंभीरता वाली धमकियों को सिर्फ़ तभी हटाया जाता है जब वे “भरोसे लायक” होती हैं. जबकि अन्य लोगों के मामले में “विश्वसनीयता पर ध्यान दिए बगैर” कंटेंट को हटा दिया जाता है. इससे ज़्यादा भ्रामक बात यह है कि इस पॉलिसी में एक अन्य लाइन है जो उच्च जोखिम वाले लोगों को “अतिरिक्त सुरक्षा” देती है. इस बारे में रिव्यूअर्स को दिए गए आंतरिक मार्गदर्शन, जो सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं है, में खास तौर पर कहा गया है कि ऐसे उच्च जोखिम वाले लोकों के लिए उपयोग किए गए “मौत दो” वाले कंटेंट को हटा दिया जाना चाहिए. बोर्ड के पूछने पर Meta ने कहा कि उसकी पॉलिसी यूज़र्स की उस अभिव्यक्ति को ज़्यादा सुरक्षा देती है जिसमें सार्वजनिक हस्तियों के लिए मध्यम गंभीरता वाली धमकियाँ होती हैं क्योंकि लोग हिंसा के इरादे के बगैर अक्सर अपना असंतोष व्यक्त करने के लिए अतिशयोक्तिपूर्ण भाषा का उपयोग करते हैं. हालाँकि, बहुत गंभीर हिंसा की ऐसी धमकियों में संभावित ऑफ़लाइन नुकसान का ज़्यादा जोखिम होता है, जिनमें उच्च जोखिम वाले लोगों के लिए मौत के आह्वान होते हैं. इस केस में Meta ने पाया कि जापान के प्रधानमंत्री दोनों कैटेगरी में आते हैं. बोर्ड इस बात से वाकई चिंतित है कि “सार्वजनिक हस्तियों” और “उच्च जोखिम वाले लोगों” की पॉलिसी में दी गई परिभाषाएँ यूज़र्स के लिए पर्याप्त स्पष्ट नहीं हैं, खास तौर पर जब ये दोनों कैटेगरी मौजूद होती हैं.

बोर्ड के पुराने सुझावों के जवाब में Meta ने हिंसा फैलाने वाली भाषा और राजनैतिक अभिव्यक्ति के बीच संतुलन कायम करने के लिए पॉलिसी में कुछ काम किया है, लेकिन उसने सार्वजनिक रूप से अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि “उच्च जोखिम वाले लोग” कौन हैं. बोर्ड यह मानता है कि अगर कम्युनिटी स्टैंडर्ड में वर्णनात्मक उदाहरणों के साथ एक सामान्य परिभाषा दी जाती है, तो यूज़र्स यह समझ पाएँगे कि यह सुरक्षा व्यक्ति के पेशे, राजनैतिक गतिविधि या सार्वजनिक सेवा पर आधारित है. बोर्ड ने 2022 में ईरान में विरोध प्रदर्शन का स्लोगन केस में ऐसी एक लिस्ट ऑफ़र की थी.

ओवरसाइट बोर्ड का फ़ैसला

बोर्ड ने कंटेंट को हटाने के Meta के मूल फ़ैसले को बदल दिया है.

बोर्ड ने Meta को सुझाव दिया है कि वह:

  • “उच्च जोखिम वाले लोगों” की एक सामान्य परिभाषा देने के लिए हिंसा और उकसावे से जुड़ी पॉलिसी को अपडेट करे जिससे यह स्पष्ट हो कि उसमें राजनेताओं जैसे लोग आते हैं जिन पर हत्या या अन्य हिंसा का ज़्यादा खतरा होता है और साथ ही इस बात के वर्णनात्मक उदाहरण भी दे.
  • “उच्च जोखिम वाले लोगों” को निशाना बनाकर “मौत दो” वाक्यांश का उपयोग करके मृत्यु के आह्वान वाले कथनों के बराे में शुरुआती रिव्यूअर्स के लिए अपनी आंतरिक गाइडलाइन अपडेट करे और उसमें खास तौर पर ऐसी पोस्ट को परमिशन दे जिसमें धमकीभरी हिंसा के गैर-गंभीर और सामान्य तरीकों से असंतोष व्यक्त किया गया हो. स्थानीय संदर्भ और भाषा पर विचार किया जाना चाहिए.
  • हिंसा और उकसावे से जुड़ी पॉलिसी में सार्वजनिक हस्तियों की अपनी धमकी और उत्पीड़न की परिभाषा का हाइपरलिंक दें और साथ ही अन्य प्रासंगिक कम्युनिटी स्टैंडर्ड के लिंक दें जिनमें ऐसी हस्तियों के रेफ़रेंस मौजूद हों.

*केस के सारांश से केस का ओवरव्यू मिलता है और भविष्य में लिए जाने वाले किसी फ़ैसले के लिए इसको आधार नहीं बनाया जा सकता है.

केस का पूरा फ़ैसला

1. केस की जानकारी और बैकग्राउंड

जनवरी 2024 में, एक यूज़र ने Threads की एक पोस्ट का सार्वजनिक रूप से जवाब दिया जिसमें एक समाचार का स्क्रीनशॉट था. समाचार में चंदे से हुई आय को कम दिखाने के संबंध में प्रधानमंत्री फ़ुमियो किशिदा का बयान था जिसमें उनकी लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के सदस्य शामिल थे. बयान में किशिदा ने कहा था कि राशि में “कोई बदलाव नहीं हुआ था और वह पैसा गैर-कानूनी नहीं था.” Threads की मुख्य पोस्ट में प्रधानमंत्री की फ़ोटो थी और कैप्शन में टैक्स चोरी के लिए उनकी आलोचना की गई थी. पोस्ट पर यूज़र के जवाब में जापान की विधायी संस्था में इसका स्पष्टीकरण देने के लिए कहा गया था और उसमें विस्मयबोधक शब्द “hah” का उपयोग किया गया था. उसमें कई हैशटैग के साथ प्रधानमंत्री को टैक्स चोर कहने के लिए “死ね” शब्द (“shi-ne” के रूप में लिप्यंतरित और “drop dead/die” के रूप में अंग्रेज़ी भाषा में अनूदित) का उपयोग किया गया था और चश्मा पहनने वाले व्यक्ति के लिए अपमानजनक शब्दों का उपयोग भी किया गया था, जैसे #dietaxevasionglasses और #diefilthshitglasses (जापानी भाषा से अनूदित). पूरा कंटेंट जापानी भाषा में था.

पोस्ट और जवाब दोनों, उस समय के आसपास डाले गए थे जब प्रधानमंत्री ने संसद में इस आय को उनकी पार्टी द्वारा कथित रूप से कम दिखाने के संबंध में संसद में बयान दिया था. फ़ुमियो किशिदा, जो अक्टूबर 2021 से जापान के प्रधानमंत्री के रूप में काम कर रहे हैं, ने हाल ही में घोषणा की है कि वे लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के नेतृत्व वाले चुनाव में फिर से खड़े नहीं होंगे. यह चुनाव 27 सितंबर, 2024 को होने वाले हैं.

यूज़र के जवाब पर कोई लाइक या जवाब नहीं आए. सार्वजनिक हस्ती के लिए “मौत के आह्वान” के कारण धमकी और उत्पीड़न से जुड़ी पॉलिसी के तहत एक बार उसकी रिपोर्ट की गई थी. बैकलॉग के कारण, एक ह्यूमन मॉडरेटर ने लगभग तीन सप्ताह बाद कंटेंट का रिव्यू किया और पाया कि वह Meta की हिंसा और उकसावे से जुड़ी पॉलिसी का उल्लंघन करता है और उसे Threads से हटा दिया. इसके बाद उस यूज़र ने Meta को इसकी अपील की. दूसरे ह्यूमन रिव्यूअर ने भी पाया कि कंटेंट से हिंसा और उकसावे से जुड़ी पॉलिसी का उल्लंघन होता है. आखिर में उस यूज़र ने बोर्ड से अपील की. बोर्ड द्वारा केस को चुनने के बाद, Meta ने पाया कि पोस्ट को हटाने का उसका मूल फ़ैसला गलत था और उसने Threads पर इसे रीस्टोर कर दिया.

ओवरसाइट बोर्ड ने अपने फ़ैसले पर पहुँचने के लिए नीचे दिए गए संदर्भ पर विचार किया.

जनवरी 2024 में जब Threads पोस्ट पर यूज़र का जवाब लोगों तक पहुँचा, उसके कुछ समय पहले ही अभियोजकों ने यह संकेत दिया था कि जापान की लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के राजनेताओं ने चंदे से हुई आय को कम करके दिखाया है. खुद प्रधानमंत्री किशिदा का नाम नहीं लिया गया था.

बोर्ड द्वारा करवाई गई रिसर्च में पाया गया कि टैक्स की चोरी के आरोपों को लेकर Threads पर प्रधानमंत्री के प्रति उन अन्य पोस्ट में सामान्य असहमति और आलोचना की भावना देखी गई जिनमें “死ね” (drop dead/die) वाक्यांश का उपयोग हुआ था. बोर्ड ने जिन विशेषज्ञों से परामर्श किया, उन्होंने यह नोट किया कि जापान में राजनैतिक आलोचना पोस्ट करने के लिए लोग अक्सर सोशल मीडिया का उपयोग करते हैं. पहले भी ऑनलाइन मैसेज बोर्ड को परिणामों के डर के बिना सामाजिक असहमति व्यक्त करने के अनाम प्लेटफ़ॉर्म के रूप में उपयोग किया गया है (पब्लिक कमेंट PC-29594 और PC-29589 भी देखें).

बोर्ड ने जिन विशेषज्ञों से परामर्श किया, उनके अनुसार, हाल ही के दशकों में जापान में राजनैतिक हिंसा बहुत कम ही हुई है. इस कारण, 2022 में देश तब हैरान रह गया जब प्रधानमंत्री शिंज़ो आबे को कैंपेनिंग के दौरान मार दिया गया. अप्रैल 2023 में राजनैतिक हिंसा से जुड़ी चिंताएँ तब बढ़ गईं जब प्रधानमंत्री किशिदा के एक कैंपेन के दौरान एक व्यक्ति ने पाइप बम का उपयोग किया जिसमें पास खड़े दो लोग घायल हुए लेकिन प्रधानमंत्री को कोई नुकसान नहीं हुआ.

बोर्ड ने जिन भाषाई विशेषज्ञों से परामर्श किया, उनके अनुसार पोस्ट में उपयोग किए गए वाक्यांश आपत्तिजनक हैं और असहमति या निराशा दर्शाने के लिए इनका व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है. कुछ मामलों में “死ね” (drop dead/die) का उपयोग शाब्दिक धमकी के लिए किया जा सकता है, लेकिन सामान्य तौर पर इसका उपयोग प्रामाणिक धमकी के बिना आलंकारिक रूप से गुस्सा जताने के लिए किया जाता है (अयाको हतानो का पब्लिक कमेंट PC-29588 भी देखें).

2017 में, अभिव्यक्ति की आज़ादी पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष रैपर्टर में जापान में अभिव्यक्ति की आज़ादी पर चिंताएँ जताई गईं. ये चिंताएँ सरकारी अधिकारियों द्वारा मीडिया पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दबाव, ऐतिहासिक घटनाओं पर वाद-विवाद की सीमित क्षमता और राष्ट्रीय सुरक्षा की आड़ में जानकारी की एक्सेस पर प्रतिबंध से संबंधित थीं.

अपनी 2024 वैश्विक अभिव्यक्ति रिपोर्ट, आर्टिकल 19 में उसने जापान को 161 देशों में 30वें स्थान पर रखा. फ़्रीडम हाउस ने 2023 के नेट की आज़ादी के मूल्यांकन में जापान को “मुक्त” के रूप में वर्गीकृत किया, लेकिन ऑनलाइन मीडिया इकोसिस्टम में सरकार के हस्तक्षेप, सरकारी विनियामक संस्थाओं की कमी और ऑनलाइन अपमानों को विनियमित करने वाले हाल के विधायी संशोधनों में स्पष्ट परिभाषाओं की कमी को लेकर चिंताएँ जताईं. हालाँकि संगठन की विश्व में आज़ादी रिपोर्ट में देश को राजनैतिक और नागरिक स्वतंत्रताओं पर 100 में से 96 अंक दिए गए. जापान को लोकतंत्र और कानून के राज से जुड़े इंडेक्स पर लगातार अच्छी रेटिंग मिलती रही हैं. 2023 में वर्ल्ड जस्टिस प्रोजेक्ट के रूल ऑफ़ लॉ इंडक्स में जापान को 142 देशों में से 14वीं रैंक मिली.

2. यूज़र सबमिशन

बोर्ड को दिए अपने कथन में पोस्ट का जवाब देने वाले यूज़र ने दावा किया कि उनका उद्देश्य सिर्फ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी की सरकार की टैक्स की चोरी की अनदेखी करने और उसे बढ़ावा देने के कथित कामों की आलोचना करना था. उन्होंने कहा कि Meta द्वारा उनकी पोस्ट को हटाए जाने से जापान में अभिव्यक्ति की आज़ादी में रुकावट आई है क्योंकि इसमें एक सार्वजनिक हस्ती की आलोचना को प्रतिबंधित किया गया है.

3. Meta की कंटेंट पॉलिसी और सबमिशन

I. Meta की कंटेंट पॉलिसी

बोर्ड का विश्लेषण, Meta की अभिव्यक्ति की प्रतिबद्धता, जिसे कंपनी “सर्वोपरि” बताती है, और सुरक्षा की उसकी वैल्यू के आधार पर किया गया था. Meta ने हिंसा और उकसावे और धमकी और उत्पीड़न से जुड़ी अपनी पॉलिसीज़ के तहत कंटेंट का आकलन किया और कंटेंट को शुरुआत में हिंसा और उकसावे से जुड़ी पॉलिसी के तहत हटा दिया गया. बोर्ड द्वारा इस केस को रिव्यू के लिए चुने जाने के बाद, कंपनी ने पाया कि कंटेंट से उनकी किसी भी पॉलिसी का उल्लंघन नहीं होता.

हिंसा और उकसावे संबंधी कम्युनिटी स्टैंडर्ड

हिंसा और उकसावे के कम्युनिटी स्टैंडर्ड के पॉलिसी बनाने का कारण में कहा गया है कि Meta का “उद्देश्य ऐसे संभावित ऑफ़लाइन नुकसान को रोकना है जो उसके प्लेटफ़ॉर्म पर मौजूद कंटेंट के कारण हो सकता है" और वह इस बात को “समझता है कि लोग आम तौर पर गैर-गंभीर और अनौपचारिक ढंग से धमकी देकर या हिंसा का आह्वान करके तिरस्कार या असहमति व्यक्त करते हैं.” वह स्वीकार करता है कि: “संदर्भ महत्वपूर्ण होता है, इसलिए [Meta] हिंसक धमकियों के कई कारकों पर विचार करता है जैसे निंदा करना या जागरूकता फैलाना […] या धमकियों का लोगों को दिखाई देना और टार्गेट की संवेदनशीलता.”

यह पॉलिसी “हिंसा की ऐसी धमकियों, जिनसे किसी की जान जा सकती है (या अन्य तरह की बहुत गंभीर हिंसा हो सकती है)” से सभी लोगों को सार्वभौमिक सुरक्षा देती है. इसमें “ऐसे कथन या विज़ुअल शामिल हैं जिनमें किसी टार्गेट पर हिंसा का इरादा, महत्वाकांक्षा या आह्वान होता है.”

अप्रैल 2024 से पहले, पॉलिसी में उच्च जोखिम वाले लोगों सहित कुछ खास लोगों और समूहों के प्रति “ऐसी धमकियों को प्रतिबंधित किया गया था जिनसे गंभीर चोट पहुँच सकती थी (कुछ हद तक गंभीर हिंसा) और जिनमें पुरानी हिंसा की स्विकारोक्ति थी.” अप्रैल 2024 में, Meta ने इस पॉलिसी को अपडेट किया और धमकियों की प्रामाणिकता पर ध्यान दिए बगैर सभी लोगों को ऐसी धमकियों से सार्वभौमिक सुरक्षा दी. यह सुरक्षा सिर्फ़ उन धमकियों पर लागू नहीं होती जो “सार्वजनिक हस्तियों को दी गई थीं” और उनमें पॉलिसी के अनुसार धमकी का “प्रामाणिक” होना ज़रूरी है. पॉलिसी के मौजूदा वर्जन में “उच्च जोखिम वाले लोगों” का एकमात्र उल्लेख उन कम गंभीर धमकियों से संबंधित है जिनमें अभी भी “आम वयस्कों, सभी बच्चों, उच्च जोखिम वाले लोगों और सुरक्षित विशिष्टता के आधार पर लोगों और समूहों के लिए अतिरिक्त सुरक्षा” की परमिशन दी जाती है.

पॉलिसी की लोगों को दिखाई देने वाली भाषा में “उच्च जोखिम वाले लोगों” को परिभाषित नहीं किया गया है. हालाँकि, रिव्यूअर्स को दी जाने वाली Meta की आतंरिक गाइडलाइन में उच्च जोखिम वाले लोगों की एक लिस्ट है जिसमें राष्ट्र प्रमुख; पूर्व राष्ट्र प्रमुख; राष्ट्र प्रमुख पद के उम्मीदवार और पूर्व उम्मीदवार; अगर चुने नहीं गए हैं, तो चुनावों के बाद 30 दिनों तक राष्ट्रीय और राष्ट्रीय से बड़े चुनावों के उम्मीदवार; कार्यकर्ता और पत्रकार शामिल हैं (ईरान में विरोध प्रदर्शन का स्लोगन फ़ैसला देखें).

धमकी और उत्पीड़न से जुड़ा कम्युनिटी स्टैंडर्ड

Meta का धमकी और उत्पीड़न से जुड़ा कम्युनिटी स्टैंडर्ड, “धमकी देने” सहित लोगों के लिए उपयोग किए गए दुर्व्यवहारों के विभिन्न रूपों को प्रतिबंधित करता है और “चर्चा को संभव बनाने” के लिए वह “सार्वजनिक हस्तियों और आम लोगों में अंतर करता है” क्योंकि चर्चा में अक्सर समाचार में शामिल लोगों या बड़ी सार्वजनिक ऑडियंस वाले लोगों की गंभीर कमेंटरी होती है.” यह पॉलिसी, सार्वजनिक हस्तियों पर “गंभीर” हमलों को प्रतिबंधित करती है. साथ ही वह ऐसे खास हमलों को भी प्रतिबंधित करती है जिनमें सार्वजनिक हस्ती का “जान-बूझकर नाम लिया गया हो” जिसे “पोस्ट या कमेंट में किसी सार्वजनिक हस्ती को सीधे टैग करने” के रूप में परिभाषित किया गया है.

पॉलिसी के अनुसार “सार्वजनिक हस्ती” में “राज्य और राष्ट्रीय स्तर के सरकारी अधिकारी, इन विभागों के लिए खड़े होने वाले राजनैतिक उम्मीदवार, सोशल मीडिया पर दस लाख से ज़्यादा फ़ैन या फ़ॉलोअर वाले लोगों और समाचारों में अच्छी जगह पाने वाले लोग” शामिल हैं.

II. Meta के सबमिशन

Meta ने बोर्ड को बताया कि हैशटैग में “死ね” (drop dead/die) शब्द से इस केस में पॉलिसी का उल्लंघन नहीं हुआ. Meta इस उपयोग को एक ऐसा राजनैतिक कथन मानता है जिसमें आलंकारिक भाषा का उपयोग किया गया है और यह मृत्यु का प्रामाणिक आह्वान नहीं है. कंपनी ने बताया कि शुरुआती रिव्यू में वह मृत्यु की प्रामाणिक धमकियों और राजनैतिक बात कहने के लिए उपयोग की गई आलंकारिक भाषा के बीच अंतर नहीं करती. इसी कारण शुरुआत में इस कंटेंट को हटा दिया गया.

Meta ने बोर्ड से कहा कि कंपनी की हिंसा और उकसावे और धमकी और उत्पीड़न से जुड़ी पॉलिसीज़ में प्रधानमंत्री किशिदा को एक सार्वजनिक हस्ती माना गया है जबकि पोस्ट का जवाब देने वाले यूज़र को सार्वजनिक हस्ती नहीं माना गया है. Meta ने बोर्ड को यह भी बताया कि हिंसा और उकसावे से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड के तहत प्रधानमंत्री किशिदा को “उच्च जोखिम वाला व्यक्ति” माना गया है.

हिंसा और उकसावे संबंधी कम्युनिटी स्टैंडर्ड

अपनी हिंसा और उकसावे से जुड़ी पॉलिसी के तहत, Meta इन्हें प्रतिबंधित करता है: “हिंसा की ऐसी धमकियाँ, जिनसे किसी की जान जा सकती है (या अन्य तरह की बहुत गंभीर हिंसा हो सकती है).” ह्यूमन रिव्यूअर्स के लिए अपनी गैर-सार्वजनिक गाइडलाइन में, Meta ने नोट किया कि अगर उच्च जोखिम वाले लोगों के लिए मृत्यु के आह्वान में “मौत दो” शब्दों का उपयोग किया गया हो, तो वह उस कंटेंट को हटा देता है. Meta ने बोर्ड से कहा कि उच्च जोखिम वाले लोगों की अवधारणा इस पॉलिसी तक सीमित है और इसमें राजनेता आते हैं जिन्हें हत्या या अन्य हिंसा का ज़्यादा खतरा हो सकता है.

Meta ने यह स्वीकार किया कि हर केस में “मौत दो” और “मरने” के बीच अंतर बनाए रखना कठिन है, खास तौर पर जब मूल भाषा में इन दोनों के अर्थों के बीच ज़्यादा अंतर न हो. इस केस में, कंटेंट में #dietaxevasionglasses और #diefilthshitglasses (जापानी भाषा से अनूदित) के ज़रिए “मरना” वाक्यांशों का उपयोग किया गया है, न कि “मौत दो” का उपयोग किया गया है. इसके अलावा, Meta ने नोट किया कि भले ही उसने “मरना” और “मौत दो” से समान व्यवहार किया है (मौत माँगने के रूप में), अगर इस कंटेंट को एस्केलेट किया जाता तो वह उसे नहीं हटाती क्योंकि वह एक गैर-शाब्दिक धमकी होगी जो पॉलिसी की भावना का उल्लंघन नहीं करती. पॉलिसी की भावना से जुड़ी छूट में ऐसे कंटेंट को परमिशन दी गई है जब पॉलिसी की कठोर व्याख्या से ऐसा परिणाम निकलता है जो पॉलिसी के इरादे से अलग होता है (श्रीलंका फ़ार्मास्यूटिकल्स फ़ैसला देखें). Meta ने धमकी को गैर-शाब्दिक माना क्योंकि हैशटैग और जवाब के अन्य शब्द जापान की विधायिका के समक्ष सुनवाई के ज़रिए राजनैतिक जवाबदेही से जुड़े थे. वैसे तो किसी राजनेता को किसी विधायी संस्था के समक्ष जवाबदेह ठहराने की माँग करना दर्शाता है कि मौत की धमकी आलंकारिक थी, न कि शाब्दिक. इन कारणों से, Meta ने पाया कि कंटेंट से हिंसा और उकसावे की पॉलिसी का उल्लंघन नहीं होता.

धमकी और उत्पीड़न से जुड़ा कम्युनिटी स्टैंडर्ड

Meta ने बोर्ड को बताया कि कंटेंट से उसकी धमकी और उत्पीड़न की पॉलिसी का उल्लंघन नहीं होता क्योंकि कंटेंट में किसी सार्वजनिक हस्ती का “जान-बूझकर नाम” नहीं लिया गया है. यूज़र ने प्रधानमंत्री किशिदा को टैग नहीं किया या उनके कमेंट का जवाब नहीं दिया और न ही प्रधानमंत्री के पेज पर कंटेंट पोस्ट किया है. इसलिए Meta ने यह तय किया कि कंटंट में प्रधानमंत्री किशिदा का नाम जान-बूझकर नहीं लिया गया है और धमकी के शाब्दिक होने पर भी उससे धमकी और उत्पीड़न से जुड़ी पॉलिसी का उल्लंघन नहीं होता.

बोर्ड ने Meta से 19 लिखित सवाल पूछे. सवाल, जापान में Meta के एन्फ़ोर्समेंट व्यवहारों और रिसोर्स, शुरुआती रिव्यू करने वाले रिव्यूअर्स को दी जाने वाली ट्रेनिंग और स्थानीय संदर्भ में उनके उपयोग, पॉलिसी के अनुसार कंटेंट को आगे एस्केलेट करने की प्रोसेस, सिर्फ़ एस्केलेशन पर उच्च जोखिम वाले लोगों के खिलाफ़ मौत की धमकियों को एन्फ़ोर्स करने की व्यवहार्यता, Threads पर बैकलॉग के Meta द्वारा रिव्यू और ऑटोमेटेड पहचान क्षमताओं से संबंधित थे. Meta ने 17 सवालों के पूरे जवाब दिए और दो सवालों के आंशिक जवाब दिए. कंपनी ने जापान में रिव्यू बैकलॉग और कंटेंट को हटाने की सरकार की रिक्वेस्ट से जुड़े सवालों के आंशिक जवाब दिए.

4. पब्लिक कमेंट

ओवरसाइट बोर्ड को पब्लिक कमेंट सबमिट करने की शर्तों को पूरा करने वाले 20 कमेंट मिले: 13 कमेंट एशिया पैसिफ़िक और ओशियानिया से, तीन अमेरिका और कनाडा से, तीन यूरोप से और एक मध्य और दक्षिण एशिया से सबमिट किया गया था. प्रकाशन की सहमति के साथ सबमिट किए गए पब्लिक कमेंट पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें.

सबमिशन में इन विषयों पर बात की गई थी: जापान का सामाजिक-राजनैतिक संदर्भ; राजनेताओं के खिलाफ़ हिंसा की ऑनलाइन धमकियाँ और अभिव्यक्ति की आज़ादी की सीमाएँ; जापान में राजनैतिक बातचीत में आलंकारिक धमकियों या हिंसा के आह्वान का उपयोग; “drop dead/die” वाक्यांश का भाषाई संदर्भ; और Threads पर यूज़र जिन पेजों को फ़ॉलो नहीं करते, उनके राजनैतिक कंटेंट का सुझाव न देने का Meta का विकल्प.

5. ओवरसाइट बोर्ड का विश्लेषण

बोर्ड ने इस बात का परीक्षण किया कि क्या Meta की कंटेंट पॉलिसी, मानवाधिकार ज़िम्मेदारियों और वैल्यू का विश्लेषण करके इस कंटेंट को हटा दिया जाना चाहिए. बोर्ड ने यह भी आकलन किया कि कंटेंट गवर्नेंस को लेकर Meta के व्यापक दृष्टिकोण पर इस केस का क्या असर पड़ेगा.

5.1 Meta की कंटेंट पॉलिसी का अनुपालन

I. कंटेंट से जुड़े नियम

हिंसा और उकसावे संबंधी कम्युनिटी स्टैंडर्ड

बोर्ड ने पाया कि इस केस का कंटेंट, हिंसा और उकसावे से जुड़ी पॉलिसी का उल्लंघन नहीं करता, जो “हिंसा की ऐसी धमकियों को प्रतिबंधित करती है, जिनसे किसी की जान जा सकती है (या अन्य तरह की बहुत गंभीर हिंसा हो सकती है).” “死ね” (drop dead/die) वाक्यांश का उपयोग गैर-शाब्दिक तरीके से किया गया था और वह कोई प्रामाणिक धमकी नहीं है.

बोर्ड ने जिन भाषाई विशेषज्ञों से परामर्श किया, उन्होंने कहा कि भले ही कभी-कभी इस वाक्यांश का उपयोग किसी व्यक्ति के जीवन को शाब्दिक धमकी देने के लिए किया जा सकता है, लेकिन मोटे तौर पर इसका उपयोग नापसंद और असहमति के कथन के रूप में आलंकारिक अर्थों में किया जाता है. विशेषज्ञों ने पाया कि इस कंटेंट में इस शब्द का उपयोग आलंकारिक कैटेगरी में आता है. Threads और अन्य प्लेटफ़ॉर्म पर इस वाक्यांश की घटना का परीक्षण करने वाले डेटा विशेषज्ञ इस नतीजे पर पहुँचे कि इस शब्द का आम तौर पर आलंकारिक या व्यंग्यात्मक तरीके से उपयोग किया जाता है. इसमें उन यूज़र्स के उदाहरण शामिल हैं जो रिपोर्ट करते हैं कि वे दर्द से “मर” रहे हैं या जो ऐसी इच्छा करते हैं कि दूसरे यूज़र्स जो कमेंट करते हैं, उनके कारण वे “मर” जाएँ.

जवाब खुद भी यह दर्शाता है कि वाक्यांश का स्वरूप आलंकारिक है. Threads पोस्ट पर यूज़र के जवाब में राष्ट्रीय टैक्स एजेंसी के प्रमुख से राष्ट्रीय विधायी संस्था के समक्ष प्रस्तुत होने और धोखाधड़ी के आरोपों पर सफ़ाई देने की माँग की गई है. जवाब में विस्मयकारी शब्द “hah” को भी शामिल किया गया है. बोर्ड के दृष्टिकोण में “hah” शब्द, जिसका उपयोग आम तौर पर हैरानी या व्यंग्य के रूप में किया जाता है, “死ね” (drop dead/die) शब्द का गैर-शाब्दिक अर्थ दर्शाता है. इसी तरह बोर्ड, Meta के इस आकलन से सहमत है कि यूज़र द्वारा सुझाया गया यह समाधान कि किशिदा को देश की विधायी संस्था में जवाबदेह बनाया जाए, यह दर्शाता है कि कंटेंट, मौत के आह्वान के बजाय राजनैतिक आलोचना है.

बोर्ड स्वीकार करता है कि जापान में हाल ही घटनाओं से किसी राजनेता की मौत के किसी भी आह्वान को संवेदनशील माना जाता है. 2022 में प्रधानमंत्री आबे की हत्या और 2023 में प्रधानमंत्री किशिदा के पास पाइप बम के उपयोग ने मौत की प्रामाणिक धमकियों को गंभीरता से लेने के महत्व को हाइलाइट किया है. इस केस में, हालाँकि, मौत का आह्वान बिल्कुल भी प्रामाणिक नहीं था.

धमकी और उत्पीड़न से जुड़ा कम्युनिटी स्टैंडर्ड

बोर्ड ने यह पाया कि इस केस से जुड़ा कंटेंट, धमकी और उत्पीड़न से जुड़ी पॉलिसी का उल्लंघन नहीं करता है. बोर्ड इस बात पर Meta से सहमत है कि भले ही प्रधानमंत्री किशिदा सार्वजनिक हस्ती होने की शर्तें पूरी करते हैं, उनका नाम कंटेंट में “जान-बूझकर नहीं लिया गया है.” यूज़र ने सीधे प्रधानमंत्री किशिदा के पेज पर जवाब पोस्ट नहीं किया है और उन्हें टैग नहीं किया, इसलिए कंटेंट में सीधे प्रधानमंत्री को संबोधित नहीं किया गया.

5.2 Meta की मानवाधिकारों से जुड़ी ज़िम्मेदारियों का अनुपालन

बोर्ड ने पाया कि कंटेंट को प्लेटफ़ॉर्म से हटाना, Meta की मानवाधिकार से जुड़ी ज़िम्मेदारियों से अनुरूप नहीं था.

अभिव्यक्ति की आज़ादी (आर्टिकल 19 ICCPR)

नागरिक और राजनैतिक अधिकारों पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिज्ञापत्र (ICCPR) के अनुच्छेद 19 में “राजनैतिक डोमेन और सार्वजनिक संस्थानों में सार्वजनिक हस्तियों से जुड़ी सार्वजनिक चर्चाओं” के लिए “खास तौर पर उच्च” सुरक्षा प्रदान की गई है (सामान्य कमेंट सं. 34, पैरा. 38). जहाँ राज्य, अभिव्यक्ति पर प्रतिबंध लगाता है, वहाँ प्रतिबंधों को वैधानिकता, वैधानिक लक्ष्य और आवश्यकता तथा आनुपातिकता की शर्तों को पूरा करना चाहिए (अनुच्छेद 19, पैरा. 3, ICCPR). इन आवश्यकताओं को अक्सर “तीन भागों वाला परीक्षण” कहा जाता है. बोर्ड इस फ़्रेमवर्क का उपयोग बिज़नेस और मानवाधिकारों से जुड़े संयुक्त राष्ट्र संघ के मार्गदर्शक सिद्धांतों के अनुरूप Meta की मानवाधिकार ज़िम्मेदारियों को समझने के लिए करता है, जिसके लिए Meta ने खुद अपनी कॉर्पोरेट मानवाधिकार पॉलिसी में प्रतिबद्धता जताई है. बोर्ड ऐसा इसलिए करता है कि वह रिव्यू के लिए आए कंटेंट से जुड़े अलग-अलग फ़ैसले ले सके और यह समझ सके कि कंटेंट मॉडरेशन से जुड़ा Meta का व्यापक दृष्टिकोण क्या है. जैसा कि अभिव्यक्ति की आज़ादी के बारे में संयुक्त राष्ट्र संघ के रैपर्टर ने कहा है कि अभिव्यक्ति के मामले में भले ही “कंपनियों को सरकारों की तरह कानूनी दायित्वों को पूरा नहीं करना होता है, फिर भी कंपनियों का लोगों पर काफ़ी प्रभाव पड़ता है. ऐसे में यह ज़रूरी हो जाता है कि वे अपने यूज़र्स की अभिव्यक्ति की आज़ादी से जुड़े अधिकार की रक्षा को लेकर उठने वाले समान सवालों पर ध्यान देकर उनका समाधान करे.” ( A/74/486, पैरा. 41). बोर्ड ने किसी राष्ट्र प्रमुख के खिलाफ़ राजनैतिक भाषा के महत्व को मान्यता दी है क्योंकि ऐसे नेता कानूनी रूप से आलोचना और राजनीतिक विरोध के अधीन होते हैं, भले ही इसमें आपत्तिजनक शब्दों का उपयोग किया जाए (ईरान में विरोध प्रदर्शन का स्लोगन और कोलंबिया के विरोध प्रदर्श फ़ैसले देखें; सामान्य कमेंट सं. 34, पैरा. 11 और 38).

I. वैधानिकता (नियमों की स्पष्टता और सुलभता)

वैधानिकता के सिद्धांत के लिए यह ज़रूरी है कि अभिव्यक्ति को सीमित करने वाले नियमों को एक्सेस किया जा सकता हो और वे स्पष्ट हों. उन्हें पर्याप्त सटीकता के साथ बनाया गया हो ताकि लोग अपने व्यवहार को उसके अनुसार बदल सकें (सामान्य कमेंट सं. 34, पैरा. 25). इसके अलावा, ये नियम “उन लोगों को अभिव्यक्ति की आज़ादी पर प्रतिबंध लगाने के निरंकुश अधिकार नहीं दे सकते, जिनके पास इन नियमों को लागू करने की ज़िम्मेदारी है” और नियमों में “उन लोगों के लिए पर्याप्त मार्गदर्शन भी होना ज़रूरी है जिन पर इन्हें लागू करने की ज़िम्मेदारी है ताकि वे यह पता लगा सकें कि किस तरह की अभिव्यक्ति को उचित रूप से प्रतिबंधित किया गया है और किसे नहीं,” (पूर्वोक्त). अभिव्यक्ति की आज़ादी पर संयुक्त राष्ट्र संघ के विशेष रैपर्टर ने कहा है कि ऑनलाइन अभिव्यक्ति की निगरानी करने के मामले में निजी संस्थानों पर लागू होने वाले नियम स्पष्ट और विशिष्ट होने चाहिए (A/HRC/38/35, पैरा. 46). Meta के प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करने वाले लोगों के लिए ये नियम एक्सेस करने और समझने लायक होने चाहिए और उनके एन्फ़ोर्समेंट के संबंध में कंटेंट रिव्यूअर्स को स्पष्ट मार्गदर्शन दिया जाना चाहिए.

बोर्ड ने पाया कि उच्च जोखिम वाले लोगों के लिए “मौत दो” वाक्यांश का उपयोग करने मौत के आह्वान पर प्रतिबंध, यूज़र्स के लिए पर्याप्त रूप से स्पष्ट और ऐक्सेस लायक नहीं है.

धमकी की प्रामाणिकता का मूल्यांकन करते समय, पॉलिसी बनाने का कारण इस बात पर विचार करने की परमिशन देता है कि कंटेंट को किस संदर्भ में पोस्ट किया गया है, जैसे कि क्या कंटेंट को आलोचना करने, जागरूकता फैलाने और गैर-गंभीर या अनौपचारिक धमकियों के रूप में पोस्ट किया गया है. हालाँकि, पॉलिसी बनाने के कारण में यह नहीं बताया गया है कि गैर-शाब्दिक कथनों को प्रामाणिक धमकियों से कैसे अलग किया जाए. जैसा कि बोर्ड ने ईरान में विरोध प्रदर्शन का स्लोगन केस में नोट किया था, शुरुआती रिव्यू करने वाले ह्यूमन रिव्यूअर्स, किसी टार्गेट के खिलाफ़ मौत के आह्वान जैसे संकेतों या शर्तों पर आधारित विशिष्ट गाइडलाइन का पालन करते हैं. उन्हें किसी धमकी के इरादे या प्रामाणिकता का आकलने करने के अधिकार नहीं दिए गए हैं, इसलिए अगर पोस्ट में “मौत दो” या “अचानक मर जाए” (इस केस की तरह) जैसे धमकी वाले कथन और उसका टार्गेट मौजूद होता है, तो उसे हटा दिया जाता है. बोर्ड ने इसलिए ईरान में विरोध प्रदर्शन का स्लोगन केस के सुझाव नं. 1 को दोहराया, जिसमें कहा गया है कि Meta को हिंसा और उकसावे से जुड़ी पॉलिसी की लोगों को दिखाई देने वाली भाषा में एक स्पष्टीकरण शामिल करना चाहिए कि “मौत दो” वाक्यांश का उपयोग करने वाली आलंकारिक धमकियों को सामान्य तौर पर परमिशन दी जाती है, सिर्फ़ उन स्थितियों को छोड़कर जहाँ उनका निशाना उच्च जोखिम वाले लोग होते हैं. साथ ही वह उन स्थितियों के बारे में भी बताए जब किसी देश के प्रमुख के लिए उपयोग किए गए धमकी वाले कथनों को स्पष्ट आलंकारिक राजनैतिक अभिव्यक्ति की रक्षा के लिए परमिशन दी जाती है.

पॉलिसी, “सार्वजनिक हस्तियों” और “उच्च जोखिम वाले लोगों” के साथ उसके व्यवहार के बारे में पर्याप्त रूप से स्पष्ट भी नहीं है. पॉलिसी अभी सार्वजनिक हस्तियों को कम सुरक्षा देती है, इस बात को नोट करते हुए कि सार्वजनिक हस्तियों के लिए मध्यम गंभीरता की हिंसा की धमकियों को “प्रामाणिक” होने पर ही हटाया जाता है, जबकि अन्य लोगों को लिए ऐसी धमकियों को “प्रामाणिकता पर ध्यान दिए बगैर” हटा दिया जाता है. इसके विपरीत, यह पॉलिसी उच्च जोखिम वाले लोगों को ऐसे समूहों के लिए “अतिरिक्त सुरक्षा” की पॉलिसी लाइन का उल्लेख करते हुए ज़्यादा सुरक्षा देती है. जैसा कि ऊपर नोट किया गया है, उच्च जोखिम वाले लोगों को टार्गेट करके कहे गए “मौत दो” वाले कथनों को हटाने का निर्देश देकर आंतरिक मार्गदर्शन भी उच्च जोखिम वाले लोगों को ज़्यादा सुरक्षा देता है. बोर्ड के सवाल के जवाब में Meta ने बताया कि पॉलिसी में सार्वजनिक हस्तियों को निशाना बनाकर दी गई मध्यम गंभीरता वाली धमकियों वाली अभिव्यक्ति को ज़्यादा सुरक्षा दी गई है क्योंकि लोग अक्सर वयस्क सार्वजनिक हस्तियों से कठोर भाषा का उपयोग करके नफ़रत या असहमति व्यक्त करते हैं लेकिन उनका इरादा हिंसा भड़काने का नहीं होता. इसके विपरीत, बहुत गंभीर हिंसा की धमकियों के साथ संभावित ऑफ़लाइन नुकसान का जोखिम भी जुड़ा होता है जिसमें उच्च जोखिम वाले लोगों के लिए मौत के आह्वान शामिल हैं. इस केस में, Meta ने माना कि प्रधानमंत्री किशिदा इन दोनों कैटेगरी में आते हैं. बोर्ड इस बात से चिंतित है कि “सार्वजनिक हस्तियों” और “उच्च जोखिम वाले लोगों” की हिंसा और उकसावे से जुड़ी पॉलिसी में दी गई परिभाषाएँ, यूज़र्स को किसी भी कैटेगरी को समझने के लिए पर्याप्त स्पष्टता नहीं देतीं और इस बारे में बहुत ही कम जानकारी है कि अगर दोनों कैटेगरी मौजूद हैं तो क्या होगा.

ईरान में विरोध प्रदर्शन का स्लोगन केस में, बोर्ड ने Meta को यह सुझाव दिया कि वह हिंसा और उकसावे से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड को संशोधित करके उच्च जोखिम वाले लोगों की एक उदाहरणात्मक लिस्ट शामिल करे और यह बताए कि कैटेगरी में राष्ट्रप्रमुख भी हो सकते हैं. उस फ़ैसले के प्रकाशन के बाद, Meta नो हिंसा फैलाने वाली भाषा और राजनैतिक अभिव्यक्ति के बीच बेहतर संतुलन कायम करने के लिए एक पॉलिसी डेवलपमेंट प्रोसेस शुरू की. इसके बावजूद, कंपनी ने सार्वजनिक रूप से यह स्पष्ट नहीं किया कि उच्च जोखिम वाले लोगों में कौन आते हैं. इस केस पर काम करते समय, बोर्ड ने Meta के साथ एक ब्रीफ़िंग सेशन आयोजित किया जहाँ कंपनी ने बताया कि उच्च जोखिम वाले लोगों की उसकी आंतरिक परिभाषा को प्रकाशित करने से कुछ यूज़र्स मौजूद पॉलिसीज़ और एन्फ़ोर्समेंट गाइडलाइन में रुकावट डाल सकते हैं.

बोर्ड, Meta की इस चिंता को स्वीकार करता है कि अगर विस्तृत गाइडलाइन प्रकाशित कर दी जाती हैं, तो कुछ यूज़र्स को स्थापित एन्फ़ोर्समेंट नियमों से बचने का रास्ता मिल जाएगा. हालाँकि, बोर्ड मानता है कि Meta को सभी या कुछ भी नहीं वाला दृष्टिकोण नहीं अपनाना चाहिए. इसके बजाय, Meta को उच्च जोखिम वाले लोगों की एक सामान्य परिभाषा और उदाहरणों की एक लिस्ट प्रकाशित करनी चाहिए. इस दृष्टिकोण से यूज़र्स इस बात को समझेंगे कि इन लोगों की सुरक्षा उनके पेशे, राजनैतिक गतिविधि, सार्वजनिक सेवा या उच्च जोखिम वाली किसी अन्य गतिविधि पर आधारित है. बोर्ड यह मानता है कि ऐसे दृष्टिकोण से एन्फ़ोर्समेंट की कुशलता बाधित नहीं होगी. वास्तव में ईरान में विरोध प्रदर्शन का स्लोगन केस में Meta से एग्रीमेंट के तहत बोर्ड ऐसी लिस्ट पहले ही यह नोट करते हुए ऑफ़र कर चुका है: “राष्ट्र प्रमुखों के अलावा, उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों के अन्य उदाहरणों में ये शामिल हैं: राष्ट्रों के पूर्व प्रमुख; राष्ट्र प्रमुख पद के उम्मीदवार और पूर्व उम्मीदवार; अगर चुने नहीं गए हैं, तो चुनावों के बाद 30 दिनों तक राष्ट्रीय और राष्ट्रीय से बड़े चुनावों के उम्मीदवार; हत्या के प्रयास के इतिहास वाले लोग; कार्यकर्ता और पत्रकार.” यह देखते हुए कि ये उदाहरण पहले ही लोगों के पास मौजूद हैं, उन्हें कम्युनिटी स्टैंडर्ड में भी शामिल किया जाना चाहिए.

ईरान में विरोध प्रदर्शन का स्लोगन केस में बोर्ड के निष्कर्षों और हिंसा और उकसावे से जुड़ी पॉलिसी में Meta द्वारा पहले ही लागू किए जा चुके अपडेट के आधार पर, बोर्ड ने सुझाव दिया कि Meta यह स्पष्ट करते हुए उच्च जोखिम वाले लोगों की एक सामान्य परिभाषा दे कि उच्च जोखिम वाले लोगों में राजनेताओं जैसे ऐसे लोग आते हैं जिन पर हत्या या अन्य हिंसा होने के जोखिम ज़्यादा होता है और साथ ही वह दृष्टांत उदाहरण भी दे, जैसी कि ईरान में विरोध प्रदर्शन का स्लोगन केस में चर्चा की जा चुकी है.

II. वैधानिक लक्ष्य

अभिव्यक्ति की आज़ादी पर लगाए जाने वाले किसी भी प्रतिबंध में ICCPR में सूचीबद्ध कानूनी लक्ष्यों में से एक या एक से ज़्यादा को पूरा किया जाना चाहिए. हिंसा और उकसावे के कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उद्देश्य ऐसे कंटेंट को हटाकर “ऑफ़लाइन नुकसान की संभावना को रोकना है” जिसमें “जान और माल के नुकसान का वास्तविक जोखिम या लोगों की सुरक्षा को सीधे खतरा” होता है. यह पॉलिसी जीने के अधिकार और व्यक्ति की सुरक्षा के अधिकार का विधिसम्मत लक्ष्य पूरा करती है (अनुच्छेद 6, ICCPR; अनुच्छेद 9 ICCPR).

III. आवश्यकता और आनुपातिकता

ICCPR के आर्टिकल 19(3) के तहत, आवश्यकता और आनुपातिकता के सिद्धांत के अनुसार यह ज़रूरी है कि अभिव्यक्ति की आज़ादी पर लगाए जाने वाले प्रतिबंध “उनके सुरक्षात्मक कार्य को सही तरीके से पूरा करने वाले होने चाहिए; उनसे उन लोगों के अधिकारों के साथ कम से कम हस्तक्षेप होना चाहिए, जिन अधिकारों से उन्हें सुरक्षात्मक कार्यों का लाभ मिल सकता है; उन हितों के अनुसार सही अनुपात में होने चाहिए, जिनकी सुरक्षा की जानी है” (सामान्य कमेंट सं. 34, पैरा. 34).

बोर्ड ने पाया कि Meta की हिंसा और उकसावे से जुड़ी पॉलिसी के तहत कंटेंट को हटाने का उसका मूल फ़ैसला ज़रूरी नहीं था, क्योंकि वह प्रधानमंत्री किशिदा की सुरक्षा सुनिश्चित करने के सबसे कम बाधक तरीका नहीं था. यह विश्लेषण इस केस की मुख्य बात है क्योंकि यह फिर से हमें इस चुनौतीपूर्ण समस्या की ओर ले जाता है कि Meta को आलंकारिक और प्रामाणिक धमकियों के बीच कैसे अंतर करना चाहिए. बोर्ड पहले ही ईरान में विरोध प्रदर्शन का स्लोगन, ईरानी महिला से सड़क पर हुज्जत और पाकिस्तानी संसद में दिए गए भाषण की रिपोर्टिंग केसों में आलंकारिक धमकियों के खिलाफ़ एन्फ़ोर्समेंट की अधिकता पर बार-बार अपनी चिंता जता चुका है. ये केस इस विचाराधीन केस से अलग हो सकते हैं क्योंकि उनमें स्लोगन, विरोध के योजनाबद्ध आंदोलन या नज़ीदकी चुनावों की चर्चा की गई थी. फिर भी मुख्य मुद्दा वही है कि हिंसा की गैर-प्रामाणिक धमकी के कारण राजनैतिक अभिव्यक्ति पर प्रतिबंध लगाया गया. बोर्ड मानता है कि Meta को ऐसी चर्चाओं को परमिशन देनी चाहिए और अनावश्यक रुकावटें डाले बगैर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यूज़र अपने राजनैतिक विचार व्यक्त कर सकें, जिनमें राजनेताओं के कामों और व्यवहारों से नापसंद या असहमति जाहिर करना शामिल है.

हालाँकि, बोर्ड इस बात से चिंतित है कि Meta की हिंसा और उकसावे से जुड़ी पॉलिसी अभी भी शाब्दिक और आलंकारिक धमकियों को स्पष्ट रूप से अलग-अलग नहीं करती. इस समस्या पर आगे यह तथ्य बताते हुए ज़ोर दिया गया कि इस केस के कंटेंट को दो ह्यूमन मॉडरेटर्स ने उल्लंघन करने वाला चिह्नित किया. Meta के अनुसार ये मॉडरेटर्स जापानी भाषा के जानकार थे और स्थानीय सामाजिक-राजनैतिक संदर्भ से परिचित थे.

रबात एक्शन प्लान में बताए गए छह कारक (संदर्भ, वक्ता, इरादा, अभिव्यक्ति का कंटेंट, अभिव्यक्ति का दायरा और तात्कालिक नुकसान की आशंका) धमकियों की प्रामाणिकता के आकलन में मूल्यवान मार्गदर्शन देते हैं. भले ही रबात फ़्रेमवर्क को राष्ट्रीय, नस्लीय या धार्मिक नफ़रत के उकसावे का आकलन करने के लिए बनाया गया था, छह कारकों वाला टेस्ट सामान्य तौर पर भी हिंसा के उकसावे का आकलन करने के लिए उपयोगी है (उदाहरण के लिए ईरान में विरोध प्रदर्शन का स्लोगन और क्यूबा में महिलाओं से विरोध प्रदर्शन का आह्वान फ़ैसले देखें). Meta की इस मूल मान्यता को देखते हुए कि कंटेंट को हटाना, प्रधानमंत्री किशिदा की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ज़रूरी है, बोर्ड ने इस केस में कथित धमकी की प्रामाणिकता का आकलन करने के लिए छह कारकों का उपयोग किया.

कंटेंट को 2023 के टैक्स धोखाधड़ी कांड के दौरान पोस्ट किया गया था जिसमें प्रधानमंत्री किशिदा की पार्टी शामिल थी. बोर्ड ने जिन विशेषज्ञों से परामर्श किया, उन्होंने बताया कि भले ही जापान में राजनैतिक आलोचना की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन ऑनलाइन धमकियों और जापानी राजनेता पर हाल ही में हुई हिंसा के बीच कोई स्पष्ट लिंक नहीं है. यूज़र के 1,000 से भी कम फ़ॉलोअर थे और वह कोई सार्वजनिक हस्ती भी नहीं था, कंटेंट को कोई लाइक या व्यू भी नहीं मिला था जो दर्शाता है कि जवाब में लोगों की दिलचस्पी बहुत कम थी. यूज़र का इरादा कठोर भाषा का उपयोग करके राजनैतिक भ्रष्टाचार की ओर ध्यान खींचते हुए राजनैतिक आलोचना करना लगा, जो जापानी सोशल मीडिया में असामान्य बात नहीं है (पब्लिक कमेंट PC-29589 और PC-29594 देखें) और उससे तात्कालिक नुकसान होने की आशंका भी नहीं थी.

बोर्ड इस बात को मानता है कि हिंसा की धमकियों की प्रामाणिकता का आकलन करना संदर्भ विशिष्ट और बहुत मुश्किल अभ्यास है, खास तौर पर जब उसे वैश्विक स्तर पर कंटेंट पर एन्फ़ोर्स किया जाए. बोर्ड यह भी समझता है कि Meta, एस्केलेशन के समय धमकियों की प्रामाणिकता का ज़्यादा सटीक मूल्यांकन कर सकता है. बोर्ड ने यह सुझाव देने पर विचार किया कि Meta, उच्च जोखिम वाले लोगों के लिए “मौत दो” वाक्यांश का उपयोग करने वाली धमकियों को प्रतिबंधित करने वाली पॉलिसी सिर्फ़ एस्केलेशन के समय एन्फ़ोर्स करे. एस्केलेशन के समय लागू होने वाली पॉलिसीज़ को कंटेंट पर एन्फ़ोर्स करने के लिए अतिरिक्त संदर्भ की ज़रूरत होती है और उसमें विषयवस्तु विशेषज्ञों द्वारा फ़ैसले लिए जाते हैं, न कि शुरुआती ह्यूमन मॉडरेटर्स द्वारा जो सबसे पहले कंटेंट का रिव्यू करते हैं. बोर्ड इस बात को समझता है कि Meta के विषयवस्तु विशेषज्ञों की संख्या, शुरुआती रिव्यू करने वाले ह्यूमन रिव्यूअर्स की संख्या से बहुत कम है, इसलिए विषयवस्तु विशेषज्ञों की क्षमता सीमित है. इस तरह से, अगर इस पॉलिसी का एन्फ़ोर्समेंट सिर्फ़ एस्केलेशन के समय किया जाता है, तो विशेषज्ञों की सीमित क्षमता के कारण बड़ी मात्रा में कंटेंट का रिव्यू से वंचित रह जाएगा. इसके अलावा एस्केलेशन के समय लागू होने वाले नियम सिर्फ़ तभी एन्फ़ोर्स किए जा सकते हैं जब कुछ अन्य साधनों से कंटेंट को Meta की टीमों के ध्यान में लाया जाए, जैसे कि भरोसेमंद पार्टनर द्वारा या जब कंटेंट को बड़ा प्रेस कवरेज मिले (सूडान की रैपिड सपोर्ट फ़ोर्स का बंधक वाला वीडियो फ़ैसला देखें). इसका मतलब है कि Meta, “मौत दो” वाक्यांश का उपयोग करने वाली मौत की धमकियों का रिव्यू सिर्फ़ तभी कर पाएगा जब कुछ अन्य चैनलों द्वारा उन्हें फ़्लैग किया जाए.

अंत में बोर्ड ने यह तय किया कि इससे ज़रूरत से कम एन्फ़ोर्समेंट की आशंका रहेगी और मौत की ज़्यादा धमकियाँ Meta के प्लेटफ़ॉर्म पर बनी रहेंगी. इसके अलावा, चूँकि Meta अपने प्लेटफ़ॉर्म पर ऐसे कंटेंट की व्यापकता का सत्यापित डेटा उपलब्ध नहीं करा सका, इसलिए बोर्ड इस तरह के ज़रूरत से कम एन्फ़ोर्समेंट की मात्रा का आकलन नहीं कर सका.

इसलिए बोर्ड की यह राय है कि राजनैतिक अभिव्यक्ति की प्रभावी सुरक्षा के लिए, Meta को भाषा और स्थानीय संदर्भ का मूल्यांकन करने के लिए अपने रिव्यूअर्स को अतिरिक्त मार्गदर्शन देना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मॉडरेटर्स के लिए उसके द्वारा जारी की गई गाइडलाइन, पॉलिसी बनाने के अंतर्निहित कारण के अनुरूप हो. मिलती-जुलती समस्याओं वाले अपने पुराने केसों में (ईरान में विरोध प्रदर्शन का स्लोगन, ईरानी महिला से सड़क पर हुज्जत और पाकिस्तानी संसद में दिए गए भाषण की रिपोर्टिंग), बोर्ड ने पॉलिसी और एन्फ़ोर्समेंट के समाधान तलाशे, अक्सर समय संवेदनशील और खास संदर्भ के लिए सटीकता से अनुरूप बनाए गए, जिनमें चुनाव, संकट और संघर्ष शामिल हैं. इससे Meta को संकट पॉलिसी प्रोटोकॉल (CPP) और इंटीग्रिटी प्रोडक्ट ऑपरेशन सेंटर (IPOC) जैसे मैकेनिज़्म का उपयोग करके अपने एन्फ़ोर्समेंट व्यवहारों को एडजस्ट करने और खास संदर्भ पर विचार करने की सुविधा मिली है.

इस केस में, Meta ने बोर्ड को बताया कि उसने कोई विशेष एन्फ़ोर्समेंट उपाय स्थापित नहीं किए. Meta ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री शिंज़ो आबे की हत्या जैसी एक घटना, भले ही वह भयावह थी, सामान्य तौर पर ऐसे मैकेनिज़्म को ट्रिगर करने के लिए पर्याप्त नहीं है, बशर्ते व्यापक जोखिम या तात्कालिकता के अन्य संकेत मौजूद न हों. इसके बजाय, Meta ने हत्या को “उल्लंघन करने वाली हिंसक घटना” प्रोटोकॉल के तहत चिह्नित किया जो हिंसा की उस घटना के कंटेंट तक ही सीमित थी. इन परिस्थितियों में Meta सिर्फ़ अपनी सामान्य पॉलिसी और एन्फ़ोर्समेंट व्यवहारों पर भी भरोसा कर सकता है. इसलिए प्रामाणिक धमकियों और आलंकारिक धमकियों से अलग करने के ज़रूरत के अनुसार बदलाव करने लायक समाधान को बनाना, राजनैतिक अभिव्यक्ति की प्रभावी सुरक्षा का एकमात्र रास्ता है.

इसके अलावा, अगर Meta इस पॉलिसी को व्यापक रूप से एन्फ़ोर्स करना चुनता है, तो उसके ऑटोमेटेड सिस्टम की सटीकता, ह्यूमन मॉडरेटर्स द्वारा दिए जाने वाले ट्रेनिंग डेटा की क्वालिटी से प्रभावित होती रहेगी. बोर्ड ईरानी महिला से सड़क पर हुज्जत फ़ैसले के अपने परिणाम को दोहराता है कि जब ह्यूमन मॉडरेटर्स किसी नियम को कठोरता से एन्फ़ोर्स करते हुए आलंकारिक कथनों को हटाते हैं, तो इस बात की आशंका है कि वह गलती ऑटोमेशन द्वारा फिर से की जाएगी और उसका विस्तार भी होगा, जो ज़रूरत से ज़्यादा एन्फ़ोर्समेंट का कारण बनेगा.

बोर्ड के इन निष्कर्षों के आधार पर कि मौत के आह्वानों के लिए इस संदर्भ आधारित आकलन की ज़रूरत होती है कि धमकी से असली दुनिया को नुकसान की आशंका है, इसके लिए शुरुआती ह्यूमन रिव्यूअर्स के लिए अभी मौजूद गाइडलाइन से ज़्यादा विस्तृत एन्फ़ोर्समेंट गाइडलाइन की ज़रूरत हो सकती है. Meta की आंतरिक गाइडलाइन में रिव्यूअर्स को मौत के उन आह्वानों को हटाने के निर्देश दिए गए हैं जिनमें उच्च जोखिम वाले लोगों के लिए “मौत दो” वाक्यांश का खास तौर पर उपयोग किया जाए. ये गाइडलाइन, हिंसा और उकसावे से जुड़ी पॉलिसी बनाने के कारण नहीं दर्शातीं, जिसमें कहा गया है कि “संदर्भ महत्वपूर्ण” है और यह कि उसमें नफ़रत या असहमति व्यक्त करने के लिए धमकी देने या हिंसा का आह्वान करने के गैर-गंभीर और अनौपचारिक तरीकों पर विचार किया जाता है. इसलिए बोर्ड ने पाया कि Meta को रिव्यूअर्स को दी जाने वाली अपनी आंतरिक गाइडलाइन और खास निर्देशों को अपडेट करके उसमें स्थानीय संदर्भ और भाषा पर विचार करने की स्पष्ट परमिशन देनी चाहिए. साथ ही ऐसी नफ़रत या असहमति व्यक्त करने के लिए धमकी देने या हिंसा का आह्वान करने के “गैर-गंभीर और अनौपचारिक तरीकों” पर विचार करने की भी परमिशन देनी चाहिए.

अंत में, बोर्ड Threads पर संदर्भ संवेदनशील कंटेंट को हैंडल करने की Meta की क्षमता को लेकर भी चिंतित है. Meta ने बोर्ड को बताया कि बैकलॉग के कारण इस केस में कंटेंट के रिव्यू में लगभग तीन सप्ताह की देरी हुई. Meta ने बताया कि एन्फ़ोर्समेंट के समय, Threads कंटेंट मॉडरेशन पूरी तरह से Threads रिपोर्ट्स के लिए ह्यूमन रिव्यूअर्स पर निर्भर था, जबकि बैकलॉग इकट्ठा होने से रोकने के लिए कंपनी आम तौर पर कई तकनीकों का उपयोग करती है, जैसे रिपोर्ट को ऑटोमैटिक तरीके से बंद करना. 48 घंटों के बाद रिपोर्ट्स को ऑटोमैटिक तरीके से बंद करने का मतलब है कि अगर उन्हें खुला रखने का कोई अन्य मैकेनिज़्म मौजूद नहीं है, तो रिपोर्ट्स को रिव्यू के बिना बंद कर दिया जाएगा जिससे यूज़र्स को कोई प्रभावी समाधान नहीं मिलेगा.

6. ओवरसाइट बोर्ड का फ़ैसला

ओवरसाइट बोर्ड ने कंटेंट को हटाने के Meta के मूल फ़ैसले को बदल दिया.

7. सुझाव

कंटेंट पॉलिसी

1. Meta को “उच्च जोखिम वाले लोगों” की एक सामान्य परिभाषा देने के लिए हिंसा और उकसावे से जुड़ी पॉलिसी को अपडेट करना चाहिए जिससे यह स्पष्ट हो कि उच्च जोखिम वाले लोगों में राजनेताओं जैसे लोग आते हैं जिन पर हत्या या अन्य हिंसा का ज़्यादा खतरा होता है और साथ ही इस बात के वर्णनात्मक उदाहरण भी दे.

बोर्ड इस सुझाव को तब लागू मानेगा जब हिंसा और उकसावे से जुड़ी पॉलिसी की लोगों को दिखाई देने वाली भाषा में प्रस्तावित बदलाव दिखाई देगा.

एन्फ़ोर्समेंट

2. Meta को शुरुआती रिव्यूअर्स को दी जाने वाली अपनी आंतरिक गाइडलाइन को उच्च जोखिम वाले लोगों के लिए “मौत दो” वाक्यांश का खास तौर पर उपयोग करने वाले आह्वानों के लिए अपडेट करना चाहिए. इस अपडेट में उन पोस्ट को स्थानीय संदर्भ और भाषा में परमिशन दी जानी चाहिए जिनमें हिंसा की धमकी के गैर-गंभीर और अनौपचारिक तरीकों से नफ़रत या असहमति व्यक्त की जाती है.

बोर्ड इस सुझाव को तब लागू मानेगा जब Meta, उच्च जोखिम वाले लोगों के लिए “मौत दो” वाक्यांश का खास तौर पर उपयोग करने वाले मौत के आह्वान वाले कंटेंट की फ़ाल्स पॉज़ीटिव पहचान में कमी का प्रासंगिक डेटा शेयर करेगा.

कंटेंट पॉलिसी

3. Meta को हिंसा और उकसावे से जुड़ी पॉलिसी में सार्वजनिक हस्तियों की अपनी धमकी और उत्पीड़न की परिभाषा का हाइपरलिंक देना चाहिए और साथ ही अन्य प्रासंगिक कम्युनिटी स्टैंडर्ड के लिंक भी देने चाहिए जिनमें ऐसी सार्वजनिक हस्तियों के रेफ़रेंस मौजूद हों ताकि लोग उसे उच्च जोखिम वाले लोगों से अलग कर सकें.

बोर्ड इस सुझाव को तब लागू मानेगा जब हिंसा और उकसावे से जुड़ी पॉलिसी की लोगों को दिखाई देने वाली भाषा में और Meta के कम्युनिटी स्टैंडर्ड में मौटे तौर पर प्रस्तावित बदलाव दिखाई देगा.

*प्रक्रिया संबंधी नोट:

ओवरसाइट बोर्ड के फ़ैसले पाँच मेंबर्स के पैनल द्वारा लिए जाते हैं और उन पर बोर्ड के अधिकांश मेंबर्स की सहमति होती है. ज़रूरी नहीं है कि बोर्ड के फ़ैसले, सभी सदस्यों की राय दर्शाएँ.

अपने चार्टर के तहत, ओवरसाइट बोर्ड उन यूज़र्स की अपील रिव्यू कर सकता है, जिनका कंटेंट Meta ने हटा दिया था और उन यूज़र्स की अपील जिन्होंने उस कंटेंट की रिपोर्ट की थी जिसे Meta ने बनाए रखा. साथ ही, बोर्ड Meta की ओर से रेफ़र किए गए फ़ैसलों का रिव्यू कर सकता है (चार्टर आर्टिकल 2, सेक्शन 1). बोर्ड के पास Meta के कंटेंट से जुड़े फ़ैसलों को कायम रखने या उन्हें बदलने का बाध्यकारी अधिकार है (चार्टर आर्टिकल 3, सेक्शन 5; चार्टर आर्टिकल 4). बोर्ड ऐसे गैर-बाध्यकारी सुझाव दे सकता है, जिनका जवाब देना Meta के लिए ज़रूरी है (चार्टर आर्टिकल 3, सेक्शन 4; आर्टिकल 4). जहाँ Meta, सुझावों पर एक्शन लेने की प्रतिबद्धता व्यक्त करता है, वहाँ बोर्ड उनके क्रियान्वयन की निगरानी करता है.

इस केस के फ़ैसले के लिए, बोर्ड की ओर से स्वतंत्र रिसर्च करवाई गई थी. बोर्ड को Duco Advisers की सहायता मिली, जो भौगोलिक-राजनैतिक, विश्वास और सुरक्षा तथा टेक्नोलॉजी के आपसी संबंध पर काम करने वाली एक एडवाइज़री फ़र्म है. Memetica ने भी रिसर्च संबंधी सेवाएँ दीं, जो ऑनलाइन नुकसान को कम करने के लिए जोखिम परामर्श और खतरे की आशंका से जुड़ी सेवाएँ देने वाला एक डिजिटल इनवेस्टिगेशन ग्रुप है. Lionbridge Technologies, LLC कंपनी ने भाषा संबंधी विशेषज्ञता की सेवा दी, जिसके विशेषज्ञ 350 से भी ज़्यादा भाषाओं में कुशल हैं और वे दुनियाभर के 5,000 शहरों से काम करते हैं.

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