ओवरसाइट बोर्ड ने Facebook के मूल फ़ैसले को बदल दिया है: केस 2021-006-IG-UA

ओवरसाइट बोर्ड ने Facebook के उस मूल फ़ैसले को बदल दिया है, जिसके तहत कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (PKK) के संस्थापक सदस्य अब्दुल्ला ओजलान के एकांत कारावास पर बहस करने के लिए लोगों को बढ़ावा देने वाली एक Instagram पोस्ट को निकाल दिया गया था. संबंधित यूज़र की अपील पर बोर्ड द्वारा इस केस को रिव्यू के लिए चुनने के बाद Facebook ने यह निष्कर्ष निकाला कि उस कंटेंट को गलती से हटाया गया था और उसे रीस्टोर कर दिया. बोर्ड को इस बात की चिंता है कि Facebook आंतरिक पॉलिसी से जुड़े एक अपवाद से तीन सालों तक अनभिज्ञ रहा और हो सकता है कि इस वजह से कई अन्य पोस्ट को भी हटा दिया गया होगा.

केस की जानकारी

यह केस PKK के संस्थापक सदस्य अब्दुल्ला ओजलान से जुड़ा हुआ है. यह गुट स्वतंत्र कुर्द राज्य बनाने के अपने लक्ष्य को पूरा करने की कोशिश में हिंसा का सहारा ले चुका है. खतरनाक लोगों और संगठनों से संबंधित Facebook की पॉलिसी के तहत PKK और ओजलान, दोनों को ही खतरनाक घोषित किया गया है.

25 जनवरी 2021 को अमेरिका के एक Instagram यूज़र ने ओजलान की फ़ोटो पोस्ट की, जिसमें लिखा था “आप सब इस बारे में बात करने के लिए तैयार हैं”. कैप्शन में उस यूज़र ने लिखा कि तुर्की के इमराली आइलैंड की जेल में कैद ओजलान का एकांतवास खत्म करने के लिए आवाज़ उठाने का समय आ गया है. उस यूज़र ने पाठकों को उकसाया कि वे ओजलान की कैद और एकांत कारावास की अमानवीयता के बारे में चर्चा करें.

उस पोस्ट को किसी मॉडरेटर द्वारा मूल्यांकन किए जाने के बाद खतरनाक लोगों और संगठनों से संबंधित Facebook के नियमों के तहत ओजलान और PKK के समर्थन में कार्रवाई करने की अपील मानते हुए 12 फ़रवरी को हटा दिया गया. जब संबंधित यूज़र ने इस फ़ैसले के विरुद्ध अपील की, तो उन्हें कहा गया कि COVID-19 के कारण Facebook की रिव्यू करने की क्षमता में आई अस्थायी कमी के चलते उनकी अपील का रिव्यू नहीं किया जा सकेगा. हालाँकि, दूसरे किसी मॉडरेटर ने उस कंटेंट का रिव्यू किया और पाया कि उस कंटेंट से उसी पॉलिसी का उल्लंघन हुआ था. फिर उस यूज़र ने ओवरसाइट बोर्ड के सामने अपील पेश की.

बोर्ड द्वारा इस केस को चुने जाने और पैनल को असाइन किए जाने के बाद Facebook को पता चला कि खतरनाक लोगों और संगठनों से संबंधित पॉलिसी के आंतरिक दिशानिर्देशों के एक हिस्से को 2018 में नए रिव्यू सिस्टम में “भूलवश ट्रांसफ़र नहीं किया गया” था. यह दिशानिर्देश, जो ओजलान के कारावास की परिस्थितियों से संबंधित चिंताओं के जवाब में 2017 में आंशिक रूप से तैयार किया गया था, खतरनाक घोषित व्यक्तियों के एकांत कारावास की परिस्थितियों पर चर्चा करने की परमिशन देता है.

इस दिशानिर्देश के अनुसार ही Facebook ने 23 अप्रैल को Instagram पर उस कंटेंट को रीस्टोर किया था. Facebook ने बोर्ड को बताया कि फ़िलहाल वे अपनी पॉलिसी से जुड़े एक अपडेट पर काम कर रहे हैं, ताकि खतरनाक घोषित व्यक्तियों के मानवाधिकारों पर यूज़र्स को चर्चा करने की परमिशन मिल सके. कंपनी ने बोर्ड से इन पॉलिसी को बेहतर बनाने के लिए इनसाइट और दिशानिर्देश माँगे हैं. हालाँकि Facebook ने 23 जून 2021 को खतरनाक लोगों और संगठनों से संबंधित अपने कम्युनिटी स्टैंडर्ड को अपडेट किया था, लेकिन इन बदलावों का प्रभाव सीधे तौर पर उन दिशानिर्देशों पर नहीं पड़ता है, जिनका अनुरोध कंपनी ने बोर्ड से किया है.

मुख्य निष्कर्ष

बोर्ड ने पाया कि उस कंटेंट को निकालने का Facebook का मूल फ़ैसला कंपनी के कम्युनिटी स्टैंडर्ड के अनुरूप नहीं था. जैसा कि भूलवश शामिल नहीं हो पाए आंतरिक दिशानिर्देश में बताया गया है, यूज़र्स खतरनाक घोषित किए गए व्यक्ति के एकांत कारावास के हालातों के बारे में चर्चा कर सकते हैं, इसलिए Facebook के नियमों के तहत ऐसी पोस्ट की जा सकती थी.

बोर्ड को इस बात की चिंता है कि Facebook पॉलिसी से जुड़े एक महत्वपूर्ण अपवाद के दिशानिर्देश से तीन सालों तक अनभिज्ञ रहा. ऐसा कंटेंट जिसमें खतरनाक घोषित व्यक्तियों के लिए “समर्थन” नज़र आता है, उसे डिफ़ॉल्ट रूप से हटाने की Facebook की पॉलिसी और वहीं इसके मुख्य अपवादों को लोगों से छिपाए रखने से यह गलती काफ़ी लंबे समय तक किसी की नज़र में नहीं आई. Facebook को उस यूज़र की वजह से ही लागू नहीं की जा रही इस पॉलिसी के बारे में पता चल सका, जिसने कंपनी के फ़ैसले के खिलाफ़ बोर्ड के सामने अपील पेश करने का फ़ैसला लिया.

हालाँकि Facebook ने बोर्ड को बताया है कि वह यह पता लगाने के लिए रिव्यू करवा रहा है कि आखिर यह दिशानिर्देश उनके नए रिव्यू सिस्टम में ट्रांसफ़र क्यों नहीं हो पाया था, उसने यह भी कहा कि “तकनीकी रूप से यह पता लगा पाना संभव नहीं है कि रिव्यूअर्स को जब यह दिशानिर्देश उपलब्ध नहीं था, तब ऐसे कितने कंटेंट को हटाया गया होगा.” बोर्ड को लगता है कि Facebook की गलती से ऐसी कई अन्य पोस्ट को गलत तरीके से हटाया गया होगा और Facebook की ट्रांसपेरेंसी रिपोर्टिंग यह पता लगाने के लिए पर्याप्त नहीं है कि इस प्रकार की गलती पूरे सिस्टम में फैली हुई है या नहीं. इस केस में Facebook के एक्शन से पता चलता है कि कंपनी ने मानवाधिकार से जुड़ी अपनी कॉर्पोरेट मानवाधिकार पॉलिसी (सेक्शन 3) की अवहेलना तो की ही, वहीं यह समाधान के अधिकार का ध्यान भी नहीं रख सकी.

यहाँ तक कि भूलवश गायब हुए दिशानिर्देश का पता चलने के बिना भी उस कंटेंट को कभी भी नहीं हटाया जाना चाहिए था. उस यूज़र ने अपनी पोस्ट में हिंसा की वकालत नहीं की थी और न ही उन्होंने ओजलान की विचारधारा और PKK का समर्थन किया था. इसके बजाय उन्होंने ओजलान के लंबे समय से जारी एकांत कारावास के बारे में मानवाधिकारों से जुड़ी चिंताओं को सामने लाने की कोशिश की थी, जिस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय संस्थाएँ भी उठा रही हैं. चूँकि इस पोस्ट से नुकसान होने की संभावना नहीं थी, इसलिए इसे हटाना अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों के तहत आवश्यक या सही नहीं था.

ओवरसाइट बोर्ड का फ़ैसला

ओवरसाइट बोर्ड ने उस कंटेंट को हटाने के Facebook के मूल फ़ैसले से असहमति जताते हुए उसे बदल दिया है. बोर्ड के देखने में आया कि Facebook ने उस कंटेंट को पहले ही रीस्टोर कर दिया था.

पॉलिसी से जुड़े सुझाव देते हुए बोर्ड ने Facebook को कहा कि वह:

  • भूलवश गायब हुए 2017 के उस दिशानिर्देश को आंतरिक क्रियान्वयन मानकों और ज्ञात सवालों (कंटेंट मॉडरेटर के लिए आंतरिक दिशानिर्देशों) में तुरंत शामिल करे.
  • खतरनाक लोगों और संगठनों से संबंधित पॉलिसी को लागू करने के लिए स्वचालित मॉडरेशन प्रक्रियाओं का मूल्यांकन करे. जहाँ आवश्यक हो, वहाँ Facebook को 2017 का दिशानिर्देश लागू करने में विफल होने के कारण होने वाली प्रवर्तन से जुड़ी पिछली गलतियों से ट्रेनिंग डेटा को अलग करने के लिए क्लासिफ़ायर अपडेट करना चाहिए.
  • कहीं कोई अन्य पॉलिसी तो गायब नहीं हुई, यह पता लगाने के लिए जारी रिव्यू प्रक्रिया के परिणाम प्रकाशित करे, जिसमें सभी गायब पॉलिसियों के विवरण के साथ वे किस अवधि में गायब रहीं और उन्हें फिर से शामिल करने के लिए जो कदम उठाए गए, उनका विवरण शामिल हो.
  • सुनिश्चित करे कि खतरनाक लोगों और संगठनों से संबंधित “पॉलिसी बनाने के कारणों” में यह बात बताई गई हो कि मानवाधिकारों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का ध्यान रखने से “सुरक्षा” का महत्व बढ़ सकता है. पॉलिसी बनाने के कारणों में “असलियत में होने वाले उन नुकसानों” को पूरी जानकारी देकर स्पष्ट रूप से समझाना चाहिए, जिनसे बचाने की कोशिश यह पॉलिसी करती है और जब किसी की “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता” छीनी जाती है, तो यह उस कोशिश को नाकाम कैसे करती है.
  • पॉलिसी में साफ़ तौर पर समझाए कि इसमें किस तरह के “समर्थन” शामिल नहीं होंगे. यूज़र्स को खतरनाक घोषित संगठनों के सदस्यों के मानवाधिकारों के कथित हनन पर चर्चा करने की स्वतंत्रता मिलनी चाहिए.
  • कम्युनिटी स्टैंडर्ड में समझाए कि यूज़र्स Facebook को अपनी पोस्ट से जुड़ा इरादा स्पष्ट कैसे कर सकते हैं.
  • Facebook के प्रोडक्ट पॉलिसी फ़ोरम के ज़रिए खतरनाक लोगों और संगठनों से संबंधित अपनी पॉलिसी में प्रस्तावित बदलावों में स्टेकहोल्डर की सार्थक सहभागिता सुनिश्चित करे, जिसमें वह आम लोगों का नज़रिया जानने की कोशिश भी करे.
  • पॉलिसी से जुड़े किसी भी प्रस्तावित बदलाव के बारे में कंटेंट मॉडरेटर को आंतरिक दिशानिर्देश और प्रशिक्षण देना सुनिश्चित करे.
  • सुनिश्चित करे कि यूज़र्स को उनका कंटेंट हटाए जाने पर उसका नोटिफ़िकेशन मिले. नोटिफ़िकेशन में यह बताया जाना चाहिए कि उस कंटेंट को किसी सरकारी अनुरोध के चलते या फिर किसी कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन करने के कारण हटाया गया अथवा किसी राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन होने के सरकारी दावे के कारण हटाया गया (साथ ही किसी कंटेंट को हटाने का अधिकार-क्षेत्र भी बताया जाना चाहिए).
  • Instagram के यूज़र्स को स्पष्ट करे कि Facebook के कम्युनिटी स्टैंडर्ड Instagram पर भी ठीक उसी तरह लागू होते हैं, जिस तरह वे Facebook पर लागू होते हैं.
  • अपनी ट्रांसपेरेंसी रिपोर्टिंग में कम्युनिटी स्टैंडर्ड से जुड़े उल्लंघनों (राष्ट्रीय कानून के उल्लंघनों से तुलना करते हुए) के आधार पर सरकारों की ओर से आए कंटेंट हटाने के अनुरोधों की संख्या के बारे में जानकारी शामिल करे, जिसमें उन अनुरोधों के परिणामों की जानकारी हो.
  • अपनी ट्रांसपेरेंसी रिपोर्टिंग में खतरनाक लोगों और संगठनों का “गुणगान” और “समर्थन” करने से संबंधित नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करने में हुईं गलतियों की दर के बारे में विस्तृत जानकारी शामिल करे, जो क्षेत्र और भाषा के अनुसार अलग-अलग करके दिखाई जाएँ.

अधिक जानकारी के लिए:

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