ओवरसाइट बोर्ड ने Facebook के शुरुआती फ़ैसले को बदल दिया है: केस 2021-003-FB-UA

ओवरसाइट बोर्ड ने Facebook के उस फ़ैसले को बदल दिया है, जिसमें खतरनाक लोगों और संगठनों से जुड़े उसके कम्युनिटी स्टैंडर्ड के तहत एक पोस्ट को हटा दिया गया था. बोर्ड द्वारा इस केस को रिव्यू के लिए चुने जाने के बाद, Facebook ने कंटेंट रीस्टोर कर दिया. बोर्ड ने चिंता व्यक्त की कि Facebook ने अपने शुरुआती फ़ैसले के खिलाफ़ संबंधित यूज़र की अपील का रिव्यू नहीं किया. बोर्ड ने कंपनी को ज़ोर देते हुए कहा कि वह धार्मिक अल्पसंख्यकों की आवाज़ को दबाने वाली गलतियों से बचने के लिए कोई एक्शन ले.

केस की जानकारी

नवंबर 2020 में, एक यूज़र ने पंजाबी भाषा की ऑनलाइन मीडिया कंपनी Global Punjab TV की एक वीडियो पोस्ट शेयर की. इसमें प्रोफ़ेसर मंजीत सिंह का 17 मिनट का इंटरव्यू था, जिन्हें “पंजाबी संस्कृति से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता और समर्थक” माना जाता है. उस पोस्ट में एक कैप्शन भी था, जिसमें हिन्दू राष्ट्रवादी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और भारत के सत्तारूढ़ राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी (BJP) का उल्लेख करते हुए कहा गया था कि: “RSS एक नया खतरा. राम नाम सत्य है. कट्टरता की ओर बढ़ती BJP.”

पोस्ट के साथ दिए गए टेक्स्ट में संबंधित यूज़र ने दावा किया कि RSS सिक्खों, जो कि भारत का एक धार्मिक अल्पसंख्यक समूह है, को मारने और 1984 के उस “भयावह दौर” को दोहराने की धमकी दे रहा था, जब हिन्दू दंगाईयों ने सिक्ख पुरुषों, महिलाओं और बच्चों का नरसंहार किया था और उन्हें जला दिया था. उस यूज़र ने आरोप लगाया कि RSS प्रमुख मोहन भागवत के कहने पर खुद प्रधानमंत्री मोदी “सिक्खों के नरसंहार” को लेकर डर का माहौल बना रहे हैं. उस यूज़र ने यह दावा भी किया कि सेना की सिक्ख रेजिमेंट ने प्रधानमंत्री मोदी को चेताया है कि वे पंजाब के सिक्ख किसानों और उनकी ज़मीन की रक्षा करने के लिए अपनी जान कुर्बान करने को भी तैयार हैं.

एक यूज़र के रिपोर्ट करने के बाद, एक ह्यूमन रिव्यूवर इस फ़ैसले पर पहुँचा कि उस पोस्ट से Facebook के खतरनाक लोगों और संगठनों से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन हुआ है और रिव्यूवर ने उस पोस्ट को हटा दिया. इससे वह पोस्ट करने वाले यूज़र के अकाउंट पर अपने आप प्रतिबंध लग गया. Facebook ने उस यूज़र को कहा कि COVID-19 की वजह से रिव्यू करने की क्षमता में आई अस्थायी कमी के चलते वे पोस्ट निकालने के बारे में की गई उनकी अपील का रिव्यू नहीं कर सके.

मुख्य निष्कर्ष

बोर्ड द्वारा इस केस को रिव्यू करने के लिए चुने जाने के बाद, लेकिन जब यह केस एक पैनल को असाइन किया जा रहा था, उसके पहले Facebook को लगा कि उस कंटेंट को हटाने का फ़ैसला गलत था और उसे रीस्टोर कर दिया. Facebook ने यह पाया कि उस कंटेंट में ऐसे किसी समूह या व्यक्ति का उल्लेख नहीं किया गया था, जिसे उनके नियमों के तहत “खतरनाक” ठहराया गया हो. कंपनी को उस पोस्ट में ऐसे कोई शब्द भी देखने को नहीं मिले, जिनकी वजह से इसे गलती के तहत हटाया गया था.

बोर्ड ने पाया कि Facebook का उस पोस्ट को हटाने का शुरुआती फ़ैसला, कंपनी के कम्युनिटी स्टैंडर्ड या मानवाधिकार से जुड़ी इसकी ज़िम्मेदारियों के अनुरूप नहीं था.

बोर्ड ने गौर किया कि उस पोस्ट में भारत के अल्पसंख्यकों की समस्याओं और विपक्षी दलों के मुद्दों को प्रमुखता से पेश किया गया था, जिनके साथ कथित रूप से सरकार द्वारा भेदभाव किया जा रहा है. ख़ास तौर पर यह ज़रूरी है कि Facebook ऐसी गलतियों से बचने के लिए ज़रूरी कदम उठाए, जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता छीनती हैं. COVID-19 की विशेष परिस्थितियों को समझते हुए बोर्ड ने तर्क दिया कि Facebook ने इस कंटेंट का रिव्यू करने के लिए पर्याप्त समय या ध्यान नहीं दिया. उन्होंने ज़ोर देते हुए कहा कि यूज़र्स के पास ऐसी सुविधा होनी चाहिए, जिसके ज़रिए वे बोर्ड के पास आने से पहले Facebook को केस की अपील पेश कर सकें और कंपनी से अपील की कि वह इस सुविधा को फिर से शुरू करने के काम को प्राथमिकता दे.

इन सभी चीज़ों को देखते हुए बोर्ड ने पाया कि संबंधित यूज़र को Facebook से बाहर करने वाले अकाउंट से जुड़े प्रतिबंध गलत हैं. उन्होंने यह भी चिंता जताई कि इस तरह के प्रतिबंधों से जुड़े Facebook के नियम कई अलग-अलग जगहों पर हैं और सारे नियम कम्युनिटी स्टैंडर्ड में नहीं मिलते हैं, जबकि ये एक जगह पर मिलने चाहिए.

आखिरकार, बोर्ड ने नोट किया कि Facebook की पारदर्शिता रिपोर्टिंग से यह पता लगाना मुश्किल हो जाता है कि क्या खतरनाक लोगों और संगठनों से जुड़ी पॉलिसी को अमल में लाने का असर भारत में अल्पसंख्यकों की भाषा बोलने वालों या धार्मिक अल्पसंख्यकों पर विशेष रूप से पड़ता है.

ओवरसाइट बोर्ड का फ़ैसला

बोर्ड ने Facebook के कंटेंट को हटाने के शुरुआती फ़ैसले को बदल दिया है. पॉलिसी से जुड़े सुझाव देते हुए बोर्ड ने Facebook को कहा कि वह:

  • अपने कम्युनिटी स्टैंडर्ड और आंतरिक कार्यान्वयन से जुड़े स्टैंडर्ड पंजाबी भाषा में उपलब्ध करवाए. Facebook को अपने कम्युनिटी स्टैंडर्ड उन सभी भाषाओं में उपलब्ध करवाना चाहिए, जिनका उसके यूज़र्स व्यापक रूप से उपयोग करते हैं.
  • Facebook के स्टाफ़ और कॉन्ट्रैक्टर के स्वास्थ्य की सुरक्षा करते हुए, कंटेंट मॉडरेशन से जुड़े फ़ैसलों के ह्यूमन रिव्यू और ह्यूमन अपील की प्रोसेस, इन दोनों ही सुविधाओं को महामारी के पहले के स्तरों तक जल्द से जल्द उपलब्ध करवाए.
  • अपनी पारदर्शिता रिपोर्टिंग में हर कम्युनिटी स्टैंडर्ड के लिए एरर रेट की जानकारी, देश और भाषा के अनुसार देखने योग्य बनाकर, इसके बारे में लोगों की जानकारी बढ़ाए.

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