ओवरसाइट बोर्ड ने Meta के मूल फ़ैसले को बदला: केस 2021-012-FB-UA

28 अक्टूबर 2021 को Facebook ने अनाउंस किया कि वह अपनी कंपनी का नाम बदलकर Meta कर रहा है. इस टेक्स्ट में, पूरी कंपनी को Meta कहा गया है और Facebook नाम का उपयोग अब भी Facebook ऐप से जुड़े प्रोडक्ट और पॉलिसी के लिए किया गया है.

ओवरसाइट बोर्ड ने मूल उत्तरी अमेरिकी कलाकार की Facebook पोस्ट को हटाने के Meta के मूल फ़ैसले को बदल दिया है, जिसे Facebook के नफ़रत फैलाने वाली भाषा के कम्युनिटी स्टैंडर्ड के अंतर्गत हटाया गया था. बोर्ड ने पाया कि कंटेंट, नफ़रत फैलाने वाली भाषा से जुड़ी पॉलिसी के अपवाद में आता है, क्योंकि इसमें उत्तरी अमेरीका के मूल निवासियों के खिलाफ़ हुए ऐतिहासिक अपराधों के बारे में जागरूकता बढ़ाने का उद्देश्य है.

केस की जानकारी

अगस्त 2021 में एक Facebook यूज़र ने एक वॉमपम बेल्ट की फ़ोटो पोस्ट की, साथ में अंग्रेज़ी में लिखे टेक्स्ट के ज़रिए इसका डिस्क्रिप्शन भी दिया. वॉमपम बेल्ट, उत्तरी अमेरीकी मूल निवासियों की कला का नमूना है, जिसमें सीपियों को जोड़कर चित्र बनाए जाते हैं, जिनमें कहानियाँ औरा समझौते आदि बातें होती हैं. इस बेल्ट पर कई तरह के चित्र होते हैं, जिनके बारे में यूज़र का कहना है कि वे “the Kamloops story (कैमलूप्स की कहानी)” पर आधारित हैं, जिसमें कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया में मूल निवासी बच्चों के पूर्व आवासीय स्कूल में मई 2021 में मिलीं बिना चिह्नों वाली कब्रों के बारे में बताया गया है.

टेक्स्ट में कलाकृति का टाइटल है, “Kill the Indian/ Save the Man (इंडियन को मारो/ मनुष्य को बचाओ),” और इसमें यूज़र को इसका क्रिएटर बताया गया है. यूज़र ने बेल्ट पर दर्शाए गए कई चित्रों के बारे में बताया है: “Theft of the Innocent (मासूमियत छीनना), Evil Posing as Saviours (रक्षक के रूप में भक्षक), Residential School / Concentration Camp (रेसिडेंशियल स्कूल / यातना शिविर), Waiting for Discovery (खोज निकालने के इंतज़ार में), Bring Our Children Home (अपने बच्चों की घर वापसी).” पोस्ट में, यूज़र ने अपनी कलाकृति का मतलब समझाया, साथ ही वॉमपम बेल्ट का इतिहास और शिक्षा के एक माध्यम के तौर पर उनका उद्दे्श्य भी बताया. यूज़र ने कहा कि इस बेल्ट को बनाना आसान नहीं था और कैमलूप्स में जो कुछ हुआ उसकी कहानी बताना काफ़ी भावनात्मक था. उन्होंने कलाकृति की वजह से कैमलूप्स की यातना से गुज़रे लोगों को होने वाले दर्द के लिए माफ़ी माँगी और बताया कि उनका “एकमात्र उद्देश्य इस भयानक कहानी के बारे में जागरूकता बढ़ाना है.”

Meta के ऑटोमेटेड सिस्टम ने कंटेंट को पोस्ट किए जाने के एक दिन बाद उसे Facebook के नफ़रत फैलाने वाली भाषा के कम्युनिटी स्टैंडर्ड का संभावित तौर पर उल्लंघन करने वाला पाया. एक ह्यूमन रिव्यूअर ने कंटेंट को उल्लंघन करने वाला माना और उसी दिन उसे हटा दिया. यूज़र ने Meta के उस फ़ैसले के खिलाफ़ अपील की, जिससे एक दूसरा ह्यूमन रिव्यू करवाया गया. उसमें भी कंटेंट को उल्लंघन करने वाला माना गया. जब इस कंटेंट को हटाया जा रहा था, तब तक उसे 4,000 से ज़्यादा बार देखा जा चुका था और 50 से ज़्यादा बार शेयर किया जा चुका था. किसी भी यूज़र ने उस कंटेंट की रिपोर्ट नहीं की.

बोर्ड द्वारा इस केस को चुने जाने की वजह से Meta ने कंटेंट को हटाने के अपने फ़ैसले को “एन्फ़ोर्समेंट से जुड़ी गलती” माना और 27 अगस्त को कंटेंट रीस्टोर कर दिया. हालाँकि, Meta ने यूज़र को बोर्ड द्वारा Meta से यूज़र को भेजे गए मैसेज के कंटेंट के बारे में पूछने के दो दिन बाद, 30 सितंबर तक रीस्टोर करने के बारे में नहीं बताया. Meta ने बताया कि मैसेज भेजने में देरी, मानवीय त्रुटि की वजह से हुई थी.

मुख्य निष्कर्ष

Meta ने माना कि इस कंटेंट को हटाने का मूल फ़ैसला Facebook के कम्युनिटी स्टैंडर्ड के खिलाफ़ था और यह "एन्फ़ोर्समेंट से जुड़ी गलती” थी. बोर्ड ने पाया कि यह कंटेंट साफ़ तौर पर ‘जवाबी भाषा’ है जहाँ नफ़रत फैलाने वाली भाषा दबाव डालने और भेदभाव करने का विरोध करने के संदर्भ में है.

Facebook की नफ़रत फैलाने वाली भाषा के परिचय में यह बताया गया है कि यूज़र का इरादा स्पष्ट होने पर ‘जवाबी भाषा’ की परमिशन है. पोस्ट के कंटेंट से यह बात साफ़ है कि यह नफ़रत फैलाने वाली भाषा नहीं है. कैमलूप्स में जो कुछ हुआ, कलाकृति में उसकी कहानी बताई गई है और साथ में दिया गया वर्णन इसके महत्व के बारे में बताता है. जहाँ कि ‘Kill the Indian (इंडियन को मारो)’ शब्द अपने-आप में नफ़रत फैलाने वाली भाषा माने जा सकते हैं, इस संदर्भ में यह वाक्यांश नफ़रत और भेदभाव के विशिष्ट कृत्यों की ओर ध्यान आकर्षित करता है और उसकी निंदा करता है.

बोर्ड ने नाज़ी अधिकारी के उद्धरण वाले अपने केस 2020-005-FB-UA के फ़ैसले का संदर्भ दिया. उस केस में भी कुछ इसी तरह के निष्कर्ष सामने आए थे कि किस तरह से संकेतों के ज़रिए इरादे का पता लगाया जा सकता है, जैसे किसी उद्धरण का कंटेंट और मतलब, समय, वह देश, जिससे पोस्ट की गई और पोस्ट को मिले रिएक्शन और कमेंट के मतलब.

इस केस में, बोर्ड ने पाया कि यहाँ यूज़र के लिए यह ज़रूरी नहीं था कि वह अपने इरादे के बारे में साफ़ तौर पर बताए कि पोस्ट को जवाबी भाषा के रूप में और जागरूकता बढ़ाने के लिए माना जाए. बोर्ड ने मॉडरेटर के लिए आंतरिक “जाने पहचाने सवाल” पर ध्यान दिया कि इरादे के बारे में स्पष्ट कथन से हमेशा ही ऐसी पोस्ट का मतलब नहीं बदला जा सकता, जो कि नफ़रत फैलाने वाली भाषा का हिस्सा होती है. मॉडरेटर को इरादे का आकलन करने के लिए, कंटेंट का मतलब समझना चाहिए और सिर्फ़ स्पष्ट कथनों पर ही निर्भर नहीं रहना चाहिए.

दो अलग-अलग मॉडरेटर ने यह निष्कर्ष निकाला कि पोस्ट में नफ़रत फैलाने वाली भाषा थी. Meta इसकी साफ़ वजह नहीं बता सकी कि यह गलती दो बार क्यों हुई.

ओवरसाइट बोर्ड का फ़ैसला

ओवरसाइट बोर्ड ने कंटेंट को हटाने के Meta के मूल फ़ैसले को बदल दिया है.

पॉलिसी से जुड़े सुझाव देते हुए बोर्ड ने कहा कि Meta:

  • जिस कंटेंट पर यूज़र अपील कर रहा है, उस पर कंपनी के लिए जाने वाले किसी भी एक्शन के बारे में यूज़र को समय से और सही नोटिस दे. जहाँ भी लागू हो, इस तरह के ‘एन्फ़ोर्समेंट से जुड़ी गलती’ वाले मामले में भी, दिए गए नोटिस में यूज़र को यह बताया जाना चाहिए कि एक्शन, ओवरसाइट बोर्ड की रिव्यू प्रक्रिया की वजह से लिया गया.
  • कंटेंट मॉडरेटर को दूसरा रिव्यू किए जाने की जानकारी होने पर रिव्यूअर की सटीकता के प्रभाव देखे, ताकि वे जान सकें कि शुरुआती फ़ैसला विवादित था.
  • नफ़रत फैलाने वाली भाषा से जुड़ी पॉलिसी के अपवादों को ध्यान में रख रिव्यूअर की सटीकता का आकलन करे, जिनमें कलाकार की अभिव्यक्ति और मानव अधिकारों के उल्लंघन की अभिव्यक्ति शामिल होती है (जैसे, निंदा, जागरूकता बढ़ाना, खुद के संदर्भ में उपयोग करना, सशक्तिकरण के लिए उपयोग). इस आकलन में ख़ासतौर पर यह जाँच होनी चाहिए कि रिव्यूअर की लोकेशन, मॉडरेटर की सटीकता के साथ नफ़रत फैलाने वाली भाषा और उसी या किसी दूसरे क्षेत्र से जवाबी भाषा का आकलन करने की क्षमता को किस तरह से प्रभावित करती है. Meta को बोर्ड के साथ इस आकलन के परिणाम शेयर करना चाहिए, जिसमें एन्फ़ोर्समेंट ऑपरेशन और पॉलिसी के विकास में सुधार में परिणाम किस तरह से उपयोगी होंगे और क्या इसका नियमित रूप से इन अपवादों को लेकर रिव्यूअर की सटीकता का आकलन करने का कोई प्लान है, ये चीज़ें शामिल हों. बोर्ड ने इस सुझाव का अनुपालन दर्शाने के लिए Meta को उनके तिमाही के ट्रांसपेरेंसी अपडेट में बोर्ड के साथ इन आकलनों के परिणामों के सारांश सार्वजनिक रूप से शेयर करने के लिए भी कहा.

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