ओवरसाइट बोर्ड लिंग आधारित हिंसा से जुड़े दो नए केस की घोषणा करने जा रहा है

आज बोर्ड दो नए केस की सुनवाई करने की घोषणा करने जा रहा है. इस प्रोसेस के तहत, हम लोगों और संगठनों को पब्लिक कमेंट सबमिट करने के लिए आमंत्रित कर रहे हैं.

केस का चयन

चूँकि हम सभी अपीलों की सुनवाई नहीं कर सकते, इसलिए बोर्ड उन केस को प्राथमिकता देता है, जिनका असर दुनिया भर के यूज़र्स पर पड़ सकता है और जो सार्वजनिक विचार-विमर्श के लिए बेहद ज़रूरी होते हैं या जो Meta की पॉलिसी के बारे में बड़े सवाल खड़े करते हैं.

आज हम सबसे पहले इस केस की सुनवाई करने की घोषणा करने जा रहे हैं:

लिंग आधारित हिंसा की फ़ोटो

(2023-006-FB-UA)

यूज़र ने इस कंटेंट को Facebook से हटाने की अपील की थी

पब्लिक कमेंट यहाँ सबमिट करें.

कृपया ध्यान दें: इस केस के लिए पब्लिक कमेंट की विंडो 14 दिनों तक खुली रहेगी, जो गुरुवार, 11 मई को आपके स्थानीय समयानुसार रात 11:59 बजे बंद हो जाएगी.

मई 2021 में इराक के एक Facebook यूज़र ने अरबी भाषा में लिखे कैप्शन के साथ एक फ़ोटो पोस्ट की थी. इस फ़ोटो में एक महिला पर किए गए शारीरिक हमले के निशान दिखाई दे रहे हैं, इनमें उसके चेहरे और शरीर पर लगी चोटें भी दिख रही हैं. कैप्शन की शुरुआत में महिलाओं को चेतावनी दी गई है कि वे अपने पतियों को पत्र न लिखें. कैप्शन में आगे कहा गया है कि फ़ोटो में दिख रही महिला ने अपने पति को एक पत्र लिखा था, जिसका मतलब उसके पति ने कुछ और निकाल लिया और इसकी वजह से उसने महिला पर शारीरिक हमला कर दिया. कई शुरुआती अनुवादों के अनुसार, पोस्ट में यह कहा गया है कि पति को लगा कि महिला ने उसे “donkey” (गधा) कहा था या यह कि महिला ने उससे “donkey” (गधा) लाने को कहा था. इसके बाद उसमें लिखा है कि महिला दरअसल अपने पति से “veil” (बुरका) लाने को कह रही थी. अरबी भाषा में, “donkey” (गधा) और “veil” (बुरका) के लिए एक जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है. पूरी पोस्ट में हँसी और मुस्कुराहट वाली कई इमोजी थीं. कैप्शन में फ़ोटो में दिख रही महिला का नाम नहीं बताया गया है, लेकिन उसका चेहरा स्पष्ट दिख रहा है. इस पोस्ट को 20,000 लोग देख चुके हैं और इसे 1,000 से कम रिएक्शन मिले हैं.

फ़रवरी 2023 में एक Facebook यूज़र ने यह कहते हुए इस कंटेंट की तीन बार रिपोर्ट की कि इसमें हिंसा और उकसावे से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन किया गया है. इन रिपोर्ट को ह्यूमन रिव्यू के लिए प्राथमिकता नहीं दी गई और Meta ने इन्हें अपने आप बंद कर दिया और उस कंटेंट को प्लेटफ़ॉर्म पर मौजूद रहने दिया. Meta ने बोर्ड को बताया है कि वह अपीलों को कुछ शर्तों के आधार पर ह्यूमन रिव्यू के लिए प्राथमिकता देता है, जैसे कि उल्लंघन की गंभीरता और कंटेंट के वायरल होने की संभावना के आधार पर. जिन रिपोर्ट को एक निश्चित समय-सीमा में रिव्यू के लिए प्राथमिकता नहीं मिलती है, उन्हें कोई भी एक्शन लिए बिना अपने आप बंद कर दिया जाता है. इसके बाद उस कंटेंट की रिपोर्ट करने वाले यूज़र ने Meta के फ़ैसले के विरुद्ध ओवरसाइट बोर्ड में अपील की. जब बोर्ड ने इस केस को चुन लिया, तब Meta ने पाया कि इस कंटेंट को प्लेटफ़ॉर्म पर बनाए रखने का उसका पिछला फ़ैसला गलत था और उसने इस पोस्ट को हटा दिया.

Meta ने इस कंटेंट को अपने धमकियों और उत्पीड़न से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड के तहत Facebook से हटा दिया. धमकियों और उत्पीड़न से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड ऐसे कंटेंट पर रोक लगाते हैं, “जिसमें शारीरिक हिंसा से पीड़ित लोगों का अपमान किया जाता है” या “जिसमें उनकी मौत या गंभीर शारीरिक चोट को अच्छा बताया जाता है, उसकी खुशी मनाई जाती है या उसका मज़ाक उड़ाया जाता है.” यह रोक तब लगाई जाती है, जब वह कंटेंट आम लोगों या सीमित दायरे वाली सार्वजनिक हस्तियों को टार्गेट करता है. इस पॉलिसी में सीमित दायरे वाली सार्वजनिक हस्तियों के कुछ उदाहरण दिए गए हैं, जो नीचे बताए गए हैं: “वह लोग, जिनकी मुख्य प्रसिद्धि उनके सामाजिक कार्यों या पत्रकारिता तक सीमित हो या जिन्हें अचानक से प्रसिद्धि मिल गई हो:” रिव्यू करते समय, Meta को पता चला कि फ़ोटो में दिख रही महिला उस क्षेत्र की एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं, जिनकी फ़ोटो पहले भी सोशल मीडिया पर शेयर की जा चुकी है.

बोर्ड ने यह केस इसलिए चुना, क्योंकि वह यह जानना चाहता था कि लिंग आधारित हिंसा के बारे में बात करने वाले या उसका मज़ाक उड़ाने वाले कंटेंट को मॉडरेट करने के लिए Meta किन पॉलिसी और प्रोसेस का इस्तेमाल करता है और Meta के प्लेटफ़ॉर्म पर मौजूद या इसके बाहर के यूज़र्स के अधिकारों पर इस कंटेंट का क्या प्रभाव पड़ता है. यह केस बोर्ड की ‘लैंगिक’ प्राथमिकता में आता है, जो बोर्ड की सात रणनीतिक प्राथमिकताओंमें से एक है.

बोर्ड ऐसे पब्लिक कमेंट चाहता है, जो बताएँ कि:

  • लिंग आधारित हिंसा के बारे में हँसी-मज़ाक करने या उसका मज़ाक उड़ाने के बारे में Meta की पॉलिसी कैसी होनी चाहिए और एन्फ़ोर्समेंट के विकल्प क्या होने चाहिए.
  • लिंग आधारित हिंसा के बारे में हँसी-मज़ाक करने या उसका मज़ाक उड़ाने वाले Facebook और Instagram कंटेंट और इस कंटेंट से प्रभावित हो सकने वाले लोगों पर इसके प्रभाव और इन प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करने की उनकी क्षमता के बीच क्या संबंध होता है.
  • लिंग आधारित हिंसा के बारे में हँसी-मज़ाक करने या उसका मज़ाक उड़ाने वाले Facebook और Instagram कंटेंट और इन प्लेटफ़ॉर्म से बाहर होने वाली लिंग आधारित हिंसा पर इसके प्रभाव के बीच क्या संबंध होता है.
  • लिंग आधारित हिंसा की फ़ोटो, वीडियो आदि दिखाकर सार्वजनिक हस्तियों, मानवाधिकार संरक्षकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को टार्गेट कैसे किया जा सकता है.
  • इराक (और उस क्षेत्र) में लिंग आधारित हिंसा और उसे सोशल मीडिया पर फ़ोटो, वीडियो आदि में दिखाने से संबंधित सामाजिक-राजनैतिक संदर्भों की जानकारी.

बोर्ड अपने फ़ैसलों में Meta को पॉलिसी से जुड़े सुझाव दे सकता है. ये सुझाव बाध्यकारी नहीं होते हैं, लेकिन Meta को 60 दिनों के अंदर इन सुझावों पर अपनी राय बतानी होती है. वैसे, बोर्ड इस केस के लिए प्रासंगिक सुझाव देने वाले पब्लिक कमेंट का स्वागत करता है.

“महिलाओं के विरुद्ध हिंसा” वाले फ़ैसले में दो केस पर एक साथ सुनवाई की जाएगी

बोर्ड ने यह भी तय किया है कि मार्च 2023 में हमने जिस केस की सुनवाई करने की घोषणा की थी, बोर्ड उस केस के साथ एक नए केस की सुनवाई और करेगा. इसका मतलब यह है कि आने वाले “महिलाओं के विरुद्ध हिंसा” वाले फ़ैसले में दो केस पर विचार किया जाएगा, इनमें से पहले केस (2023-002-IG-UA) पर सुनवाई करने की घोषणा 9 मार्च को की गई थी और दूसरे केस (2023-005-IG-UA) पर सुनवाई करने की घोषणा आज की गई है. दूसरा केस जोड़कर बोर्ड यह जानने की कोशिश करेगा कि Meta की नफ़रत फैलाने वाली भाषा से जुड़ी पॉलिसी, उस कंटेंट को कैसे प्रभावित करती है, जिसमें लिंग आधारित हिंसा के बारे में विस्तार से और बेहद बारीकी से चर्चा की जाती है और इसके आधार पर वह Meta को विस्तृत सुझाव देगा.

पब्लिक कमेंट इस प्रोसेस का अहम हिस्सा हैं और आप गुरुवार, 4 मई को अपने स्थानीय समयानुसार रात 11:59 बजे तक अपने कमेंट यहाँ सबमिट कर सकते हैं. आम तौर पर हम 14 दिनों तक पब्लिक कमेंट स्वीकार करते हैं, लेकिन इस बार पैनल को इस केस के लिए सबमिट किए गए सभी पब्लिक कमेंट को ध्यान से पढ़ने का पर्याप्त समय देने के लिए, हम अपवाद के तौर पर पब्लिक कमेंट की विंडो सिर्फ़ सात दिनों के लिए ही खोलेंगे. जिस केस की सुनवाई की घोषणा पहले की गई थी, अगर आप उसके लिए अपने कमेंट पहले ही सबमिट कर चुके हैं, तो आप अपने अन्य विचार इस चैनल के ज़रिए सबमिट कर सकते हैं.

पहला केस (2023-002-IG-UA) एक ऐसी पोस्ट के बारे में है, जिसमें एक महिला ऑडियो में एक हिंसक अंतरंग संबंध से जुड़ा अपना अनुभव बता रही है और इस पोस्ट के कैप्शन में लिखा है, "men murder, rape and abuse women mentally and physically – all the time, every day" (पुरुष हर समय, हर दिन - हत्याएँ, बलात्कार और महिलाओं का मानसिक और शारीरिक शोषण करते हैं). Meta ने इस पोस्ट को हटा दिया, क्योंकि इसमें Meta के नफ़रत फैलाने वाली भाषा से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन किया गया था. जब यूज़र ने इस फ़ैसले के विरुद्ध बोर्ड में अपील की, तब Meta ने अपने फ़ैसले का रिव्यू किया और हमें बताया कि उसे लगता है कि इस पोस्ट को हटाना गलत था.

इस केस की सुनवाई करने की घोषणा करने के बाद हमने पाया कि उसी यूज़र ने बोर्ड में एक केस (2023-005-IG-UA) के लिए और अपील की है. यह केस एक ऐसी पोस्ट के बारे में है, जिसके वीडियो में एक महिला यह कह रही है कि वह पुरुषों से नफ़रत करती है. महिला का कहना है कि पुरुषों से नफ़रत करने और नारी विरोधी होने के बीच का अंतर यह है कि पुरुषों से नफ़रत डर के कारण की जाती है, क्योंकि पुरुष दुनिया भर में हत्याएँ और बलात्कार करते हैं. Meta ने इस पोस्ट को हटा दिया, क्योंकि इसमें इसके नफ़रत फैलाने वाली भाषा से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन किया गया था. इसके बाद यूज़र ने इस फ़ैसले के विरुद्ध बोर्ड में अपील की. जब बोर्ड ने इस केस को चुना, तब Meta ने अपने फ़ैसले का रिव्यू किया और हमें बताया कि उसे लगता है कि उसका फ़ैसला सही था.

इसके बाद क्या होगा

अगले कुछ हफ़्तों में बोर्ड के मेंबर इन केस पर विचार-विमर्श करेंगे. जब वे अपने अंतिम फ़ैसले ले लेंगे, तो हम उन्हें ओवरसाइट बोर्ड की वेबसाइट पर पोस्ट कर देंगे.

यहाँ साइन अप करें, ताकि जब बोर्ड नए केस की सुनवाई की घोषणा करे या अपने फ़ैसले प्रकाशित करे, तो उनके अपडेट आपको मिल जाएँ.

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