ओवरसाइट बोर्ड ने "टिग्रे कम्युनिकेशन अफ़ेयर्स ब्यूरो" केस (2022-006-FB-MR) में Meta का फ़ैसला कायम रखा

ओवरसाइट बोर्ड ने Meta के उस पोस्ट को हटाने के फ़ैसले को कायम रखा है जिसमें इथियोपिया के संघर्ष को लेकर हिंसा होने की धमकी दी गई थी. कंटेंट में Meta के हिंसा और उकसावे के खिलाफ़ बनाए गए कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन किया गया था और उसे कंपनी की मानवाधिकार से जुड़ी ज़िम्मेदारियों को ध्यान में रखते हुए हटाया गया था. कुल मिलाकर बोर्ड ने पाया कि संघर्ष की स्थितियों में अपनी मानवाधिकार ज़िम्मेदारियाँ पूरी करने के लिए Meta को और भी चीज़ें करनी चाहिए और बोर्ड ने इसका समाधान करने के लिए पॉलिसी से जुड़े सुझाव दिए.

केस की जानकारी

4 फ़रवरी, 2022 को Meta ने बोर्ड को एक केस रेफ़र किया. यह केस इथियोपिया में जारी संघर्ष से उपजी हिंसा के दौरान Facebook पर पोस्ट किए गए एक कंटेंट से संबंधित था, जहाँ टिग्रेयन और सरकारी ताकतों के बीच नवंबर, 2020 से संघर्ष जारी है.

वह पोस्ट, टिग्रे रीजनल स्टेट के कम्युनिकेशन अफ़ेयर्स ब्यूरो के आधिकारिक पेज पर डाली गई थी और उसे 300,000 से ज़्यादा बार देखा गया था. इसमें संघीय ताकतों को पहुँचे नुकसान की चर्चा की गई थी और राष्ट्रीय सेना को “अपनी बंदूकों” का मुँह “अबी अहमद ग्रुप” की ओर मोड़ने को कहा गया था. अबी अहमद, इथियोपिया के प्रधानमंत्री हैं. पोस्ट में सरकारी बलों को आत्मसमर्पण करने हिदायत देते हुए कहा गया था कि अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो वे मारे जाएँगे.

यूज़र्स की रिपोर्ट पर Meta के ऑटोमेटेड सिस्टम के ज़रिए इस कंटेंट के सामने आने के बाद, इसकी जाँच अम्हेरिक बोलने वाले दो रिव्यूअर ने की. उन्होंने पाया कि पोस्ट ने Meta की पॉलिसी का उल्लंघन नहीं किया है और उस पोस्ट को प्लेटफ़ॉर्म से नहीं हटाया गया.

उस समय, Meta इथियोपिया में एक इंटीग्रिटी प्रोडक्ट ऑपरेशन सेंटर (IPOC) चला रहा था. IPOC का उपयोग Meta द्वारा अत्यधिक जोखिम वाली स्थितियों में बेहतर मॉडरेशन करने के लिए किया जाता है. वे कुछ समय (दिन या हफ़्ते) काम करते हैं. साथ ही, विशेषज्ञों को एक ही मंच पर लाकर Meta के प्लेटफ़ॉर्म पर नज़र रखने के साथ-साथ किसी भी तरह के दुरुपयोग को रोकते हैं. IPOC के द्वारा उस पोस्ट को विशेषज्ञ रिव्यू के लिए भेजा गया, जिसमें उसे Meta की हिंसा और उकसावे की खिलाफ़ बनी पॉलिसी का उल्लंघन करने वाला माना गया और दो दिन के बाद उसे हटा दिया गया.

मुख्य निष्कर्ष

बोर्ड इस पोस्ट को Facebook से हटाने के Meta के फ़ैसले से सहमत है.

इथियोपिया के संघर्ष को सांप्रदायिक हिंसा और अंतरराष्ट्रीय कानून के उल्लंघन के कारण जाना जाता है. इस संदर्भ के साथ-साथ उस प्रोफ़ाइल और पेज की पहुँच को देखते हुए, इस बात की पूरी आशंका थी कि उस पोस्ट से हिंसा और भड़क जाती.

इस कारण, बोर्ड इस बात से सहमत है कि पोस्ट को हटाना Meta के हिंसा और उकसावे के खिलाफ़ बनाए गए कम्युनिटी स्टैंडर्ड के अनुसार ज़रूरी है, जो “गंभीर स्तर की हिंसा करने के इरादे से कही गई बातों” को प्रतिबंधित करते हैं. इसे हटाना Meta के मूल्यों के अनुसार सही भी है; इन परिस्थितियों को देखें, तो यहाँ “सुरक्षा” और “गरिमा” का महत्व “अभिव्यक्ति” से ज़्यादा है. बोर्ड ने यह भी पाया कि पोस्ट को हटाना Meta की मानवाधिकार ज़िम्मेदारियों के अनुसार सही है और इस मामले में अभिव्यक्ति की आज़ादी पर प्रतिबंध लगाना उचित है.

Meta को काफ़ी समय से इस बात की जानकारी है कि उसके प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग नफ़रत फैलाने और विवाद की स्थिति में हिंसा भड़काने के लिए किया जाता रहा है. विवादित जगहों के मामले में कंटेंट मॉडरेशन को बेहतर बनाने के लिए कंपनी ने कुछ सकारात्मक कदम उठाए हैं. हालाँकि, समग्र रूप से बोर्ड यह मानता है कि Meta की यह मानवाधिकार से जुड़ी ज़िम्मेदारी है कि वह अपने प्लेटफ़ॉर्म को हिंसा भड़काने या अंतरराष्ट्रीय कानून के उल्लंघन में उपयोग किए जाने की आशंका को कम करने के लिए, विवादित क्षेत्रों में कंटेंट के मॉडरेशन के लिए सिद्धांतों पर आधारित एक पारदर्शी सिस्टम बनाए. यह ज़िम्मेदारी पूरी करने के लिए उसे और कोशिश करनी चाहिए.

जैसे, Meta इस बारे में पूरी जानकारी नहीं देता है कि सशस्त्र संघर्ष वाली स्थितियों में वह किस तरह अपनी हिंसा और उकसावे से जुड़ी पॉलिसी लागू करता है, पॉलिसी में किन अपवादों को जगह दी गई है या उनका उपयोग किस तरह किया जाता है. विवादित क्षेत्रों में कंटेंट मॉडरेशन का उसका मौजूदा तरीका एक जैसा नहीं है; समीक्षकों ने कंपनी को रूस-यूक्रेन विवाद को दूसरे संघर्षों के तुलना में अलग नज़रिए से देखने का दोषी ठहराया है.

वहीं Meta का कहना है कि उन्होंने “संकटग्रस्त” देशों की सूची बनाकर रखी है, जिसके आधार पर वह रिसोर्स का बँटवारा करता है, लेकिन वह बोर्ड को इसकी पूरी जानकारी उपलब्ध नहीं करवाता, जिससे इस प्रक्रिया की निष्पक्षता या प्रभाव का मूल्यांकन किया जा सके. इस केस में IPOC के कारण कंटेंट को हटा दिया गया. हालाँकि, वह प्लेटफ़ॉर्म पर दो दिनों तक बना रहा. इससे पता चलता है कि “संकटग्रस्त” स्थितियों से निपटने के लिए बना सिस्टम और IPOC, संघर्ष की परिस्थितियों से निपटने के काबिल नहीं हैं. Meta के अनुसार, IPOC को "वर्षों से चले आ रहे संघर्ष से निपटने के एक स्थायी, लंबे समय तक चलने वाले समाधान के रूप में नहीं बनाया गया है.” बोर्ड ने पाया कि इस मामले में Meta को ज़्यादा स्थायी समाधान देने के लिए निवेश करना होगा.

ओवरसाइट बोर्ड का फ़ैसला

ओवरसाइट बोर्ड ने Meta के पोस्ट को हटाने के फ़ैसले को कायम रखा है.

बोर्ड ने ये सुझाव भी दिए:

  • “पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के अकाउंट के निलंबन” के केस में बोर्ड के सुझाव के अनुसार, जिसे “सूडान के आपत्तिजनक वीडियो” के केस में भी दोहराया गया, Meta को अपने क्राइसिस पॉलिसी प्रोटोकॉल के बारे में जानकारी प्रकाशित करनी चाहिए. बोर्ड इस सुझाव को तब लागू मानेगा जब इस फ़ैसले के प्रकाशित होने के छह महीनों के भीतर ट्रांसपेरेंसी सेंटर में क्राइसिस पॉलिसी प्रोटोकॉल की जानकारी उपलब्ध होगी. इसे ट्रांसपेरेंसी सेंटर में पब्लिक पॉलिसी फ़ोरम स्लाइड प्रेजेंटेशन के अलावा एक अलग पॉलिसी के रूप में होना चाहिए.
  • Meta को ऐसे स्थायी आंतरिक सिस्टम बनाने की व्यवहार्यता का पता लगाना चाहिए जो संघर्ष के दौरान कंटेंट का प्रभावी रूप से रिव्यू करने और उस पर प्रतिक्रिया करने के लिए ज़रूरी विशेषज्ञता, क्षमता और समन्वय प्रदान करे.

*रिव्यू प्रोसेस से गुजर रहे कंटेंट से जुड़े फ़ैसले की जानकारी इससे सबसे ज़्यादा प्रभावित होने वाले लोगों तक बोर्ड पहुँचाना चाहता था. इसी वजह से बोर्ड ने इस फ़ैसले का प्रकाशन तब तक के लिए टाल दिया, जब तक कि इसका अनुवाद अम्हारिक भाषा में नहीं हो जाता. इसके कारण फ़ैसले की घोषणा से लेकर प्रकाशन तक की 90 दिनों की समय-सीमा पार हो गई.

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