“कंबोडिया के प्रधानमंत्री” वाले केस में ओवरसाइट बोर्ड ने Meta के फ़ैसले को पलटा

कंबोडिया के प्रधानमंत्री हुन सेन ने अपने राजनैतिक विरोधियों को जिस वीडियो में हिंसक धमकी दी है, उसे Facebook पर बनाए रखने के Meta के फ़ैसले को ओवरसाइट बोर्ड ने पलट दिया है. हुन सेन पहले भी मानवाधिकारों का उल्लंघन करते रहे हैं और राजनैतिक विरोधियों को धमकाते रहे हैं, साथ ही वे इन धमकियों को ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुँचाने के लिए सोशल मीडिया का रणनीतिक उपयोग भी करते रहे हैं, इन बातों को ध्यान में रखते हुए और उल्लंघन की गंभीरता के चलते, बोर्ड ने Meta को हुन सेन के Facebook पेज और Instagram अकाउंट को तुरंत छह महीनों के लिए सस्पेंड करने को कहा है.

केस की जानकारी

9 जनवरी, 2023 को कंबोडिया के प्रधानमंत्री हुन सेन के आधिकारिक Facebook पेज से एक लाइव वीडियो स्ट्रीम किया गया.

इस वीडियो में हुन सेन के द्वारा कंबोडिया की आधिकारिक भाषा खमेर में दिया गया 1 घंटे 41 मिनट का भाषण दिखाया गया. इस भाषण में, उन्होंने अपनी सत्तारूढ़ कंबोडिया पीपुल्स पार्टी (CPP) पर लगे देश के 2022 के स्थानीय चुनावों में धांधली करने के आरोपों का जवाब दिया. सेन, यह आरोप लगाने वाले अपने राजनैतिक विरोधियों को “legal system” (कानूनी तरीके) और “a bat” (बल्ले) में से कोई एक चीज़ चुनने को कहते हैं और आगे कहते हैं कि उनके विरोधी या तो कानूनी तरीका चुन सकते हैं, या वह “will gather CPP people to protest and beat you up” (उनका विरोध करने और उन्हें पीटने के लिए CPP के समर्थकों को इकट्ठा करेंगे). वह “sending gangsters to [your] house” ([आपके] घर में गुंडों को भेजने) की बात करते हुए कहते हैं कि वह “arrest a traitor with sufficient evidence at midnight” (किसी भी देशद्रोही को पूरे सबूतों के साथ आधी रात को भी गिरफ्तार) करवा सकते हैं. लेकिन, आगे अपने भाषण में उन्होंने कहा कि “we don’t incite people and encourage people to use force” (हम लोगों को भड़का नहीं रहे हैं और न ही उन्हें हिंसा करने के लिए उकसा रहे हैं). लाइव ब्रॉडकास्ट खत्म होने के बाद, वह वीडियो अपने आप हुन सेन के Facebook पेज पर अपलोड हो गया, जहाँ इसे लगभग 600,000 बार देखा गया.

9 से 26 जनवरी, 2023 के बीच तीन यूज़र्स ने यह वजह बताते हुए पाँच बार इस वीडियो की रिपोर्ट की कि इसमें Meta के हिंसा और उकसावे से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन किया गया है. यह स्टैंडर्ड “ऐसी धमकियों पर रोक लगाता है, जो किसी की मौत की वजह बन सकती हैं” (बहुत ही गंभीर स्तर की हिंसा) और “ऐसी धमकियों पर रोक लगाता है, जो किसी को गंभीर रूप से घायल करने की वजह बनती हैं” (मध्यम स्तर की गंभीरता वाली हिंसा) साथ ही यह “हिंसा के इरादे से दिए गए बयानों” पर भी रोक लगाता है. कंटेंट की रिपोर्ट करने वाले यूज़र्स की अपील पर, दो ह्यूमन रिव्यूर्स ने इस कंटेंट का रिव्यू किया और उन्होंने पाया कि इस कंटेंट में Meta की पॉलिसी का उल्लंघन नहीं हुआ है. उसी समय, इस कंटेंट से जुड़े पूरे मामले को Meta के पॉलिसी और विषय विशेषज्ञों के समक्ष रखा गया. उन्होंने माना कि इस कंटेंट में हिंसा और उकसावे से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन तो हुआ है, लेकिन उन्होंने ख़बरों में रहने लायक होने की छूट देते हुए इस पोस्ट को रीस्टोर कर दिया. इस परमिशन से ऐसा कंटेंट प्लेटफ़ॉर्म पर बना रह सकता है, जिसमें Meta की पॉलिसी या कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन होने के बावजूद, उसका जनहित से जुड़ा महत्व उस कंटेंट से होने वाले नुकसान की आशंका से ज़्यादा होता है.

कंटेंट की रिपोर्ट करने वाले यूज़र्स में से एक ने Meta के फ़ैसले के खिलाफ़ बोर्ड में अपील की. वहीं Meta ने अलग से भी यह केस बोर्ड को रेफ़र किया. अपने रेफ़रल में, Meta ने बताया कि ऐसे केस में “सुरक्षा” और “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता” से जुड़े मूल्यों के बीच संतुलन बनाना तब बड़ा ही मुश्किल हो जाता है, जब यह तय करना होता है कि किसी राजनेता के ऐसे भाषण को अपने प्लेटफ़ॉर्म पर बने रहने की परमिशन कब दी जाए, जिसमें कंपनी की हिंसा और उकसावे से जुड़ी पॉलिसी का उल्लंघन किया गया हो.

मुख्य निष्कर्ष

बोर्ड ने पाया कि इस केस से जुड़े वीडियो में राजनैतिक विरोधियों के साथ हिंसा करने के हुन सेन के इरादे को साफ़ तौर पर जाहिर करने वाले बयान शामिल थे, जो सीधे तौर पर हिंसा और उकसावे से जुड़ी पॉलिसी का उल्लंघन करते हैं. “bat” (बल्ला) और “sending gangsters to [your] house” ([आपके] घर पर गैंगस्टर भेजने) या आधी रात को गिरफ्तार करने सहित “legal action” (कानूनी कार्रवाई) जैसे शब्दों का उपयोग हिंसा भड़काने और कानूनी धमकी देने के समान है.

बोर्ड ने पाया कि Meta की ओर से इस केस में भाषण को ख़बरों में रहने लायक होने की छूट देना गलत था, क्योंकि इस कंटेंट को प्लेटफ़ॉर्म पर बने रहने देने से होने वाले नुकसान की आशंका उस पोस्ट के जनहित से जुड़े मूल्यों से ज़्यादा है. चूँकि सोशल मीडिया पर हुन सेन से बहुत ज़्यादा लोग जुड़े हुए हैं, ऐसे में Facebook पर इस तरह के बयानों के मौजूद रहने से उनकी धमकियों बहुत ज़्यादा लोगों तक फैल सकती हैं. ऐसे में Meta के प्लेटफ़ॉर्म इन धमकियों और डर को ज़्यादा लोगों तक पहुँचाकर लोगों को नुकसान पहुँचाने में योगदान देते हैं.

बोर्ड को इस बात की भी चिंता है कि ख़बरों में बने रहने लायक छूट पाकर कोई भी राजनेता निष्पक्ष मीडिया और राजनैतिक विरोधियों के खिलाफ़ उनका उत्पीड़न करने और उन्हें धमकाने का कैंपेन बार-बार चला सकता है, इससे Meta की पॉलिसी या कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन करने वाला उनका कंटेंट भी नहीं हटेगा और उनके अकाउंट के खिलाफ़ कोई कार्रवाई भी नहीं की जा सकेगी. ऐसे किसी भी चलन को बढ़ावा नहीं मिलना चाहिए. किसी कंटेंट को ख़बरों में बने रहने लायक होने की छूट दी जाए या नहीं, यह तय करते समय Meta को मीडिया की स्वतंत्रता को ज़्यादा महत्व देना चाहिए, ताकि यह छूट उन स्थितियों में जारी होने वाले सरकारी भाषण को न मिल पाए, जहाँ सरकार मीडिया को दबाकर अपने कंटेंट को ख़बरों में बना रहने लायक बनाती है.

बोर्ड ने Meta से यह स्पष्ट करने को कहा है कि सार्वजनिक हस्तियों के अकाउंट पर प्रतिबंध लगाने से जुड़ी उसकी पॉलिसी का दायरा सिर्फ़ हिंसा और नागरिक अशांति की घटनाओं तक ही सीमित नहीं है, बल्कि ऐसे सभी मामले भी उसके दायरे में आते हैं, जिनमें नागरिकों के साथ उनकी सरकार द्वारा प्रतिशोध के तौर पर हिंसा करने का खतरा बना रहता है.

हुन सेन पहले भी मानवाधिकारों का उल्लंघन करते रहे हैं और राजनैतिक विरोधियों को धमकाते रहे हैं, साथ ही वे इन धमकियों को ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुँचाने के लिए सोशल मीडिया का रणनीतिक उपयोग भी करते रहे हैं, इन बातों को ध्यान में रखते हुए और उल्लंघन की गंभीरता के चलते, इस केस में बोर्ड ने Meta को हुन सेन के Facebook पेज और Instagram अकाउंट को तुरंत छह महीनों के लिए सस्पेंड करने को कहा है.

ओवरसाइट बोर्ड का फ़ैसला

ओवरसाइट बोर्ड ने Meta के कंटेंट को बनाए रखने के फ़ैसले को पलटते हुए उस पोस्ट को हटाने को कहा है.

बोर्ड ने Meta को सुझाव दिया है कि वह:

  • कंबोडिया के प्रधानमंत्री हुन सेन के आधिकारिक Facebook पेज और Instagram अकाउंट को नागरिक अशांति के दौरान सार्वजनिक हस्तियों के अकाउंट पर प्रतिबंध लगाने की Meta की पॉलिसी के तहत छह महीनों के लिए तुरंत सस्पेंड कर दे. इस सुझाव पर अमल कर लिया गया है, यह बात बोर्ड यह तभी मानेगा जब Meta उस अकाउंट को सस्पेंड करके इसकी घोषणा सार्वजनिक रूप से करेगा.
  • स्पष्ट करे कि सार्वजनिक हस्तियों के अकाउंट पर प्रतिबंध लगाने की उसकी पॉलिसी के दायरे में ऐसे सभी मामले आते हैं, जिनमें नागरिकों के साथ उनकी सरकार द्वारा प्रतिशोध के तौर पर हिंसा करने का खतरा बना रहता है. पॉलिसी में यह स्पष्ट किया जाना चाहिए कि इसके दायरे में सिर्फ़ नागरिक अशांति या हिंसा की घटनाएँ ही नहीं, बल्कि ऐसे सभी मामले आते हैं जिनमें राजनैतिक मुद्दों पर उठने वाली आवाज़ों को पहले ही दबा दिया जाता है या जिन्हें दबाने के लिए सरकार हिंसा करती है या हिंसा करने की धमकियाँ देती है.
  • ख़बरों में बने रहने लायक होने की छूट देने वाली अपनी पॉलिसी को यह बताने के लिए अपडेट करे कि जिस कंटेंट से सीधे तौर पर हिंसा भड़कती है, वह पॉलिसी के मौजूदा अपवादों के तहत ख़बरों में बने रहने लायक होने की छूट पाने के योग्य नहीं होगा.
  • रिव्यू के लिए आने वाले कंटेंट की प्राथमिकता तय करने वाले अपने सिस्टम को इस तरह अपडेट करे कि अगर सरकार के प्रमुख पदों को संभाल रहे लोग या सरकार के दूसरे वरिष्ठ सदस्य संभावित तौर पर हिंसा और उकसावे से जुड़ी पॉलिसी का उल्लंघन करने वाला कंटेंट पोस्ट करें, तो यह सिस्टम उसको तुरंत ही ह्यूमन रिव्यू के लिए प्राथमिकता दे.
  • प्रोडक्ट और/या काम करने के तरीके से जुड़ी गाइडलाइन के बदलाव लागू करे, ताकि लंबी अवधि के वीडियो का ज़्यादा बेहतर तरीके से रिव्यू किया जा सके (जैसे कि वीडियो में जिस टाइमस्टैंप पर उल्लंघन हुआ है, उसका पता लगाने के लिए एल्गोरिदम का उपयोग करना, वीडियो की लंबाई के अनुसार रिव्यू में लगने वाला समय तय करना, वीडियो को 1.5 गुना या 2 गुना तेज़ स्पीड से चलाने की परमिशन देना आदि).
  • प्रधानमंत्री हुन सेन के केस में की गई कार्रवाई में और सरकार के प्रमुख पदों को संभाल रहे लोगों तथा सरकार के वरिष्ठ सदस्यों के खिलाफ़ अकाउंट लेवल पर की जाने वाली सभी कार्रवाइयों में यह सार्वजनिक करे कि कार्रवाई का दायरा क्या था और उसने अपना फ़ैसला किस आधार पर लिया है.

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