ओवरसाइट बोर्ड ने Meta के मूल फ़ैसले को कायम रखा: केस 2021-014-FB-UA

28 अक्टूबर 2021 को Facebook ने अनाउंस किया कि वह अपनी कंपनी का नाम बदलकर Meta कर रहा है. इस टेक्स्ट में, पूरी कंपनी को Meta कहा गया है और Facebook नाम का उपयोग अब भी Facebook ऐप से जुड़े प्रोडक्ट और पॉलिसी के लिए किया गया है.

ओवरसाइट बोर्ड, इथियोपिया के अम्हारा क्षेत्र में हुए अत्याचारों में टिग्रे जनजाति के लोगों की भागीदारी होने का आरोप लगाने वाली पोस्ट को हटाने के Meta के मूल फ़ैसले का समर्थन करता है. हालाँकि, यूज़र की ओर से बोर्ड से अपील करने के बाद Meta ने पोस्ट को रीस्टोर कर दिया, लेकिन कंपनी को फिर से प्लेटफ़ॉर्म से कंटेंट को हटाना होगा.

केस की जानकारी

जुलाई 2021 के अंत में, इथियोपिया के Facebook यूज़र ने अम्हारी भाषा में पोस्ट की. पोस्ट में आरोप लगाए गए थे कि टिग्रे पीपल्स लिबरेशन फ़्रंट (TPLF) ने महिलाओं और बच्चों का बलात्कार करके उन्हें मौत के घाट उतार दिया और इथियोपिया के अम्हारा क्षेत्र के राया कोबो और अन्य शहर के लोगों की संपत्तियाँ लूट लीं. उस यूज़र ने यह भी दावा किया कि टिग्रे जनजाति के लोगों ने इन अत्याचारों में TPLF का साथ दिया. उस यूज़र ने पोस्ट में यह दावा किया है कि उसे यह जानकारी राया कोबो के निवासियों से मिली. उस यूज़र ने अपनी पोस्ट के अंत में यह कहा कि “हम अपने संघर्ष के ज़रिए अपनी स्वतंत्रता पाएँगे.”

Meta के ऑटोमेटिक अम्हारी भाषा सिस्टम ने पोस्ट को फ़्लैग किया तो कंटेंट मॉडरेटर ने तय किया कि कंटेंट ने Facebook के नफ़रत फैलाने वाली भाषा से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन किया है और उसने इसे हटा दिया. जब यूज़र ने Meta के सामने इस फ़ैसले के खिलाफ़ अपील की तो दूसरे कंटेंट मॉडरेटर ने भी कन्फ़र्म किया कि पोस्ट ने Facebook कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन किया है. दोनों मॉडरेटर Meta की अम्हारी भाषा की कंटेंट रिव्यू टीम से हैं.

इसके बाद यूज़र ने एक अपील ओवरसाइट बोर्ड को सबमिट की. बोर्ड द्वारा केस को चुनने के बाद, Meta ने पोस्ट हटाने के अपने मूल फ़ैसले को गलत बताया और 27 अगस्त को इसे रीस्टोर कर दिया. Meta ने बोर्ड को कहा कि यह आमतौर पर यूज़र को कंटेंट रीस्टोर होने की सूचना उसी दिन दे देता है जब यह रीस्टोर हुआ हो. हालाँकि, मानवीय गलती के कारण Meta ने इस यूज़र को 30 सितंबर को – एक महीने बाद उनकी पोस्ट रीस्टोर करने की सूचना दी. यह नोटिफ़िकेशन तब दिया गया जब ओवरसाइट बोर्ड ने Meta से पूछा कि क्या उसने यूज़र को कंटेंट रीस्टोर किए जाने की सूचना दी.

मुख्य निष्कर्ष

बोर्ड ने यह निष्कर्ष निकाला है कि कंटेंट ने Facebook के हिंसा और उकसावे से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन किया है.

Meta ने पहले पोस्ट को नफ़रत फैलाने वाली भाषा से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन करने के लिए हटाया था, लेकिन बोर्ड द्वारा केस चुनने के बाद कंपनी ने कंटेंट को रीस्टोर कर दिया, क्योंकि Meta ने दावा किया कि पोस्ट ने टिग्रे जनजाति को निशाना नहीं बनाया और यूज़र के आरोपों में नफ़रत फैलाने वाली भाषा शामिल नहीं हैं. बोर्ड का मानना है कि कंटेंट रीस्टोर करने के इस स्पष्टीकरण में विवरण की कमी है और यह गलत है.

इसके बजाए, बोर्ड ने इस पोस्ट पर Facebook के हिंसा और उकसावे से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड को लागू किया. यह स्टैंडर्ड “ऐसी गलत जानकारी और गैर-सत्यापित अफ़वाहों पर रोक लगाता है, जिनसे हिंसा भड़कने या किसी को शारीरिक नुकसान पहुँचने का ख़तरा पैदा होता है.” बोर्ड को पता चला है कि इस केस में कंटेंट में, Meta की शर्त की परिभाषा के अनुसार एक गैर-सत्यापित अफ़वाह है. वैसे तो यूज़र का दावा है कि उसके स्रोत पिछली अनाम रिपोर्ट्स हैं और मौके पर मौजूद लोग हैं, लेकिन उन्होंने अपने आरोपों के समर्थन में परिस्थितिजन्य प्रमाण तक नहीं दिए हैं. कोई जनजाति समूह सामूहिक अत्याचार के अपराध का हिस्सा है ऐसे आरोप लगाने वाली अफवाहें, जो इस पोस्ट में मिली, ये ख़तरनाक हैं और हिंसा भड़कने के जोख़िम को बहुत ज़्यादा बढ़ाती हैं.

बोर्ड को यह भी पता चला कि पोस्ट को हटाना बतौर बिज़नेस Meta की मानव अधिकारों से जुड़ी ज़िम्मेदारियों के साथ संगत है. किसी उत्तेजनापूर्ण और जारी विवाद में गैर-सत्यापित अफ़वाहों के कारण घोर अत्याचार हो सकते हैं, जैसा म्यांमार के मामले में हुआ था. 2020-003-FB-UA फ़ैसले में, बोर्ड ने कहा कि “खासतौर से सैन्य टकराव की स्थितियों में, प्लेटफ़ॉर्म पर घृणास्पद, हीन बताने की अभिव्यक्तियाँ इकट्ठी होती और फैलती हैं, जिसके कारण ऐसी ऑफ़लाइन कार्रवाइयाँ होती हैं, जिनसे व्यक्ति की सुरक्षा के अधिकार पर और संभावित तौर पर जीवन पर काफ़ी ज़्यादा गंभीर असर पड़ता है. संचयी प्रभाव के परिणाम “धीरे-धीरे प्रभाव बढ़ने” के समान हो सकते हैं, जैसा कि रवांडा नरसंहार में हुआ था.

बोर्ड ने अभिव्यक्ति की आजादी की सुरक्षा करने और सांप्रदायिक विवाद के ख़तरे को कम करने के बीच के तनाव को समझकर ही यह फ़ैसला लिया. बोर्ड को इथियोपिया के कई हिस्सों में हो रहे अत्याचारों में नागरिकों की भागीदारी की जानकारी है, लेकिन राया कोबो के बारे में ऐसी कोई जानकारी नहीं है और तथ्य यह है कि Meta कंटेंट पोस्ट होने के समय उसमें लगाए गए आरोपों को सत्यापित नहीं कर पाया था. बोर्ड को यह भी ज्ञात है कि अत्याचारों से जुड़ी सही रिपोर्ट से विवादित क्षेत्रों में जीवन बचाए जा सकते हैं, जबकि नागरिकों के अपराधी होने के संबंध में किए गए निराधार दावों के कारण भविष्य में हिंसा होने का जोख़िम बढ़ने की संभावना रहती है.

ओवरसाइट बोर्ड का फ़ैसला

ओवरसाइट बोर्ड ने Meta के पोस्ट को हटाने के मूल फ़ैसले को कायम रखा है. चूँकि यूज़र द्वारा बोर्ड से अपील करने के बाद Meta ने पोस्ट को रीस्टोर कर दिया, लेकिन कंपनी को फिर से प्लेटफ़ॉर्म से कंटेंट हटाना चाहिए.

पॉलिसी से जुड़े सुझाव देते हुए बोर्ड ने कहा कि Meta:

  • इसके “सुरक्षा” के मान को फिर से लिखकर दर्शाएँ कि ऑनलाइन अभिव्यक्ति से डराने-धमकाने, बहिष्कार करने और आवाज़ दबाने के जोख़िम के साथ ही लोगों की जान की सुरक्षा और जीने के अधिकार के लिए ख़तरा पैदा हो सकता है.
  • Facebook कम्युनिटी स्टैंडर्ड में दर्शाएँ कि युद्ध और हिंसक विवाद के संदर्भ में असत्यापित अफ़वाहों से जीने के अधिकार और लोगों की जान की सुरक्षा को बड़ा ख़तरा हो सकता है. इसे मॉडरेशन प्रोसेस के सभी स्तरों पर दर्शाना चाहिए.
  • इस बारे में मानव अधिकारों के संबंध में जाँच-पड़ताल के साथ स्वतंत्र मूल्यांकन का आदेश दें कि इथियोपिया में हिंसा के जोख़िम को बढ़ाने वाली नफ़रत फैलाने वाली भाषा और असत्यापित अफ़वाहों के प्रसार के लिए Facebook और Instagram का उपयोग कैसे किया गया था. इस मूल्यांकन में Meta द्वारा इथियोपिया में इसके प्रोडक्ट तथा सेवाओं के गलत उपयोग को रोकने के लिए किए गए उपायों की सफलता का रिव्यू किया जाना चाहिए. इस मूल्यांकन में Meta द्वारा इथियोपिया में मानव अधिकारों के उल्लंघन पर संपुष्ट और सार्वजनिक हित के लिए रिपोर्टिंग को सक्षम करने के लिए किए गए उपायों की सफलता का रिव्यू भी किया जाना चाहिए. मूल्यांकन में इथियोपिया में Meta की भाषा से जुड़ी क्षमताओं के साथ ही इस बात का मूल्यांकन होना चाहिए कि ये क्षमताएँ इसके यूज़र्स के अधिकारों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त हैं या नहीं. मूल्यांकन में 1 जून, 2020 से लेकर वर्तमान अवधि को शामिल करना चाहिए. कंपनी को इन सुझावों पर प्रतिक्रिया देने के छ: महीनों के भीतर मूल्यांकन पूरा करना चाहिए. मूल्यांकन सविस्तार प्रकाशित किया जाना चाहिए.

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