बोर्ड के अगले केस की घोषणा करना

आज बोर्ड दो नए केस की सुनवाई करने की घोषणा करने जा रहा है.

केस का चयन

चूँकि हम सभी अपीलों पर सुनवाई नहीं कर सकते हैं, इसलिए बोर्ड उन केसों को प्राथमिकता देता है जिनमें दुनिया भर के यूज़र्स को प्रभावित करने की संभावना हो और जो सार्वजनिक विचार-विमर्श के लिए बेहद ज़रूरी हों या जो Facebook की पॉलिसी के बारे में ज़रूरी सवाल खड़े करते हों.

आज हम इन केसों की घोषणा कर रहे हैं:

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Facebook पर कंटेंट रीस्टोर करने के लिए यूज़र की अपील

पब्लिक कमेंट यहाँ सबमिट करें.

नोट: लोगों को पोस्ट की प्रकृति व प्रभाव पर कमेंट करने की अनुमति देने और इस केस पर बोर्ड के आखिरी फ़ैसले को समझने में लोगों की मदद करने के लिए हम इस पोस्ट में उपयोग किए गए कुछ बिल्कुल वही शब्द शेयर कर रहे हैं. हम ऐसा पारदर्शिता के हित में करते हैं, साथ ही हम जानते हैं कि कुछ उल्लेखित भाषा के अपमानजनक होने की संभावना है.

जून 2021 में, कोलंबिया के क्षेत्रीय न्यूज़ आउटलेट के Facebook पेज ने किसी वेरिफ़ाई किए हुए Facebook पेज की पोस्ट शेयर की. पोस्ट में टेक्स्ट के साथ छोटा-सा वीडियो (मूल रूप से TikTok पर शेयर किया गया) है, जिसमें वीडियो में मौजूद लोगों की सराहना की गई है. वीडियो में कोलंबिया में हुआ विरोध प्रदर्शन दिखाया गया है, जिसमें लोग “SOS COLOMBIA” लिखा हुआ बैनर लेकर जुलूस निकाल रहे हैं. प्रदर्शनकारी गा रहे हैं और कर संबंधी सुधारों और हड़ताल का उल्लेख करते हुए कोलंबियाई राष्ट्रपति को संबोधित कर रहे हैं. प्रदर्शनकारी अपने नारों में राष्ट्रपति को “hijo de puta” बुलाते हैं और “deja de hacerte el marica en la tv” कहते हैं. Facebook ने इन वाक्यांशों का कुछ इस तरह अनुवाद किया है, “son of a bitch (कुत्ते के पिल्ले)” और “stop being the fag on tv (टीवी पर कायर बनना बंद करें).”

इस कंटेंट को करीब 19,000 बार देखा गया और 70 से भी ज़्यादा बार शेयर किया गया. पांच से भी कम यूज़र ने इस कंटेंट की रिपोर्ट की. Facebook ने नफ़रत फैलाने वाली भाषा से जुड़ी अपनी पॉलिसी के अंतर्गत पोस्ट से शेयर करने का विकल्प हटा दिया. इसके नफ़रत फैलाने वाली भाषा से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्डके अंतर्गत Facebook ऐसा कंटेंट हटा देता है जिसमें यौन रुचि सहित सुरक्षित विशिष्टताओं के आधार पर “लोगों का गाली देकर वर्णन किया जाता है या इसके ज़रिए उन्हें नकारात्मक तरीके से टार्गेट किया जाता है, यहाँ गाली का मतलब ऐसे शब्दों से हैं, जो सहज रूप में आपत्तिजनक हैं और किसी का अपमान करने के लिए उपयोग किए जाते हैं”. “m**ica” शब्द Facebook की प्रतिबंधित गालियों की लिस्ट में शामिल है.

यूज़र ने स्पेनिश भाषा में बोर्ड को उनकी अपील सबमिट की. अपील में, पेज के एडमिन ने यह बताया है कि वे अपने प्रांत से लोकल न्यूज़ पर रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकार हैं और उनका लक्ष्य Facebook की पॉलिसी का पालन करना है. उन्होंने यह भी देखा कि कंटेंट निकाले जाने के कारण अकाउंट पर जुर्माने लगाए गए हैं. यूज़र ने कहा कि वीडियो का नुकसान पहुँचाने का कोई इरादा नहीं था और यह दिखाता है कि युवा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन की सीमा में रहकर विरोध कर रहे हैं. वे ध्यान दिलाते हैं कि युवा बिना किसी हिंसा के खुद को अभिव्यक्त कर रहे हैं आम भाषा का उपयोग करके अधिकारों की मांग कर रहे हैं, साथ ही सरकार द्वारा विरोध प्रदर्शन का दमन करने पर चिंता व्यक्त करते हैं.

बोर्ड ऐसे पब्लिक कमेंट चाहता है, जो इन बातों से जुड़े हों:

  • क्या Facebook का पोस्ट को हटाने का फ़ैसला, कंपनी के नफ़रत फैलाने वाली भाषा से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड से संगत है, ख़ासतौर पर लोगों का गालियों के ज़रिए वर्णन करने या नकारात्मक रूप से टार्गेट करने से जुड़े नियमों के साथ.
  • क्या Facebook का पोस्ट को हटाने का फ़ैसला कंपनी के बताए गए मूल्यों और मानवाधिकारों से जुड़ी इसकी ज़िम्मेदारियों तथा प्रतिबद्धताओंसे संगत है.
  • कोलंबिया में राजनीतिक हस्तियों की आलोचना करने के संदर्भ सहित “m**ica” शब्द के अलग-अलग उपयोग और प्रभाव.
  • हालिया विरोध प्रदर्शनों तथा राजनीतिक हस्तियों की आलोचना के संबंध में सोशल मीडिया पर जानकारी पर रोक से जुड़ी जानकारी सहित, कोलंबिया में सामजिक-राजनीतिक संदर्भ की गहरी जानकारी.
  • Facebook के स्पेनिश-भाषा से जुड़े मॉडरेशन में स्पेनिश-भाषा बोलने वाले अलग-अलग देशों में कैसे अंतर हैं.
  • स्थानीय और क्षेत्रीय न्यूज़ आउटलेट के लिए कंटेंट के ख़बरों में रहने लायक होने से जुड़े भत्ते की उपलब्धता.
  • क्या Facebook का उपयोग करने वाले ऐसे लोगों को वर्तमान में स्पेनिश भाषा में पर्याप्त जानकारी दी जाती है, जिनके कंटेंट को नफ़रत फैलाने वाली भाषा से जुड़ी पॉलिसी का उल्लंघन करने के लिए हटाया गया है.

बोर्ड अपने फ़ैसलों में Facebook को पॉलिसी से जुड़े सुझाव दे सकता है. सुझाव बाध्यकारी नहीं हैं, लेकिन Facebook को 30 दिनों के अंदर इनका जवाब देना होगा. वैसे, बोर्ड इस केस के लिए प्रासंगिक सुझाव देने के लिए पब्लिक कमेंट का स्वागत करता है.

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Facebook पर कंटेंट रीस्टोर करने के लिए यूज़र की अपील

पब्लिक कमेंट यहाँ सबमिट करें.

नोट: लोगों को पोस्ट की प्रकृति व प्रभाव पर कमेंट करने की अनुमति देने और इस केस पर बोर्ड के आखिरी फ़ैसले को समझने में लोगों की मदद करने के लिए हम इस पोस्ट में उपयोग किए गए कुछ बिल्कुल वही शब्द शेयर कर रहे हैं. हम ऐसा पारदर्शिता के हित में करते हैं, साथ ही हम जानते हैं कि कुछ उल्लेखित भाषा के अपमानजनक होने की संभावना है.

मई 2021 में, दक्षिण अफ़्रीका के प्रतीत हो रहे एक Facebook यूज़र ने एक पब्लिक ग्रुप में अंग्रेज़ी में कुछ पोस्ट किया, जिसे दिल-दिमाग को खोलने वाला बताया गया है. पोस्ट में दक्षिण अफ़्रीका में “बहु-जातिवाद” पर चर्चा की गई है, और कहा गया है कि 1994 से दक्षिण अफ़्रीका के अश्वेत लोगों में गरीबी, बेघर होने और भूमिहीन होने की समस्या बढ़ गई है. इसमें यह भी कहा गया है कि अधिकांश संपत्ति श्वेत लोगों के पास है तथा वे इसे नियंत्रित करते हैं, और यह कि अमीर अश्वेत लोगों के पास कुछ कंपनी का स्वामित्व हो सकता है लेकिन नियंत्रण नहीं है. इस पोस्ट में आगे कहा गया है कि अगर “आप सोचते हैं” कि श्वेत लोगों के इलाके में रहने से, उनकी भाषा बोलने से और उनके साथ पढ़ाई करने से आप “कुछ हद तक श्वेत” बन जाते हैं, तो “आपको अपने दिमाग की जाँच करवानी चाहिए.” पोस्ट का अंत इस तरह है कि “आप” “एक विवेकी गुलाम”, “एक चतुर अश्वेत”, “एक अच्छे काफ़िर” या “हाउस निगर (मालिक के घर में काम करने वाले गुलाम) हैं.”

पोस्ट को 1,000 से ज़्यादा बार देखा गया था और 40 से ज़्यादा बार शेयर किया गया था. यूज़र की Facebook प्रोफ़ाइल फ़ोटो और बैनर फ़ोटो में अश्वेत लोग दर्शाए गए हैं (बोर्ड, अपील करने या कंटेंट की रिपोर्ट करने वाले यूज़र की पहचान या सुरक्षित विशिष्टताओं को वेरिफ़ाई करने में असमर्थ है).

Facebook ने इसकी नफ़रत फैलाने वाली भाषा से जुड़ी पॉलिसी के अंतर्गत पोस्ट को उसी दिन हटा दिया था, जब इसे पोस्ट किया गया था, ऐसा किसी यूज़र द्वारा इसकी रिपोर्ट करने के बाद किया गया था, जो शायद दक्षिण अफ़्रीका में रहता है. इसके नफ़रत फैलाने वाली भाषा से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्डके अंतर्गत Facebook ऐसा कंटेंट हटा देता है जिसमें जाति, नस्ल और/या राष्ट्रीय मूल के आधार पर “लोगों का गाली देकर वर्णन किया जाता है या इसके ज़रिए उन्हें नकारात्मक तरीके से टार्गेट किया जाता है, यहाँ गाली का मतलब ऐसे शब्दों से हैं, जो सहज रूप में आपत्तिजनक हैं और किसी का अपमान करने के लिए उपयोग किए जाते हैं”. Facebook लोगों को सुरक्षित विशिष्टताओं के आधार पर टार्गेट करने पर भी रोक लगाता है, जहाँ मानसिक कमज़ोरियों का सामान्यकरण किया गया हो या किसी को हीन बताया गया हो. कम्युनिटी स्टैंडर्ड में एक अपवाद शामिल है, जिसके चलते लोग “किसी ऐसे कंटेंट की आलोचना करने या जागरूकता बढ़ाने के लिए उसे शेयर कर सकते हैं जिसमें किसी और द्वारा नफ़रत फैलाने वाली भाषा का उपयोग किया गया हो” और इसे ध्यान में रखते हैं कि “अन्यथा संभावित रूप से हमारे स्टैंडर्ड का उल्लंघन करने वाली भाषा का उपयोग खुद के संबंध में या सशक्तिकरण लाने के उद्देश्य से किया जाता है”

यूज़र ने अंग्रेज़ी भाषा में बोर्ड को उनकी अपील सबमिट की. यूज़र ने अपनी अपील में बताया कि वे यह समझना चाहते हैं कि पोस्ट को क्यों हटाया गया था. उन्होंने बताया कि लोगों को प्लेटफ़ॉर्म पर अलग-अलग नज़रिए शेयर करने और “सभ्य और स्वस्थ चर्चा में हिस्सा लेने” की अनुमति होनी चाहिए. यूज़र ने यह भी बताया कि उन्होंने “किसी समूह को नफ़रत के लिए टार्गेट करने या किसी दूसरे समूह के सदस्यों द्वारा किसी भी तरह से इसके सदस्यों के साथ बुरा बर्ताव करने के लिए नहीं लिखा था.” उन्होंने तर्क दिया कि इसके बजाए उनकी पोस्ट ने “कुछ समूह के लोगों को आत्ममंथन करने और उनकी प्रथामिकताएँ तथा नज़रियों का फिर से मूल्यांकन करने के लिए प्रोत्साहित किया.” यूज़र ने यह भी बताया कि पोस्ट में या “इसकी भावना या इरादे में” ऐसा कुछ नहीं है जो नफ़रत फैलाने वाली भाषा को बढ़ावा देगा, और ये कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि Facebook उन्हें यह बताने में असमर्थ है कि उनकी पोस्ट का कौन-सा हिस्सा नफ़रत फैलाने वाली भाषा है.

बोर्ड ऐसे पब्लिक कमेंट चाहता है, जो इन बातों से जुड़े हों:

  • क्या Facebook का पोस्ट को हटाने का फ़ैसला, कंपनी के नफ़रत फैलाने वाली भाषा से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड से संगत है, ख़ासतौर पर लोगों का गालियों के ज़रिए वर्णन करने या नकारात्मक रूप से टार्गेट करने और मानसिक कमज़ोरियों का सामान्यकरण करने या किसी को हीन बताने से जुड़े नियमों के साथ.
  • क्या Facebook का पोस्ट को हटाने का फ़ैसला कंपनी के बताए गए मूल्यों और मानवाधिकारों से जुड़ी इसकी ज़िम्मेदारियों तथा प्रतिबद्धताओंसे संगत है.
  • इस पोस्ट में शामिल किए गए शब्दों का यूज़र द्वारा उठाए गए राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक मुद्दों के संबंध में चर्चा करने सहित दक्षिण अफ़्रीकी संदर्भ में उपयोग और प्रभाव.
  • विशेष रूप से दक्षिण अफ़्रीका के कंटेंट मॉडरेशन से जुड़ी चुनौतियाँ, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान करने और ऑनलाइन नफ़रत फैलाने वाली भाषा का उपयोग करने के परिणामस्वरुप होने वाले संभावित नुकसानों से निपटने, इन दोनों संबंध में.
  • Facebook को इसकी नफ़रत फैलाने वाली भाषा से जुड़े कम्युनिट स्टैंडर्ड को लागू करते समय इन सिद्धांतों की विवेचना कैसे करनी चाहिए: ‘ख़ुद के संदर्भ में’, ‘सशक्त बनाना’, ‘आलोचना करना’ और ‘जागरूकता बढ़ाना.’
  • क्या अंग्रेज़ी भाषा में Facebook का उपयोग करने वाले ऐसे लोगों को वर्तमान में पर्याप्त जानकारी दी जाती है, जिनके कंटेंट को "नफ़रत फैलाने वाली भाषा" से जुड़ी पॉलिसी का उल्लंघन करने के लिए हटाया गया है.
  • सुरक्षित विशिष्टताओं सहित यूज़र के बारे में कौन-सी जानकारी नफ़रत फैलाने वाली भाषा से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड को लागू करने के लिए इसकी संभावित प्रासंगिकता पर विचार करते हुए कंटेंट का रिव्यू करते समय मॉडरेटर के पास उपलब्ध होनी चाहिए. बोर्ड इस संबंध में भी कमेंट की सराहना करेगा कि क्या Facebook यूज़र द्वारा दी गई जानकारी, और इन बिंदुओं से पैदा हुई प्राइवेसी से जुड़ी किसी चिंता को कन्फ़र्म कर सकता है.

बोर्ड अपने फ़ैसलों में Facebook को पॉलिसी से जुड़े सुझाव दे सकता है. सुझाव बाध्यकारी नहीं हैं, लेकिन Facebook को 30 दिनों के अंदर इनका जवाब देना होगा. वैसे, बोर्ड इस केस के लिए प्रासंगिक सुझाव देने के लिए पब्लिक कमेंट का स्वागत करता है.

पब्लिक कमेंट

अगर आपको या आपके संगठन को लगता है कि आज घोषित इन केस को लेकर आप हमें ऐसे मूल्यवान दृष्टिकोण बता सकते हैं, जिनसे हमें फ़ैसला लेने में मदद मिलेगी, तो आप ऊपर दिए गए लिंक के ज़रिए अपनी राय हमें भेज सकते हैं. इन केस के लिए पब्लिक कमेंट की विंडो 14 दिनों तक खुली रहेगी, जो मंगलवार, 27 जुलाई को UTC के अनुसार दोपहर 3:00 बजे बंद होगी.

इसके बाद क्या होगा

आने वाले हफ़्तों में, बोर्ड के सदस्य इन केस पर विचार-विमर्श करेंगे. उनके द्वारा अपने आखिरी फ़ैसले लिए जाने के बाद, हम उन्हें ओवरसाइट बोर्ड की वेबसाइट पर पोस्ट करेंगे. जब बोर्ड नए केस की घोषणा करता है या फ़ैसले प्रकाशित करता है, तब अपडेट पाने के लिए यहाँ साइन अप करें.

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