इस केस की घोषणा: 2021-009-FB-UA

आज बोर्ड एक नए केस की सुनवाई करने की घोषणा करने जा रहा है.

केस का चयन

चूँकि हम सभी अपीलों पर सुनवाई नहीं कर सकते हैं, इसलिए बोर्ड उन केसों को प्राथमिकता देता है जिनमें दुनिया भर के यूज़र्स को प्रभावित करने की संभावना हो और जो सार्वजनिक विचार-विमर्श के लिए बेहद ज़रूरी हों या जो Facebook की पॉलिसी के बारे में ज़रूरी सवाल खड़े करते हों.

आज हम इस केस की घोषणा करने जा रहे हैं:

2021-009-FB-UA

Facebook पर कंटेंट रीस्टोर करने के लिए यूज़र की अपील

पब्लिक कमेंट यहाँ सबमिट करें.

मई 2021 में, मिस्त्र के एक Facebook यूज़र ने वेरिफ़ाई किए गए अल जज़ीरा के न्यूज़ पेज से इजराइल और इज़राइल के कब्ज़े वाले फिलिस्तीनी क्षेत्रों, गाज़ा और वेस्ट बैंक में बढ़ती हिंसा के बारे में पोस्ट शेयर की. अल जज़ीरा की इस पोस्ट में अरबी भाषा में टेक्स्ट और फ़ोटो शामिल है. टेक्स्ट के अनुसार: “‘चेतावनी देने के बाद, चेतावनी देने वाले की गलती नहीं मानी जाती’. अल-क़ासम ब्रिगेड के सैन्य प्रवक्ता ने कब्ज़ा करने वाले बलों को धमकाते हुए ये कहा कि अगर वे अल-अक्सा मस्ज़िद से कब्ज़ा नहीं हटाएँगे तो ये उनकी गलती होगी.” इज़ अल-दीन अल-क़ासम ब्रिगेड हमास की सैन्य शाखाएं हैं और कई देशों ने इन्हें, अलग से या हमास के हिस्से के रूप में आतंकवादी संगठन घोषित किया है.

फ़ोटो में सैन्य वर्दी में दो लोग दिखाई दे रहे हैं, उनके चेहरे ढँके हुए हैं, उनके सामने कई माइक्रोफ़ोन हैं और उन्होंने अल-क़ासम के चिह्न वाले हेडबैंड पहने हुए हैं. फ़ोटो के ऊपर उद्धरण चिह्नों में अरबी भाषा का वाक्य जोड़ा गया है, जो अल-क़ासम ब्रिगेड के प्रवक्ता ने कहा है.

अनुवाद के अनुसार, फ़ोटो के साथ के वाक्य में कहा गया है कि: “कॉमन रूम में विरोधी लीडरशिप [الغرفة المشتركة] कब्ज़ा करने वाले पक्ष को अल-अक्सा मस्ज़िद और शेख़ जर्राह के आसपास के इलाकों से उसके सैनिक हटाने के लिए शाम 6 बजे की मोहलत देती है, अन्यथा अब चेतावनी दे दी गई है, और चेतावनी देने वाली की गलती नहीं मानी जाएगी. अबु ओबैदा - अल-क़ासम ब्रिगेड सेना का प्रवक्ता.” बोर्ड ने कहा कि अल जज़ीरा की पोस्ट (जो यूज़र ने शेयर की) अभी Facebook पर उपलब्ध है.

Facebook नेखतरनाक लोग और संगठन से संबंधित अपने कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन करने के कारण पहले इस पोस्ट को हटा दिया था . अपनी अपील में यूज़र ने बताया कि उन्होंने चल रहे संकट के बारे में लोगों को अपडेट करने के लिए पोस्ट शेयर की थी और यह महत्वपूर्ण मुद्दा था, जिसके बारे में ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को जागरूक होना चाहिए. यूज़र ने यह भी बताया कि उन्होंने अपनी पोस्ट में सिर्फ़ अल जज़ीरा पेज के कंटेंट को शेयर किया था.

जब बोर्ड ने Facebook से बोर्ड के रिव्यू के लिए इस पोस्ट की योग्यता की पुष्टि करने के लिए कहा तो Facebook को पता चला कि इस पोस्ट को हटाना प्रवर्तन से जुड़ी गलती है और उसने कंटेंट को बहाल कर दिया. बोर्ड ने इस मामले को रिव्यू करने का विकल्प चुना, क्योंकि वह अभी भी Facebook की पॉलिसी और प्रवर्तन प्रक्रियाओं के बारे में महत्वपूर्ण सवाल उठाता है.

बोर्ड ऐसे पब्लिक कमेंट का स्वागत करेगा, जो इन बातों को ले कर किए जाते हैं:

  • क्या इस कंटेंट को हटाने का Facebook का फ़ैसला, ख़तरनाक लोगों और संगठनों से संबंधित इसके कम्युनिटी स्टैंडर्ड के अनुसार था, ख़ास तौर पर उस नियम के अनुसार जो ख़तरनाक लोगों और संगठनों की प्रशंसा करने, उनका समर्थन करने या उनका प्रतिनिधित्व करने के विरुद्ध बनाया गया है.
  • क्या Facebook का पोस्ट को हटाने का फ़ैसला कंपनी के बताए गए मूल्यों और मानवाधिकारों से जुड़ी प्रतिबद्धताओं के अनुसार था, जिसमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता शामिल है.
  • Facebook को इन संदर्भों में कंटेंट कैसे मॉडरेट करना चाहिए, जहाँ निर्दिष्ट व्यक्ति या संगठन ख़बरों की रिपोर्टिंग में दिखाई देते हैं या इससे जुड़े हैं, सार्वजनिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, या स्टेट एक्टर द्वारा आमतौर पर निभाई जाने वाली जिम्मेदारियों को खुद निभाने लगते हैं.
  • क्षेत्र में मीडिया की स्वतंत्रता की स्थिति और मौजूदा घटनाओं को शेयर करने तथा उन पर चर्चा करने के लिए Facebook और Instagram का उपयोग करने से ये कैसे संबंधित है और Facebook की कंटेंट पॉलिसी और उनके प्रवर्तन जानकारी के मुक्त प्रवाह को कैसे प्रभावित करते हैं.
  • Facebook की पॉलिसी, हाल ही में इज़राइल और इज़राइल के कब्ज़े वाले फिलिस्तीनी क्षेत्रों में बढ़ती हिंसा से संबंधित जानकारी को शेयर करने की क्षमता को कैसे प्रभावित करती हैं.
  • क्या Facebook की कंटेंट पॉलिसी और इनके प्रवर्तन के कारण क्षेत्र के कमज़ोर और कम-प्रतिनिधित्व वाले लोगों की आवाज़ को मौन कर दिया गया.

बोर्ड अपने फ़ैसलों में Facebook को पॉलिसी से जुड़े सुझाव दे सकता है. ये सुझाव बाध्यकारी नहीं हैं, लेकिन Facebook को 30 दिनों के अंदर इनका जवाब देना होगा. बोर्ड इस केस के लिए प्रासंगिक सुझाव देने के लिए पब्लिक कमेंट का स्वागत करता है.

पब्लिक कमेंट

अगर आपको या आपके संगठन को लगता है कि आज घोषित इस केस को लेकर आप हमें ऐसे मूल्यवान पहलू दिखा सकते हैं, जिनसे हमें फ़ैसला लेने में मदद मिलेगी, तो आप ऊपर दिए गए लिंक के ज़रिए आप अपनी राय हमें भेज सकते हैं. इस केस के लिए पब्लिक कमेंट की विंडो 14 दिनों तक खुली रहेगी, जो बुधवार, 14 जुलाई को UTC के अनुसार दोपहर 3:00 बजे बंद होगी.

इसके बाद क्या होगा

आने वाले हफ़्तों में बोर्ड के सदस्य इस केस पर विचार-विमर्श करेंगे. जब वे अपने आख़िरी फ़ैसले पर पहुँच जाएँगे, तब हम उस फ़ैसले को ओवरसाइट बोर्ड की वेबसाइट पर पोस्ट करेंगे. जब बोर्ड नए केस की घोषणा करता है या फ़ैसले प्रकाशित करता है, तब अपडेट पाने के लिए यहाँ साइन अप करें.

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