ओवरसाइट बोर्ड ने नाइजीरिया और भारत से जुड़े दो नए केस पर सुनवाई करने की घोषणा की

आज बोर्ड दो नए केस की सुनवाई करने की घोषणा करने जा रहा है. इस प्रक्रिया के अंतर्गत, हम लोगों और संगठनों को पब्लिक कमेंट सबमिट करने के लिए आमंत्रित कर रहे हैं.

केस का चयन

चूँकि हम सभी अपीलों पर सुनवाई नहीं कर सकते हैं, इसलिए बोर्ड उन केस को प्राथमिकता देता है, जिनका असर दुनिया भर के यूज़र्स पड़ सकता हो और जो सार्वजनिक विचार-विमर्श के लिए बेहद ज़रूरी हों या जो Meta की पॉलिसी के बारे में बड़े सवाल खड़े करते हों.

आज हम इन केस पर सुनवाई करने की घोषणा करने जा रहे हैं:

नाइजीरिया में चर्च पर हुए हमले के बाद का वीडियो (2022-011-IG-UA)

यूज़र द्वारा Instagram पर उस कंटेंट को रीस्टोर करने के लिए की गई अपील

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जून 2022 में, एक Instagram यूज़र ने एक वीडियो पोस्ट किया, जो नाइजीरिया के एक चर्च में हुई अंधाधुंध फ़ायरिंग के तुरंत बाद फ़िल्माया गया लग रहा था. वीडियो में चर्च के अंदर खून से लथपथ पड़े लोग दिखाई दे रहे थे. वीडियो के बैकग्राउंड में इस दिल दहला देने वाली घटना की आवाज़ें साफ़ तौर पर सुनी जा सकती थीं, जिसमें लोगों के रोने और चिल्लाने की आवाज़ें भी सुनाई दे रही थीं. यूज़र द्वारा यह कंटेंट पोस्ट किए जाने के बाद, हिंसक और आपत्तिजनक कंटेंट से जुड़ी पॉलिसी का उल्लंघन करने वाले कंटेंट के लिए बने Meta के मीडिया मैचिंग सर्विस बैंक में से एक ने इस पोस्ट का पता लगाया. ये बैंक ऐसी फ़ोटो और वीडियो का पता ऑटोमेटिक तरीके से लगाती हैं, जिन पर पहले कभी Meta ने एक्शन लेने का फ़ैसला लिया था. इसके बाद एक दूसरे ऑटोमेटेड सिस्टम द्वारा संबंधित कंटेंट की जाँच-पड़ताल की गई और वीडियो को विचलित करने वाले कंटेंट के रूप में चिह्नित करके उस पर चेतावनी स्क्रीन लगा दी गई. मौत और गंभीर घाव दिखाने जैसी बातों को लेकर तीन यूज़र्स ने इस कंटेंट की रिपोर्ट भी की.

कंटेंट को पोस्ट करने के लगभग एक हफ़्ते बाद, यूज़र ने उस वीडियो में अंग्रेज़ी भाषा में एक कैप्शन डाला. इसमें बताया गया कि चर्च पर हथियारबंद लोगों ने हमला किया, कई लोगों को मार दिया गया और फ़ायरिंग की इस घटना को दुखद बताया. इसके बाद, इसमें कई अलग-अलग हैशटैग शामिल किए गए, जो मुख्य तौर पर शौकिया हथियारों, गोली चलाने की आवाज़ को दर्शाने वाले शब्द, सेना के उपकरण और सिम्युलेशन के बारे में थे. इसके बाद, हिंसक और आपत्तिजनक कंटेंट से जुड़ी पॉलिसी से संबंधित Meta के मीडिया मैचिंग सर्विस बैंक में से एक ने पोस्ट का पता लगाकर इसे पॉलिसी का उल्लंघन वाला बताकर हटा दिया. बाद में, Meta ने बताया कि उसने यह माना कि कैप्शन में हिंसा को सही ठहराया गया है. साथ ही, यह भी कहा कि इसमें दूसरों को पीड़ा पहुँचाने वाले हैशटैग शामिल थे. यूज़र्स के द्वारा की गई रिपोर्ट का रिव्यू नहीं किया गया और कंटेंट हटा देने के बाद उन रिपोर्ट को क्लोज़ कर दिया गया.

यूज़र ने अपील की और Meta ने कंटेंट हटाने का अपना फ़ैसला कायम रखा. जब इस कंटेंट को हटाया जा रहा था, तब तक उसे 6,000 से ज़्यादा बार देखा जा चुका था. इसके बाद उस यूज़र ने बोर्ड के सामने अपनी अपील पेश की.

बोर्ड को दिए गए अपने बयान में यूज़र ने बताया कि वे उस कंटेंट के ज़रिए दुनिया को यह दिखाना चाहते थे कि नाइजीरिया में क्या हो रहा है. साथ ही, उनका इरादा बेगुनाह लोगों की हत्या के बारे में सबको बताना था. यूज़र ने यह भी बताया कि वे हिंसा का समर्थन नहीं करते हैं.

अपनी हिंसक और आपत्तिजनक कंटेंट से जुड़ी पॉलिसी में Meta ने बताया है कि वह ऐसे किसी भी कंटेंट को हटा देता है, जिसमें “हिंसा को सही ठहराया जाता है या दूसरों की पीड़ा और अपमान पर खुशी जताई जाती है” लेकिन वह ऐसा आपत्तिजनक कंटेंट दिखाने की परमिशन देता है जो “लोगों को जागरूक बनाने में मदद करता है.” यह पॉलिसी "गैर-चिकित्सीय परिस्थितियों में लोगों या शवों को दिखाने वाले ऐसे वीडियो पोस्ट करने पर रोक लगाती है, जिनमें अंगों का कटना, आंतरिक अंगों या आंशिक रूप से सड़ चुके शवों को दिखाया जाता है." पॉलिसी में यह भी बताया गया है कि चेतावनी स्क्रीन ऐसी फ़ोटो पर लगाई जाती हैं "जिनमें किसी व्यक्ति या लोगों की दुर्घटना के कारण हुई हिंसक मौत या उनकी हत्या को दिखाया जाता है". इसमें यह भी बताया गया है कि ऐसा कंटेंट सिर्फ़ 18 साल उससे ज़्यादा उम्र वाले वयस्क ही देख सकते हैं. दूसरों को पीड़ा पहुँचाने वाली टिप्पणियों के साथ कंटेंट को पोस्ट करने के बाद उस कंटेंट को हटा दिया गया. ख़बरों में बने रहने लायक कंटेंट के आधार पर दी जाने वाली छूट के तहत, Meta अपने प्लेटफ़ॉर्म पर उल्लंघन करने वाले कंटेंट को तब परमिशन दे देता है, “जब उसे दिखाना लोगों के हित में होता है.”

बोर्ड ऐसे पब्लिक कमेंट चाहता है, जो बताएँ कि:

  • क्या Meta की ख़बरों में बने रहने लायक कंटेंट के आधार पर दी जाने वाली छूट के साथ-साथ हिंसक और आपत्तिजनक कंटेंट से जुड़ी उसकी पॉलिसी किसी हादसे के पीड़ितों और मृतकों (उनके परिवार के लोगों और प्रियजनों समेत) के अधिकारों को सुरक्षित रखने और मानवाधिकारों के दुरुपयोग या उल्लंघनों का रिकॉर्ड रखने या उनके बारे में जागरूकता बढ़ाने के बीच सही संतुलन बना पाती है.
  • क्या Meta हिंसक और आपत्तिजनक कंटेंट से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड को अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग तरीके से लागू करता है और अगर ऐसा है, तो इसका क्या कारण है. साथ ही, ऐसे सभी भेदभावों से जुड़े कारण और उनसे पड़ने वाले प्रभाव की जानकारी.
  • अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से जुड़ी हर तरह की चुनौती या प्रतिबंध के संबंध में नाइजीरिया के सामाजिक-राजनैतिक और कानूनी संदर्भ से जुड़ी जानकारी, ख़ास तौर पर राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में और मानवाधिकारों के उल्लंघनों से जुड़ा रिकॉर्ड रखने और उनके बारे में जागरूकता बढ़ाने से जुड़ी जानकारी.
  • मानवाधिकारों के उल्लंघनों से जुड़ा रिकॉर्ड रखने और जागरूकता बढ़ाने के मामले में दुनिया भर में एक रिसोर्स और फ़ोरम के तौर पर सोशल मीडिया की भूमिका के बारे में ख़ास जानकारी.

बोर्ड अपने फ़ैसलों में Meta को पॉलिसी से जुड़े सुझाव दे सकता है. ये सुझाव बाध्यकारी नहीं होते हैं, लेकिन Meta को 60 दिनों के अंदर इन सुझावों पर अपनी राय रखनी होती है. वैसे, बोर्ड इस केस के लिए प्रासंगिक सुझाव देने वाले पब्लिक कमेंट का स्वागत करता है.

भारत में यौन उत्पीड़न का वीडियो (2022-012-IG-MR)

Meta द्वारा रेफ़र किया गया केस

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मार्च 2022 में, खुद को दलितों की बात करने वाला प्लेटफ़ॉर्म बताने वाले एक Instagram अकाउंट ने भारत में हुई एक घटना का वीडियो पोस्ट किया, जिसमें पुरुषों का एक समूह किसी महिला की पिटाई करता दिखाई दे रहा है. वीडियो में महिला का चेहरा दिखाई नहीं दे रहा है. वीडियो के साथ में दिए गए टेक्स्ट में बताया गया था कि “आदिवासी महिला” का पुरुषों के एक समूह ने सार्वजनिक रूप से यौन उत्पीड़न करके उसे प्रताड़ित किया. साथ ही, टेक्स्ट में यह भी बताया गया कि यह वीडियो वायरल हो गया है. इस अकाउंट के लगभग 30,000 फ़ॉलोअर्स हैं, जिनमें से ज़्यादातर लोग भारत में रहते हैं.

एक अन्य Instagram यूज़र ने यौन आग्रह के मामले में इस कंटेंट की रिपोर्ट की और इसे ह्यूमन रिव्यू के लिए भेज दिया गया. ह्यूमन रिव्यूअर्स ने यह पाया कि संबंधित कंटेंट से Meta की वयस्कों के यौन शोषण से जुड़ी पॉलिसी का उल्लंघन हुआ है. इस पॉलिसी के तहत, Meta ऐसे कंटेंट को हटा देता है जिसमें “यौन हिंसा, यौन हमले या यौन शोषण दिखाया जाता है, इससे जुड़ी धमकी दी जाती है या इन्हें बढ़ावा दिया जाता है.” अलग से ह्यूमन रिव्यू होने के बाद, Meta ने ख़बरों में बने रहने लायक कंटेंट के आधार पर छूट देते हुए उस कंटेंट को रीस्टोर कर दिया और वीडियो पर चेतावनी स्क्रीन लगाकर लोगों को अलर्ट किया कि इसमें हिंसक या आपत्तिजनक कंटेंट हो सकता है. यह चेतावनी स्क्रीन 18 साल से कम उम्र के यूज़र्स को ऐसा कंटेंट देखने से रोकती है और अन्य सभी यूज़र्स को ऐसे वीडियो देखने के लिए स्क्रीन पर मौजूद बटन पर क्लिक करना होता है. ख़बरों में बने रहने लायक कंटेंट के आधार पर दी जाने वाली छूट के तहत Meta के प्लेटफ़ॉर्म पर ऐसा कंटेंट दिखाया जा सकता है, जिससे अन्यथा इसकी पॉलिसी का उल्लंघन तो हो सकता है, लेकिन वह कंटेंट ख़बरों में बने रहने लायक होता है और जिसे दिखाना लोगों के हित में होता है. यह छूट केवल Meta की स्पेशलिस्ट टीम दे सकती है. बड़े पैमाने पर कंटेंट का रिव्यू करने वाले ह्यूमन रिव्यूअर्स ऐसा नहीं कर सकते.

Meta ने बोर्ड को यह बताते हुए इस केस को रेफ़र किया कि इसमें "यौन शोषण की निंदा करने वाले कंटेंट को परमिशन देने और यौन उत्पीड़न के विजुअल हमारे प्लेटफ़ॉर्म पर दिखाने की परमिशन देने के नुकसान" के बीच सही संतुलन बनाए रखना एक चुनौती है. उसने बताया कि शुरुआत में इस कंटेंट को वयस्कों के यौन शोषण से जुड़ी पॉलिसी का उल्लंघन करने के कारण हटा दिया गया था क्योंकि इसमें बिना सहमति गलत तरीके से छूने को दर्शाया गया था. उसने यह भी बताया कि “इस तरह के विजुअल के आपत्तिजनक और नुकसानदेह होने की वजह से ही यह पॉलिसी ऐसे कंटेंट को निंदा करने के संदर्भ में शेयर नहीं करने देती है.” उसका कहना है कि वह इस तरह के कंटेंट को शेयर करने की परमिशन सिर्फ़ “रिपोर्ट किए जाने पर चुनिंदा परिस्थितियों में और अलग-अलग केस की ज़रूरत के आधार पर” देता है.

बोर्ड ऐसे पब्लिक कमेंट चाहता है, जो बताएँ कि:

  • क्या Meta की ख़बरों में बने रहने लायक कंटेंट के आधार पर दी जाने वाली छूट के साथ-साथ उसकी पॉलिसी और एन्फ़ोर्समेंट के तरीके संभावित तौर पर नुकसानदेह कंटेंट से यूज़र्स को दूर रखने और यूज़र्स को जागरूकता बढ़ाने की परमिशन देने के बीच सही ढंग से संतुलन बना पाते हैं.
  • दलित और आदिवासी लोगों और उनकी कम्युनिटी, ख़ास तौर पर महिलाओं के साथ किए जाने वाले बर्ताव को प्रभावित करने वाले सामाजिक-राजनैतिक संदर्भ से जुड़ी ख़ास जानकारी. इस ख़ास जानकारी में इस केस से जुड़े लोगों के अधिकारों की असमानताओं, शारीरिक और सामाजिक अलगाव और भेदभाव की परंपराओं के साथ-साथ ऐसे तरीकों की जानकारी भी दी जा सकती है, जिनसे पता चलता है कि डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर समाज में मौजूद असमानताएँ कैसे नज़र आ सकती हैं.
  • भारत के उपेक्षित समुदायों के यौन शोषण और उनके साथ होने वाले गलत व्यवहार को लेकर जागरूकता फैलाने और उनकी निंदा करने में सोशल मीडिया की भूमिका.
  • Meta के प्लेटफ़ॉर्म पर यौन उत्पीड़न से जुड़े विजुअल दिखाने की परमिशन देने से होने वाला नुकसान, भले ही उनसे पीड़ितों की पहचान उजागर न होती हो.
  • उपेक्षित समूहों के साथ की जाने वाली हिंसा के विजुअल से इस तरह की हिंसा को बढ़ावा मिलने की कितनी आशंका है, भले ही ये विजुअल ऐसी घटनाओं की निंदा करने के संदर्भ में शेयर किए गए हों.

बोर्ड अपने फ़ैसलों में Meta को पॉलिसी से जुड़े सुझाव दे सकता है. ये सुझाव बाध्यकारी नहीं होते हैं, लेकिन Meta को 60 दिनों के अंदर इन सुझावों पर अपनी राय रखनी होती है. वैसे, बोर्ड इस केस के लिए प्रासंगिक सुझाव देने वाले पब्लिक कमेंट का स्वागत करता है.

पब्लिक कमेंट

अगर आपको या आपके संगठन को लगे कि आज अनाउंस किए गए इन केस के बारे में आप हमें ऐसी अहम राय दे सकते हैं जिससे हमें फ़ैसला लेने में मदद मिलेगी, तो आप ऊपर दिए गए लिंक के ज़रिए अपनी राय हमें भेज सकते हैं. दोनों केस के लिए पब्लिक कमेंट की विंडो 14 दिनों तक खुली रहेगी, जो गुरुवार, 29 सितंबर, 2022 को UTC समयानुसार दोपहर 3 बजे बंद होगी.

इसके बाद क्या होगा

आने वाले हफ़्तों में, बोर्ड के सदस्य इन केस पर विचार-विमर्श करेंगे. बोर्ड द्वारा अंतिम फ़ैसले लिए जाने के बाद, हम उन्हें ओवरसाइट बोर्ड की वेबसाइट पर पोस्ट करेंगे. इसके अलावा, आज हमारे द्वारा ‘कोलंबिया में पुलिस के कार्टून’ से जुड़े केस और ‘समाचार रिपोर्टिंग में तालिबान के ज़िक्र’ से जुड़े केस के फ़ैसलों को प्रकाशित करने के बाद हमें उम्मीद है कि 'टिगरे कम्युनिकेशन अफ़ेयर्स ब्यूरो' से जुड़े केस का फ़ैसला भी जल्द ही प्रकाशित कर दिया जाएगा.

यहाँ साइन अप करें, ताकि जब बोर्ड नए केस की सुनवाई की घोषणा करे या अपने फ़ैसले प्रकाशित करे, तो उसके अपडेट आपको मिल जाएँ.

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