तुर्की में चुनाव से पहले हुए राजनैतिक विवाद से जुड़े केसों में ओवरसाइट बोर्ड ने Meta के मूल फ़ैसले को पलट दिया

ओवरसाइट बोर्ड ने Meta के उन मूल फ़ैसलों को पलट दिया जिसमें उसने तीन तुर्की मीडिया संगठनों की पोस्ट को हटा दिया था. उन सभी पोस्ट में एक राजनेता का मिलता-जुलता वीडियो था जो दूसरे राजनेता का “İngiliz uşağı” शब्द का उपयोग करते हुए सार्वजनिक रूप से विरोध कर रही थीं. इस शब्द का अर्थ “ब्रिटिश लोगों का नौकर” होता है. बोर्ड ने पाया कि यह शब्द, Meta की पॉलिसी के तहत नफ़रत फैलाने वाली भाषा नहीं है. इसके अलावा, Meta इस कंटेंट को परमिशन देने लायक “रिपोर्टिंग” नहीं समझ पाया या उसे ख़बरों में रहने लायक होने की छूट देने में विफल रहा, इसलिए मीडिया आउटलेट्स के लिए जनहित के मुद्दों की मुक्त रिपोर्टिंग करना मुश्किल हुआ. बोर्ड ने सुझाव दिया कि Meta, गालियों की परमिशन लायक रिपोर्टिंग के अपवाद को सार्वजनिक रूप से दर्शाए.

केस की जानकारी

इन फ़ैसलों के लिए बोर्ड ने तीन पोस्ट पर विचार किया – दो Facebook की, एक Instagram की – जिन्हें स्वतंत्र स्वामित्व वाले तीन अलग-अलग तुर्की मीडिया संगठनों द्वारा पोस्ट किया गया था. उन सभी में सत्ता पक्ष की एक पूर्व सांसद (MP) का एक मिलता-जुलता वीडियो था जिसमें वे तुर्की में फ़रवरी 2023 में आए भूकंप के बाद प्रमुख विपक्षी पार्टी के एक सदस्य का विरोध कर रही थीं. ऐसा अनुमान था कि तुर्की के चुनावों की तैयारी में भूकंप की घटना, वोटिंग के पैटर्न पर एक बड़ा असर डालेगी.

वीडियो में दिखाया गया है कि इस्तांबुल के मेयर इक्रेम इमामोग्लू, जो एक प्रमुख विपक्षी नेता हैं, भूकंप से बुरी तरह प्रभावित एक शहर का दौरा कर रहे हैं. इसी समय एक पूर्व सांसद उनका विरोध करते हुए नारे लगाती हैं कि इमामोगलू “दिखावा” कर रहे हैं, उन्हें “ब्रिटिश लोगों का नौकर” और उनसे “अपने खुद के” शहर लौटने के लिए कहती हैं. लोगों और विशेषज्ञ कमेंटेटर्स ने यह कन्फ़र्म किया कि “İngiliz uşağı” वाक्यांश को तुर्की भाषा बोलने वाले लोगों द्वारा ऐसे व्यक्ति के लिए उपयोग किया जाता है जो ब्रिटेन या सामान्य तौर पर पश्चिम देशों के “हितों और फ़ायदों के लिए काम करता है.”

Meta ने गालियों के संबंध में अपनी नफ़रत फैलाने वाली भाषा से जुड़ी पॉलिसी का उल्लंघन करने के कारण तीनों पोस्ट को हटा दिया. क्रॉस-चेक सहित गलतियों को रोकने के Meta के कई सिस्टम इस प्रक्रिया में शामिल किए गए, जिनके कारण हर केस में सभी पोस्ट का कई बार ह्यूमन रिव्यू किया गया, लेकिन इनके परिणाम के रूप में कंटेंट को रीस्टोर नहीं किया गया.

हटाए जाने से पहले पोस्ट को तीनों अकाउंट पर कुल मिलाकर 1,100,000 से ज़्यादा बार देखा गया.

तीनों यूज़र्स को यह सूचना दी गई थी कि उन्होंने नफ़रत फैलाने वाली भाषा से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन किया है, लेकिन यह नहीं बताया गया कि किस विशेष नियम का उल्लंघन हुआ है. इसके अलावा, दो मीडिया संगठनों के अकाउंट पर फ़ीचर लिमिट लगाई गई. इस लिमिट ने एक संगठन को 24 घंटों तक नया कंटेंट बनाने से रोक दिया और दूसरे को तीन दिनों तक वीडियो लाइवस्ट्रीम करने से रोक दिया.

बोर्ड द्वारा केस की पहचान किए जाने के बाद, Meta ने पाया कि उसके मूल फ़ैसले गलत थे क्योंकि “İngiliz uşağı” शब्द उसकी गालियों की लिस्ट में नहीं होना चाहिए था और उसने कंटेंट को रीस्टोर कर दिया. इसके अलावा, Meta ने चुनावों के पहले तुर्की के लिए गालियों की अपनी लिस्ट का ऑडिट किया और उसके परिणामस्वरूप अप्रैल 2023 में “İngiliz uşağı” शब्द को लिस्ट से हटा दिया गया.

मुख्य निष्कर्ष

पूरे डिजिटल इकोसिस्टम में जानकारी की रिपोर्टिंग में मीडिया की भूमिका महत्वपूर्ण है. बोर्ड इस निष्कर्ष पर पहुँचा कि तीन पोस्ट को हटाना, तुर्की मीडिया संगठनों के लोगों के अधिकारों और उनकी ऑडियंस के लिए जानकारी की एक्सेस पर अनावश्यक और अनुपातहीन प्रतिबंध था. इसके अलावा, इन केस में Meta की कार्रवाइयों के कारण तीन में से दो संगठन उतने समय के लिए अपनी रिपोर्टिंग मुक्त रूप से शेयर नहीं कर पाए जितने समय के लिए उनके अकाउंट पर फ़ीचर लिमिट लागू थी. इसका बड़ा असर पड़ा क्योंकि भूकंप और चुनावों की तैयारियों के चलते, स्वतंत्र स्थानीय समाचारों की एक्सेस महत्वपूर्ण हो गई थी.

बोर्ड ने पाया कि “İngiliz uşağı” शब्द, Meta की पॉलिसी के तहत नफ़रत फैलाने वाली भाषा नहीं था क्योंकि वह “सुरक्षित विशिष्टताओं” के आधार पर लोगों पर हमला नहीं करता. वीडियो में दिखाई दे रहा सार्वजनिक विरोध, आपस में प्रतिस्पर्धा कर रही दो राजनैतिक पार्टियों के बीच था. चूँकि उपयोग किया गया शब्द तुर्किए (तुर्की) में राजनैतिक आलोचना के लिए लंबे समय से मौजूद रहा है, इसलिए यह चुनावों के संदर्भ में जनहित के महत्वपूर्ण मामले में राजनैतिक बयान है.

भले ही Meta ने इस शब्द को गाली के रूप में सही चिह्नित किया होता, कंटेंट की जनहित वैल्यू को देखते हुए उसे परमिशन दी जानी चाहिए थी. बोर्ड इस बात से चिंतित है कि तीनों पोस्ट को Meta की कोर पॉलिसी टीम द्वारा ख़बरों में रहने लायक होने की छूट देने के आकलन के लिए एस्केलेट नहीं किया गया.

Meta की पॉलिसी भी लोगों को यह परमिशन देती हैं कि वे गालियों और नफ़रत फैलाने वाली भाषा के खिलाफ़ जागरूकता लाने के लिए उन्हें शेयर कर सकते हैं, बशर्ते यूज़र का इरादा स्पष्ट हो. इन केसों के जवाब में, Meta ने बताया कि “जागरूकता लाने वाली रिपोर्टिंग की योग्यता पाने के लिए, यह दोहराना पर्याप्त नहीं है कि किसी अन्य व्यक्ति ने नफ़रत फैलाने वाली भाषा या गाली का उपयोग किया. इसके बजाय, हमें [Meta] विशेष अतिरिक्त संदर्भ की ज़रूरत होती है.” इन केसों में कोई भी मीडिया संगठन योग्य नहीं पाया जाता क्योंकि कंटेंट को एक तटस्थ कैप्शन के साथ शेयर किया गया था, जिसे पर्याप्त संदर्भ नहीं माना जाता. वीडियो में राजनेता द्वारा शब्द का उपयोग, बताई जा रही मुख्य स्टोरी नहीं था, इसलिए इसकी व्याख्या या आलोचना करने पर फ़ोकस कैप्शन से कोई फर्क नहीं पड़ता. इसके बजाय, मुख्य समाचार यह था कि भूकंप पर प्रतिक्रिया के मुद्दे पर दोनों राजनेताओं के बीच असहमति थी.

अंत में, बोर्ड ने पाया कि Meta को यह सार्वजनिक करना चाहिए कि नफ़रत फैलाने वाली भाषा की रिपोर्टिंग की परमिशन है, आदर्श रूप से ऐसे स्टैंडअलोन अपवाद में जो पत्रकारितापूर्ण “रिपोर्टिंग” को “जागरूकता फैलाने” से अलग करता हो. Meta के आंतरिक मार्गदर्शन में उन अपवादों के मुकाबले ज़्यादा अपवादों को परमिशन दी गई है जो फिलहाल यूज़र्स को सार्वजनिक रूप से बताए गए हैं. यह जानकारी मीडिया संगठनों की मदद करने में उस समय ख़ास तौर पर महत्वपूर्ण होगी जब वे जनहित के लिए किसी ऐसे मामले की रिपोर्ट करते हैं जिसमें थर्ड पार्टी द्वारा गाली का उपयोग किया जाता है, उन मामलों सहित जब ऐसी गाली समाचार का मुख्य भाग न हो. इस जानकारी की संरचना में यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि मीडिया आउटलेट और पत्रकारिता में शामिल अन्य लोग, सामयिक घटनाओं की निष्पक्ष रिपोर्टिंग के लिए हमेशा “जागरूकता लाने” का इरादा नहीं बता सकते.

ओवरसाइट बोर्ड का फ़ैसला

ओवरसाइट बोर्ड ने तीन पोस्ट को हटाने के Meta के मूल फ़ैसलों को पलट दिया.

बोर्ड ने Meta को सुझाव दिया है कि वह:

  1. नफ़रत फैलाने वाली भाषा से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड में बदलाव करे और उसमें ऐसी गालियों की पत्रकारितापूर्ण रिपोर्टिंग की स्पष्ट रूप से रक्षा करे जब ऐसी रिपोर्टिंग, ख़ास तौर पर चुनावों के संदर्भ में, से बहिष्कार और/या डर का माहौल न बनता हो. इस अपवाद को सार्वजनिक किया जाना चाहिए, इसे “जागरूकता लाने वाले” अपवाद से अलग रखा जाना चाहिए और इसे यूज़र्स के लिए स्पष्ट बनाया जाना चाहिए, ख़ास तौर पर मीडिया में, कि ऐसे कंटेंट में संदर्भ का उपयोग किस तरह किया जाना चाहिए. मॉडरेटर्स को भी पत्रकारिता का सम्मान सुनिश्चित करने के लिए उपयुक्त ट्रेनिंग दी जानी चाहिए, ख़ास तौर पर अंग्रेज़ी के अलावा अन्य भाषाओं के संदर्भ में.
  2. यह सुनिश्चित करे कि नफ़रत फैलाने वाली भाषा से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड में हर अपवाद की दृष्टांत उदाहरणों सहित स्पष्ट व्याख्या दी गई हो ताकि यह स्पष्ट हो सके कि गालियों का उपयोग कब किया जा सकता है.
  3. जिन देशों में 2023 के शेष समय में और 2024 की शुरुआत में चुनाव हैं, वहाँ की गालियों की लिस्ट का ऑडिट शीघ्र पूरा करे. इस ऑडिट का उद्देश्य उन लिस्ट में गलती से जुड़ गए शब्दों को पहचानना और उन्हें हटाना होना चाहिए.

ज़्यादा जानकारी के लिए

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