ओवरसाइट बोर्ड ने Facebook के फ़ैसले को बदला: केस 2021-010-FB-UA

ओवरसाइट बोर्ड ने कोलंबिया के राष्ट्रपति इवान ड्यूक की आलोचना कर रहे प्रदर्शनकारियों का वीडियो दिखाने वाली पोस्ट को हटाने के Facebook के फ़ैसले को बदल दिया है. उस वीडियो में प्रदर्शनकारी एक ऐसे शब्द का उपयोग करते हैं, जिसे Facebook के नफ़रत फैलाने वाली भाषा से जुड़े स्टैंडर्ड के तहत गाली माना जाता है. इस कंटेंट के जनहित से जुड़े महत्व का मूल्यांकन करके बोर्ड ने यह पाया कि Facebook को इस केस में कंटेंट को ख़बरों में रहने लायक अनुमति देनी चाहिए थी.

केस की जानकारी

मई 2021 में, कोलंबिया के एक क्षेत्रीय समाचार आउटलेट के Facebook पेज ने कोई अतिरिक्त कैप्शन जोड़े बिना किसी दूसरे Facebook पेज की पोस्ट शेयर की थी. यह शेयर की गई पोस्ट ही इस केस में समस्या का कारण है. मूल पोस्ट में कोलंबिया में हुए विरोध प्रदर्शन को दिखाने वाला एक छोटा वीडियो है, जिसमें लोग “SOS COLOMBIA” (कोलंबिया को बचाओ) लिखा हुआ बैनर लेकर जुलूस निकाल रहे हैं.

प्रदर्शनकारी स्पैनिश भाषा में कुछ गा रहे हैं और उसमें कोलंबिया के राष्ट्रपति को संबोधित करते हुए कोलंबिया की सरकार द्वारा हाल ही में प्रस्तावित कर सुधार का उल्लेख कर रहे हैं. प्रदर्शनकारी अपने नारों में राष्ट्रपति को एक बार “hijo de puta” बुलाते हैं और एक बार “deja de hacerte el marica en la tv” कहते हैं. Facebook ने इन वाक्यांशों का कुछ इस तरह अनुवाद किया है, “son of a bitch” (कुत्ते के पिल्ले) और “stop being the fag on tv” (टीवी पर कायर बनना बंद करें). इस वीडियो में स्पैनिश भाषा में प्रदर्शनकारियों की प्रशंसा करने वाला टेक्स्ट लिखा हुआ है. शेयर की गई इस पोस्ट को लगभग 19000 बार देखा गया और पाँच से भी कम यूज़र्स ने Facebook को इसकी रिपोर्ट की.

मुख्य निष्कर्ष

Facebook ने इस कंटेंट को इसलिए हटा दिया क्योंकि इसमें “marica” (जिसे आगे से “m**ica” लिखा गया है) शब्द शामिल था. इससे Facebook के नफ़रत फैलाने वाली भाषा से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन हुआ था, जो यौन रुचि जैसी सुरक्षित विशिष्टताओं के आधार पर “गालियों के ज़रिए लोगों का वर्णन करने वाले और उन्हें नकारात्मक रूप से निशाना बनाने वाले” कंटेंट को अनुमति नहीं देता है. Facebook ने ध्यान दिया कि वैसे तो ऐसे कंटेंट को सैद्धांतिक तौर पर ख़बरों में रहने लायक अनुमति मिल सकती है, लेकिन अनुमति केवल तभी मिल सकती है, जब शुरुआत में कंटेंट का रिव्यू करने वाले मॉडरेटर्स उसका फिर से रिव्यू करने के लिए उसे Facebook की कंटेंट पॉलिसी टीम के पास भेजने का फ़ैसला लें. इस केस में ऐसा नहीं हुआ. बोर्ड ने इस बात पर भी ध्यान दिया कि Facebook ने किसी केस को रिव्यू के लिए अगले स्तर पर भेजने के मापदंड सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध नहीं कराए हैं.

“m**rica” शब्द Facebook के द्वारा इस आधार पर गाली माना गया है कि यह अपने आप में ही आपत्तिजनक है और इसका उपयोग मुख्य रूप से समलैंगिक पुरुषों के विरुद्ध अपमानजनक और भेदभावपूर्ण शब्द के तौर पर किया जाता है. हालाँकि बोर्ड इस बात से सहमत है कि Facebook के नफ़रत फैलाने वाली भाषा से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड में फ़िलहाल दिए गए अपवादों में से कोई भी अपवाद इस गाली के उपयोग की अनुमति नहीं देता, जिसके कारण LGBT लोगों में डर या बहिष्कृत होने की भावना आ सकती है, बोर्ड को लगता है कि कंपनी को इस केस में कंटेंट को ख़बरों में रहने लायक अनुमति देनी चाहिए थी.

ख़बरों में रहने लायक अनुमति देने के लिए Facebook को उल्लंघन करने वाले कंटेंट से होने वाले नुकसान के जोखिम के विरुद्ध कुछ अभिव्यक्तियों को अनुमति देने के जनहित का मूल्यांकन करना होता है. इस काम को करने के लिए Facebook विचार करता है कि कही गई बात किस तरह की थी और देश विशेष के संदर्भ को भी ध्यान में रखता है जैसे कि उस देश की राजनैतिक संरचना क्या है और वहाँ प्रेस की स्वतंत्रता है या नहीं.

इस कंटेंट के जनहित के महत्व का मूल्यांकन करके बोर्ड ने पाया कि यह कंटेंट कोलंबिया के राजनैतिक इतिहास के एक महत्वपूर्ण क्षण के दौरान कोलंबिया की सरकार के विरुद्ध किए जा रहे व्यापक प्रदर्शनों के समय पोस्ट किया गया था. हालाँकि लगता है कि प्रदर्शनकारियों ने इस गाली का उपयोग जानबूझकर किया है, लेकिन इसका उपयोग कई अन्य शब्दों के बीच एक बार किया गया है और जो नारे लगाए गए हैं, उनका उद्देश्य मुख्य रूप से देश के राष्ट्रपति की आलोचना करना है.

बोर्ड ने यह भी पाया कि जिस माहौल में राजनैतिक अभिव्यक्ति के साधन सीमित हैं, वहाँ सोशल मीडिया ने पत्रकारों सहित सभी लोगों को एक ऐसा प्लेटफ़ॉर्म मुहैया करवाया है, जहाँ वे इन प्रदर्शनों से जुड़ी जानकारी शेयर कर सकते हैं. इस केस में ख़बरों में रहने लायक अनुमति देने का मतलब यह है कि केवल अपवाद वाले और कम नुकसानदेह कंटेंट को ही अनुमति दी जाएगी.

ओवरसाइट बोर्ड का फ़ैसला

ओवरसाइट बोर्ड ने Facebook के उस कंटेंट को हटाने के फ़ैसले को बदल दिया है और उस पोस्ट को रीस्टोर करने के लिए कहा है.

पॉलिसी से जुड़े सुझाव देते हुए बोर्ड ने Facebook को कहा कि वह:

  • नफ़रत फैलाने वाली भाषा से जुड़े अपने कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन करने वाली मानी जाने वाली गालियों की लिस्ट में से उनके व्याख्यात्मक उदाहरण प्रकाशित करे, जिनमें ऐसे शब्दों वाले सीमा-रेखा के केस भी शामिल हों, जो कुछ संदर्भों में नुकसानदेह हो सकते हैं पर कुछ संदर्भों में नहीं.
  • कम्युनिटी स्टैंडर्ड की भूमिका में दी गई ख़बरों में रहने लायक अनुमति देने की संक्षिप्त व्याख्या को Facebook के ट्रांसपेरेंसी सेंटर में दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरण से लिंक करे कि यह पॉलिसी कैसे लागू होती है. कंपनी को इस स्पष्टीकरण के साथ बड़े स्तर के विरोध प्रदर्शनों की रिपोर्टिंग सहित कई विभिन्न संदर्भों के व्याख्यात्मक उदाहरण भी देने चाहिए.
  • संभावित रूप से कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन करने वाले, लेकिन ख़बरों में रहने लायक अनुमति पाने के लिए योग्य जनहित के कंटेंट को अतिरिक्त रिव्यू के लिए भेजने हेतु कंटेंट रिव्यूअर्स के लिए स्पष्ट शर्तें तैयार करे और उनका प्रचार करे. इन शर्तों में राजनैतिक समस्याओं से जुड़े बड़े विरोध प्रदर्शनों को दिखाने वाले कंटेंट के बारे में भी स्पष्टता होनी चाहिए.
  • जो मूल्यांकन के बाद उल्लंघन करने वाला पाया गया हो लेकिन जनहित के कारणों से उसे प्लेटफ़ॉर्म पर रहने दिया गया हो, ऐसे कंटेंट की रिपोर्ट करने वाले सभी यूज़र्स को सूचना दे कि पोस्ट को ख़बरों में रहने लायक अनुमति दी गई थी.

अधिक जानकारी के लिए:

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