एकाधिक मामले का निर्णय
लैंगिक पहचान से जुड़ी बहस के वीडियो
23 अप्रैल 2025
दो पोस्ट के मामलों में बोर्ड के बहुसंख्य सदस्यों ने कंटेंट को बनाए रखने के Meta के फ़ैसलों को कायम रखा. इन पोस्ट में दो वीडियो शामिल थे. एक वीडियो में एक ट्रांसजेंडर महिला द्वारा महिलाओं के बाथरूम का इस्तेमाल करने पर उससे की गई बहसबाज़ी दिखाई गई थी, जबकि दूसरे में एक ट्रांसजेंडर एथलीट द्वारा एक ट्रैक रेस का जीतना दिखाया गया था.
2 इस बंडल में केस शामिल हैं
FB-XHPXAN6Z
Facebook पर से जुड़ा केस
IG-84HSR2FP
Instagram पर से जुड़ा केस
सारांश
दो पोस्ट के मामलों में बोर्ड के बहुसंख्य सदस्यों ने कंटेंट को बनाए रखने के Meta के फ़ैसलों को कायम रखा. इन पोस्ट में दो वीडियो शामिल थे. एक वीडियो में एक ट्रांसजेंडर महिला द्वारा महिलाओं के बाथरूम का इस्तेमाल करने पर उससे की गई बहसबाज़ी दिखाई गई थी, जबकि दूसरे में एक ट्रांसजेंडर एथलीट द्वारा एक ट्रैक रेस का जीतना दिखाया गया था. बोर्ड ने नोट किया ट्रांसजेंडर लोगों के अधिकारों और उनके समावेश से जुड़ी पॉलिसीज़ पर सार्वजनिक चर्चा की अनुमति है जिसमें आपत्तिजनक नज़रियों को अभिव्यक्ति की आज़ादी के अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून के तहत सुरक्षा प्राप्त है. इन केसों में, बोर्ड के बहुसंख्य सदस्यों ने पाया कि इन पोस्ट को प्रतिबंधित करने और ट्रांसजेंडर लोगों को होने वाले नुकसानों से बचाने के बीच पर्याप्त लिंक नहीं था. इनमें से किसी भी पोस्ट से हिंसा के उकसावे की आशंका या निकट भविष्य में ऐसा होने की आशंका नहीं थी. न ही इन पोस्ट में धमकी या उत्पीड़न था. ट्रांसजेंडर महिलाओं और लड़कियों को महिलाओं के बाथरूम के इस्तेमाल की एक्सेस और खेलकूद में उनकी भागीदारी, जारी सार्वजनिक चर्चा के विषय हैं जिनमें मानवाधिकार से जुड़ी कई चिंताएँ शामिल हैं. यह उपयुक्त है कि ऐसी अभिव्यक्ति को दबाने के लिए ऊँची सीमा की ज़रूरत है. इन केसों के कंटेंट के अलावा, बोर्ड ने इन बातों का समाधान करने के लिए भी सुझाव दिए कि नफ़रत फैलाने वाले आचरण से जुड़ी नए नाम वाली पॉलिसी में Meta के 7 जनवरी, 2025 के बदलावों से नाबालिगों सहित LGBTQIA+ लोगों पर क्या बुरा असर पड़ सकता है.
अतिरिक्त नोट: जनवरी में Meta के पुनरीक्षण के बाद इन केसों के परिणाम में कोई बदलाव नहीं हुआ, जबकि बोर्ड ने उन नियमों के हिसाब से विचार किया जो पोस्ट करते समय लागू थे और चर्चा के समय नियमों के अपडेट पर भी गौर किया. Meta द्वारा जनवरी में जल्दबाज़ी में अनाउंस किए गए पॉलिसी और एन्फ़ोर्समेंट के व्यापक बदलावों के संबंध में, बोर्ड इस बात से चिंतित है कि Meta ने सार्वजनिक रूप से यह शेयर नहीं किया है कि बिज़नेस और मानवाधिकारों के संबंध में संयुक्त राष्ट्र के मार्गदर्शक सिद्धांतों के तहत अपनी प्रतिबद्धताओं के अनुसार उसने ये बदलाव करने से पहले कौन-सा मानवाधिकार सम्यक तत्परता आकलन किया है (अगर कोई है तो). Meta के लिए यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि मानवाधिकारों पर प्रतिकूल प्रभावों को वैश्विक रूप से पहचाना जाए और उन्हें रोका जाए.
केस की जानकारी
पहले केस में एक Facebook वीडियो शामिल है जिसमें पहचानी जा सकने वाली एक ट्रांसजेंडर महिला से अमेरिका की एक यूनिवर्सिटी में इसलिए बहसबाज़ी की जा रही है क्योंकि उसने महिलाओं के बाथरूम का इस्तेमाल किया. इस घटना का वीडियो बनाने वाली महिला उस ट्रांसजेंडर महिला से पूछ रही है कि वह महिलाओं के बाथरूम का इस्तेमाल क्यों कर रही है और साथ ही यह भी कह रही है कि उसे अपनी सुरक्षा की चिंता है. पोस्ट के कैप्शन में कहा गया है कि ट्रांसजेंडर महिला “एक पुरुष विद्यार्थी है जो समझता है कि वह लड़की है” और कहा गया है कि “इसे” क्यों बर्दाश्त किया जा रहा है. इस पोस्ट को 43,000 से ज़्यादा बार देखा गया. नौ यूज़र्स ने कंटेंट की रिपोर्ट की, लेकिन Meta को इसमें कोई उल्लंघन नहीं मिला. इसके बाद, एक यूज़र ने बोर्ड से इस बारे में अपील की.
दूसरे केस में, Instagram पर शेयर किए गए एक वीडियो में बताया गया है कि एक ट्रांसजेंडर लड़की ने एक ट्रैक रेस जीती, लेकिन कुछ दर्शक इस परिणाम को अस्वीकार कर रहे हैं. कैप्शन में खिलाड़ी का नाम दिया गया है जो नाबालिग (18 वर्ष से कम) है और कहा गया है कि वह “एक लड़का है जो समझता है कि वह लड़की है” और पुरुष उपनामों का उपयोग करता है. इस कंटेंट को लगभग 140,000 बार देखा गया और एक यूज़र ने इसकी रिपोर्ट की, लेकिन Meta ने फ़ैसला किया कि इसमें कोई उल्लंघन नहीं है. इसके बाद यूज़र ने बोर्ड में अपील की.
मुख्य निष्कर्ष
पूरे बोर्ड ने पाया कि किसी भी पोस्ट से नफ़रत फैलाने वाले आचरण की अपडेट की गई पॉलिसी का उल्लंघन नहीं होता. Meta के 7 जनवरी के बदलावों से पहले की पॉलिसी पर विचार करते हुए, बोर्ड ने बहुसंख्य सदस्यों ने इस वर्जन का भी कोई उल्लंघन नहीं पाया क्योंकि किसी भी पोस्ट में लोगों की लैंगिक पहचान, जो एक सुरक्षित विशिष्टता है, के आधार पर उनके खिलाफ़ कोई “सीधा हमला” नहीं किया गया था. हालाँकि बोर्ड के अल्पसंख्य सदस्यों ने पाया कि दोनों पोस्ट से पॉलिसी के 7 जनवरी के पहले के वर्शन का उल्लंघन होता.
बोर्ड के बहुसंख्य सदस्यों के अनुसार, दोनों में से कोई भी पोस्ट, पॉलिसी के पुराने वर्शन के तहत “अस्तित्व से इंकार करने वाले कथनों” के खिलाफ़ नियम का उल्लंघन नहीं करती. इस नियम को Meta के जनवरी के अपडेट में डिलीट कर दिया गया था. न ही दोनों पोस्ट में “बहिष्कार का आह्वान” है क्योंकि ट्रांसजेंडर महिला से बाथरूम से बाहर जाने के लिए नहीं कहा गया या ट्रांसजेंडर एथलीट को प्रतियोगिता से हटाने, अयोग्य ठहराने या अन्यथा छोड़ने के लिए नहीं कहा गया. 7 जनवरी के पहले, Meta के आंतरिक मार्गदर्शन (सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं) में ऐसे अपवाद मौजूद थे जो खेलकूद से जुड़ी एक्टिविटी या खास खेलों के साथ-साथ बाथरूम से लिंग आधारित बहिष्कार के आह्वानों को परमिशन दी जाती थी. 7 जनवरी से, इन अपवादों को अब नफ़रत फैलाने वाले आचरण से जुड़े नियमों में स्पष्ट किया गया है. इससे ये नियम ज़्यादा पारदर्शी और एक्सेसिबल बने हैं.
बोर्ड के अल्पसंख्य सदस्य इस बात से सहमत नहीं हैं. उनके अनुसार दोनों पोस्ट, 7 जनवरी से पहले की नफ़रत फैलाने वाली भाषा से जुड़ी पॉलिसी का उल्लंघन करती हैं, जिनमें लैंगिक पहचान के आधार पर “बहिष्कार के आह्वान” और “अस्तित्व से इंकार करने वाले कथन” से जुड़ा नियम (अब डिलीट किया गया) शामिल है. इन पोस्ट का समग्र इरादा स्पष्ट रहा होता: सीधे और उल्लंघन करने वाले हमलों के रूप में जिनमें ट्रांसजेंडर महिलाओं और लड़कियों के बाथरूम का उपयोग करने से, खेलकूद में भाग लेने से और समाज में शामिल करने से बहिष्कार का आह्वान किया गया है और यह सभी उनकी लैंगिक पहचान को न मानने के आधार पर किया जा रहा था.
धमकी और उत्पीड़न के संबंध में, बोर्ड इस बात पर एकमत था कि बाथरूम वाली पोस्ट में कोई उल्लंघन नहीं हुआ है क्योंकि वयस्क ट्रांसजेंडर महिला को खुद “लैंगिक पहचान से जुड़े दावों” और “बहिष्कार के आह्वान” को प्रतिबंधित करने वाले नियमों के तहत आकलन करने के लिए इस कंटेंट की रिपोर्ट कर देनी थी. नाबालिगों (13 और 18 वर्ष के बीच की उम्र) के लिए इस तरह की सेल्फ़-रिपोर्टिंग की ज़रूरत नहीं है, बशर्ते Meta उन्हें “स्वैच्छिक सार्वजनिक हस्ती” माने. बोर्ड के बहुसंख्य सदस्य, Meta की इस बात से सहमत हैं कि नाबालिग ट्रांसजेंडर एथलीट एक स्वैच्छिक सार्वजनिक हस्ती है जिसकी अपनी प्रसिद्धि है, भले ही उसके कारण कुछ भी हों. बोर्ड के इन सदस्यों के अनुसार, एथलीट ने अपनी इच्छा से भारी भीड़ के सामने इस राज्य स्तरीय एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भाग लेना और मीडिया का ध्यान खींचना चुना है. उसे इस तरह का फ़ोकस पहले भी अन्य एथलेटिक प्रतियोगिताओं में मिल चुका है. इसलिए, पॉलिसी के टियर 3 के तहत अतिरिक्त सुरक्षा, जिसमें “लैंगिक पहचान से जुड़े दावों” की परमिशन न देने वाला नियम शामिल है, लागू नहीं होती और बहुसंख्य सदस्य एथलेटिक्स वाली पोस्ट में कोई उल्लंघन नहीं देखते.
अल्पसंख्य सदस्य इस बात से सहमत नहीं हैं. उनके अनुसार ट्रांसजेंडर एथलीट को स्वैच्छिक सार्वजनिक हस्ती नहीं माना जाना चाहिए. सार्वजनिक हस्ती से जुड़ा ऐसा स्टेटस, किसी बच्चे पर लागू नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि उसने एक ऐसी एथलेटिक्स प्रतियोगिता में भाग लेना चुना जिसने उसकी लैंगिक पहचान के कारण मीडिया का ध्यान खींचा, जो उसके कंट्रोल में नहीं था. इसकी बराबरी किसी सेलिब्रिटी के स्वैच्छिक एंगेजमेंट से नहीं की जानी चाहिए. इसलिए यह पोस्ट “लैंगिक पहचान से जुड़े दावों” के खिलाफ़ नियम का उल्लंघन करती है. साथ ही यह धमकी और उत्पीड़न से जुड़ी पॉलिसी के तहत “बहिष्कार के आह्वान” का भी उल्लंघन करती है और इसे हटाया जाना चाहिए था.
बोर्ड, धमकी और उत्पीड़न से जुड़ी पॉलिसी के तहत खुद रिपोर्ट करने की ज़रूरत और टार्गेट किए गए दुर्व्यवहार के पीड़ितों पर उसके असर के बारे में भी चिंतित है और बोर्ड ने इस बारे में अपने सुझाव दिए.
बोर्ड के अल्पसंख्य सदस्यों के अनुसार, ज़्यादा समस्याप्रद पहलू यह है कि दोनों पोस्ट, अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून के तहत ट्रांसजेंडर लोगों के खिलाफ़ “भेदभाव, शत्रुता या हिंसा” के निकट जोखिम की सीमाएँ पूरी करती हैं, जिसके अनुसार इस कंटेंट को हटा दिया जाना चाहिए. वीडियो को अमेरिका सहित अन्य जगहों पर LGBTQIA+ लोगों के खिलाफ़ उग्र होती हिंसा और भेदभाव की पृष्ठभूमि में पोस्ट किया गया था. वे खास ट्रांसजेंडर और एक ग्रुप के रूप में ट्रांसजेंडर लोगों पर जान-बूझकर हमले करते हैं और उनके लिए गलत लिंग के शब्दों का इस्तेमाल करते हैं और एक केस में बच्चे की सुरक्षा भी शामिल थी.
अंत में, बोर्ड इस बात से चिंतित है कि Meta ने “ट्रांसजेंडरिज़्म” को अपनी पुनरीक्षित नफ़रत फैलाने वाले आचरण से जुड़ी पॉलिसी में शामिल किया है. नियमों के वैधानिक होने के लिए, Meta को उनका इस्तेमाल तटस्थ रूप से करना चाहिए.
ओवरसाइट बोर्ड का फ़ैसला
ओवरसाइट बोर्ड ने दोनों केसों में कंटेंट को बनाए रखने के Meta के फ़ैसले को कायम रखा है.
बोर्ड ने Meta को ये सुझाव भी दिए हैं कि वह:
- नफ़रत फैलाने वाले आचरण से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड में 7 जनवरी, 2025 को किए गए अपडेट के संदर्भ में, Meta को यह पता लगाना चाहिए कि पॉलिसी और एन्फ़ोर्समेंट के अपडेट किस तरह नाबालिगों सहित LGBTQIA+ के अधिकारों पर प्रतिकूल असर डाल सकते हैं, खास तौर पर उन जगहों पर जहाँ इन लोगों को ज़्यादा खतरा है. उसे ऐसे जोखिमों को रोकने और/या उन्हें दूर करने के उपाय करने चाहिए और उनकी प्रभावशीलता की निगरानी करनी चाहिए. अंत में, Meta को हर छह महीनों में बोर्ड को अपनी प्रगति बतानी चाहिए और जल्दी से जल्दी सार्वजनिक रूप से इसकी रिपोर्टिंग करनी चाहिए.
- नफ़रत फैलाने वाले आचरण से जुड़ी पॉलिसी और उससे जुड़े क्रियान्वयन मार्गदर्शन से “ट्रांसजेंडरिज़्म” शब्द को हटाए.
- यूज़र्स को ऐसे कनेक्टेड अकाउंट डेज़िग्नेट करने की परमिशन दे जो उनकी ओर से सेल्फ़ रिपोर्टिंग की ज़रूरत वाले धमकी और उत्पीड़न से जुड़े संभावित उल्लंघनों को फ़्लैग कर पाएँ.
- सुनिश्चित करें कि एक ही कंटेंट के बारे में कई रिपोर्ट का प्रतिनिधित्व करने वाली एक रिपोर्ट को अपील करने वाले व्यक्ति और कंटेंट के टार्गेट के बीच मैच की उच्चतम संभावना के आधार पर चुना जाए, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि तकनीक के आधार पर बनाए गए समाधानों में जोखिमग्रस्त समूहों पर संभावित रूप से बुरे असर पर विचार किया जाता है.
*केस के सारांश से केस का ओवरव्यू मिलता है और भविष्य में लिए जाने वाले किसी फ़ैसले के लिए इसको आधार नहीं बनाया जा सकता है.
केस का पूरा फ़ैसला
1.केस की जानकारी और बैकग्राउंड
इन केसों में वीडियो वाली दो पोस्ट शामिल हैं जिन्हें अमेरिका में 2024 में Facebook और Instagram पर शेयर किया गया था.
पहले केस में कैप्शन के साथ Facebook पर शेयर किया गया एक वीडियो था. एक महिला ने एक पहचानी जाने लायक ट्रांसजेंडर महिला से बहसबाज़ी का वीडियो बनाया. यह बहस इसलिए हुई क्योंकि उस ट्रांसजेंडर महिला ने एक यूनिवर्सिटी में महिलाओं के बाथरूम का इस्तेमाल किया. कैप्शन में कहा गया है कि ट्रांसजेंडर महिला “एक पुरुष विद्यार्थी है जो समझता है कि वह लड़की है” और कहा गया है कि “इसे” क्यों बर्दाश्त किया जा रहा है. वीडियो में महिला उस ट्रांसजेंडर से पूछती है कि वह महिलाओं के बाथरूम का इस्तेमाल क्यों कर रही है. वह उसके लिंग पर सवाल उठाती है और कहती है कि वह “बाथरूम में सुरक्षित रहने के लिए काफ़ी पैसे चुकाती है.” ट्रांसजेंडर महिला जवाब देती है कि वह एक “ट्रांस लड़की” है और यह कि बाथरूम में सुरक्षा उसके लिए भी ज़रूरी है. इस पोस्ट को लगभग 43,000 बार देखा गया है. नौ यूज़र्स ने नफ़रत फैलाने वाली भाषा और धमकी और उत्पीड़न के लिए पोस्ट की रिपोर्ट की, लेकिन Meta ने पाया कि कंटेंट से उल्लंघन नहीं होता. एक यूज़र ने बोर्ड से इस बारे में अपील की.
दूसरे केस में, Instagram पर शेयर किए गए एक वीडियो में एक ट्रांसजेंडर लड़की को लड़कियों की राज्य स्तरीय ट्रैक चैंपियनशिप रेस जीतते हुए दिखाया गया है, जबकि कुछ दर्शक इस परिणाम को अस्वीकार कर रहे हैं. कैप्शन में टीनएजर एथलीट का नाम बताया गया है और कहा गया है कि वह एक “लड़का है जो समझता है कि वह लड़की है” और अपने लिए पुरुष उपनामों का उपयोग करता है. इस पोस्ट को लगभग 140,000 बार देखा गया है. एक यूज़र ने नफ़रत फैलाने वाली भाषा और धमकी और उत्पीड़न के लिए कंटेंट की रिपोर्ट की, लेकिन Meta ने तय किया कि कंटेंट से उल्लंघन नहीं होता. यूज़र ने Meta के फ़ैसलों के खिलाफ़ बोर्ड में अपील की.
इन केसों में बोर्ड का रिव्यू ऐसे समय में आया है जब दुनिया के कुछ भागों में ट्रांसजेंडर महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों के बारे में गंभीर सार्वजनिक चर्चाएँ हो रही हैं. अमेरिका में, 2024 के राष्ट्रपति चुनाव के दौरान ये चर्चाएँ उग्र हुईं. नया अमेरिकी प्रशासन, पॉलिसी में ऐसे बदलाव कर रहा है जो ट्रांसजेंडर लोगों के अधिकारों को सीधे प्रभावित करते हैं. जो लोग इन मुद्दों के बारे में चर्चा के लिए अभिव्यक्ति की व्यापक आज़ादी का समर्थन करते हैं, वे पॉलिसी में इन बदलावों को लागू करने का अनिवार्य रूप से समर्थन नहीं करते. इनमें से कई बदलाव अभिव्यक्ति की आज़ादी और जानकारी की एक्सेस पर भी बुरा असर डालते हैं.
7 जनवरी, 2025 को, Meta ने अपनी नफ़रत फैलाने वाली भाषा से जुड़ी पॉलिसी में पुनरीक्षण अनाउंस किए और उसका नाम बदलकर नफ़रत फैलाने वाले आचरण से जुड़ी पॉलिसी कर दिया. ये बदलाव, इन केसों में प्रासंगिक होने के दायरे तक, सेक्शन 3 में बताए जाएँगे और सेक्शन 5 में उनका विश्लेषण किया जाएगा. बोर्ड ने नोट किया कि यह कंटेंट Meta के प्लेटफ़ॉर्म पर लगातार एक्सेस किए जाने लायक बना हुआ है और अपडेट की गई पॉलिसीज़, प्लेटफ़ॉर्म पर मौजूद सभी कंटेंट पर लागू होती हैं, इस बात पर ध्यान दिए बगैर कि उन्हें कब पोस्ट किया गया था. इसलिए बोर्ड ने पॉलिसी के उपयोग का आकलन उनके उस स्वरूप के हिसाब से किया जो पोस्ट किए जाने के समय था और लागू होने पर उसके पुनरीक्षित रूप का (यहूदी नरसंहार को नकारना (होलोकॉस्ट डिनायल) केस का नज़रिया भी देखें).
2.यूज़र सबमिशन
पहले केस में बोर्ड को जिस यूज़र ने कंटेंट (बाथरूम वाली पोस्ट) की अपील की, उसने बताया कि Meta इस कंटेंट को उसकी नज़र से ट्रांसफ़ोबिक मानते हुए प्लेटफ़ॉर्म पर बने रहने की परमिशन दे रहा है. जिस यूज़र ने दूसरे केस में शामिल एथलेटिक्स वाली पोस्ट की अपील की, उसने कहा कि वह नाबालिग एथलीट पर हमला करती है और उस पर लगाम लगाती है और इससे Meta के कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन होता है. बोर्ड को अपील करने वाला कोई भी यूज़र, रिव्यू में शामिल किसी भी पोस्ट में दिखाई नहीं दिया. दोनों पोस्ट शेयर करने वाले यूज़र्स को बोर्ड के रिव्यू की सूचना दी गई और उन्हें अपना कथन सबमिट करने के लिए आमंत्रित किया गया, लेकिन उनसे कोई कथन प्राप्त नहीं हुआ.
3.Meta की कंटेंट पॉलिसी और सबमिशन
I. Meta की कंटेंट पॉलिसी
नफ़रत फैलाने वाला आचरण (पहले नफ़रत फैलाने वाली भाषा) से जुड़ा कम्युनिटी स्टैंडर्ड
नफ़रत फैलाने वाले आचरण से जुड़ी पॉलिसी बनाने के कारण के अनुसार, Meta अपने प्लेटफ़ॉर्म पर नफ़रत फैलाने वाले आचरण (पहले नफ़रत फैलाने वाली भाषा) की परमिशन नहीं देता क्योंकि कंपनी मानती है कि “लोग तब खुलकर अपनी बात रख पाते हैं और अन्य लोगों से कनेक्ट हो पाते हैं, जब उन्हें लगता है कि कोई भी व्यक्ति उनकी पहचान के आधार पर उनका विरोध नहीं करेगा.” Meta ने “नफ़रत फैलाने वाले आचरण” को उसी तरह परिभाषित किया है जैसे उसने “नफ़रत फैलाने वाली भाषा” को किया था. कंपनी ने इसे लिंग और लैंगिक पहचान सहित सुरक्षित विशिष्टताओं के आधार पर “लोगों पर सीधे हमले” के रूप में परिभाषित किया है. यह आम तौर पर “धारणाओं या संस्थानों” पर हमले को प्रतिबंधित नहीं करता है.
7 जनवरी, 2025 को Meta द्वारा किए गए बदलाव के बाद, पॉलिसी बनाने के कारण में कहा गया है कि Meta की पॉलिसीज़ को अलग-अलग तरह की अभिव्यक्ति को “जगह” देने के लिए बनाया गया है, जिसमें “सैक्स या लिंग के आधार पर अक्सर सीमित जगहों, जैसे बाथरूम, खास स्कूल, खास सेना, कानून लागू करने वाली संस्था या शिक्षक के रोल और स्वास्थ्य या सहायता समूह” की चर्चा करते समय लोगों को “सैक्स या लिंग के लिए एक्सक्लूसिव भाषा” का उपयोग करने की परमिशन देना शामिल है. यह मानता है कि लोग “राजनैतिक या धार्मिक विषयों की चर्चा के संदर्भ में बहिष्कार का आह्वान करते हैं या अपमानजनक भाषा का उपयोग करते हैं, जैसे ट्रांसजेंडर्स के अधिकारों, आव्रजन या होमोसैक्शुएलिटी की चर्चा करते समय.”
नफ़रत फैलाने वाले आचरण से जुड़ी पॉलिसी के इसी अपडेट में, Meta ने टियर 1 के कई प्रतिबंध (जिन्हें सबसे गंभीर उल्लंघन माना जाता है) हटा दिए, जिनमें “बिना किसी सीमा के ये दावे कि सुरक्षित विशिष्टता का अस्तित्व ही नहीं है या होना ही नहीं चाहिए या यह कि सुरक्षित विशिष्टता जैसी कोई चीज़ नहीं है, अस्तित्व से इंकार करने वाले कथनों” के खिलाफ़ नियम शामिल है.
नफ़रत फैलाने वाले आचरण से जुड़ी पॉलिसी के टियर 2 के तहत, Meta ने सैक्स या लैंगिक पहचान सहित सुरक्षित विशिष्टताओं के आधार पर “बहिष्कार या अलग करने के आह्वान या समर्थन या बहिष्कार या अलग करने के इरादे के कथन” को प्रतिबंधित करना जारी रखा है. Meta “सामाजिक बहिष्कार” को प्रतिबंधित करता है जिसे “कुछ जगहों (भौतिक और ऑनलाइन) और सामाजिक सेवाओं की एक्सेस देने से इंकार करने के रूप में परिभाषित किया गया है. इसमें उन जगहों से सैक्स या लिंग आधारित बहिष्कार शामिल नहीं है जो सैक्स या लिंग के आधार पर सीमित होती हैं, जैसे रेस्टरूम, स्पोर्ट्स और स्पोर्ट्स लीग, स्वास्थ्य और सहायता समूह और खास स्कूल.” 7 जनवरी के पहले, यह छूट सीमित थी, जिसमें सिर्फ़ “स्वास्थ्य और सकारात्मक सहायता समूहों में लिंग-आधारित बहिष्कार” की बात कही गई थी. जब पोस्ट का पहली बार रिव्यू किया गया था, तब रिव्यूअर्स को दिए गए Meta के आंतरिक मार्गदर्शन में कहा गया था कि खेलकूद की गतिविधियों या खास खेलों से बहिष्कार के आह्वान को परमिशन दी गई है. हालाँकि, बाथरूम से बहिष्कार के आह्वानों को सिर्फ़ एस्केलेशन पर ही परमिशन दी जाती थी. जब कंटेंट को एस्केलेट किया जाता है, तो उसे Meta के भीतर पॉलिसी और सुरक्षा संबंधी रिव्यू के लिए अतिरिक्त टीमों को भेजा जाता है. Meta के 7 जनवरी के बदलावों में पहले के इन दोनों अप्रकाशित अपवादों को सार्वजनिक कर दिया गया और बाथरूम से जुड़े अपवाद को सिर्फ़ एस्केलेशन पर दिए जाने से बदलकर शुरुआत में ही डिफ़ॉल्ट रूप से लागू कर दिया गया जिसका मतलब है कि सभी ह्यूमन रिव्यूअर्स को यह निर्देश दिया गया है कि वे Meta की आंतरिक टीम को एस्केलेशन की ज़रूरत के बिना कंटेंट को बनाए रखें.
नफ़रत फैलाने वाले आचरण से जुड़ी अपडेट की गई पॉलिसी में अब “अपमान” (पुरानी पॉलिसी में “हीनता बताने वाले सामान्यीकरण” के रूप में बताया गया है) पर अपने प्रतिबंध से भी छूट देती है. ये “ट्रांसजेंडरिज़्म और होमोसेक्शुअलिटी के बारे में राजनैतिक और धार्मिक बातचीत और ‘अजीब’ जैसे शब्दों के सामान्य अगंभीर उपयोग को देखते हुए, मानसिक बीमारी या असामान्यता के लिंग या सेक्शुअल ओरिएंटेशन पर आधारित आरोप होते हैं.”
धमकी और उत्पीड़न से जुड़ा कम्युनिटी स्टैंडर्ड
धमकी और उत्पीड़न से जुड़ी पॉलिसी बनाने के कारण में कहा गया है कि “धमकी देने और किसी व्यक्ति की पहचान बताने वाली जानकारी शेयर करने से लेकर, धमकी भरे मैसेज भेजने और दुर्भावनापूर्ण अनचाहा संपर्क कायम करने तक जैसी धमकाने और उत्पीड़न की घटनाएँ कई जगहों पर और कई अलग-अलग रूपों में होती हैं.” धमकी और उत्पीड़न के कम्युनिटी स्टैंडर्ड को चार टियर में बाँटा गया है, जिसमें टियर 1 “सभी लोगों को सार्वभौमिक सुरक्षा देता है” और टियर 2 - 4 अतिरिक्त सुरक्षाएँ देते हैं, जो टार्गेट किए जा रहे व्यक्ति के स्टेटस के अनुसार सीमित होती हैं. Meta, सार्वजनिक हस्तियों और आम लोगों के बीच अंतर करता है “क्योंकि वह चर्चा करने का अवसर देना चाहता है जिसमें अक्सर उन लोगों के बारे में आलोचनात्मक टिप्पणी शामिल होती है जिन्हें समाचारों में दिखाया जाता है या जिनकी सार्वजनिक ऑडियंस की संख्या बहुत ज़्यादा होती है.” आम लोगों के मामले में, कंपनी “ऐसे कंटेंट को हटा देती है जिसका उद्देश्य नीचा दिखाना या शर्मसार करना होता है.” कुछ मामलों में व्यक्ति को खुद रिपोर्ट करनी होती है क्योंकि इससे कंपनी को यह समझने में मदद मिलती है कि जिस व्यक्ति को टार्गेट किया गया है, वह वास्तव में परेशान या उत्पीड़ित महसूस कर रहा है. पॉलिसी बनाने के कारण में यह भी कहा गया है कि Meta जानता है कि “नाबालिगों पर धमकाने और उत्पीड़न करने का भावनात्मक रूप से और भी गहरा असर पड़ सकता है, इसलिए पॉलिसी में 18 वर्ष से कम उम्र के यूज़र्स को और भी कड़ी सुरक्षा दी जाती है, चाहे उनका यूज़र स्टेटस कुछ भी हो.”
पॉलिसी के टियर 3 में “लैंगिक पहचान के दावों” और “बहिष्कार के आह्वानों” को प्रतिबंधित किया गया है. जिन आम लोगों को ऐसे दावों द्वारा टार्गेट किया जाता है, उन्हें खुद उल्लंघन करने वाले कंटेंट की रिपोर्ट करनी होगी ताकि उसे हटाया जा सके. आम नाबालिगों और स्वैच्छिक सार्वजनिक हस्ती माने जाने वाले नाबालिगों के मामले में खुद रिपोर्ट करने की ज़रूरत नहीं है. ऐसा नाबालिग जो स्वैच्छिक सार्वजनिक हस्ती है और सभी वयस्क सार्वजनिक हस्तियों को धमकी और उत्पीड़न से जुड़ी पॉलिसी के टियर 3 के तहत सुरक्षा प्राप्त नहीं है, भले ही वे खुद इसकी रिपोर्ट करें.
पॉलिसी बनाने के कारण में अन्य लोगों के अलावा सार्वजनिक हस्तियों को राज्य और राष्ट्रीय स्तर के सरकारी अधिकारियों, इन कार्यालयों के राजनीतिक उम्मीदवारों के अलावा “सोशल मीडिया पर दस लाख से ज़्यादा फ़ैन या फ़ॉलोअर वाले लोगों और बड़ा न्यूज़ कवरेज पाने वाले लोगों” के रूप में परिभाषित किया गया है. Meta के आंतरिक मार्गदर्शन में “स्वैच्छिक सार्वजनिक हस्ती” को इस रूप में परिभाषित किया गया है: “ऐसे लोग जो तकनीकी रूप से सार्वजनिक हस्ती की योग्यता रखते हैं लेकिन वे अपनी प्रसिद्धि का इस्तेमाल नहीं करते.
II. Meta के सबमिशन
Meta ने दोनों पोस्ट को Facebook और Instagram पर बनाए रखा क्योंकि किसी भी पोस्ट से उसकी नफ़रत फैलाने वाले आचरण (पहले नफ़रत फैलाने वाली भाषा) या धमकी और उत्पीड़न से जुड़ी पॉलिसी का उल्लंघन नहीं होता. उसने कन्फ़र्म किया कि यह परिणाम, पॉलिसी में 7 जनवरी के उसके बदलावों से प्रभावित नहीं होता. बोर्ड ने इन पॉलिसी के दायरे और इस्तेमाल से जुड़े सवाल पूछे और Meta ने सभी के जवाब दिए.
बाथरूम वाली पोस्ट
Meta ने तय किया कि पहले केस में बाथरूम वाली पोस्ट से हिंसक और नफ़रत फैलाने वाले आचरण से जुड़ी पॉलिसी का उल्लंघन नहीं हुआ.
सबसे पहले, इसमें नफ़रत फैलाने वाली भाषा से जुड़ी पॉलिसी के तहत “बहिष्कार का आह्वान” दिखाई नहीं पड़ता क्योंकि यह स्पष्ट नहीं था कि क्या उसमें किसी खास बाथरूम में ट्रांसजेंडर महिला की मौजूदगी पर सवाल किया गया था या महिलाओं के बाथरूम में ट्रांसजेंडर महिला को परमिशन देने की व्यापक पॉलिसी पर. Meta ने नोट किया कि “अप्रत्यक्ष, निहित या संदिग्ध हमलों से उसके प्लेटफ़ॉर्म पर कंसेप्ट या विचारों की चर्चा करने की लोगों की क्षमता में रुकावट आएगी,” जो इस केस में ट्रांसजेंडर महिला द्वारा महिलाओं के बाथरूम का इस्तेमाल करने की कंसेप्ट थी. Meta ने बताया कि 7 जनवरी के अपडेट के बाद, वह अब सैक्स या लिंग के आधार पर बाथरूम से बहिष्कार के आह्वानों को परमिशन लायक मानता है. उसकी राय में, लोगों को दिखाई देने वाली भाषा में यह अपडेट, इस नियम की पारदर्शिता और सरलीकृत एन्फ़ोर्समेंट को बेहतर बनाता है. दूसरा, इस पोस्ट से सुरक्षित विशिष्टता वाले समूह के अस्तित्व से इंकार करने के टियर 1 के नियम (अब डिलीट कर दिया गया और लागू नहीं होता) का उल्लंघन नहीं होता. पोस्ट में दिखाई गई ट्रांसजेंडर महिला को पुरुष (अर्थात गलत लिंग का उपयोग) बताने को Meta, ट्रांसजेंडर लोगों के अस्तित्व से इंकार करना नहीं मानता. Meta ने कहा कि वह ऐसा नहीं मानता कि किसी व्यक्ति के सुरक्षित विशिष्टता वाले समूह का होने से इंकार करना, किसी समूह के अस्तित्व से इंकार करने के बराबर है.
Meta इस निष्कर्ष पर भी पहुँचा कि बाथरूम वाली पोस्ट से धमकी और उत्पीड़न वाली पॉलिसी का उल्लंघन नहीं होता क्योंकि पोस्ट में टार्गेट की गई ट्रांसजेंडर महिला ने खुद कंटेंट की रिपोर्ट नहीं की. Meta ने स्पष्ट किया कि “लैंगिक पहचान से जुड़े दावों” पर प्रतिबंध से लिंग का गलत उपयोग करने पर प्रतिबंध लगता है और अगर वह व्यक्ति खुद रिपोर्ट करता है, तो इसे उल्लंघन करने वाला माना जाता. हालाँकि, भले ही यूज़र खुद रिपोर्ट करता, Meta यह निष्कर्ष निकालता कि “बहिष्कार के आह्वान” के खिलाफ़ नियम का उल्लंघन नहीं हुआ है क्योंकि उसमें बहिष्कार का कोई स्पष्ट आह्वान नहीं था.
बोर्ड के सवालों के जवाब में, Meta ने कहा कि उसने खुद रिपोर्ट करने की ज़रूरत के विकल्पों पर विचार किया है, लेकिन उनसे ज़रूरत से ज़्यादा एन्फ़ोर्समेंट को जोखिम होता है. Meta ने बताया कि टार्गेट किए गए व्यक्ति और उनकी ओर से रिपोर्ट करने वाली थर्ड पार्टी के बीच रिलेशनशिप के उचित लेवल को परिभाषित करना कठिन होगा. उसने आगे बताया कि दी गई जानकारी की सटीकता को सत्यापित करना चुनौतीपूर्ण होगा.
बोर्ड के सवालों के जवाब में, Meta ने बताया कि कंपनी सिर्फ़ इसलिए कंटेंट को नहीं हटाती क्योंकि उसमें किसी पहचाने जाने लायक व्यक्ति का उसकी सहमति के बिना निजी पलों का फ़ुटेज है और उसे हटाने के लिए उल्लंघन करने वाले एलिमेंट की ज़रूरत होती है. ऐसा इसलिए क्योंकि “निजी पलों का जोखिम सार्वजनिक पलों से अलग होता है, लेकिन कई गैर-निजी एक्टिविटी और बातें निजी माहौल में होती हैं."
एथलेटिक्स वाली पोस्ट
Meta इस निष्कर्ष पर पहुँचा कि दूसरे केस में एथलेटिक्स वाली पोस्ट से नफ़रत फैलाने वाली भाषा (नफ़रत फैलाने वाला आचरण) से जुड़ी पॉलिसी का उल्लंघन नहीं होता.
सबसे पहले, Meta ने पाया कि उसमें बहिष्कार का कोई प्रतिबंधित आह्वान नहीं था. Meta के अनुसार, जिस तरह से पोस्ट में ट्रांसजेंडर लड़की की जीत पर दर्शकों की असहमति पर लोगों का ध्यान आकर्षित किया गया है, वह उस “कंसेप्ट” के बारे में इशारा करता है जिसमें ट्रांसजेंडर लड़कियों और महिलाओं को उनकी लैंगिक पहचान के अनुसार सही खेलकूदों में भाग लेने की परमिशन दी जाती है. Meta ने बताया कि नफ़रत फैलाने वाले आचरण से जुड़ी अपडेट की गई पॉलिसी यह स्पष्ट करती है कि सामाजिक बहिष्कार में “उन जगहों से सैक्स या लिंग आधारित बहिष्कार शामिल नहीं है जो आम तौर पर सैक्स या लिंग के आधार पर सीमित होती हैं, जैसे खेलकूद या खेलकूद लीग” जिसे पहले रिव्यूअर्स को दिए जाने वाले आंतरिक मार्गदर्शन में अपवाद के ज़रिए एन्फ़ोर्स किया जाता था.
दूसरा, बाथरूम वाली पोस्ट में बताए गए कारण जैसे कारण से, Meta ने पाया कि इस पोस्ट से सुरक्षित विशिष्टता वाले समूह के अस्तित्व से इंकार करने के टियर 1 के नियम (अब डिलीट कर दिया गया) का उल्लंघन नहीं होता.
Meta इस निष्कर्ष पर भी पहुँचा कि इस पोस्ट से धमकी और उत्पीड़न से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन नहीं होता. Meta ने पाया कि इसमें “बहिष्कार का आह्वान” नहीं है और यह कि भले ही एथलीट नाबालिग (उम्र 13 से 18 वर्ष के बीच) है, वह एक “स्वैच्छिक सार्वजनिक हस्ती” है क्योंकि वह अपने सेलिब्रिटी स्टेटस का इस्तेमाल करती रही है. इसलिए उसे “लैंगिक पहचान से जुड़े दावों” पर टियर 3 के प्रतिबंध की सुरक्षा हासिल नहीं है (जिसमें किसी व्यक्ति के लिंग का गलत इस्तेमाल करना प्रतिबंधित है). अगर वह स्वैच्छिक सार्वजनिक हस्ती के रूप में क्लासीफ़ाइड नहीं होती, तो कंटेंट से “लैंगिक पहचान से जुड़े दावों” के नियम का उल्लंघन होता. उस मामले में, चूँकि वह नाबालिग है, उल्लंघन पाए जाने के लिए उसे खुद उस कंटेंट की रिपोर्ट करने की ज़रूरत नहीं पड़ती.
Meta के विश्लेषण में, कंपनी ने टार्गेट किए गए नाबालिग को एक “सार्वजनिक हस्ती” माना, यह देखते हुए कि एक एथलीट के रूप में उसे समाचारों में बड़ा कवरेज मिलता रहा है और यह कि उसके पास “लोगों के बड़े समूह को प्रभावित करने या उनसे कम्युनिकेट करने की क्षमता हो सकती है.” Meta ने बताया कि कंपनी “आंशिक रूप से सार्वजनिक हस्तियों से जुड़ी ज़्यादा चर्चा और बहस को परमिशन देती है क्योंकि, जैसा कि यहाँ हुआ, ये बातचीत अक्सर सामाजिक और राजनैतिक चर्चाओं का भाग होती हैं और इनकी न्यूज़ रिपोर्टिंग हो सकती है.” कंपनी ने कहा कि “प्रतियोगिताओं में शामिल होने वाले और न्यूज़ कवरेज, चाहे वह अच्छे कारणों से हो या बुरे, हासिल करने वाले एथलीट तब अपने आप सार्वजनिक हस्तियाँ बन जाते हैं जब वे समाचारों में दिखाई देने की एक तय संख्या पार कर लेते हैं.” Meta ने यह भी स्पष्ट किया कि 13 वर्ष से छोटे नाबालिगों को सार्वजनिक हस्ती बनने की योग्यता नहीं मिलती. इस केस में ट्रांसजेंडर एथलीट, जो नाबालिग थी लेकिन 13 वर्ष से छोटी नहीं थी, एक “स्वैच्छिक सार्वजनिक हस्ती” थी क्योंकि Meta की नज़र में वह “कुछ हद तक” अपनी प्रसिद्धि का उपयोग करती रही थी और 2023 में एक स्कूल के न्यूज़पेपर में अपने ट्रांस होने के बारे में “सार्वजनिक रूप से बोलती” रही थी. नाबालिगों के “स्वैच्छिक” या “अस्वैच्छिक” सार्वजनिक हस्तियाँ होने के बीच अंतर के ज़रिए, Meta “नाबालिगों की सुरक्षा और एजेंसी, अभिव्यक्ति और गरिमा के उनके अधिकार के बीच संतुलन रखना चाहता है, उदाहरण के लिए, अपने सेलिब्रिटी स्टेटस का इस्तेमाल करना चुनना, उस बदनामी सहित जो इसके साथ आती है.” कंपनी ने बताया कि “इस तरीके से लोगों को उन नाबालिगों, जिन्होंने खुद अपनी प्रसिद्धि का इस्तेमाल करना चुना है, के बारे में चर्चा करने की परमिशन देकर उनके अधिकारों की सुरक्षा होती है, लेकिन साथ ही इसमें ऐसे नाबालिगों की तरफ़ लोगों के संभावित रूप से नुकसानदेह नकारात्मक ध्यान को भी रोका जाता है, जो अपराध या दुर्व्यवहार के शिकार होने की वजह से प्रसिद्ध हो गए हैं.”
Meta ने यह जोड़ा कि भले ही इनमें से किसी पोस्ट से उसकी कंटेंट की पॉलिसीज़ का उल्लंघन होता, उन पोस्ट को एस्केलेशन के समय रिव्यू में खबरों में रहने लायक होने की छूट देते हुए प्लेटफ़ॉर्म पर बनाए रखा जाता. ऐसा इसलिए क्योंकि दोनों पोस्ट अमेरिका में विचारणीय राजनैतिक बहस के विषयों से संबंधित हैं और नाबालिग और ट्रांसजेंडर एथलीट होने से जुड़े तथ्य व्यापक न्यूज़ कवरेज को आमंत्रित करते हैं.
4.पब्लिक कमेंट
ओवरसाइट बोर्ड को सबमिट करने की शर्तों को पूरा करने वाले 658 पब्लिक कमेंट मिले. इनमें से 53 कमेंट एशिया पैसिफ़िक और ओशेनिया से, 174 यूरोप से, आठ लैटिन अमेरिका और कैरिबियन से, एक सब-सहारन अफ़्रीका से और 422 अमेरिका और कनाडा से सबमिट किए गए थे. चूँकि सभी पब्लिक कमेंट 7 जनवरी, 2025 से पहले आए थे, इसलिए उनमें से किसी भी कमेंट में उस दिन Meta की ओर से पॉलिसी में किए गए बदलावों के बारे में कोई उल्लेख नहीं था. प्रकाशन की सहमति के साथ सबमिट किए गए पब्लिक कमेंट पढ़ने के लिए यहाँ पर क्लिक करें.
सबमिशन में इन विषयों पर बात की गई थी: जैविक लक्षणों की अचलता; लिंग के गलत इस्तेमाल या ट्रांसजेंडर लोगों के बहिष्कार के नुकसानों की रिसर्च; ट्रांसजेंडर लोगों से जुड़े कंटेंट पर ज़रूरत से कम या ज़्यादा एन्फ़ोर्समेंट के जोखिम; Meta की धमकी और उत्पीड़न से जुड़ी पॉलिसी के तहत खुद रिपोर्ट करने की ज़रूरत और अस्वैच्छिक सार्वजनिक हस्ती का स्टेटस जो नाबालिग है; और ट्रांसजेंडर महिलाओं और लड़कियों की खेलकूद में भागीदारी और महिलाओं के बाथरूम के उपयोग के महिलाओं के अधिकारों पर प्रभाव.
5.ओवरसाइट बोर्ड का विश्लेषण
बोर्ड ने यह आकलन करने के लिए इन केसों का चयन किया कि लैंगिक पहचान से जुड़ी चर्चाओं को मॉडरेट करने का Meta का तरीका, सभी लोगों के लिए अभिव्यक्ति की आज़ादी सहित मानवाधिकारों का सम्मान करता है. बोर्ड ने Meta की कंटेंट पॉलिसी, वैल्यू और मानवाधिकार से जुड़ी ज़िम्मेदारियाँ के संबंध में इन केस में दिए गए Meta के फ़ैसलों का विश्लेषण किया. बोर्ड ने यह भी आकलन किया कि कंटेंट गवर्नेंस को लेकर Meta के व्यापक दृष्टिकोण पर इन केसों का क्या असर पड़ेगा.
5.1 Meta की कंटेंट पॉलिसी का अनुपालन
I. कंटेंट से जुड़े नियम
नफ़रत फैलाने वाले आचरण (पहले नफ़रत फैलाने वाली भाषा) से जुड़ी पॉलिसी
पॉलिसी में 7 जनवरी के बदलावों के बाद, बोर्ड ने पाया कि किसी भी पोस्ट से नफ़रत फैलाने वाले आचरण से जुड़ी Meta की पॉलिसी का उल्लंघन नहीं होता. किसी उल्लंघन में दो एलिमेंट होते हैं: (i.) पॉलिसी के “यह पोस्ट न करें” सेक्शन के तहत लिस्ट किए गए प्रतिबंधों के रूप में “सीधा हमला”; (ii.) वह किसी व्यक्ति या समूह को लिस्ट की गई किसी सुरक्षित विशिष्टता के आधार पर टार्गेट करता है. दोनों पोस्ट के लिए, संशोधित नियमों के तहत “सीधा हमला” न होने का मतलब है कि उल्लंघन नहीं होता. बोर्ड ने यह नोट किया कि नफ़रत फैलाने वाले आचरण से जुड़ी Meta की पॉलिसी के तहत “लैंगिक पहचान” अभी भी एक सुरक्षित विशिष्टता है.
पॉलिसी में 7 जनवरी के बदलावों से पहले, बोर्ड ने नफ़रत फैलाने वाली भाषा से जुड़ी पॉलिसी के दो प्रतिबंधों (अर्थात, “सीधे हमले”) के संबंध में दोनों पोस्ट का आकलन किया: (i.) ट्रांसजेंडर लोगों या पहचान के अस्तित्व से इंकार करने वाले कथन; (ii.) ट्रांसजेंडर लोगों के सामाजिक बहिष्कार के आह्वान.
बोर्ड के बहुसंख्य सदस्यों ने पाया कि दोनों में से किसी भी पोस्ट से “अस्तित्व से इंकार करने वाले कथनों” के बारे में Meta के नियम (अब डिलीट किया गया और एन्फ़ोर्स नहीं किया जाता) का उल्लंघन नहीं होता. इस नियम का उल्लंघन होने के लिए, कंटेंट में इस बारे में ज़्यादा स्पष्ट कथन होना ज़रूरी था: ट्रांसजेंडर लोग या ट्रांसजेंडर पहचान का कोई अस्तित्व नहीं है; कोई भी ट्रांसजेंडर नहीं होता; या खुद को ट्रांसजेंडर मानने वाला हर इंसान ट्रांसजेंडर नहीं होता. दोनों पोस्ट के वीडियो में शामिल लोगों का जैविक लिंग यह कहते हुए बताया गया है कि वे “सोचते” हैं कि वे महिला हैं. इससे इन लोगों की लैंगिक पहचान की अनदेखी हो सकती है और कई लोगों के लिए यह अशिष्ट या आपत्तिजनक हो सकता है, लेकिन अनुमान लगाने पर भी इससे यह कथन नहीं बनता कि ट्रांसजेंडर लोग या पहचान का कोई अस्तित्व नहीं है. लोग इन पोस्ट से इस विचार के अस्वीकृत होने का परिणाम निकाल सकते हैं कि जैविक सैक्स के बजाय लैंगिक पहचान को यह तय करना चाहिए कि महिलाओं और लड़कियों के खेलकूद में कौन भाग ले सकता है या महिलाओं के बाथरूप का इस्तेमाल कौन कर सकता है. इस राय की अभिव्यक्ति, भले ही वह विवादास्पद हो, से नफ़रत फैलाने वाली भाषा से जुड़ी पॉलिसी के इस नियम का उल्लंघन नहीं होता.
बोर्ड के अल्पसंख्य सदस्यों ने पाया कि दोनों पोस्ट से “अस्तित्व से इंकार करने वाले कथनों” के Meta के पुराने नियम का उल्लंघन होता है. इन अल्पसंख्य सदस्यों के अनुसार, दोनों वीडियो के कैप्शन में यह कहना कि दिए गए लोग पुरुष हैं “जो ये सोचते हैं कि वे महिलाएँ हैं,” बिना व्याख्या या योग्यता के स्पष्ट रूप से इस संभावना से इंकार करते हैं कि ट्रांसजेंडर महिलाएँ और लड़कियाँ, पुरुषों के अलावा कुछ और हैं या हो सकती हैं. भाषा और लहज़ा, भले ही वह अस्पष्ट है, यह बताने की कोशिश करता है कि सभी ट्रांसजेंडर पहचान, एक पहचान के बजाय एक भ्रम है. इन अल्पसंख्य सदस्यों के अनुसार, इन पोस्ट को उल्लंघन करने वाली मानना, बोर्ड की उस मिसाल के अनुरूप होगा जिसमें कहा गया है कि कथनों में किस तरह अप्रत्यक्ष बातें या “ नुकसानदेह क्रिएटिविटी” से नफ़रत फैलाने वाली भाषा बन सकती है (यहूदी नरसंहार को नकारना (होलोकॉस्ट डिनायल) और ट्रांसजेंडर लोगों को टार्गेट करने के लिए पोलिश भाषा में की गई पोस्ट).
बोर्ड ने नोट किया कि सामाजिक बहिष्कार के आह्वानों पर Meta के प्रतिबंधों को 7 जनवरी के पॉलिसी के अपडेट में भी कायम रखा गया है, लेकिन “स्वास्थ्य और सहायता समूहों” से लिंग आधारित बहिष्कार को परमिशन देने के अलावा, पॉलिसी में अब “रेस्टरूम, खेलकूद या खेलकूद लीग जैसी सैक्स या लिंग द्वारा आम तौर पर सीमित जगहों” से सैक्स या लिंग आधारित बहिष्कार को भी परमिशन दी जाती है. पॉलिसी बनाने के कारण को भी यह बताने के लिए अपडेट किया था कि Meta इन मुद्दों के बारे में सैक्स या लिंग के लिए एक्सक्लूसिव भाषा को परमिशन देना चाहता है.
बोर्ड के बहुसंख्य सदस्यों के अनुसार, किसी भी पोस्ट से इन बदलावों के पहले की नफ़रत फैलाने वाली भाषा से जुड़ी पॉलिसी के तहत सामाजिक बहिष्कार का आह्वान नहीं होता है. बाथरूम वाली पोस्ट में, ट्रांसजेंडर महिला से उस जगह से बाहर जाने के लिए नहीं कहा गया था, उसे उसकी इच्छा के खिलाफ़ वहाँ से नहीं निकाला गया था या उसे भविष्य में वहाँ आने से रोका नहीं जाएगा. इसके बजाय रिकॉर्ड करने वाली महिला उस ट्रांसजेंडर महिला से पूछ रही है कि “क्या उसके अनुसार यह सही है?” भले ही यह बातचीत अनचाही और अशिष्ट हो सकती है, लेकिन वह “बहिष्कार के आह्वान” की परिभाषा को पूरी नहीं करती. एथलेटिक्स वाली पोस्ट में ट्रांसजेंडर एथलीट को प्रतियोगिता से हटाने, अयोग्य घोषित करने या अन्यथा बाहर करने की बात नहीं कही गई है. पोस्ट में उसकी भागीदारी और जीत दिखाई गई है और अप्रत्यक्ष रूप से यह सवाल किया गया है कि क्या यह सही है. ट्रांसजेंडर एथलीट की भागीदारी के विभिन्न तरीकों की वैधता पर बहस करना या एक एथलीट की योग्यता पर सवाल उठाना, Meta की पॉलिसी के तहत सामाजिक बहिष्कार का आह्वान नहीं कहलाता. बोर्ड के बहुसंख्य सदस्यों ने नोट किया कि 7 जनवरी से पहले, रिव्यूअर्स के लिए Meta के आंतरिक मार्गदर्शन में खेलकूद की एक्टिविटी या खास खेलों से लिंग आधारित बहिष्कार के आह्वान को परमिशन देने के निर्देश शामिल थे और Meta की आंतरिक पॉलिसी टीमों द्वारा लिए गए फ़ैसलों के लिए, बाथरूम से लिंग आधारित बहिष्कार के आह्वानों को परमिशन देने के निर्देश शामिल थे. Meta के नियमों को ज़्यादा पारदर्शी और एक्सेसिबल बनाने, जैसा कि इस एरिया में 7 जनवरी के संशोधन करते हैं, का सामान्य तौर पर स्वागत किया जाता है.
बोर्ड के अल्पसंख्य सदस्यों के अनुसार, सही संदर्भ में समझे जाने पर (सेक्शन 5.2 में अल्पसंख्य सदस्यों का मानवाधिकार विश्लेषण देखें) दोनों पोस्ट में लैंगिक पहचान के आधार पर “बहिष्कार के प्रतिबंधित आह्वान” होते हैं. उस संदर्भ को, ट्रांसजेंडर पहचान को भ्रम बताकर उनके अस्तित्व से इंकार करने वाले कथनों के साथ मिलाने पर, सीधे और हिंसक हमले का इन पोस्ट का व्यापक इरादा स्पष्ट होता है: ट्रांसजेंडर महिला और लड़कियों को सिर्फ़ उनकी लैंगिक पहचान को नकारने के आधार पर बाथरूम का इस्तेमाल करने, खेलकूद में भाग लेने और समाज में शामिल होने से रोकना. इस नियम का उल्लंघन पाया जाना, नफ़रत फैलाने वाली भाषा से जुड़ी Meta की पॉलिसी बनाने के कारण के अनुरूप था, जिसमें पहले कहा गया था कि नफ़रत फैलाने वाली भाषा की परमिशन नहीं है क्योंकि “इससे न सिर्फ़ डराने-धमकाने वाला माहौल बनता है, बल्कि लोगों को बहिष्कृत किए जाने का भी डर होता है और कुछ मामलों में तो यह ऑफ़लाइन हिंसा को बढ़ावा दे सकता है.” बोर्ड के अल्पसंख्य सदस्यों के अनुसार, पॉलिसी में 7 जनवरी के बदलाव Meta की मानवाधिकार से जुड़ी ज़िम्मेदारियों के अनुरूप नहीं हैं, जिनके अनुसार दोनों पोस्ट को हटा दिया जाना चाहिए (सेक्शन 5.2 देखें).
धमकी और उत्पीड़न से जुड़ी पॉलिसी
धमकी और उत्पीड़न से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड में 7 जनवरी को कोई बदलाव नहीं किया गया था.
पहले केस में शामिल बाथरूम वाली पोस्ट में बोर्ड ने एकमत से पाया कि ट्रांसजेंडर महिला एक वयस्क है और सार्वजनिक हस्ती नहीं है, इसलिए धमकी और उत्पीड़न से जुड़ी पॉलिसी के टियर 3, “लैंगिक पहचान से जुड़े दावे” और “बहिष्कार के आह्वान” के नियमों सहित, के तहत कंटेंट के आकलन के लिए उसे खुद कंटेंट की रिपोर्ट करनी थी. चूँकि वीडियो में शामिल ट्रांसजेंडर महिला ने खुद कंटेंट की रिपोर्ट नहीं की, इसलिए पॉलिसी के टियर 3 का विश्लेषण ज़रूरी नहीं है.
बोर्ड यह मानता है कि कंटेंट की खुद रिपोर्ट करने से Meta को यह तय करने में मदद मिलती है कि क्या टार्गेट किया गया व्यक्ति खुद को धमकाया गया या उत्पीड़न किया गया मानता है, लेकिन बोर्ड इस बात से चिंतित है कि इसे अमल में लाने में चुनौतियाँ आएँगी और इससे यूज़र पर धमकी और उत्पीड़न से जुड़ी पॉलिसी के तहत उत्पीड़न करने वाले कंटेंट की रिपोर्ट करने का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा. बोर्ड को सबमिट किए गए पब्लिक कमेंट (PC-30418 और PC-30167 देखें) और विभिन्नरिपोर्ट में खुद रिपोर्ट करने की कमियों और टार्गेटेड दुर्व्यवहार के शिकारों पर उसके असर को हाइलाइट किया गया है. इसके अलावा, Meta ने 7 जनवरी को जो बदलाव अनाउंस किए, जिन्हें स्पष्ट रूप से “पॉलिसी के कम गंभीर उल्लंघनों” का ऑटोमेटेड रूप से पता लगाने में कमी लाने के लिए डिज़ाइन किया गया है, उनसे यह बोझ बढ़ सकता है. इस संबंध में, Meta को यह एक्सप्लोर करना जारी रखना चाहिए कि धमकी और उत्पीड़न द्वारा टार्गेट किए गए लोगों से इस बोझ को कम कैसे किया जा सकता है, उदाहरण के लिए भरोसेमंद प्रतिनिधियों को उनकी असहमति और उनकी ओर से असहमति रिपोर्ट करने की परमिशन देना.
इसी संबंध में, जब Meta कुछ पॉलिसी लाइन के तहत यूज़र के लिए खुद रिपोर्ट करना ज़रूरी बनाता है, तब इन रिपोर्ट को प्रभावी रूप से रिव्यू के लिए प्राथमिकता दी जानी चाहिए ताकि इन पॉलिसी का सटीक एन्फ़ोर्समेंट सुनिश्चित किया जा सके. जैसा कि बोर्ड ने पहले ट्रांसजेंडर लोगों को टार्गेट करने के लिए पोलिश भाषा में की गई पोस्ट फ़ैसले में कहा था, Meta के ऑटोमेटेड सिस्टम, एक ही कंटेंट की कई रिपोर्ट की निगरानी करते हैं और उनका डुप्लिकेशन हटाते हैं ताकि “रिव्यूअर के फ़ैसलों और एन्फ़ोर्समेंट की कार्रवाइयों में एकरूपता सुनिश्चित की जा सके.” बोर्ड की समझ से, इससे उन मामलों में खुद की गई रिपोर्ट की चूक हो सकती है जिनमें कई यूज़र रिपोर्ट मिलती हैं. इसलिए बोर्ड यह सुझाव देता है कि Meta को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यूज़र्स द्वारा खुद की गई रिपोर्ट को रिव्यू में प्राथमिकता दी जाए, यह गारंटी देते हुए कि टेक्नोलॉजी के सभी लागू किए गए समाधानों में उच्च जोखिम वाले समूहों पर पड़ने वाले संभावित बुरे प्रभावों का ध्यान रखा गया है (सेक्शन 7 देखें).
बोर्ड के अल्पसंख्य सदस्य, आम वयस्कों द्वारा धमकी और उत्पीड़न के उल्लंघनों को खुद रिपोर्ट करने की Meta की ज़रूरत को सही मानते हैं यह मानते हैं, लेकिन बोर्ड के ये सदस्य, बाथरूम वाली पोस्ट के माहौल के सामान्य विश्लेषण से चिंतित हैं. किसी ट्रांसजेंडर महिला से बाथरूम में बहसबाज़ी करना, हमला करने जैसा है जिसे “उत्पीड़न” का एक रूप माना जाना चाहिए. यह एक “नॉन-प्राइवेट एक्टिविटी” नहीं थी, बल्कि यह किसी व्यक्ति की प्राइवेसी पर हमला था.
दूसरे केस में एथलीट वाली पोस्ट के संबंध में, बोर्ड ने पोट किया कि धमकी और उत्पीड़ से जुड़ी पॉलिसी का टियर 3, उन लोगों को सुरक्षा नहीं देता जिनकी उम्र 13 से 18 वर्ष के बीच है, जो सार्वजनिक हस्तियाँ हैं और जो “अपनी प्रसिद्धि का इस्तेमाल करते हैं.” Meta के अनुसार, इस तरह का इस्तेमाल, स्वैच्छिक सार्वजनिक हस्ती स्टेटस को अस्वैच्छिक स्टेटस से अलग करता है. बोर्ड इस बात से सहमत है कि Meta ने यह कैटेगराइज़ करने में गलती की कि नाबालिग ट्रांसजेंडर एथलीट अपनी प्रसिद्धि का “इस्तेमाल करती है” (और इसलिए वह स्वैच्छिक सार्वजनिक हस्ती) है. Meta ने सिर्फ़ इस आधार पर यह माना कि उस एथलीट ने वीडियो में दिखाई गए एथलेटिक्स प्रतियोगिता होने के एक वर्ष पहले एक स्कूल के न्यूज़पेपर को इंटरव्यू दिया था. Meta के पास यह तय करने का पर्याप्त आधार नहीं था कि बच्चे ने स्वैच्छा से सार्वजनिक हस्ती बनना चुना.
बहुसंख्य सदस्यों ने पाया कि नाबालिग होने के बावजूद दिखाई गई एथलीट, स्वैच्छिक सार्वजनिक हस्ती है क्योंकि उसने राज्य स्तरीय एथलेटिक्स प्रतियोगिता में भाग लेना चुना है. ऐसी राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं पर लोगों का व्यापक रूप से ध्यान जाता है, ये बड़ी संख्या में दर्शकों के सामने होती हैं और उन पर लोगों का ध्यान दिलाने के लिए उन्हें अक्सर मीडिया द्वारा कवर किया जाता है. किसी हाई-प्रोफ़ाइल खेलकूद ईवेंट में भाग लेना, खास तौर पर पहले की एथलेटिक भागीदारी के लिए मीडिया रिपोर्टिंग के फ़ोकस में रहने के बाद, ट्रांसजेंडर एथलीट द्वारा लिया गया एक स्वैच्छिक फ़ैसला है. बोर्ड के बहुसंख्य सदस्यों के अनुसार, Meta का इस आधार पर “नाबालिगों को स्वैच्छिक सार्वजनिक हस्ती” मानना सही है कि वे अपनी सार्वजनिक पहचान बनाने के लिए अपनी इच्छा से माध्यम, अभिव्यक्ति और गरिमा का इस्तेमाल करना चुनते हैं. बड़े स्तर की खेलकूद प्रतियोगिताओं में बड़े बच्चों के भाग लेने, मनोरंजन इंडस्ट्री में एक्टिव होने, सोशल मीडिया में इंफ़्लूएंसर होने और अन्य प्रमुख सार्वजनिक भूमिकाओं पर आसीन होने के साथ, निजी एजेंसी और अभिव्यक्तिपूर्ण अधिकारों को ऐसी मान्यता उचित है.
अल्पसंख्य सदस्य मानते हैं कि ट्रांसजेंडर एथलीट को स्वैच्छिक सार्वजनिक हस्ती नहीं माना जाना चाहिए. ज़्यादा से ज़्यादा उसे अस्वैच्छिक सार्वजनिक हस्ती माना जाना चाहिए और उसे टियर 3 सहित धमकी और उत्पीड़न से सभी तरह की सुरक्षा दी जानी चाहिए. बोर्ड के ये सदस्य इस बात से असहमत हैं कि, खास तौर पर किसी बच्चे के मामले में, सिर्फ़ उनसे जुड़े ऑनलाइन मीडिया रेफ़रेंस की मनमानी संख्या के आधार पर उन्हें “सार्वजनिक हस्ती” स्टेटस दिया जाना चाहिए. ऐसा मीडिया कवरेज खुद किसी बच्चे को सार्वजनिक हस्ती नहीं बनाता, न ही इसके आधार पर उसे मिलने वाली सुरक्षाओं में कमी की जानी चाहिए. इस तरीके का समर्थन करना, निजी आवास की जानकारी शेयर करने से जुड़ी पॉलिसी एडवाइज़री टीम की राय के अनुरूप नहीं है और किसी नाबालिग पर इसे लागू करना खास तौर पर चिंता का विषय है. किसी राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में भाग लेने के किसी बच्चे के चुनाव को उसके स्पष्ट सेलिब्रिटी स्टेटस का स्वैच्छिक उपयोग करना नहीं माना जाना चाहिए, खास तौर पर जब उसे मीडिया का कवरेज उसकी लैंगिक पहचान के कारण मिल रहा हो, जो उसके कंट्रोल में नहीं है. एथलीट ने यह जानते हुए भी इस प्रतियोगिता में हिस्सा लिया कि वह लोगों का ध्यान आकर्षित कर सकती है, लेकिन यह उस मीडिया का ध्यान आकर्षित करने के लिए एजेंसी और अभिव्यक्ति की आज़ादी के समान नहीं है जो बाद में उसे मिला. इस बात का कोई संकेत नहीं है कि नाबालिग इस स्पष्ट प्रसिद्धि का इस्तेमाल करना चाहती थी या उसने मीडिया के उस कवरेज में सक्रिय रूप से भाग लिया जो उसे हासिल हुआ.
धमकी और उत्पीड़न से जुड़े नियमों के टियर 3 के तहत, बोर्ड के अल्पसंख्य सदस्य यह मानते हैं कि एथलेटिक्स से जुड़ी पोस्ट, “लैंगिक पहचान से जुड़े दावों” पर प्रतिबंध का उल्लंघन करती है. बोर्ड के ये सदस्य इस बात पर Meta से सहमत हैं कि “लैंगिक पहचान से जुड़े दावों” में लिंग की गलत पहचान शामिल है. इस पोस्ट में सीधे कहा गया है कि ट्रांसजेंडर एथलीट एक “लड़का है जो समझता है कि वे लड़की है” और पुरुष उपनामों का उपयोग करता है. बोर्ड के अल्पसंख्य सदस्यों की राय में, ये लैंगिक पहचान से जुड़े ऐसे दावे हैं जो एक पहचाने जाने लायक बच्चे का उत्पीड़न करने और उसे धमकाने के लिए टार्गेट करते हैं और इस तरह से पॉलिसी का उल्लंघन करते हैं.
इन अल्पसंख्य सदस्यों के अनुसार, पोस्ट से उन्हीं कारणों से धमकी और उत्पीड़न के टियर 3 के बहिष्कार के आह्वान पर प्रतिबंध का उल्लंघन भी होता है, जिन कारणों से नफ़रत फैलाने वाली भाषा से जुड़ी पुरानी पॉलिसी के बहिष्कार के आह्वानों पर मिलते-जुलते प्रतिबंधों का उल्लंघन होता है. ट्रांसजेंडर एथलीट को स्पष्ट रूप से पहचाना जा सकता है और पोस्ट में उसका नाम दिया गया है.
बोर्ड के बहुसंख्य सदस्यों के अनुसार, चूँकि एथलीट एक स्वैच्छिक सार्वजनिक हस्ती थी, इसलिए धमकी और उत्पीड़न से जुड़ी पॉलिसी का टियर 3 उस पर लागू नहीं होता है और संभावित उल्लंघनों का विश्लेषण इसलिए ज़रूरी नहीं है.
5.2 Meta की मानवाधिकारों से जुड़ी ज़िम्मेदारियों का अनुपालन
बोर्ड के बहुसंख्य सदस्यों ने पाया कि दोनों पोस्ट को प्लेटफ़ॉर्म पर रखना, Meta की मानवाधिकार से जुड़ी प्रतिबद्धताओं के अनुसार है. बोर्ड के अल्पसंख्य सदस्य इससे असहमत हैं और उन्होंने कहा कि Meta की यह ज़िम्मेदारी है कि वह दोनों पोस्ट को हटाए.
अभिव्यक्ति की आज़ादी (आर्टिकल 19 ICCPR)
नागरिक और राजनैतिक अधिकारों पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिज्ञापत्र (ICCPR) का अनुच्छेद 19, अभिव्यक्ति की व्यापक सुरक्षा प्रदान करता है, जिसमें राजनैतिक, सार्वजनिक मामलों और मानवाधिकारों से जुड़ी राय की सुरक्षा शामिल है (सामान्य कमेंट सं. 34, पैरा. 11-12). संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार समिति ने यह हाइलाइट किया है कि राजनैतिक मुद्दों की चर्चा करते समय अभिव्यक्ति का महत्व खास तौर से ज़्यादा होता है (सामान्य कमेंट सं. 34, पैरा. 11, 13; अभिव्यक्ति की आज़ादी पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष रैपर्टर A/74/486 की 2019 की रिपोर्ट का पैरा. 17 भी देखें). जहाँ राज्य, अभिव्यक्ति पर प्रतिबंध लगाता है, वहाँ प्रतिबंधों को वैधानिकता, वैधानिक लक्ष्य और आवश्यकता तथा आनुपातिकता की शर्तों को पूरा करना चाहिए (अनुच्छेद 19, पैरा. 3, ICCPR). इन आवश्यकताओं को अक्सर “तीन भागों वाला परीक्षण” कहा जाता है.
बोर्ड इस फ़्रेमवर्क का उपयोग बिज़नेस और मानवाधिकारों से जुड़े संयुक्त राष्ट्र संघ के मार्गदर्शक सिद्धांतों के अनुरूप Meta की मानवाधिकार ज़िम्मेदारियों को समझने के लिए करता है, जिसके लिए Meta ने खुद अपनी कॉर्पोरेट मानवाधिकार पॉलिसी में प्रतिबद्धता जताई है. बोर्ड ऐसा इसलिए करता है कि वह रिव्यू के लिए आए कंटेंट से जुड़े अलग-अलग फ़ैसले ले सके और यह समझ सके कि कंटेंट मॉडरेशन से जुड़ा Meta का व्यापक दृष्टिकोण क्या है. जैसा कि अभिव्यक्ति की आज़ादी के बारे में संयुक्त राष्ट्र के खास रैपर्टर में कहा गया है कि भले ही “कंपनियों का सरकारों के प्रति दायित्व नहीं है, लेकिन उनका प्रभाव इस तरह का है जो उनके लिए अपने यूज़र की सुरक्षा के बारे में इस तरह के सवालों का मूल्यांकन करना ज़रूरी बनाता है” (A/74/486, पैरा. 41).
I. वैधानिकता (नियमों की स्पष्टता और सुलभता)
वैधानिकता के सिद्धांत के लिए यह ज़रूरी है कि अभिव्यक्ति को सीमित करने वाले नियमों को एक्सेस किया जा सकता हो और वे स्पष्ट हों. उन्हें पर्याप्त सटीकता के साथ बनाया गया हो ताकि लोग अपने व्यवहार को उसके अनुसार बदल सकें (सामान्य कमेंट सं. 34, पैरा. 25). इसके अलावा, ये नियम “उन लोगों को अभिव्यक्ति की आज़ादी पर प्रतिबंध लगाने के निरंकुश अधिकार नहीं दे सकते, जिनके पास इन नियमों को लागू करने की ज़िम्मेदारी है” और नियमों में “उन लोगों के लिए पर्याप्त मार्गदर्शन भी होना ज़रूरी है जिन पर इन्हें लागू करने की ज़िम्मेदारी है ताकि वे यह पता लगा सकें कि किस तरह की अभिव्यक्ति को उचित रूप से प्रतिबंधित किया गया है और किसे नहीं,” (पूर्वोक्त). अभिव्यक्ति की आज़ादी पर संयुक्त राष्ट्र संघ के विशेष रैपर्टर ने कहा है कि ऑनलाइन अभिव्यक्ति की निगरानी करने के मामले में निजी संस्थानों पर लागू होने वाले नियम स्पष्ट और विशिष्ट होने चाहिए (A/HRC/38/35, पैरा. 46). Meta के प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करने वाले लोगों के लिए ये नियम एक्सेस करने और समझने लायक होने चाहिए और उनके एन्फ़ोर्समेंट के संबंध में कंटेंट रिव्यूअर्स को स्पष्ट मार्गदर्शन दिया जाना चाहिए.
बोर्ड ने पाया कि नफ़रत फैलाने वाले आचरण से जुड़े अपडेट किए गए नियमों के संबंध में, वैधानिकता से जुड़े स्टैंडर्ड की पूर्ति होती है क्योंकि वे नियम स्पष्ट और एक्सेस करने लायक हैं.
II. वैधानिक लक्ष्य
अभिव्यक्ति से संबंधित प्रतिबंध में ICCPR के वैधानिक लक्ष्यों में से किसी एक का अनुसरण किया जाना चाहिए, जिसमें "अन्य लोगों के अधिकार" की सुरक्षा करना शामिल है.
कई फ़ैसलों में, बोर्ड ने पाया है कि Meta की नफ़रत फैलाने वाली भाषा (अब नफ़रत फैलाने वाला आचरण) से जुड़ी पॉलिसी का लक्ष्य, अन्य लोगों के अधिकारों की सुरक्षा करना है (क्निन कार्टून देखें.) नफ़रत फैलाने वाले आचरण से जुड़ी पॉलिसी बनाने के कारण में कहा गया है कि Meta मानता है कि “लोग तब खुलकर अपनी बात रख पाते हैं और अन्य लोगों से कनेक्ट हो पाते हैं, जब उन्हें लगता है कि कोई भी व्यक्ति उनकी पहचान के आधार पर उनका विरोध नहीं करेगा.” नफ़रत फैलाने वाली भाषा से जुड़ी पॉलिसी में पहले नोट किया गया था कि कंपनी ने नफ़रत फैलाने वाली भाषा को इसलिए प्रतिबंधित किया क्योंकि इससे “डर और बहिष्कार का माहौल बनता है और कुछ मामलों में इससे ऑफ़लाइन हिंसा को बढ़ावा मिल सकता है.”
बोर्ड ने पहले पाया है कि धमकी और उत्पीड़न से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड का लक्ष्य अन्य लोगों की सुरक्षा करना भी है और नोट किया कि “यूज़र्स की अभिव्यक्ति की आज़ादी तब कमज़ोर हो सकती है जब धमकी और उत्पीड़न के कारण उन्हें प्लेटफ़ॉर्म से बाहर कर दिया जाता है” और यह कि “पॉलिसी ऐसे व्यवहार को रोकने की कोशिश भी करती है जिससे गंभीर भावनात्मक तनाव और मनोवैज्ञानिक नुकसान हो सकता हो और यूज़र के स्वास्थ्य के अधिकार के लिए जोखिम बनता हो,” (नवालनी के समर्थन में विरोध प्रदर्शन देखें). बच्चों के संबंध में, बच्चों के सर्वश्रेष्ठ हितों का सम्मान करना (आर्टिकल 3 UNCRC) अलग से ज़रूरी है (ईरान में एक बाल विवाह के लिए मेक-अप का वीडियो देखें).
III. आवश्यकता और आनुपातिकता
ICCPR के आर्टिकल 19(3) के तहत, आवश्यकता और आनुपातिकता के सिद्धांत के अनुसार यह ज़रूरी है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर लगाए जाने वाले प्रतिबंध “उनके सुरक्षात्मक कार्य को सही तरीके से पूरा करने वाले होने चाहिए; उनसे उन लोगों के अधिकारों के साथ कम से कम हस्तक्षेप होना चाहिए, जिन अधिकारों से उन्हें सुरक्षात्मक कार्यों का लाभ मिल सकता है; उन हितों के अनुसार सही अनुपात में होने चाहिए, जिनकी सुरक्षा की जानी है” (सामान्य कमेंट सं. 34, पैरा. 34).
बोर्ड ने नोट किया कि ट्रांसजेंडर लोगों के अधिकारों और समावेश के संबंध में पॉलिसी से जुड़े मुद्दों पर सार्वजनिक चर्चा को परमिशन दी जानी चाहिए. बोर्ड इस बात से सहमत है कि अभिव्यक्ति की आज़ादी पर अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार सिद्धांत, आपत्तिजनक नज़रियों से सुरक्षा करते हैं (अभिव्यक्ति की आज़ादी पर संयुक्त राष्ट्र का विशेष रैपर्टर, रिपोर्ट A/74/486, पैर. 24 पर). अभिव्यक्ति पर प्रतिबंध को उचित ठहराने के लिए, सीमित की गई भाषा और धमकी के बीच के तात्कालिक संबंध को खास और इंडिविजुअल तरीके से दिखाया जाना चाहिए (सामान्य कमेंट सं. 34, पहले उद्धरित, पैरा. 35 पर). इन केसों के लिए, बोर्ड के सदस्य इन दो पोस्ट द्वारा उत्पन्न किए गए नुकसान की प्रकृति और डिग्री से असहमत हैं और इसलिए सीमाएँ आवश्यक और आनुपातिक थीं.
बोर्ड के बहुसंख्य सदस्यों ने पाया कि किसी भी पोस्ट से हिंसा के उकसावे की आशंका या निकट भविष्य में ऐसा होने की आशंका नहीं थी इसलिए इन पोस्ट को प्रतिबंधित करने और ट्रांसजेंडर लोगों को होने वाले नुकसानों से बचाने के बीच पर्याप्त अनौपचारिक लिंक नहीं था. इसका यह भी मतलब है कि इन पोस्ट को प्रतिबंधित करने के लिए Meta की कोई सकारात्मक ज़िम्मेदारी नहीं है (जैसे ICCPR के आर्टिकल 20, पैरा. 2 के तहत).
बहुसंख्य सदस्यों के अनुसार, ट्रांसजेंडर महिलाओं और लड़कियों को महिलाओं के बाथरूम के इस्तेमाल की एक्सेस और खेलकूद में उनकी भागीदारी से जुड़े मुद्दे, जारी सार्वजनिक चर्चा के विषय हैं (देखें PC-30308) जिनमें मानवाधिकार से जुड़ी कई चिंताएँ शामिल हैं. जैसा कि The Future of Free Speech संगठन ने तर्क दिया है, “Meta की पॉलिसी के अत्यंत प्रतिबंधात्मक उपयोग से लोग हतोत्साहित हो सकते हैं” और वे “इस डर से लैंगिक पहचान से जुड़ी चर्चाओं में भाग लेने से दूर हो सकते हैं कि उनकी भाषा को नफ़रत फैलाने वाली भाषा या उत्पीड़न माना जाएगा.” साथ ही “वे उपेक्षित लोग भी हतोत्साहित होंगे जो लिंग से जुड़े प्रचलित मानकों को चैलेंज करना या उनकी आलोचना करना चाहते हैं, जो जीवंत डेमोग्राफ़िक सोसायटी के लिए ज़रूरी है.”
इसलिए यह उपयुक्त है कि किसी भी प्रतिबंध को उचित ठहराने के लिए ऊँचा थ्रेशोल्ड दर्शाया जाए, ताकि सार्वजनिक बातचीत और इन मुद्दों की समझ बाधित न हो. बहुसंख्य सदस्य इस बात से सहमत हैं कि इन बहसों की तीव्रता के बीच, इन पोस्ट में अत्यंत आपत्तिजनक और हानिकारक होने की क्षमता है. हालाँकि, संयुक्त राष्ट्र के विशेष रैपर्टर में कहा गया है कि: “ऐसी अभिव्यक्ति जो आपत्तिजनक हो सकती है या जिसमें पूर्वाग्रह हो और जिनसे असहिष्णुता से जुड़ी गंभीर चिंताएँ उत्पन्न हो सकती हों, वह किसी भी तरह का प्रतिबंध लगाने के लिए अक्सर गंभीरता का थ्रेशोल्ड पूरा नहीं करती है. नफ़रत फैलाने वाली कुछ अभिव्यक्तियाँ, जैसे सुरक्षित समूहों के बारे में पक्षपातपूर्ण कथन, आपत्तिजनक होती हैं लेकिन उनमें उकसावा या सीधा हमला नहीं होता. ऐसी भावनाएँ, नागरिक और राजनैतिक अधिकारों पर अंतरराष्ट्रीय प्रतीज्ञापत्र के तहत लगने वाले प्रतिबंधों और अन्य प्रतिबंधों के अधीन नहीं होंगी या उन पर प्रतिकूल कार्रवाइयाँ करने के लिए प्रतीज्ञापत्र के आर्टिकल 19 (3) के तहत प्रदत्त शर्तों के विश्लेषण की ज़रूरत होगी,” (रिपोर्ट A/74/486, पैरा. 24 पर).
बहुसंख्य सदस्यों के अनुसार, यह ऐसी राय बताने वाली भाषा के दमन का अनुसरण करता है जो नफ़रत फैलाने वाली या भेदभावपूर्ण होती है, लेकिन उकसावे के थ्रेशोल्ड से नीचे होने पर, जैसा कि इन केसों में हुआ, से कोई भी कथित अंतर्निहित पूर्वाग्रह गायब नहीं होगा. इसके बजाय, ऐसे विचार रखने वाले लोग दूसरे प्लेटफ़ॉर्म पर चले जाते हैं, जहाँ आम तौर पर उनके जैसी सोच वाले लोग होते हैं. संवेदनशील विषयों पर खुली और ईमानदार चर्चा में मदद करने के बजाय, यह असहिष्णुता की स्थिति को और भी बुरी बना सकता है. पोस्ट सम्माजनक नहीं हैं, यह अभिव्यक्ति को दबाने का कारण नहीं हो सकता.
बोर्ड अक्सर रबात एक्शन प्लान के छह भागों वाले टेस्ट का उपयोग करता है ताकि यह तय किया जा सके कि क्या कंटेंट को ICCPR की शर्तों के तहत उकसावा माना जा सकता है और क्या वह प्रतिबंधों के उच्च थ्रेशोल्ड को पूरा करता है: सामाजिक और राजनीतिक संदर्भ; वक्ता का स्टेटस; किसी समूह के खिलाफ़ ऑडियंस को भड़काने का उद्देश्य; कंटेंट और अभिव्यक्ति का रूप; इसके फैलाव का दायरा; और, नुकसान की संभावना और निकटता. बहुसंख्य सदस्यों के अनुसार, नीचे दिए संयुक्त कारक यह बताते हैं कि दो पोस्ट को हटाने की Meta की कोई सकारात्मक ज़िम्मेदारी नहीं है:
- संदर्भ: बहुसंख्य सदस्यों को इस बात की जानकारी है कि ट्रांसजेंडर लोग अमेरिका सहित दुनिया के कई भागों में भेदभाव, उत्पीड़न और हिंसा भी झेलते हैं. हालाँकि इन तीखी बहसों से ट्रांसजेंडर लोगों के लिए जोखिम बढ़ता है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि पॉलिसी के संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने वाली पोस्ट खुद भेदभाव या हिंसा को भड़काएँगी, भले ही उनमें असभ्य या असंवेदनशील भाषा का उपयोग किया गया हो (म्यांमार बॉट देखें). फिर भी, बोर्ड के बहुसंख्य सदस्य इस बात पर ज़ोर देते हैं कि Meta के लिए संदर्भ का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है, क्योंकि नागरिक आज़ादी में परिवर्तन और/या समानता की सुरक्षा को प्रभावित करने वाले पॉलिसी के बदलाव ऐसा माहौल बना सकते हैं, जहाँ हिंसा और भेदभाव को ज़्यादा आसानी से भड़काया जा सकता है.
- कंटेंट और रूप: बोर्ड के बहुसंख्य सदस्य मानते हैं कि नफ़रत फैलाने वाली भाषा और उकसावे की भावना अंतर्निहित हो सकती है. हालाँकि, इनमें से किसी भी पोस्टके वीडियो में ट्रांसजेंडर लोगों के खिलाफ़ या व्यापक रूप से ट्रांसजेंडर कम्युनिटी के खिलाफ़ हिंसा या भेदभावपूर्ण कृत्यों, जैसे उत्पीड़न या धमकी, में शामिल होने का स्पष्ट, निहित या अप्रत्यक्ष आह्वान नहीं था.
- इरादा: बोर्ड के बहुसंख्य सदस्य मानते हैं कि दोनों पोस्टों में नुकसान पहुँचाने की मंशा के कोई छिपे हुए या विपरीत संकेत नहीं हैं. जहाँ तक पोस्ट की व्याख्या इस प्रकार की जा सकती है कि वे ट्रांसजेंडर महिलाओं और लड़कियों को महिला बाथरूम या कुछ प्रतिस्पर्धी खेलकूद ईवेंट से बाहर रखने की वकालत कर रहे हैं, भेदभाव न करने के बारे में अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार सिद्धांत जैविक लिंग के आधार पर ऐसी एक्सेस या भागीदारी पर रोक नहीं लगाते. इस प्रकार, उस परिणाम की वकालत करने वाली भाषा को, बिना किसी अतिरिक्त बात के, ICCPR के तहत अनुमति न दिए जा सकने वाला उकसावा नहीं माना जा सकता. बोर्ड के बहुसंख्य सदस्यों के अनुसार, अन्यथा निष्कर्ष निकालना उन लोगों की अभिव्यक्ति की आज़ादी को गंभीर रूप से सीमित कर देगा, जो मानते हैं कि लोगों की लैंगिक पहचान के बावजूद, जैविक लिंग को कुछ संदर्भों में एक निर्धारक कैटेगरी बना रहना चाहिए. खेलकूद लीग के भीतर चल रही पॉलिसी से जुड़ी बहसें, जिनमें ट्रांसजेंडर एथलीटों की भागीदारी के संदर्भ में सभी के लिए निष्पक्षता सुनिश्चित करने के सर्वोत्तम तरीकों के बारे में चर्चा की गई है, इन संवादों की निरंतर प्रकृति और कुछ नज़रियों को दबाने या उन्हें नुकसान पहुँचाने की मंशा से जोड़ने की अव्यवहारिकता को दर्शाती हैं.
- वक्ता का स्टेटस और फैलाव का दायरा: इसके अलावा, बोर्ड के बहुसंख्य सदस्यों के अनुसार, वक्ता का स्टेटस और पोस्ट के फैलाव का दायरा, इस आकलन को नहीं बदलता कि इन पोस्ट ने उकसावे के लेवल को नहीं बढ़ाया. अकाउंट क्रिएटर, ऑनलाइन चर्चा में इंफ़्लूएंसर है और जानबूझकर उत्तेजक कंटेंट शेयर करने और ट्रांसजेंडर विरोधी उग्र भावना फैलाने के लिए जाना जाता है. इसका मतलब है कि वे दूसरों पर इस सीमा तक औपचारिक अधिकार या समकक्ष पोजिशन नहीं रखते हैं कि राय के सामान्य कथनों को दूसरों के लिए काम करने के निर्देश या आह्वान समझा जाए.
- हिंसा, भेदभाव और दुश्मनी के कृत्य होने की आशंका और निकटता: अंत में और ऊपर दिए प्रत्येक कारक के आकलन के परिणामस्वरूप, बोर्ड के बहुसंख्य सदस्यों ने पाया कि इन दो पोस्ट के परिणामस्वरूप वीडियोमें ट्रांसजेंडर लोगों के प्रति या ज़्यादा व्यापक रूप से भेदभाव या हिंसा की घटनाओं की आशंका या निकटता नहीं थी.
बहुसंख्य सदस्यों ने कहा कि रबात प्लान में उन सकारात्मक नए कामों का आह्वान भी किया गया है, जो सहिष्णुता और समावेश को बढ़ावा देने के लिए अभिव्यक्ति की आज़ादी का उल्लंघन न करे, जिसमें आपत्तिजनक या नीचा दिखाने वाली भाषा की बलपूर्वक आलोचना जैसे विरोधी भाषा शामिल है. बातचीत को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा, जानकारी, डायलॉग और स्टोरीटेलिंग का उपयोग करने से इन बहसों को रचनात्मक तरीके से आगे बढ़ाने में मदद मिल सकती है, जिसमें अपमान और भेदभाव नहीं होता और सोशल मीडिया कंपनियाँ इसमें अपनी भूमिका निभा सकती हैं. असहिष्णुता से संबंधित चिंताओं को दूर करने के लिए Meta के पास कम कठोर साधन भी उपलब्ध हो सकते हैं, जैसे इंटरैक्शन और शेयर पर सुझावों या सीमाओं से पोस्ट को हटाना.
धमकी और उत्पीड़न के संबंध में, बहुसंख्य सदस्यों ने कहा कि इस क्षेत्र में Meta की पॉलिसी, नफ़रत फैलाने वाले आचरण से जुड़ी पॉलिसी से अलग-अलग उद्देश्यों को पूरा करती हैं और टार्गेट किए जा रहे लोगों को होने वाले नुकसान को कम करने पर केंद्रित हैं.
हालाँकि, धमकी और उत्पीड़न से जुड़े प्रतिबंधों का अनुप्रयोग संभावित रूप से अत्यंत व्यापक है और उससे ऐसी अभिव्यक्ति हट सकती है जो खुद के संदर्भ में, व्यंग्यात्मक रूप में या संस्कृति विशिष्ट रूप में उपयोग की गई हो. Meta कुछ उल्लंघनों के लिए खुद रिपोर्ट करने की ज़रूरत और सार्वजनिक हस्तियों को कम गंभीरता वाले उल्लंघनों के खिलाफ़ सुरक्षा से छूट देकर ज़रूरत से ज़्यादा एन्फ़ोर्समेंट के जोखिम को कम करता है. भले ही खुद रिपोर्ट करने के टूल सीमित हैं, लेकिन वे यह सुनिश्चित करने के लिए उपयुक्त मैकेनिज़्म हैं कि कंटेंट पर कोई कार्रवाई किए जाने से पहले टार्गेट किया गया व्यक्ति वास्तव में यह महसूस करता है कि उस पर हमला किया गया है. जैसा कि सेक्शन 5.1 में नोट किया गया है, बोर्ड को दूसरे केस में टीनएजर बच्चे को “स्वैच्छिक सार्वजनिक हस्ती” बताने पर Meta द्वारा लागू की गई शर्तों पर संदेह है. हालाँकि, जैसा कि इस पोस्ट में लागू किया गया है, एथलीट ने यह समझा होगा कि इस स्तर की प्रतियोगिता में उसकी भागीदारी से लोगों का ध्यान उसपर जाएगा क्योंकि वह ट्रांसजेंडर है. बहुसंख्य सदस्यों के अनुसार, यह बड़े टीनएजर बच्चे की स्वायत्तता और फ़ैसले लेने की बढ़ती क्षमता पर विचार करने के लिए बाल अधिकारों पर सम्मेलन के अनुरूप है. वैसे तो बहुसंख्य सदस्यों ने पाया कि एथलीट को अपने जैविक लिंग के बारे में आलोचनात्मक टीका-टिप्पणी मिलने की पूरी उम्मीद हो सकती है. धमकी और उत्पीड़न से जुड़ी पॉलिसी के टियर 3 के तहत प्राप्त सुरक्षा से छूट देने से उस एजेंसी के साथ-साथ विचाराधीन भाषा में सार्वजनिक हित को मान्यता मिलती है और यह बच्चे के सर्वोत्तम हितों को बनाए रखने के सिद्धांत का उल्लंघन नहीं होता.
बोर्ड के कुछ ऐसे सदस्य जो बहुसंख्य सदस्यों की पोजिशन का समर्थन करते हैं, नोट करते हैं कि Meta की मानवाधिकार से जुड़ी ज़िम्मेदारियाँ, कंपनी को सामाजिक मुद्दों पर अपनी स्थिति तय करने की क्षमता देती हैं. इन सदस्यों के अनुसार, नफ़रत फैलाने वाले कंटेंट से जुड़े बोर्ड के पुराने प्रासंगिक केसों (ज़्वार्टे पिएट का चित्रण और दक्षिण अफ़्रीका का गालियाँ देखें) का मतलब है कि यह Meta के विवेकाधिकार में आता है कि वह ट्रांसजेंडर लोगों के लिंग के गलत इस्तेमाल या लिंग के अन्य उपयोग या सैक्स-एक्सक्लूसिव भाषा के खिलाफ़ ज़्यादा कठोर नज़रिया रखे. ऐसा करने के लिए, उसे इस संबंद में स्पष्ट और एक्सेसिबल पॉलिसीज़ देनी चाहिए, बशर्ते उन्हें एकरूपता और निष्पक्षता से एन्फ़ोर्स किया जाता हो. हालाँकि, Meta की मानवाधिकार से जुड़ी ज़िम्मेदारियाँ उसके लिए यह नज़रिया अपनाना ज़रूरी नहीं बनातीं. यहाँ, Meta ने धमकी और उत्पीड़न से जुड़ी पॉलिसी में लिंग के गलत उपयोग के खिलाफ़ लोगों के लिए सीमित सुरक्षा देना चुना है. समाचारों में लोगों की चर्चा को परमिशन देने के लिए, खुद रिपोर्ट करना और सार्वजनिक हस्ती से जुड़ी शर्त ज़रूरी बनाकर उसने अत्यधिक रिपोर्ट को रोकने के उपाय किए हैं. इस कारण से, बोर्ड के इन सदस्यों ने भी किसी भी पोस्ट को न हटाने के Meta के फ़ैसलों को कायम रखा है.
अल्पसंख्य सदस्यों के अनुसार, दोनों पोस्ट को बनाए रखने के Meta के फ़ैसले, मानवाधिकारों से जुड़ी उसकी ज़िम्मेदारियों से विरोध करते हैं.
अल्पसंख्य सदस्यों ने नोट किया कि नफ़रत फैलाने वाली भाषा और धमकी और उत्पीड़न से जुड़े नुकसानों का समाधान करने के नियम, अभिव्यक्ति की आज़ादी के अनुरूप हैं क्योंकि वे यह सुनिश्चित करने के लिए ज़रूरी हैं कि कमज़ोर अल्पसंख्यक खुद को व्यक्त कर पाएँ, जिसमें उनकी लैंगिक पहचान भी शामिल है. Meta, विविधता और बहुलवाद को बढ़ाने के लिए LGBTQIA+ लोगों को अभिव्यक्त करने की जगह देना चाहता है (सेक्शुअल ओरिएंटेशन और लैंगिक पहचान पर संयुक्त राष्ट्र स्वतंत्र विशेष की रिपोर्ट A/HRC/56/49, जुलाई 2024, पैरा. 7 और 66).
Meta की यह विशिष्ट और अतिरिक्त ज़िम्मेदारी है कि वह अपने प्लेटफ़ॉर्म से LGBTQIA+ लोगों के खिलाफ़ घृणा की वकालत करने वाले ऐसे कंटेंट को हटाए जिससे भेदभाव, शत्रुता या हिंसा को उकसावा मिलता हो (अनुच्छेद 20, पैरा 2, ICCPR; रिपोर्ट A/74/486, पैरा. 9 पर). हालाँकि, अल्पसंख्य सदस्यों के लिए Meta की नफ़रत फैलाने वाले आचरण से जुड़ी पॉलिसी ऐसी भाषा के उपयोग को सीमित करने के लिए मौजूद है जिससे ऐसा माहौल बनता है जिसमें भेदभाव और हिंसा की स्वीकार्यता बढ़ाई जाती है और इसलिए इरादे और कारण की शर्तों में वह अलग थ्रेशोल्ड सेट करता है. इस तरह से यह पॉलिसी, Meta की हिंसा और उकसावे की पॉलिसी से अलग है. ऐसा होते हुए भी, इन दो केसों में, अल्पसंख्य सदस्यों ने पाया कि उकसावे का थ्रेशोल्ड पूरा हुआ था, जैसा कि रबात एक्शन प्लान में बताया गया है:
- संदर्भ: यह गंभीर बात है कि पूरी दुनिया में और अमेरिका में LGBTQIA+ लोगों, खासकर ट्रांसजेंडर लोगों के खिला हिंसा और भेदभाव बढ़ रहा है. ट्रांसजेंडर लोगों की हिंसक अपराधों के शिकार होने की आशंका अन्य लोगों से चार गुनी होती है. अमेरिका में 2023 में, नफ़रत से जुड़े 20% से ज़्यादा अपराध, LGBTQIA+ विरोधी पक्षपात से प्रेरित थे ( अमेरिकी फ़ेडरल ब्यूरो ऑफ़ इन्वेस्टिगेशन के 2023 नफ़रत फैलाने वाले अपराधों से जुड़े आँकड़े). 2024 में 30 से ज़्यादा हिंसक हत्याएँ डॉक्यूमेंट की गई थीं ( मानवाधिकार कैंपेन) और कम से कम 447 ऐसी घटनाएँ हुई थीं जिनमें ट्रांस और नॉन-बाइनरी लोगों को टार्गेट किया गया था ( GLAAD). ट्रांसजेंडर लोग अक्सर उत्पीड़न, दुर्व्यवहार और धमकियों ऑनलाइन और ऑफ़लाइन के शिकार होते रहे हैं जिनके परिणामों में धमकी, अलगाव, आत्महत्या की घटनाओं में बढ़ोतरी और हिंसा शामिल है (PC-30338, PC- 30409; देखें रिपोर्ट A/74/181, पैरा. 32; रिपोर्ट A/HRC/56/49, पैरा. 7 और 66). अमेरिका में और वैश्विक रूप से, सरकारें ऐसे कानून ला रही हैं जिनमें ट्रांसजेंडर लोगों की स्वास्थ्य सेवाओं की एक्सेस बैन की जाएगी और उन्हें कानूनी मान्यता प्राप्त करने और समाज में भागीदारी करने से रोका जाएगा. इस अत्यंत ज्वलनशील संदर्भ में, Meta को यह सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए कि उसकी सेवाओं का उपयोग इस तरह से नहीं किया जाए कि जिससे शत्रुता का माहौल बने और उससे ज़्यादा नुकसान की आशंका हो.
- वक्ता का स्टेटस और फैलाव का दायरा: शेयर करने वाले अकाउंट के Facebook और Instagram पर बड़ी संख्या में फ़ॉलोअर हैं जिसका लोगों पर अच्छा असर पड़ता है और इसे LGBTQIA+ विरोधी बातें करने के लिए जाना जाता है. वह ऐसी भड़काऊ सामग्री फैलाने के लिए प्रतिबद्ध है जो उन बातों को चैलेंज करता है जिन्हें अपमानजनक रूप से ट्रांसजेंडर लोगों की “विचारधारा” कहा जाता है. इन पोस्ट को 180,000 से ज़्यादा व्यू और रिएक्शन मिले और सैकड़ों नफ़रत फैलाने वाले कमेंट मिले, जिससे जोखिमों की आशंका बढ़ती है.
- कंटेंट, रूप और इरादा: दोनों पोस्टों में बैर दिखाया गया है और जान-बूझकर विशिष्ट ट्रांसजेंडर व्यक्तियों और समूह के रूप में ट्रांसजेंडर लोगों पर हमला किया गया है। वे जानबूझकर पहचाने जाने लायक लोगों का गलत लिंग बताते हैं और किसी ट्रांसजेंडर महिला और लड़की को "एक लड़का बताते हैं जो सोचता है कि वह एक लड़की है" और ट्रांसजेंडर पहचान की वैधता को नकारते हैं और उन्हें परेशान करते हैं. पहली पोस्ट में एक अक्सर उपयोग किए जाने वाले स्टीरियोटाइप का उपयोग किया गया है कि ट्रांसजेंडर महिलाएँ, सिसजेंडर महिलाओं पर यौन हमला करने के लिए महिलाओं के बाथरूम का उपयोग करती हैं. इस दावे का उपयोग LGBTQIA+ लोगों के खिलाफ़ उन्हें डराने, बहिष्कार करने और उनके खिलाफ़ हिंसा भड़काने के लिए हथियार के रूप में किया गया है. यह मुख्य रूप से स्कूल के बाथरूमों में बहस का मुख्य विषय है, जहाँ धमकी को झूठे आरोपों के रूप में प्रस्तुत किया जाता है कि ट्रांसजेंडर लोग “पीडोफ़ील” हैं जिनका इरादा बाथरूमों में युवा लोगों को “शिकार” बनाना होता है. दूसरी पोस्ट में एक खेलकूद ईवेंट में भाग लेने वाली नाबालिग एथलीट को टार्गेट किया गया है, जिससे ट्रांसजेंडर लोगों के खिला विवाद और नफ़रत को और हवा मिलती है.
- हिंसा, भेदभाव या दुश्मनी के कृत्य होने की आशंका और निकटता: बोर्ड की रिसर्च के अनुसार, अकाउंट क्रिएटर, LGBTQIA+ लोगों के खिलाफ़ उत्पीड़न और हिंसा की धमकियों के कई मामलों से लिंक रहा है. ट्रांसजेंडर विरोधी बयानबाज़ी को बढ़ावा देने से ऐसा माहौल बनता है, जहाँ LGBTQIA+ लोगों के खिलाफ़ हिंसा की आशंका बढ़ जाती है. इसमें बफ़ेलो, कोलोराडो स्प्रिंग्स, ऑरलैंडो और ब्रातिस्लावा में सामूहिक गोलीबारी शामिल है. भले ही सीधा कारण होना ज़रूरी नहीं है, लेकिन वास्तविक “निकटता” का इंतज़ार करने तक Meta के लिए हिंसा को रोकने के लिए प्रभावी हस्तक्षेप करने में बहुत देर हो जाएगी, इन पोस्ट और वास्तविक दुनिया के निसंदेह रूप से एक लिंक है.
इन अल्पसंख्य सदस्यों के अनुसार, इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए, दोनों पोस्ट स्पष्ट रूप से आगे "भेदभाव, शत्रुता या हिंसा" के निकट जोखिम में योगदान करती हैं और हटाने के अलावा कोई भी उपाय किसी भी मामले में इस आधार पर नुकसान को पर्याप्त रूप से नहीं रोक पाएगा.
अल्पसंख्य सदस्य इस बात पर ज़ोर देते हैं कि धमकी और उत्पीड़न से जुड़ी पॉलिसी का उद्देश्य हिंसा और जान-माल के नुकसान से बच्चों सहित व्यक्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना, उनके मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य की रक्षा करना, अलगाव, आत्म-क्षति और आत्महत्या को रोकना है, ताकि वे उस धमकी से मुक्त होकर अपनी बात कहने के लिए स्वतंत्र हो सकें. Meta की मानवाधिकार से जुड़ी ज़िम्मेदारियाँ बच्चों के मामलों में ज़्यादा हैं. वैश्विक रूप से हर तीन में से एक इंटरनेट यूज़र 18 वर्ष से छोटा है. बाल अधिकार समिति ने बच्चों के खिलाफ़ हिंसा के एक रूप के रूप में बदमाशी को मान्यता दी है (CRC, डिजिटल वातावरण के संबंध में बच्चों के अधिकारों पर सामान्य कमेंट नं. 25, पैरा. 81 पर). अल्पसंख्य सदस्यों के अनुसार, “स्वैच्छिक सार्वजनिक हस्तियाँ” के रूप में बच्चों को क्लासीफ़ाय करने का थ्रेशोलड्ड बहुत धीमा है, जिसे LGBTQIA+ युवा से आगे लागू करने में समस्या है. जब प्रभावशाली और लोकप्रिय अकाउंट LGBTQIA+ विरोधी धमकी और उत्पीड़न में शामिल होते हैं, तो वे जानबूझकर अपने लाखों फ़ॉलोअर्स को ऑनलाइन दुर्व्यवहार से जुड़ने का संकेत देते हैं. अल्पसंख्य सदस्य इस बात से चिंतित हैं कि Meta, उत्पीड़न और टार्गेट किए गए लोगों की ओर जाने वाले अकाउंट के बीच पावर असंतुलन पर विचार नहीं करता. इससे निकट भविष्य में गंभीर नुकसान हो सकता है, जो विशेष रूप से LGBTQIA+ युवाओं के लिए गंभीर है और जैसा कि ऊपर विश्लेषण में चर्चा की गई है, दोनों पोस्ट को हटाना आवश्यक और आनुपातिक है.
Meta के अनुसार, ऐसी स्थितियों में जहाँ किसी बच्चे की लैंगिक पहचान को राजनैतिक उद्देश्यों के लिए सार्वजनिक बहस का हथियार बनाया जाता है और मीडिया द्वारा इसकी रिपोर्ट की जाती है, वे उस ध्यानाकर्षण के कारण एक स्वैच्छिक सार्वजनिक हस्ती बन जाते हैं, जो एक निर्वाचित अधिकारी की तरह ही टियर 3 हमलों के अधीन हो सकते हैं. यह सर्क्यूलर क्रूरता बच्चे के सर्वोत्तम हित में नहीं है (CRC अनुच्छेद 3), और अल्पसंख्यक सदस्यों के दृष्टिकोण से, Meta को नाबालिगों पर सार्वजनिक व्यक्ति का दर्जा लागू करने के लिए उच्च सीमा तय करनी चाहिए और यह प्रदर्शित करने के लिए अधिक मजबूत सबूत की आवश्यकता होनी चाहिए कि उन्होंने अपनी प्रसिद्धि का इस्तेमाल किया है. अन्यथा, किसी बच्चे के पास इस स्थिति में दो ही विकल्प होंगे.
गैर-भेदभावपूर्ण
बोर्ड ने पाया कि लैंगिक पहचान एक सुरक्षित विशिष्टता है, जिसे अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानूनों में मान्यता दी गई है, और यह नफ़रत फैलाने वाले आचरण से जुड़ी पॉलिसी में Meta’ की सुरक्षित विशिष्टताओं की लिस्टिंग में शामिल है. बोर्ड इस बात से चिंतित है कि Meta ने “ट्रांसजेंडरिज़्म” शब्द को इस पॉलिसी में शामिल किया है. यह शब्द सुझाता है कि ट्रांसजेंडर होना एक पहचान के बजाय एक विचारधारा है. इन नियमों के वैधानिक होने के लिए, Meta को कुछ इस तरह है अपनी कंटेंट पॉलिसीज़ को तटस्थ रूप से बनाने की कोशिश करनी चाहिए, जो समानता और भेदभावरहित रूप से मानवाधिकार से जुड़े सिद्धांतों का सम्मान करे. इसे “ट्रांसजेंडरिज़्म और होमोसेक्शुएलिटी के बारे में बातचीत” के बजाय “लैंगिक पहचान और सेक्शुअल ओरिएंटेशन के बारे में बातचीत” कहकर हासिल किया जा सकता है.
मानवाधिकार सम्यक तत्परता
बिज़नेस और मानवाधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र के मार्गदर्शक सिद्धांत, मार्गदर्शक सिद्धांत 13, 17 (c) और 18 के अनुसार Meta के लिए यह ज़रूरी है कि वह पॉलिसी और एन्फ़ोर्समेंट में सार्थक बदलावों के लिए नियमित रूप से मानवाधिकार सम्यक तत्परता उपाय करे, जिन्हें कंपनी साधारण रूप से अपने पॉलिसी प्रोडक्ट फ़ोरम के ज़रिए करती है, जिसमें प्रभावित स्टेकहोल्डर्स के साथ एंगेजमेंट शामिल है. बोर्ड इस बात से चिंतित है कि Meta के 7 जनवरी, 2025 के पॉलिसी और एन्फ़ोर्समेंट से जुड़े बदलाव जल्दबाज़ी में अनाउंस किए गए जिसमें नियमित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया और इस बात की कोई सार्वजनिक जानकारी शेयर नहीं की गई कि अगर कोई मानवाधिकार सम्यक तत्परता उपाय किए गए हैं, तो वे कौन-से हैं. अब इन बदलावों को वैश्विक रूप से लागू किया जा रहा है, इसलिए Meta द्वारा यह सुनिश्चित किया जाना ज़रूरी है कि मानवाधिकारों पर इन बदलावों के प्रतिकूल प्रभावों की पहचान की जाए, उन्हें दूर किया जाए और रोका जाए और उन्हें सार्वजनिक रूप से रिपोर्ट किया जाए. इसमें यह फ़ोकस शामिल होना चाहिए कि सभी ग्रुप्स पर किस तरह का अलग-अलग असर हो सकता है. इन ग्रुप्स में महिलाएँ और LGBTQIA+ शामिल हैं. एन्फ़ोर्समेंट से जुड़े बदलावों के संबंध में, सम्यक तत्परता में ज़रूरत से ज़्यादा एन्फ़ोर्समेंट ( क्यूबा में महिलाओं से विरोध प्रदर्शन का आह्वान, अरबी शब्दों को स्वीकार्य उपयोग में लाना) के साथ-साथ ज़रूरत से कम एन्फ़ोर्समेंट ( यहूदी नरसंहार को नकारना (होलोकॉस्ट डिनायल), पश्चिम अफ़्रीका में होमोफ़ोबिक हिंसा, ट्रांसजेंडर लोगों को टार्गेट करने के लिए पोलिश भाषा में की गई पोस्ट) को ध्यान में रखा जाना चाहिए.
6. ओवरसाइट बोर्ड का फ़ैसला
ओवरसाइट बोर्ड ने दोनों केसों में कंटेंट को बनाए रखने के Meta के फ़ैसले को कायम रखा है.
7. सुझाव
कंटेंट पॉलिसी
1.निरंतर मानवाधिकार सम्यक तत्परता के भाग के रूप में, Meta को नफ़रत फैलाने वाले आचरण से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड के 7 जनवरी, 2025 के अपडेट के संबंध में नीचे बताए गए सभी कदम उठाने चाहिए. पहला, इसे यह पता लगाना चाहिए कि पॉलिसी और एन्फ़ोर्समेंट के अपडेट किस तरह नाबालिगों सहित LGBTQIA+ के अधिकारों पर प्रतिकूल असर डाल सकते हैं, खास तौर पर उन जगहों पर जहाँ इन लोगों को ज़्यादा खतरा है. दूसरा, Meta को ऐसे जोखिमों को रोकने और/या उन्हें दूर करने के उपाय करने चाहिए और उनकी प्रभावशीलता की निगरानी करनी चाहिए. तीसरा, Meta को हर छह महीनों में बोर्ड को अपनी प्रगति और सीख के बारे में अपडेट देना चाहिए और जल्दी से जल्दी सार्वजनिक रूप से इसकी रिपोर्टिंग करनी चाहिए.
बोर्ड इस सुझाव को तब लागू मानेगा जब Meta, ऊपर बताए क्रम में रोकथाम या कमी के अपने उपायों की प्रभावशीलता का ठोस डेटा और विश्लेषण बोर्ड को उपलब्ध कराएगा और जब Meta सार्वजनिक रूप से इसकी रिपोर्ट देगा.
2. यह सुनिश्चित करने के लिए कि Meta की कंटेंट पॉलिसी, निष्पक्ष रूप से और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार स्टैंडर्ड के अनुसार बनाई जाती हैं, Meta को नफ़रत फैलाने वाले आचरण से जुड़ी पॉलिसी और उससे जुड़े क्रियान्वयन मार्गदर्शन से “ट्रांसजेंडरिज़्म” शब्द को हटाना चाहिए.
बोर्ड इस सुझाव को तब लागू मानेगा जब यह शब्द Meta की कंटेंट पॉलिसी या क्रियान्वयन मार्गदर्शन में दिखाई देना बंद हो जाएगा.
एन्फ़ोर्समेंट
3. धमकी और उत्पीड़न के टार्गेट पर रिपोर्ट करने का बोझ कम करने के लिए, Meta को यूज़र्स को ऐसे कनेक्टेड अकाउंट डेज़िग्नेट करने की परमिशन देनी चाहिए जो उनकी ओर से सेल्फ़ रिपोर्टिंग की ज़रूरत वाले धमकी और उत्पीड़न से जुड़े संभावित उल्लंघनों को फ़्लैग कर पाएँ.
बोर्ड इस सुझाव को तब लागू मानेगा जब Meta इन फ़ीचर को उपलब्ध कराएगा और सभी यूज़र्स को उनकी अकाउंट सेटिंग के माध्यम से आसानी से एक्सेस करने योग्य बनाएगा.
4. यह सुनिश्चित करने के लिए कि खुद रिपोर्ट करने की ज़रूरत वाले धमकी और उत्पीड़न के उल्लंघनों पर एन्फ़ोर्समेंट की कम गड़बड़ियाँ हों, Meta को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि समान कंटेंट पर एक से ज़्यादा रिपोर्ट का प्रतिनिधित्व करने वाली एक रिपोर्ट को रिपोर्ट करने वाले व्यक्ति और कंटेंट के टार्गेट के बीच मैच की सबसे ज़्यादा संभावना के आधार पर चुना जाए. ऐसा करते समय Meta को यह गारंटी देनी चाहिए कि टेक्नोलॉजी पर आधारित सभी समाधानों में जोखिमग्रस्त समूहों पर संभावित प्रतिकूल प्रभावों का ध्यान रखा जाए.
बोर्ड इस सुझाव को तब लागू मानेगा जब Meta इस बदलाव के परिणामस्वरूप, धमकी और उत्पीड़न के उल्लंघनों की खुद रिपोर्टिंग के एन्फ़ोर्समेंट में सुधारों की कुशलता को सत्यापित करने वाला पर्याप्त डेटा देगा.
*प्रक्रिया संबंधी नोट:
- ओवरसाइट बोर्ड के फ़ैसले पाँच मेंबर्स के पैनल द्वारा लिए जाते हैं और उन पर बोर्ड के अधिकांश मेंबर्स की सहमति होती है. ज़रूरी नहीं है कि बोर्ड के फ़ैसले, सभी सदस्यों की राय दर्शाएँ.
- अपने चार्टर के तहत, ओवरसाइट बोर्ड उन यूज़र्स की अपील रिव्यू कर सकता है, जिनका कंटेंट Meta ने हटा दिया था और उन यूज़र्स की अपील जिन्होंने उस कंटेंट की रिपोर्ट की थी जिसे Meta ने बनाए रखा. साथ ही, बोर्ड Meta की ओर से रेफ़र किए गए फ़ैसलों का रिव्यू कर सकता है (चार्टर आर्टिकल 2, सेक्शन 1). बोर्ड के पास Meta के कंटेंट से जुड़े फ़ैसलों को कायम रखने या उन्हें बदलने का बाध्यकारी अधिकार है (चार्टर आर्टिकल 3, सेक्शन 5; चार्टर आर्टिकल 4). बोर्ड ऐसे गैर-बाध्यकारी सुझाव दे सकता है, जिनका जवाब देना Meta के लिए ज़रूरी है (चार्टर आर्टिकल 3, सेक्शन 4; अनुच्छेद 4). जहाँ Meta, सुझावों पर एक्शन लेने की प्रतिबद्धता व्यक्त करता है, वहाँ बोर्ड उनके लागू होने की निगरानी करता है.
- इस केस के फ़ैसले के लिए, बोर्ड की ओर से स्वतंत्र रिसर्च करवाई गई थी. बोर्ड को Duco Advisers की सहायता मिली, जो भौगोलिक-राजनैतिक, विश्वास और सुरक्षा तथा टेक्नोलॉजी के आपसी संबंध पर काम करने वाली एक एडवाइज़री फ़र्म है.