एकाधिक मामले का निर्णय

ग्रीस में 2023 का चुनावी कैंपेन

ओवरसाइट बोर्ड ने Facebook की दो पोस्ट का साथ में रिव्यू किया. दोनों को जून 2023 के आम चुनाव के समय के आसपास शेयर किया गया था. दोनों केसों में बोर्ड ने कंटेंट को हटाने के Meta के फ़ैसलों को कायम रखा क्योंकि वे खतरनाक संगठनों और लोगों से जुड़ी पॉलिसी का उल्लंघन करते हैं.

2 इस बंडल में केस शामिल हैं

सही ठहराया

FB-368KE54E

Facebook पर खतरनाक लोग और संगठन से जुड़ा केस

प्लैटफ़ॉर्म
Facebook
विषय
चुनाव
मानक
ख़तरनाक लोग और संगठन
जगह
ऑस्ट्रेलिया,ग्रीस
Date
पर प्रकाशित 28 मार्च 2024
सही ठहराया

FB-3SNBY3Q2

Facebook पर खतरनाक लोग और संगठन से जुड़ा केस

प्लैटफ़ॉर्म
Facebook
विषय
चुनाव
मानक
ख़तरनाक लोग और संगठन
जगह
ग्रीस
Date
पर प्रकाशित 28 मार्च 2024

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सारांश

ग्रीस में जून 2023 के आम चुनावों के आसपास पोस्ट किए गए Facebook कंटेंट से जुड़े दो केसों का रिव्यू करते समय, बोर्ड ने दोनों पोस्ट को हटाने के Meta के फ़ैसलों को कायम रखा. दोनों को कंपनी की खतरनाक संगठनों और लोगों से जुड़ी पॉलिसी का उल्लंघन करने के कारण हटा दिया गया था. पहले केस में एक चुनावी लीफ़लेट शामिल था जिसमें एक कथन दिया गया था. इस कथन में एक वैधानिक उम्मीदवार ने खुद को नफ़रत फैलाने वाली एक हस्ती जैसा बताया. दूसरे केस में नफ़रत फैलाने वाली एक चिह्नित एंटिटी के लोगो की फ़ोटो शेयर की गई थी. बोर्ड के बहुसंख्य सदस्यों ने पाया कि इन्हें हटाना, Meta की मानवाधिकार से जुड़ी ज़िम्मेदारियों के अनुरूप है. हालाँकि, बोर्ड ने सुझाव दिया कि Meta अपनी पॉलिसी के उस अपवाद का दायरा स्पष्ट करे जिसके तहत चुनावों के दौरान “सामाजिक और राजनैतिक बातचीत” के संदर्भ में कंटेंट शेयर करने की परमिशन होती है.

केस की जानकारी

दोनों केसों में ग्रीस में जून 2023 के आम चुनावों के दौरान Facebook पर अलग-अलग यूज़र्स द्वारा पोस्ट किया गया कंटेंट शामिल था.

पहले केस में, ग्रीस में स्पारटांस पार्टी के एक उम्मीदवार ने अपने चुनावी लीफ़लेट की एक फ़ोटो पोस्ट की. इस पर मि. इलियास कासिडियारिस – ग्रीस के एक राजनेता जिन्हें गोल्डन टाउन की आपराधिक गतिविधियाँ और नफ़रत फैलाने वाले अपराधों के लिए 13 वर्ष कारावास की सज़ा दी गई है – का एक कथन है कि वे स्पारटांस का समर्थन करते हैं.

मि. कासिडियारिस और चरम दक्षिणपंथी गोल्डन डाउन पार्टी के अन्य सदस्य, ग्रीस में अप्रवासियों, शरणार्थियों और अन्य अल्पसंख्यक समूहों की हत्याएँ करते रहे हैं जिसके कारण 2020 में उस पार्टी को एक आपराधिक संगठन घोषित कर दिया गया. 2020 में सज़ा सुनाने के पहले, मि. कासिडियारिस ने एक नई राजनैतिक पार्टी बनाई जिसे नेशनल पार्टी – ग्रीक्स कहा गया. बाद में मई 2023 में, ग्रीक सुप्रीम कोर्ट ने ग्रीस के एक नए कानून के तहत नेशनल पार्टी – ग्रीक्स को 2023 के चुनाव लड़ने से अयोग्य करार दिया. इस नए कानून के तहत दोषी नेताओं वाली पार्टियाँ चुनाव लड़ने से बैन हैं. भले ही मि. कासिडियारिस को 2013 में नफ़रत फैलाने वाली भाषा के कारण Facebook से बैन कर दिया गया है, लेकिन वे जेल में अन्य सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करते हैं. इसी तरह उन्होंने जून के चुनावों से कुछ हफ़्ते पहले, स्पारटांस के लिए अपना समर्थन घोषित किया. स्पारटांस, जिसने 12 सीटें जीतीं, ने यह स्वीकार किया कि पार्टी की सफलता में मि. कासिडियारिस ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

दूसरे केस में, एक अन्य Facebook यूज़र ने नेशनल पार्टी – ग्रीक्स के लोगो की एक फ़ोटो पोस्ट की जिसमें ग्रीक भाषा का शब्द “स्पारटांस” भी शामिल था.

खतरनाक संगठनों और लोगों से जुड़ी पॉलिसी के तहत गोल्डन डाउन, नेशनल पार्टी – ग्रीक्स और इलियास कसिडियारिस को क्रमशः टियर 1 के नफ़रत फैलाने वाले संगठनों और टियर 1 के नफ़रत फैलाने वाले व्यक्ति के रूप में चिह्नित किया गया है.

दोनों पोस्ट की रिपोट Meta को की गई थी. कंपनी ने अलग-अलग यह निर्धारित किया कि दोनों पोस्ट ने खतरनाक संगठनों और लोगों से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन किया है, कंटेंट को हटा दिया गया और दोनों अकाउंट पर गंभीर स्ट्राइक और 30 दिन का प्रतिबंध लगा दिया गया. जिन दो Facebook यूज़र्स ने कंटेंट पोस्ट किया था, उन्होंने Meta को अपील की, लेकिन कंपनी ने कंटेंट को फिर से उल्लंघन करने वाला पाया. दोनों यूज़र्स ने फिर बोर्ड से अलग-अलग अपील की.

मुख्य निष्कर्ष

पहला केस

बोर्ड के बहुसंख्य सदस्यों ने पाया कि पोस्ट से खतरनाक संगठनों और लोगों से जुड़ी पॉलिसी (जैसा कि जून 2023 में लिखा हुआ था) का उल्लंघन किया है क्योंकि यूज़र ने किसी चिह्नित एंटिटी की “प्रशंसा” को प्रतिबंधित करने वाले नियम का उल्लंघन किया है. उसने ऐसा खुद को मि. कासिडियारिस की “विचारधारा” से खुद की समानता दिखाकर ऐसा किया है, जिसे Meta द्वारा नफ़रत फैलाने वाली हस्ती के रूप में चिह्नित किया गया है. चूँकि इस नियम में विचारधारा की समानता का एक स्पष्ट उदाहरण शामिल है, इसलिए यह यूज़र्स और कंटेंट मॉडरेटर्स के लिए पर्याप्त रूप से स्पष्ट रहा होगा. पॉलिसी में हाल ही में किए गए अपडेट के बावजूद भी यह पोस्ट मि. कासिडियारिस के “सकारात्मक संदर्भों” पर लगाए गए प्रतिबंधों के तहत आती है.

इसके अलावा, बोर्ड के बहुसंख्य सदस्यों ने नोट किया कि इस पोस्ट को हटाने से इस समर्थन को जानने के लोगों के अधिकार का उल्लंघन नहीं हुआ. लोगों के पास स्थानीय और क्षेत्रीय मीडिया सहित ऐसे कई अन्य अवसर थे जहाँ से वे स्पारटांस पार्टी के लिए मि. कासिडियारिस के समर्थन की इस अभिव्यक्ति के बारे में जान सकते थे.

हालाँकि, बोर्ड के अल्पसंख्य सदस्य मानते हैं कि विचारधारा की समानता के नियम का वह उल्लंघन सीधे तौर पर स्पष्ट नहीं था क्योंकि मि. कासिडियारिस वैधानिक उम्मीदवार का समर्थन कर रहे थे, न कि उम्मीदवार कासिडियारिस का. बोर्ड के सदस्य यह भी मानते हैं कि इस कंटेंट को Facebook पर बनाए रखने के लिए “खबरों में लायक होने की छूट” दी जानी चाहिए थी ताकि वोटर्स के पास अधिकतम संभव जानकारी की एक्सेस हो जिसके आधार पर वे अपने फ़ैसले ले सकें.

दूसरा केस

बोर्ड के बहुसंख्य सदस्य मानते हैं कि फ़ोटो से खतरनाक संगठनों और लोगों से जुड़ी पॉलिसी का उल्लंघन होता है क्योंकि इसमें नेशनल पार्टी – ग्रीक्स का प्रतीक शेयर किया गया है और इसे हटाया जाना चाहिए था. “रिपोर्टिंग, निष्पक्ष चर्चा या आलोचना” के अपवाद के तहत छूट पाने के लिए यूज़र द्वारा कोई संदर्भ नहीं दिया गया था.

हालाँकि, बोर्ड के कुछ ऐसे अल्पसंख्य सदस्य भी थे जो मानते हैं कि अगर सिर्फ़ किसी चिह्नित एंटिटी से जुड़े लोगो को शेयर किया जाता है, जब कोई अन्य उल्लंघन या नुकसानदेह कंटेंट का कोई संदर्भ न हो, तो उसे परमिशन दी जानी चाहिए.

समग्र चिंताएँ

बोर्ड की दृष्टि में, चुनावों के दौरान चिह्नित एंटिटी के बारे में “सामाजिक और राजनैतिक बातचीत” के बारे में पॉलिसी की छूट को सार्वजनिक रूप से ज़्यादा स्पष्ट बनाया जाना चाहिए. बोर्ड इस बारे में भी चिंतित है कि नफ़रत फैलाने वाली एंटिटी को चिह्नित करने के बारे में Meta की ओर से पारदर्शिता की कमी है, जिससे यूज़र्स के लिए यह समझना कठिन होता है कि कौन-से संगठन या लोग ऐसे हैं जिनकी विचारधारा से समानता की परमिशन है या जिनके प्रतीक शेयर किए जा सकते हैं.

ओवरसाइट बोर्ड का फ़ैसला

ओवरसाइट बोर्ड ने दोनों पोस्ट को हटाने के Meta के फ़ैसले को कायम रखा.

बोर्ड ने Meta को सुझाव दिया है कि वह:

  • खतरनाक संगठनों और लोगों से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड के अपवाद के दायरे को स्पष्ट करे जिसमें “खतरनाक संगठनों और लोगों या उनकी एक्टिविटी की रिपोर्टिंग, निष्पक्ष चर्चा या आलोचना” को “सामाजिक और राजनैतिक बातचीत” के संदर्भ में शेयर करने की अनुमति देता है. खास तौर पर, Meta को यह स्पष्ट करना चाहिए कि यह अपवाद, चुनाव से संबंधित कंटेंट पर लागू होता है.

*केस के सारांश से केस का ओवरव्यू मिलता है और आगे के किसी फ़ैसले के लिए इसको आधार नहीं बनाया जा सकता है.

केस का पूरा फ़ैसला

1. फ़ैसले का सारांश

ओवरसाइट बोर्ड ने ग्रीस में जून 2023 के आम चुनाव से संबंधित दो Facebook पोस्ट का साथ में रिव्यू किया. पहले केस में ग्रीस के चुनाव के एक उम्मीदवार की पोस्ट थी जिसमें उन्होंने अपने चुनावी अभियान की जानकारी शेयर की थी और अपने चुनावी लीफ़लेट की एक फ़ोटो डाली थी. लीफ़लेट में एक ऐसे राजनेता द्वारा समर्थन दिखाया गया था जिसे Meta के खतरनाक संगठनों और लोगों से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड के तहत नफ़रत फैलाने वाली हस्ती चिह्नित किया गया है. दूसरे केस में एक पोस्ट में ग्रीक पार्टी, नेशनल पार्टी – ग्रीक्स का लोगो शेयर किया गया था और फ़ोटो के भाग के रूप में ग्रीक भाषश में “स्पारटांस” लिखा गया था. यह पार्टी भी एक चिह्नित एंटिटी है. Meta ने खतरनाक संगठनों और लोगों से जुड़े अपने कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन करने की वजह से दोनों को हटा दिया.

बोर्ड के बहुसंख्य सदस्यों ने दोनों केसों में कंटेंट को हटाने के Meta के फ़ैसलों को कायम रखा और पाया कि इन्हें हटाना, Meta की पॉलिसी और मानवाधिकार ज़िम्मेदारियों के अनुरूप है. बोर्ड ने सुझाव दिया कि Meta, चुनावों में खतरनाक संगठनों और लोगों से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड के अपने नए “सामाजिक और राजनैतिक बातचीत” अपवाद के दायरे को स्पष्ट करे.

2. केस की जानकारी और बैकग्राउंड

इन केसों में ग्रीस में अलग-अलग यूज़र्स द्वारा जून 2023 के आम चुनाव के दौरान Facebook पर पोस्ट किया गया कंटेंट शामिल था. मई में हुए पहले चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिलने के कारण, ये इस साल देश में होने जा रहे दूसरे आम चुनाव थे.

पहले केस में, एक Facebook यूज़र, जो ग्रीस में स्पारटांस पार्टी का एक उम्मीदवार भी था, ने अपने चुनावी लीफ़लेट की एक फ़ोटो पोस्ट की. पोस्ट में उनकी फ़ोटो और नाम था और ग्रीक भाषा में चुनावों के पहले उनके कैंपेन की प्रगति दिखाई गई थी और साथ ही उनकी तैयारी और लोगों से संपर्क की जानकारी भी दी गई थी. लीफ़लेट में एक कथन था कि मि. इलियास कासिडियारिस, स्पारटांस का समर्थन करते हैं.

ग्रीक राजनेता मि. कासिडियारिस को गोल्डन डाउन की गतिविधियों को निर्देशित करने के कारण 13 वर्ष जेल की सज़ा दी गई है. नफ़रत फैलाने वाले अपराधों की ज़िम्मेदारी के कारण 2020 में गोल्डन डाउन को एक आपराधिक संगठन घोषित किया गया था. इन अपराधों में एक ग्रीक पॉप गायक की हत्या भी शामिल है. 2013 में गोल्डन डाउन के सदस्यों को एक पाकिस्तानी अप्रवासी मज़दूर की हत्या का दोषी पाया गया था. मि. कासिडियारिस और गोल्डन डाउन के अन्य सदस्य, अप्रवासियों, शरणार्थियों और अन्य अल्पसंख्यक और कमज़ोर समूहों की हत्याओं में सक्रिय रूप से शामिल रहे थे. 2012 में गोल्डन डाउन की रैली के दौरान, मि. कासिडियारिस ने रोमा कम्युनिटी को “मानवीय कचरा” कहा और अपने समर्थकों से कहा कि “अगर वे अपने इलाके को साफ़ चाहते हैं, तो लड़ें [...],” (पब्लिक कमेंट देखें, उदाहरण, ACTROM - एक्शन फ़ॉर एंड फ़्रॉम द रोमा का PC-20008).

2020 में सज़ा मिलने से पहले, मि. कासिडियारिस ने एक नई राजनैतिक पार्टी बनाई जिसे नेशनल पार्टी – ग्रीक्स कहा गया. 2 मई, 2023 को ग्रीक सुप्रीम कोर्ट ने ग्रीक संविधान में हाल ही में स्वीकार किए गए संशोधनों को देखते हुए नेशनल पार्टी - ग्रीक्स को 2023 के आम चुनाव लड़ने से अयोग्य करार दिया. कई अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीयमीडिया आउटलेट ने रिपोर्ट किया कि जून 2023 के आम चुनावों के पहले मि. कासिडियारिस ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट का उपयोग करके जेल से स्पारटांस के लिए अपना समर्थन घोषित किया. मि. कासिडियारिस, जिन्हें नफ़रत फैलाने वाली भाषा के कारण 2013 में Facebook से बैन कर दिया गया था, अब मुख्य रूप से अन्य सोशल प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करते हैं.

दूसरे केस में, एक अन्य Facebook यूज़र ने नेशनल पार्टी – ग्रीक्स के लोगो की एक फ़ोटो पोस्ट की जिसमें ग्रीक भाषा का एक शब्द शामिल था जिसका अनुवाद “स्पारटांस” है.

स्पारटांस पार्टी की स्थापना 2017 में वासिलिस स्टिगकास ने की थी और यूरोपियन सेंटर फ़ॉर पॉप्युलिज़्म स्टडीज़ के अनुसार यह चरम दक्षिणपंथी विचारधारा को बढ़ावा देती है और यह गोल्डन डाउन पार्टी की उत्तराधिकारी है. स्पारटांस ने मई 2023 का चुनाव नहीं लड़ा, लेकिन पार्टी ने उस वर्ष जून में हुए दूसरे सेट के चुनावों में अपनी भागीदारी प्रस्तुत की. ग्रीक कानून के अनुसार, राष्ट्रीय संसद के चुनावों में भाग लेने के लिए राजनैतिक पार्टियों को आवेदन सबमिट करने होते हैं जिन्हें बाद में कोर्ट द्वारा प्रमाणित किया जाता है. 8 जून, 2023 को ग्रीक सुप्रीम कोर्ट ने एक फ़ैसला देते हुए 26 पार्टियों, चार गठबंधनों और दो निर्दलीय उम्मीदवारों को जून 2023 के चुनाव लड़ने की अनुमति दी जिनमें स्पारटांस शामिल थी. मि. स्टिगकास, जिन्होंने स्पारटांस पार्टी (4.65%) के लिए 12 सीटें जीतीं, ने कहा कि मि. कासिडियारिस के समर्थन से “उन्हें सफलता मिली.”

ग्रीस में चरमपंथी समूहों और निजी व्यक्तियों द्वारा नागरिक स्थानों को धमकियों और हमलों की संख्या बढ़ती ही जा रही है. ये लोग शरणार्थियों, अप्रवासियों, LGBTQIA+ कम्युनिटी और धार्मिक अल्पसंख्यकों को निशाना बनाते हैं. ग्रीक राजनीति के विद्वानों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और स्थानीय NGO इस बात से चिंतित हैं कि चरम दक्षिणपंथी समूह, गोल्डन डाउन से संबंधित समूहों सहित, गलत जानकारी और नफ़रत फैलाने वाली भाषा के प्रसार, ऑनलाइन और ऑफ़लाइन काम करने के लिए मुख्य धारा के सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करते हैं और अपने असर को उस दायरे से आगे बढ़ाते हैं जो Facebook जैसे प्लेटफ़ॉर्म पर दिखाई देता है (पब्लिक कमेंट देखें, उदाहरण, फ़ार राइट एनालिसिस नेटवर्क से PC-20017).

फ़्रीडम हाउस की वार्षिक Freedom in the World (2023) रिपोर्ट ने ग्रीस को मुक्त के रूप में रैंक करते हुए 86/100 स्कोर दिया है, यह नोट करते हुए कि मीडिया का माहौल अत्यंत मुक्त है और गैर-सरकारी संगठन आम तौर पर सरकारी अधिकारियों के किसी हस्तक्षेप के बिना काम करते हैं. फिर भी, Reuters Institute for the Study of Journalism, International Press Institute और Incubator for Media Education and Development द्वारा प्रकाशित हाल ही की स्टडीज़ से पता चलता है कि ग्रीक मीडिया पर भरोसे में भारी कमी आई है, खास तौर पर पत्रकारों और ब्रॉडकास्ट मीडिया के संबंध में. ऐसा मुख्य रूप से मीडिया पर राजनीति और बिज़नेस के असर और मीडिया के डिजिटल प्रसार में बढ़ोतरी के कारण हुआ है. इन स्टडीज़ से जानकारी के हेरफेर, सेंसरशिप और मीडिया की आज़ादी में कमी की चिंताएँ भी सामने आई हैं.

Meta को दोनों पोस्ट की रिपोर्ट की गई, जिसने ह्यूमन रिव्यू के बाद यह तय किया कि दोनों केस के कंटेंट ने खतरनाक लोगों और संगठनों से जुड़े Facebook के कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन किया है. उसने दोनों अकाउंट पर अकाउंट सस्पेंड किए बिना गंभीर स्ट्राइक और 30 दिन का प्रतिबंध लगाया. इस प्रतिबंध के कारण दोनों अकाउंट लाइव वीडियो और विज्ञापन प्रोडक्ट का उपयोग नहीं कर पाए. कंटेंट पोस्ट करने वाले दोनों Facebook यूज़र्स ने अपील की, लेकिन Meta ने फिर से कंटेंट को उल्लंघन करने वाला पाया. फिर दोनों यूज़र ने बोर्ड से अलग-अलग अपील की.

3. ओवरसाइट बोर्ड की अथॉरिटी और स्कोप

बोर्ड को उस व्यक्ति के अपील करने के बाद Meta के फ़ैसले का रिव्यू करने का अधिकार है, जिसका कंटेंट हटा दिया गया था (चार्टर आर्टिकल 2, सेक्शन 1; उपनियम अनुच्छेद 3, सेक्शन 1). जब बोर्ड को ऐसे केस मिलते हैं जिनमें एक जैसे मुद्दे होते हैं, तो वह उन्हें एक पैनल को एक बंडल के रूप में असाइन कर सकता है ताकि उन्हें एक साथ सुना जा सके. हर कंटेंट के संबंध में एक बाध्यकारी फ़ैसला लिया जाएगा.

बोर्ड, Meta के फ़ैसले को कायम रख सकता है या उसे बदल सकता है (चार्टर अनुच्छेद 3, सेक्शन 5) और उसका फ़ैसला कंपनी पर बाध्यकारी होता है (चार्टर अनुच्छेद 4). Meta को मिलते-जुलते संदर्भ वाले समान कंटेंट पर अपने फ़ैसले को लागू करने की संभावना का भी आकलन करना चाहिए (चार्टर अनुच्छेद 4). बोर्ड के फ़ैसलों में गैर-बाध्यकारी सलाह शामिल हो सकती हैं, जिन पर Meta को जवाब देना ज़रूरी है (चार्टर अनुच्छेद 3, सेक्शन 4; अनुच्छेद 4). जहाँ Meta, सुझावों पर एक्शन लेने की प्रतिबद्धता व्यक्त करता है, वहाँ बोर्ड उनके क्रियान्वयन की निगरानी करता है.

4. अथॉरिटी और मार्गदर्शन के सोर्स

इस केस में बोर्ड ने इन स्टैंडर्ड और पुराने फ़ैसलों को ध्यान में रखते हुए विश्लेषण किया:

I.

II. Meta की कंटेंट पॉलिसीज़

खतरनाक संगठनों और लोगों से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड के पॉलिसी बनाने के कारण में कहा गया है कि "वास्तव में होने वाले नुकसान को रोकने और नाकाम करने की कोशिश” में Meta ऐसे किसी भी संगठन या व्यक्ति को अपने प्लेटफ़ॉर्म पर “मौजूद रहने की परमिशन नहीं देता जो किसी हिंसक मिशन की घोषणा करता है या हिंसा में शामिल होता है." Meta “इन एंटिटी का आकलन उनके ऑनलाइन और ऑफ़लाइन दोनों व्यवहारों के आधार पर करता है और सबसे महत्वपूर्ण रूप से, हिंसा से उनके संबंधों को देखता है.”

पॉलिसी बनाने के कारण के अनुसार, खतरनाक संगठनों और लोगों से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड के तहत टियर 1 में चिह्नित संगठन और लोग तीन कैटेगरी में आते हैं: आतंकी संगठन, आपराधिक संगठन और नफ़रत फैलाने वाली एंटिटी. टियर 1 गंभीर ऑफ़लाइन नुकसान में लिप्त एंटिटी पर केंद्रित है. इसमें “आम लोगों के खिलाफ़ हिंसा का आयोजन करना या उसकी वकालत करना, सुरक्षित विशिष्टताओं के आधार पर लोगों के साथ बार-बार अमानवीय व्यवहार करना या इनके खिलाफ़ होने वाले नुकसान की वकालत करना या व्यवस्थित आपराधिक कार्रवाइयों में लिप्त होना शामिल है.” पॉलिसी बनाने के कारण में नोट किया गया है कि टियर 1 के तहत चिह्नित लोगों पर सबसे कठोर एन्फ़ोर्समेंट किया जाता है क्योंकि Meta मानता है कि इन एंटिटी का “ऑफ़लाइन नुकसान से सबसे सीधा संबंध होता है.”

Meta, “नफ़रत फैलाने वाली एंटिटी” को ऐसे संगठन या व्यक्ति के रूप में परिभाषित करता है जो अन्य लोगों के खिलाफ़ उनकी सुरक्षित विशिष्टताओं के आधार पर नफ़रत फैलाता है और उसे बढ़ावा देता है.” Meta कहता है कि एंटिटी की एक्टिविटी को “इनमें से किसी एक विशेषता के आधार पर देखा जाता है: हिंसा, धमकी, अलंकारिक भाषा या लोगों पर उनकी सुरक्षित विशिष्टताओं पर आधारित उत्पीड़न के खतरनाक रूप; नफ़रत फैलाने वाली भाषा का बार-बार उपयोग; नफ़रत फैलाने वाली विचारधाराओं या नफ़रत फैलाने वाली अन्य चिह्नित एंटिटी का प्रतिनिधित्व; और/या नफ़रत फैलाने वाली अन्य चिह्नित एंटिटी या नफ़रत फैलाने वाली विचारधाराओं का महिमामंडन या समर्थन.”

खतरनाक संगठनों और लोगों से जुड़ी पॉलिसी, जो जून 2023 में लागू थी, के टियर 1 के तहत Meta “इन संगठनों के नेताओं या प्रमुख सदस्यों की प्लेटफ़ॉर्म पर मौजूदगी, उनका प्रतिनिधित्व करने वाले प्रतीकों का प्लेटफ़ॉर्म पर उपयोग करने की अथवा उनकी या उनके कामों की प्रशंसा करने वाले कंटेंट की परमिशन नहीं देता है.” उस समय, “प्रशंसा” को इस तरह परिभाषित किया गया था: “किसी चिह्नित एंटिटी या घटना के बारे में सकारात्मक बात करना” या “खुद को किसी चिह्नित एंटिटी या घटना की विचारधारा मानने वाला बताना.” खतरनाक संगठनों और लोगों से जुड़ी पॉलिसी में दिसंबर 2023 के अपडेट के बाद, कंपनी अब “टियर 1 एंटिटी, उनके लीडर्स, संस्थापकों या प्रमुख नेताओं के महिमामंडन, समर्थन और प्रतिनिधित्व के साथ-साथ उनके अस्पष्ट रेफ़रेंस” को भी हटा देती है. इसमें “हँसी-मज़ाक, बिना कैप्शन वाले या सकारात्मक रेफ़रेंस शामिल हैं जो चिह्नित की गई एंटिटी की हिंसा या नफ़रत का महिमामंडन नहीं करते हैं.”

Meta के अनुसार यह ज़रूरी है कि यूज़र ऐसा कंटेंट शेयर करते समय अपना इरादा स्पष्ट करे जिसमें चिह्नित एंटिटी या उनकी एक्टिविटी की चर्चा की गई हो. खतरनाक संगठनों और लोगों से जुड़ी पॉलिसी में यूज़र्स को उस कंटेंट की परमिशन दी गई है जो चिह्नित संगठनों या लोगों या गतिविधियों की रिपोर्ट करता है, उनकी निंदा करता है या उनकी निष्पक्ष रूप से चर्चा करता है. Meta ने इस अपवाद को अगस्त 2023 में यह स्पष्ट करने के लिए अपडेट किया कि यूज़र “सामाजिक और राजनैतिक बातचीत” के संदर्भ में खतरनाक संगठनों और लोगों या उनकी एक्टिविटी का संदर्भ देने वाले कंटेंट को शेयर कर सकते हैं.” जैसा कि Meta ने एक न्यूज़रूम ब्लॉग पोस्ट सार्वजनिक रूप से अनाउंस किया था, अपडेट किए गए “सामाजिक और राजनैतिक बातचीत” से जुड़े अपवाद में चुनावों के संदर्भ में शेयर किया गया कंटेंट शामिल है.

बोर्ड द्वारा कंटेंट पॉलिसी का विश्लेषण Meta की “वॉइस” की वैल्यू, जिसे कंपनी सर्वोपरि बताती है और “सुरक्षा” की वैल्यू के आधार पर भी किया गया था.

खबरों में रहने लायक होने की छूट

Meta, खबरों में रहने लायक होने के कारण दी जाने वाली छूट को सामान्य पॉलिसी के एक अपवाद के रूप में परिभाषित करता है जिसे कम्युनिटी स्टैंडर्ड के सभी पॉलिसी क्षेत्रों में लागू किया जा सकता है जिसमें खतरनाक संगठनों और लोगों से जुड़ी पॉलिसी पर लागू करना शामिल है. इसमें अन्यथा उल्लंघन करने वाले कंटेंट को उस स्थिति में प्लेटफ़ॉर्म पर बने रहने की परमिशन दी जाती है जब उसकी जनहित वैल्यू, नुकसान के जोखिम से ज़्यादा हो. Meta के अनुसार, ऐसे आकलन सिर्फ़ “दुर्लभ मामलों” में ही किए जाते हैं और उसकी कंटेंट पॉलिसी टीम को एस्केलेट किए जाने पर ही लागू किए जाते हैं. यह टीम इस बात का आकलन करती है कि क्या विचाराधीन कंटेंट से “लोगों के स्वास्थ्य या सुरक्षा को तात्कालिक खतरा है या क्या उससे राजनीतिक प्रक्रिया के भाग के रूप में फ़िलहाल बहस का विषय बने हुए दृष्टिकोण ज़ाहिर किए जा सकते हैं.” इस आकलन में देश विशिष्ट परिस्थितियों पर विचार किया जाता है जिसमें यह भी शामिल है कि क्या देश में चुनाव चल रहा है. वक्ता की पहचान, विचार का एक प्रासंगिक बिंदु है, लेकिन यह छूट सिर्फ़ उस कंटेंट को नहीं दी जाती जिसे न्यूज़ आउटलेट द्वारा पोस्ट किया गया है.

III. Meta की मानवाधिकारों से जुड़ी ज़िम्मेदारियाँ

बिज़नेस और मानवाधिकारों के बारे में संयुक्त राष्ट्र संघ के मार्गदर्शक सिद्धांत (UNGP), जिन्हें 2011 में संयुक्त राष्ट्र संघ की मानवाधिकार समिति ने स्वीकृति दी है, प्राइवेट बिज़नेस की मानवाधिकार से जुड़ी ज़िम्मेदारियों का स्वैच्छिक ढाँचा तैयार करते हैं. 2021 में Meta ने मानवाधिकारों से जुड़ी अपनी कॉर्पोरेट पॉलिसी की घोषणा की, जिसमें उसने UNGP के अनुसार मानवाधिकारों का ध्यान रखने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई. इस केस में बोर्ड ने Meta की मानवाधिकार से जुड़ी ज़िम्मेदारियों का विश्लेषण इन अंतरराष्ट्रीय स्टैंडर्ड को ध्यान में रखते हुए किया:

  • विचार और अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकार: अनुच्छेद 19 और 20, नागरिक और राजनैतिक अधिकारों पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिज्ञापत्र (ICCPR), सामान्य टिप्पणी सं. 34, मानवाधिकार समिति (2011); डिजिटल युग में अभिव्यक्ति की आज़ादी और चुनावों पर संयुक्त घोषणा, राय और अभिव्यक्ति की आज़ादी पर संयुक्त राष्ट्र का विशेष रैपर्टर, मीडिया की आज़ादी पर OSCE प्रतिनिधि और अभिव्यक्ति की आज़ादी पर OAS का विशेष रैपर्टर (2022); राय और अभिव्यक्ति की आज़ादी पर संयुक्त राष्ट्र का विशेष रैपर्टर की रिपोर्ट, A/HRC/28/25 (2018).
  • संबद्धता की आज़ादी का अधिकार: अनुच्छेद 22, ICCPR; शांतिपूर्ण तरीके से सभा करने और संबद्धता की आज़ादी पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष रैपर्टर की रिपोर्ट, A/68/299 (2013), A/HRC/26/30 (2014);
  • जीवन का अधिकार: अनुच्छेद 6, ICCPR;
  • सार्वजनिक मामलों में भागीदारी और मतदान का अधिकार: अनुच्छेद 25, ICCPR;
  • भेदभाव न किए जाने का अधिकार: अनुच्छेद 2 और 26, ICCPR;
  • प्रताड़ना, अमानवीय और अपमानजनक व्यवहार से मुक्त रहने के अधिकार: अनुच्छेद 7, ICCPR;
  • अधिकारों को नष्ट करने के खिलाफ़ प्रतिबंध: अनुच्छेद 5, ICCPR; अनुच्छेद 30, UDHR.

5. यूज़र सबमिशन

इन दो केसों में हर पोस्ट के लेखक ने उनके कंटेंट को हटाने के Meta के फ़ैसले के खिलाफ़ बोर्ड को अपील की.

बोर्ड को किए गए अपने सबमिशन में, पहले केस के यूज़र ने कहा कि वे ग्रीस के संसदीय चुनावों में भाग ले रही ग्रीस की एक वैधानिक राजनैतिक पार्टी के उम्मीदवार थे और उन्होंने नोट किया कि उनके अकाउंट पर लगाई गई स्ट्राइक के परिणामस्वरूप, वे अपना Facebook पेज मैनेज नहीं कर पाए.

दूसरे केस के यूज़र ने क्लेम किया कि उन्होंने स्पारटांस पार्टी का लोगो शेयर किया था और उन्होंने उनकी पोस्ट को हटाए जाने पर आश्चर्य जताया.

6. Meta के सबमिशन

Meta ने बोर्ड से कहा कि दोनों केसों में कंटेंट को हटाने के फ़ैसले उसकी खतरनाक संगठनों और लोगों से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड पर आधारित था.

Meta ने बोर्ड को बताया कि गोल्डन डाउन, नेशनल पार्टी – ग्रीक्स और इलियास कसिडियारिस को क्रमशः टियर 1 के नफ़रत फैलाने वाले संगठनों और टियर 1 के नफ़रत फैलाने वाले व्यक्ति के रूप में चिह्नित किया गया है. नेशनल पार्टी – ग्रीक्स को 5 मई, 2023 को चिह्नित किया गया था. बोर्ड के सवालों के जवाब में, Meta ने नोट किया कि कंपनी, एंटिटी को चिह्नित करने के सिग्नलों के एक सेट के आधार एक स्वतंत्र प्रोसेस में चिह्नित करती है.

Meta ने कहा कि पहले केस में Facebook यूज़र ने मि. कासिडियारिस के बारे में सकारात्मक बातें कहकर एक चिह्नित आरोपी की प्रशंसा की. “वैचारिक समानता” व्यक्त करना, प्रतिबंधित प्रशंसा के उदाहरण के रूप में लिस्ट किया गया है. Meta ने बताया कि पोस्ट का कैप्शन बताता है कि यूज़र अपने खुद के और अपनी खुद की पार्टी स्पारटांस के संसदीय कैंपेन के समर्थन में लीफ़लेट बाँट रहा था. हालाँकि, लीफ़लेट में यह भी कहा गया था कि मि. कासिडियारिस “स्पारटांस पार्टी का समर्थन करते हैं,” जो स्पष्ट रूप से यह हाइलाइट करता है कि एक चिह्नित व्यक्ति मि. कासिडियारिस ने यूज़र की राजनैतिक पार्टी की प्रशंसा की है. Meta के लिए, मि. कासिडियारिस के समर्थन को प्रमोट करके यह यूज़र खुद को सार्वजनिक रूप से उनके समान बता रहा है. Meta ने बोर्ड को बताया कि खतरनाक संगठनों और लोगों से जुड़ी पॉलिसी में दिसंबर 2023 के अपडेट के बाद, पहले केस की पोस्ट उस नियम का उल्लंघन करेगी जो “चिह्नित एंटिटी की हिंसा या नफ़रत का महिमामंडन करने वाले सकारात्मक रेफ़रेंस” को प्रतिबंधित करता है. पोस्ट में मि. कासिडियारिस या उनकी हिंसक या नफ़रत फैलाने वाली गतिविधियों का कोई स्पष्ट महिमामंडन नहीं था.

दूसरे केस में, Meta ने नेशनल पार्टी – ग्रीक्स के लोगो को किसी व्याख्यात्मक कैप्शन के बिना शेयर करने को पार्टी की प्रशंसा माना, इसलिए उसने कंटेंट को हटा दिया. Meta ने बोर्ड को सूचित किया कि खतरनाक संगठनों और लोगों से जुड़ी पॉलिसी में दिसंबर 2023 के अपडेट के बाद, दूसरे केस की पोस्ट को हटा दिया जाएगा क्योंकि यूज़र ने कोई भी व्याख्यात्मक कैप्शन दिए बिना नेशनल पार्टी - ग्रीक्स का रेफ़रेंस (प्रतीक) शेयर किया, हालाँकि इसमें मि. कासिडियारिस या उसकी हिंसक या नफ़रत फैलाने वाली एक्टिविटीज़ का कोई प्रत्यक्ष महिमामंडन नहीं था.

Meta ने पाया कि किसी भी पोस्ट को खतरनाक संगठनों और लोगों से जुड़े अपवाद का फ़ायदा नहीं मिलता जो उस समय जून 2023 में लागू थी क्योंकि यूज़र ने किसी चिह्नित एंटिटी या उनके कामों की “रिपोर्ट करने, निष्पक्ष चर्चा करने या आलोचना” करने का अपना इरादा स्पष्ट रूप से नहीं बताया.

Meta के अनुसार, अपवाद में अगस्त 2023 के बदलावों के बाद भी यही स्थिति बनी रही. इस बदलाव में अपवाद की भाषा बदलकर उसे “सामाजिक और राजनैतिक बातचीत” को परमिशन देने वाला कर दिया गया. बोर्ड के सवालों के जवाब में, Meta ने कहा कि “सामाजिक और राजनैतिक बातचीत” से जुड़े अपवाद को कुछ तरह के “ऐसे कंटेंट को परमिशन देने के लिए जोड़ा गया था जिसमें चुनावों जैसी परिभाषित कैटेगरी के सेट से जुड़ा प्रत्यक्ष संदर्भ हो” जिसे पहले पॉलिसी के तहत हटा दिया जाता. जब किसी चिह्नित एंटिटी को किसी औपचारिक चुनावी प्रक्रिया में आधिकारिक रूप से रजिस्टर और एनरोल किया जाता है, तो Meta इस बात से चिंतित है कि अगर सभी प्रशंसा और एंटिटी के रेफ़रेंस को हटा दिया जाता है, तो इससे चुनाव और उम्मीदवारों के संबंध में चर्चा करने की लोगों की योग्यता बेवजह प्रतिबंधित होगी. हालाँकि, इस अपवाद का उद्देश्य कभी भी मौलिक सहारा देना नहीं था जैसे कि आधिकारिक कैंपेन सामग्री, आधिकारिक प्रोपेगंडा वितरित करके या उनकी ओर से कम्युनिकेशन के आधिकारिक चैनलों की परमिशन देकर किसी चिह्नित एंटिटी को ठोस प्रचालनात्मक और रणनीतिक फ़ायदा देना.

बोर्ड के एक सवाल का जवाब देते हुए, Meta ने बताया कि सामाजिक और राजनैतिक बातचीत से जुड़ा अपवाद, किसी चुनाव में भाग लेने वाली एंटिटी की चर्चा की परमिशन देने और इन एंटिटी के लिए मौलिक समर्थन या महिमामंडन को हटाकर सुरक्षा की रक्षा करने के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करता है. Meta ने नोट किया कि उसने जान-बूझकर इस छूट को उन एंटिटी को परमिशन देने पर केंद्रित रखा है जो चुनाव की प्रक्रिया में रजिस्टर्ड और औपचारिक रूप से एनरोल है. ऐसा इसलिए क्योंकि छूट का उद्देश्य उन उम्मीदवारों की चर्चा को परमिशन देना है जो चुनाव लड़ रहे हैं. साथ ही किसी चिह्नित एंटिटी की नफ़रत या हिंसा के महिमामंडन या चिह्नित एंटिटी के मौलिक समर्थन वाले कंटेंट को हटाना भी है. Meta ने यह जोड़ा कि “इस छूट को बनाने का उद्देश्य यूज़र्स को तब अपनी चुनावी प्राथमिकताओं के बारे में राय देने में सक्षम बनाना था जब चिह्नित एंटिटी चुनाव लड़ रही हो, ताकि चिह्नित एंटिटी अपने एजेंडा शेयर करने के लिए मौजूदा चुनावी प्रोसेस और कंपनी के एन्फ़ोर्समेंट में रुकावट न डाल पाए.”

दूसरे केस के लिए, Meta इस नतीजे पर पहुँचा कि उसकी अपडेट की गई पॉलिसी में सामाजिक और राजनैतिक बातचीत से जुड़ा अपवाद लागू नहीं होगा क्योंकि अतिरिक्त कमेंटरी के बिना ऐसे टेक्स्ट के साथ नेशनल पार्टी - ग्रीक्स का प्रतीक या लोगो शेयर करने से जिसमें स्पारटांस की पहचान बताई गई हो (जैसे कि ऐसा कैप्शन जो नेशनल पार्टी - ग्रीक्स की आलोचना करता हो या निष्पक्ष चर्चा करता हो), यूज़र के इरादे को स्पष्ट रूप से नहीं बताता. इसके अलावा, अपवाद दूसरे केस में भी लागू नहीं होता क्योंकि नेशनल पार्टी - ग्रीक्स जो एक चिह्नित एंटिटी है, को ग्रीस के चुनाव लड़ने से अयोग्य करार दिया गया था.

बोर्ड ने Meta से पाँच लिखित सवाल पूछे. सवाल खतरनाक संगठनों और लोगों से जुड़ी पॉलिसी के तहत Meta की “सामाजिक और राजनैतिक बातचीत” से जुड़ी छूट; चिह्नित करने की प्रोसेस की पारदर्शिता और पॉलिसी के तहत चिह्नित एंटिटी की लिस्ट के बारे में थे. Meta ने पाँच सवालों के जवाब दिए.

7. पब्लिक कमेंट

ओवरसाइट बोर्ड को 15 ऐसे पब्लिक कमेंट मिले जो सबमिशन की शर्तें पूरी करते हैं. तेरह कमेंट यूरोप से और दो कमेंट अमेरिका और कनाडा से सबमिट किए गए थे. प्रकाशन की सहमति के साथ सबमिट किए गए पब्लिक कमेंट पढ़ने के लिए यहाँ पर क्लिक करें.

सबमिशन में नीचे बताई गई थीम्स पर बात की गई थी: ग्रीस का राजनीतिक संदर्भ, जिसमें ग्रीस के राजनैतिक दलों की चर्चा शामिल थी; ग्रीस में 2023 के चुनाव और चुनाव के परिणामों पर सोशल मीडिया का असर; ग्रीस और अन्य यूरोपियन देशों में चरम दक्षिणपंथी और चरमपंथी समूह और सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म का उनका उपयोग; ग्रीस में हाल के वैधानिक संशोधन और 2023 के चुनावों पर उनका असर; और Meta की खतरनाक संगठन और लोगों से जुड़ी पॉलिसी के तहत लिस्ट की गई एंटिटी की पारदर्शिता का महत्व.

8. ओवरसाइट बोर्ड का विश्लेषण

बोर्ड ने ये केस अभिव्यक्ति की आज़ादी और राजनैतिक भागीदारी पर Meta के खतरनाक संगठनों और लोगों से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड के असर का मूल्यांकन करने के लिए चुने हैं, खास तौर पर चुनाव के दौरान, जब चिह्नित एंटिटी या उनसे जुड़े लोग राजनैतिक बातचीत में एक्टिव हो सकते हैं. ये केस बोर्ड की चुनाव और नागरिक सहभागिता और समाज के उपेक्षित समूहों के प्रति नफ़रत फैलाने वाली भाषा से जुड़ी स्ट्रेटेजिक प्राथमिकताओं के दायरे में आते हैं. बोर्ड ने इस बात का परीक्षण किया कि क्या Meta की कंटेंट पॉलिसी, मानवाधिकार ज़िम्मेदारियों और वैल्यू का विश्लेषण करके इस कंटेंट को रीस्टोर कर दिया जाना चाहिए.

8.1 Meta की कंटेंट पॉलिसी का अनुपालन

बोर्ड ने दोनों केसों में Meta के कंटेंट को हटाने के फ़ैसले को कायम रखा है.

पहला केस: चुनाव के उम्मीदवार के कैंपेन का लीफ़लेट

बोर्ड ने नोट किया कि अभिव्यक्ति के लिए बोर्ड की प्रतिबद्धता सर्वोपरि है और चुनाव के संदर्भ में उसे ज़्यादा महत्व दिया जाता है. बोर्ड ने इस बात पर ज़ोर दिया कि यूज़र को अपना वोट देने के लिए ज़रूरी सभी जानकारी की एक्सेस देने के लिए, Meta को मतदाताओं, उम्मीदवारों और पार्टियों को चिह्नित एंटिटी की एक्टिविटी पर सार्वजनिक बातचीत की परमिशन देनी चाहिए.

बोर्ड ने पाया कि यह पोस्ट, चिह्नित एंटिटी की “प्रशंसा” पर Meta के प्रतिबंध के तहत आती है जो जून 2023 से लागू है क्योंकि यूज़र खुद को मि. कासिडियारिस की विचारधारा जैसा बताता है जो खतरनाक संगठनों और लोगों से जुड़ी पॉलिसी के टियर 1 के तहत एक नफ़रत फैलाने वाली एक चिह्नित एंटिटी है. प्रासंगिक कम्युनिटी स्टैंडर्ड में इसे एक ऐसे आचरण के रूप में स्पष्ट रूप से बताया गया है जिसे Meta प्रतिबंधित “प्रशंसा” का एक उदाहरण मानता है. 30 दिसंबर 2023 के पॉलिसी से जुड़े बदलावों के बाद यह कंटेंट किसी चिह्नित एंटिटी के लिए सकारात्मक संदर्भ पर प्रतिबंध के तहत आता है, जो चिह्नित एंटिटी की हिंसा या नफ़रत का महिमामंडन नहीं करता.

बोर्ड के अल्पसंख्य सदस्यों के लिए, वैचारिक समानता पर नियम का उपयोग सीधे तौर पर स्पष्ट नहीं था क्योंकि मि. कासिडियारिस यूज़र का समर्थन (अर्थात “प्रशंसा करना” या “रेफ़रेंस देना”) कर रहे हैं, बजाय इसके विपरीत के. यह समझने के लिए कुछ लेवल की अनुमान की ज़रूरत होती है कि यूज़र प्रभावी रूप से उस समर्थन को दोहरा रहा था और इसलिए वैचारिक समानता पर Meta की पॉलिसी के दायर में नहीं आता.

बोर्ड के अल्पसंख्य सदस्य यह मानते हैं कि भले ही इस पोस्ट से खतरनाक संगठनों और लोगों से जुड़ी पॉलिसी का उल्लंघन होता है और वह जून 2023 से लागू किसी भी पॉलिसी अपवाद की सीमा में नहीं आती, Meta को इस कंटेंट को प्लेटफ़ॉर्म पर बनाए रखने के लिए खबरों में लायक होने की छूट देनी चाहिए थी क्योंकि पोस्ट का जनहित में होना, नुकसान के जोखिम से ज़्यादा महत्वपूर्ण था. इस पोस्ट से वोटर्स को सीधे यह सूचना मिली कि एक दोषी अपराधी एक चुनावी उम्मीदवार का समर्थन कर रहा है, जो चुनाव के संदर्भ में प्रासंगिक और मूल्यवान जानकारी है, खास तौर पर नई पार्टी की भागीदारी को देखते हुए चुनावों के दूसरे सेट के दौरान. बोर्ड ने इन सदस्यों ने नोट किया कि खतरनाक संगठनों और लोगों से जुड़ी पॉलिसी में अगस्त 2023 के अपडेट के बाद, “सामाजिक और राजनैतिक बातचीत” से जुड़े अपवाद के तहत Meta को चुनावों के वैधानिक उम्मीदवारों को चिह्नित एंटिटी के साथ अपनी वैचारिक समानता को निष्पक्ष भाषा में व्यक्त करने की परमिशन देनी चाहिए, लेकिन उसमें नफ़रत फैलाने वाली भाषा या किसी विशेष नुकसान का उकसावा शामिल नहीं होना चाहिए. इससे यूज़र्स को वह हरसंभव जानकारी मिलेगी जिसकी उन्हें कोई फ़ैसला लेने के लिए ज़रूरत है.

दूसरा केस: नेशनल पार्टी – ग्रीक्स का लोगो और स्लोगन “स्पारटांस”

बोर्ड के बहुसंख्य सदस्य मानते हैं कि कंटेंट से खतरनाक संगठनों और लोगों से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन होता है क्योंकि इसमें नेशनल पार्टी – ग्रीक्स का प्रतीक शेयर किया गया है जो नफ़रत फैलाने वाली एक चिह्नित एंटिटी है.

यह पोस्ट, पॉलिसी के जून 2023 से लागू अपवाद में नहीं आती क्योंकि इस बात का कोई संदर्भात्मक संकेत नहीं था कि यूज़र का इरादा नेशनल पार्टी - ग्रीक्स के लोगो को एक वैधानिक पार्टी स्पारटांस के नाम के साथ दिखाना था ताकि नेशनल पार्टी - ग्रीक्स या उनकी एक्टिविटी की “रिपोर्ट की जा सके, उसकी निष्पक्ष चर्चा की जा सके या उसकी आलोचना की जा सके.” बोर्ड के बहुसंख्य सदस्य इन पोस्ट को नाज़ी उद्धरण केस के कंटेंट से अलग मानता है जिसमें संदर्भात्मक संकेतों से बोर्ड इस निष्कर्ष पर पहुँच पाया कि यूज़र की पोस्ट में नफ़रत फैलाने वाली चिह्नित एंयिटी की निष्पक्ष चर्चा की गई है. उस केस में, यूज़र ने एक ज्ञात ऐतिहासिक हस्ती के एक उद्धरण का रेफ़रेंस दिया था जिसमें उस व्यक्ति के साथ वैचारिक समानता नहीं दिखाई गई थी लेकिन उसमें “डोनाल्ड ट्रंफ़ के राष्ट्रपति काल और नाज़ी शासन के बीच तुलना” करने की कोशिश की गई थी. इस केस में ऐसा कोई संदर्भ मौजूद नहीं है. 30 दिसंबर, 2023 के पॉलिसी संबंधी बदलावों के बाद, इस केस से जुड़े कंटेंट को बिना किसी व्याख्यात्मक कैप्शन के किसी चिह्नित एंटिटी का रेफ़रेंस (प्रतीक) शेयर करने के कारण हटा दिया जाएगा.

बोर्ड के अल्पसंख्य सदस्यों का मानना है कि इस पोस्ट को खतरनाक संगठनों और लोगों से जुड़ी पॉलिसी का उल्लंघन करने वाली माना जाना चाहिए. उन्होंने नोट किया कि अगर किसी चिह्नित एंटिटी का सिर्फ़ लोगो शेयर किया जाता है और उसमें कोई अन्य उल्लंघन या नुकसानदेह इरादे का संदर्भ नहीं है, तो उस कंटेंट को प्लेटफ़ॉर्म पर बने रहने देना चाहिए.

8.2 Meta की मानवाधिकारों से जुड़ी ज़िम्मेदारियों का अनुपालन

बोर्ड ने पाया कि दोनों केसों में कंटेंट को हटाने का Meta का शुरुआती फ़ैसला, कंपनी की मानवाधिकारों से जुड़ी ज़िम्मेदारियों के अनुरूप था.

अभिव्यक्ति की आज़ादी (अनुच्छेद 19 ICCPR)

ICCPR का अनुच्छेद 19 (2), अभिव्यक्ति के लिए व्यापक सुरक्षा देता है, जिसमें “सभी प्रकार की जानकारी और आइडिया माँगना, पाना और देना” शामिल है. सुरक्षित अभिव्यक्ति में “राजनैतिक बातचीत,” “सार्वजनिक मामलों पर कमेंटरी” और ऐसी अभिव्यक्ति शामिल है जिसे “घोर आपत्तिजनक” माना जा सकता है ( सामान्य कमेंट सं. 34 (2011), पैरा. 11). चुनावी संदर्भ में, अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकार में राजनैतिक कमेंटरी के सोर्स की एक्सेस भी शामिल है, जिसमें स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया शामिल है, और “विपक्षी पार्टियों और राजनेताओं को मीडिया आउटलेट की एक्सेस” भी आती है ( सामान्य कमेंट सं. 34 (2011), पैरा. 37).

जहाँ राज्य, अभिव्यक्ति पर प्रतिबंध लगाता है, वहाँ प्रतिबंधों को वैधानिकता, वैधानिक लक्ष्य और आवश्यकता तथा आनुपातिकता की शर्तों को पूरा करना चाहिए (अनुच्छेद 19, पैरा. 3, ICCPR). इन आवश्यकताओं को अक्सर “तीन भागों वाला परीक्षण” कहा जाता है. Meta की स्वैच्छिक मानवाधिकार प्रतिबद्धताओं को समझने के लिए बोर्ड इस फ़्रेमवर्क का उपयोग करता है - रिव्यू में मौजूद कंटेंट से जुड़े व्यक्तिगत फ़ैसले के लिए और यह जानने के लिए कि कंटेंट गवर्नेंस के प्रति Meta के व्यापक नज़रिए के बारे में यह क्या कहता है. जैसा कि अभिव्यक्ति की आज़ादी के बारे में संयुक्त राष्ट्र के खास रैपर्टर में कहा गया है कि भले ही “कंपनियों का सरकारों के प्रति दायित्व नहीं है, लेकिन उनका प्रभाव इस तरह का है जो उनके लिए अपने यूज़र की सुरक्षा के बारे में इस तरह के सवालों का आकलन करना ज़रूरी बनाता है,” (रिपोर्ट A/74/486, पैरा. 41).

I. वैधानिकता (नियमों की स्पष्टता और सुलभता)

अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून के तहत वैधानिकता के सिद्धांत के अनुसार अभिव्यक्ति पर रोक लगाने वाले नियम स्पष्ट और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध होने चाहिए (सामान्य कमेंट सं. 34, पैरा. 25). अभिव्यक्ति पर प्रतिबंध का निर्माण पर्याप्त सटीकता से किया जाना चाहिए ताकि लोग अपने व्यवहार को उसके अनुसार बदल सकें (पूर्वोक्त). जैसा कि Meta पर लागू होता है, कंपनी को यूज़र्स को इस बारे में मार्गदर्शन देना चाहिए कि प्लेटफ़ॉर्म पर किस कंटेंट की परमिशन है और किस कंटेंट की परमिशन नहीं है. इसके अलावा, अभिव्यक्ति को प्रतिबंधित करने वाले नियम “उन लोगों को प्रतिबंधित करने के निरंकुश अधिकार नहीं दे सकते जिन पर इन्हें लागू करने की ज़िम्मेदारी है” और नियमों में "उन लोगों के लिए पर्याप्त मार्गदर्शन भी होना ज़रूरी है जिन पर इन्हें लागू करने की ज़िम्मेदारी है ताकि वे यह पता लगा सकें कि किस तरह की अभिव्यक्ति को उचित रूप से प्रतिबंधित किया गया है और किसे नहीं,” ( A/HRC/38/35, पैरा. 46).

पहले केस के लिए, बोर्ड ने नोट किया कि नाज़ी उद्धरण केस में बोर्ड के सुझाव क्र. 2 के जवाब में खतरनाक संगठनों और लोगों से जुड़ी पॉलिसी की लोगों को दिखाई देने वाली भाषा में “प्रशंसा” शब्द के उदाहरण जोड़े गए हैं. “खुद की विचारधारा को किसी चिह्नित एंटिटी या ईवेंट की विचारधारा जैसा बताने” पर प्रतिबंध के स्पष्ट उदाहरण में Meta के इस नियम को पर्याप्त रूप से स्पष्ट और पहले केस के यूज़र और नियम को लागू करने वाले कंटेंट रिव्यूअर के लिए एक्सेस योग्य बनाया गया है. बोर्ड ने नोट किया कि इस उदाहरण को दिसंबर 2023 के अपडेट में हटा दिया गया है.

दूसरे केस के संबंध में, बोर्ड इस बात से सहमत है कि चिह्नित एंटिटी के प्रतीकों को शेयर करने के खिलाफ़ Meta की पॉलिसी, जब तक कि यूज़र स्पष्ट रूप से यह बताता नहीं है कि उनका इरादा चिह्नित एंटिटी की रिपोर्ट करना, उसकी निष्पक्ष चर्चा करना या उसकी आलोचना करना है, पर्याप्त रूप से स्पष्ट है और वैधानिकता के परीक्षण को पूरा करती है. बोर्ड ने आगे पाया कि जैसा कि दूसरे केस में लागू किया गया है, खतरनाक संगठनों और लोगों से जुड़ी पॉलिसी का अपवाद, अगस्त 2023 के पुनरीक्षणों से पहले और बाद में, वैधानिकता के परीक्षण को पूरा करते हैं.

इसके बावजूद, बोर्ड इस बात से चिंतित है कि नफ़रत फैलाने वाली एंटिटी को चिह्नित करने के संबंध में पारदर्शिता की कमी है और यह पता नहीं चलता कि खतरनाक संगठनों और लोगों से जुड़ी पॉलिसी के टियर 1 में कौन-सी एंटिटी शामिल हैं. इससे यूज़र के लिए यह समझना कठिन हो जाता है कि किन एंटिटी के साथ वैचारिक समानता दर्शाने की परमिशन है और किसके साथ नहीं या किनके प्रतीक वे शेयर कर सकते हैं.

टियर 1 में आतंकी संगठनों में ऐसी एंटिटी और लोग शामिल हैं जिन्हें अमेरिकी सरकार द्वारा फ़ॉरेन टेररिस्ट ऑर्गेनाइज़ेशन (FTO) या स्पेशली डेज़िगनेटेड ग्लोबल टेररिस्ट (SDGT) के रूप में चिह्नित किया गया है और आपराधिक संगठनों में ऐसे संगठन शामिल हैं जिन्हें अमेरिकी सरकार द्वारा स्पेशली डेज़िगनेटेड नार्कोटिक्स ट्रैफ़िकिंग किंगपिन (SDNTK) के रूप में चिह्नित किया गया है. अमेरिकी सरकार FTO, SDGT और SDNTK को चिह्नित करने के लिए लिस्ट प्रकाशित करती है जिनमें से कम से कम कुछ नाम Meta की खतरनाक संगठनों और लोगों को चिह्नित करने में लिए जाते हैं. हालाँकि, टियर 1 की “नफ़रत फैलाने वाली एंटिटी” को चिह्नित करने की Meta की पूरी लिस्ट, उसके समतुल्य अमेरिका की सार्वजनिक लिस्ट के समान नहीं होती. बोर्ड ने नाज़ी उद्धरण केस में टियर 1 की एंटिटी की लिस्ट को पारदर्शी बनाने के लिए कहा है, जिसे Meta ने “सुरक्षा कारणों” से अस्वीकार कर दिया.

अल जज़ीरा की शेयर की गई पोस्ट केस में सुझाव सं. 1 के जवाब में, अगस्त 2023 के अपडेट के बाद, Meta की खतरनाक संगठनों और लोगों से जुड़ी पॉलिसी की लोगों को दिखाई देने वाली भाषा में इस अपवाद के उपयोग के कई उदाहरण जोड़े गए हैं. बोर्ड ने पाया कि अपडेट किए गए अपवाद का पूरा दायरा, यूज़र्स के लिए स्पष्ट नहीं है, क्योंकि कोई भी उदाहरण चुनावों के संदर्भ में पॉलिसी के अपवाद के उपयोग की जानकारी नहीं देता. लोगों के लिए उपलब्ध जगहों के कम होने और मीडिया की आज़ादी को पूरी दुनिया में खतरों की परिस्थितियों में, सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म, जानकारी के एक महत्वपूर्ण स्रोत के रूप में काम करते हैं. चुनाव के समय में पॉलिसी के अपडेट किए गए अपवाद के दायरे की अनिश्चितता को देखते हुए, ऐसे संदर्भों में यूज़र्स यह ठीक से जान नहीं पाते कि चुनावी उम्मीदवारों और उनके समर्थकों के बारे में वे किस तरह की चर्चा कर सकते हैं, जो टियर 1 की चिह्नित एंटिटी भी हो सकती है.

बोर्ड ने पाया कि वैचारिक समानता के रूप में “प्रशंसा” पर Meta का प्रतिबंध और साथ ही चिह्नित एंटिटी के प्रतीकों को शेयर करने का प्रतिबंध, जो जून 2023 से लागू है, वैधानिकता के स्टैंडर्ड को पूरा करता है. हालाँकि, चुनाव के संदर्भ में चिह्नित एंटिटी के बारे में “सामाजिक और राजनैतिक बातचीत” के दायरे के लिए अतिरिक्त स्पष्टीकरण की ज़रूरत होती है.

II. वैधानिक लक्ष्य

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर लगने वाले प्रतिबंधों का एक वैधानिक लक्ष्य होना चाहिए, जिसमें दूसरे लोगों के अधिकारों की सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा शामिल है.

पॉलिसी बनाने के कारण के अनुसार, खतरनाक संगठनों और लोगों से जुड़ी पॉलिसी का लक्ष्य “असली दुनिया को होने वाले नुकसानों को रोकना और उनमें रुकावट डालना है.” कई फ़ैसलों में, बोर्ड ने पाया है कि खतरनाक संगठनों और लोगों से जुड़ी Meta की पॉलिसी, दूसरे लोगों के अधिकारों की रक्षा करने के वैधानिक लक्ष्य को पूरा करती है (नाज़ी उद्धरण; न्यूज़ रिपोर्टिंग में तालिबान का उल्लेख;भारत में RSS पर पंजाबी चिंता देखें). बोर्ड ने पाया कि इन दोनों केसों में, Meta की पॉलिसी दूसरे लोगों के अधिकारों की रक्षा करने वैधानिक लक्ष्य को पूरा करती है, जैसे भेदभाव न करने और समानता का अधिकार (ICCPR, आर्टिकल 2 और 26), जीवन का अधिकार (ICCPR, आर्टिकल 6), क्रूरता, अमानवीय और अपमानजनक व्यवहार (ICCPR, आर्टिकल 7) और सार्वजनिक मामलों में भाग लेने का अधिकार और वोट देने का अधिकार (ICCPR, Article 25).

III. आवश्यकता और आनुपातिकता

आवश्यकता और आनुपातिकता के सिद्धांत के अनुसार यह ज़रूरी है कि अभिव्यक्ति की आज़ादी से संबंधित प्रतिबंध "रक्षा करने के उनके कार्य को सही तरीके से पूरा करने वाले होने चाहिए; उनसे उन लोगों के अधिकारों में कम से कम हस्तक्षेप होना चाहिए, जिन्हें उन प्रतिबंधों से होने वाले रक्षात्मक कार्यों का लाभ मिल सकता है [और] जिन हितों की सुरक्षा की जानी है, उसके अनुसार ही सही अनुपात में प्रतिबंध लगाए जाने चाहिए," (सामान्य कमेंट सं. 34, पैरा. 33-34).

लोकतंत्र के लिए चुनाव महत्वपूर्ण हैं और बोर्ड इस बात को स्वीकार करता है कि Meta के प्लेटफ़ॉर्म राजनैतिक बातचीत के लिए वर्चुअल रूप से दुनिया के अधिकांश भागों में अत्यंत ज़रूरी साधन बन गए हैं, खास तौर पर चुनाव के समय में. लोकतंत्र के साथ इसके घनिष्ठ संबंध को देखते हुए, राजनैतिक अभिव्यक्ति को “बड़े स्तर की सुरक्षा दी जाती है,” (सामान्य कमेंट सं. 37, पैरा. 19 और 32). अभिव्यक्ति की आज़ादी पर अंतरराष्ट्रीय आदेश में नोट किया गया है कि “डिजिटल मीडिया और प्लेटफ़ॉर्म को ऐसे उपाय स्वीकारने के लिए यथोचित प्रयास करना चाहिए जो यूज़र्स को राजनैतिक विचार और परिप्रेक्ष्यों की एक्सेस देते हैं,” ( संयुक्त घोषणापत्र 2022). शांतिपूर्ण सभा और संबद्धता की आज़ादी पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष रैपर्टर में कहा गया है कि “अभिव्यक्ति और राय के लिए राजनैतिक पार्टियों की आज़ादी, खास तौर पर चुनावी कैंपेन के ज़रिए, जानकारी माँगने, पाने और देने सहित, चुनावों की इंटीग्रिटी के लिए ज़रूरी है,” ( A/68/299, पैरा. 38 पर (2013)).

हालाँकि, मानवाधिकारों पर पड़ने वाले बुरे असर को कम करने के लिए, संरक्षित राजनैतिक अभिव्यक्ति और ऐसी राजनैतिक अभिव्यक्ति के बीच अंतर करना महत्वपूर्ण है जो इसलिए प्रतिबंधित किया जा सकता है क्योंकि इससे आगे नुकसान हो सकता है. इस संबंध में, जैसा कि बोर्ड ने नोट किया, Meta के पास उसके प्लेटफ़ॉर्म के उपयोग के लिए मानवाधिकारों पर पड़ने वाले बुरे प्रभावों को पहचानने, रोकने, कम करने और उनका उत्तरदायित्व लेने की ज़िम्मेदारी है (UNGP, सिद्धांत 17).

शांतिपूर्ण सभा और संबद्धता की आज़ादी पर रैपर्टर में यह रेखांकित किया गया है कि कोई राजनैतिक पार्टी या उसके किसी भी उम्मीदवार को कानूनन प्रतिबंधित किया जा सकता है अगर “वे हिंसा का उपयोग करते हैं या हिंसा या राष्ट्रीय, जातीय और धार्मिक नफ़रत का उपयोग करते हैं जिससे भेदभाव, दुश्मनी या हिंसा को उकसावा मिलता है,” (ICCPR, आर्टिकल 20, ICERD, आर्टिकल 5). आर्टिकल 20, ICCPR और आर्टिकल 5, ICERD के तहत किसी भी प्रतिबंध को आर्टिकल 19, पैरा. 3, ICCPR के तहत आवश्यकता और आनुपातिकता के स्टैंडर्ड को पूरा करना चाहिए (सामान्य कमेंट 34, पैरा. 50-52; CERD/C/GC/35, पैरा. 24-25).

पहला केस: चुनाव के उम्मीदवार के कैंपेन का लीफ़लेट

बोर्ड के बहुसंख्य सदस्य यह मानते हैं कि पहली पोस्ट को खतरनाक संगठनों और लोगों से जुड़ी पॉलिसी के तहत हटाने का Meta का फ़ैसला, आवश्यकता और आनुपातिकता के सिद्धांतों को संतुष्ट करता है. बहुसंख्य सदस्य चुनावों के दौरान अभिव्यक्ति की आज़ादी के महत्व को स्वीकार करते हैं, जिसमें जानकारी शेयर और प्राप्त करने के यूज़र्स के अधिकार शामिल हैं. हालाँकि, बोर्ड के इन सदस्यों ने पाया कि नफ़रत फैलाने वाली किसी चिह्नित हस्ती से वैचारिक समानता व्यक्त करने वाले किसी चुनावी उम्मीदवार को पोस्ट को हटाकर Meta ने सही किया. यह प्रतिबंध, चिह्नित एंटिटी और उनकी एक्टिविटी की “रिपोर्ट करने, निष्पक्ष चर्चा करने या आलोचना करने” की यूज़र को दी जाने वाली छूट के साथ, चुनावों के दौरान इस तरह के समर्थन सहित, मानवाधिकारों के संबंध में Meta के प्रतिबंध के अनुरूप है.

इस केस में, बोर्ड के इन सदस्यों ने समझा कि इस पोस्ट को Meta के प्लेटफ़ॉर्म से हटाने से उसमें मौजूद जानकारी पाने का लोगों का अधिकार अनुपातहीन रूप से प्रतिबंधित नहीं हुआ. यह देखते हुए कि चिह्नित एंटिटी के समर्थन पर कई स्थानीय और क्षेत्रीय मीडिया रिपोर्ट्स मौजूद हैं जिसे नफ़रत फैलाने वाले अपराधों से जुड़े एक आपराधिक संगठन का नेतृत्व करने के लिए दोषी पाया गया है, लोगों के पास उम्मीदवार की पार्टी के समर्थन की इस अभिव्यक्ति के बारे में जानने के अन्य अवसर मौजूद थे. इन मीडिया रिपोर्ट्स को पॉलिसी से छूट प्राप्त हो जाती, जिसमें असली दुनिया को आगे कोई नुकसान पहुँचाए बिना चुनाव के संदर्भ में कानूनी चर्चा को परमिशन दी जाती है.

चुनाव और उच्च जोखिम वाले अन्य संदर्भों में मानवाधिकारों पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों को रोकने, उन्हें कम करने और उनका समाधान करने की Meta की ज़िम्मेदारी ज़्यादा होती है और इसके लिए यह ज़रूरी है कि कंपनी नुकसान को रोकने के लिए सुरक्षा के प्रभावी इंतज़ाम करे. Meta के पास राजनैतिक अभिव्यक्ति को परमिशन देने और अन्य मानवाधिकारों को किसी भी तरह के खतरे से बचाने, दोनों ज़िम्मेदारियाँ हैं. चुनावों के संदर्भ में हिंसा भड़काने के लिए उसके प्लेटफ़ॉर्म के संभावित उपयोग को देखते हुए, Meta को चुनाव की निष्पक्षता के संबंध में अपनी कोशिशों की प्रभावशीलता सुनिश्चित करने के लगातार प्रयास करने चाहिए (ब्राज़ील के जनरल का भाषण देखें). पूरी दुनिया में कई चुनावों को देखते हुए, खतरनाक संगठनों और लोगों से जुड़ी पॉलिसी का Meta द्वारा सावधानीपूर्वक एन्फ़ोर्समेंट, खास तौर पर चुनाव के संदर्भ में इसका अपडेट किया गया पॉलिसी अपवाद, अत्यंत ज़रूरी है.

बोर्ड के कुछ सदस्यों के लिए, किसी वैधानिक उम्मीदवार की ऐसी पोस्ट जिसमें वह किसी टियर 1 की चिह्नित एंटिटी द्वारा ऑफ़र किए गए समर्थन का प्रचार करता है, उम्मीदवार के प्रोग्राम के बारे में कोई जानकारी नहीं है, बल्कि वह प्रतिबंधित पार्टी के साथ संबद्धता का कृत्य है. ऐसे प्रकाशन को Meta के उस प्रतिबंध में रुकावट डालने के लिए उपयोग किया जा सकता है जिसमें वह टियर 1 की चिह्नित एंटिटी को अपनी सेवाओं का उपयोग करने और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमज़ोर करने से रोकता है (ICCPR, आर्टिकल 5). इसके अलावा, मौजूदा केस में, जहाँ लोगों के पास मौजूदा गठबंधनों के बारे में जानने के पर्याप्त अवसर मौजूद थे, उम्मीदवार की पोस्ट को हटाने का फ़ैसला अनुपातहीन नहीं था.

अल्पसंख्य सदस्यों के लिए, पहले केस में कंटेंट को हटाने से चुनाव के दौरान जानकारी शेयर करने और पाने के यूज़र्स के अधिकारों में अनुपातहीन हस्तक्षेप पड़ा. बोर्ड के ये सदस्य मानते हैं कि Meta का “अभिव्यक्ति का प्रतिबंध सर्वोपरि है” और इस केस में कंपनी ने अभिव्यक्ति के बजाय सुरक्षा को प्राथमिकता दी. मतदाताओं के पास उम्मीदवारों और उनकी एक्टिविटी की जानकारी की एक्सेस होनी चाहिए और किसी ऐसी पार्टी जिसे ग्रीक सुप्रीम कोर्ट ने चुनावों में भाग लेने की परमिशन दी है, के पास ऐसे ज़्यादा अवसर होते हैं कि उनके उम्मीदवार कौन-सी जानकारी प्रकाशित कर सकते हैं. इस केस में, स्पारटांस एक नई पार्टी है इसलिए हो सकता है कि वोटर्स उसके बारे में ज़्यादा न जानते हों.

इसी समय, ग्रीस में मीडिया के प्रति घटते भरोसे (ऊपर सेक्शन 2 देखें) की रिपोर्ट्स को देखते हुए, मतदाताओं के पास सीधे वैधानिक उम्मीदवारों से उनकी राय जानने के अवसर होने चाहिए. यह खास तौर पर तब ज़रूरी होता है जब उम्मीदवार या उनकी पार्टियाँ ऐसी एंटिटी से समर्थन या निष्ठा प्राप्त करते हैं जिन्हें चुनाव लड़ने से अयोग्य करार दिया गया है या जिन्हें खतरनाक संगठन और लोगों से जुड़ी पॉलिसी में चिह्नित किया गया है.

बोर्ड के उन सदस्यों ने नोट किया कि सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म को इस बात का निर्णायक नहीं बनना चाहिए कि किसी उम्मीदवार या पार्टी के बारे में मतदाताओं को क्या जानने की परमिशन है और क्या नहीं की नहीं. वे यह मानते हैं कि चुनावी संदर्भ के महत्व को देखते हुए, पहले केस में कंटेंट को हटाना सबसे कम रुकावट डालने वाला उपाय नहीं था और वह उम्मीदवार की अभिव्यक्ति और जानकारी एक्सेस करने के मतदाताओं के अधिकार पर अनुपातहीन प्रतिबंध था. इसके बजाय, Meta की वैल्यू और मानवाधिकार से जुड़े प्रतिबंधों के अनुसार, कंपनी को खबरों में रहने लायक होने से जुड़ी छूट के तहत पोस्ट को बनाए रखना चाहिए था. यह देखते हुए कि कंटेंट को एक वैधानिक उम्मीदवार द्वारा सीधे पोस्ट किया गया था जिसमें मतदाताओं को सीधे उनके कैंपेन और मि. कासिडियारिस द्वारा समर्थन के बारे में इस बारे में जानकारी दी गई थी, जिसे ग्रीस में चुनावों के दौरान प्रकाशित किया गया था, पार्टियों और उम्मीदवारों के बारे में ज़्यादा जानने जनहित, नुकसान के जोखिम से कम था.

दूसरा केस: नेशनल पार्टी – ग्रीक्स का लोगो और स्लोगन “स्पारटांस”

दूसरे केस में, बोर्ड के बहुसंख्य सदस्यों ने पाया कि उस केस में कंटेंट को हटाने का Meta का फ़ैसला ज़रूरी और आनुपातिक था क्योंकि पोस्ट में एक नफ़रत फैलाने वाली चिह्नित एंटिटी का प्रतीक शेयर किया गया था. इस बात के संदर्भात्मक संकेतों के मौजूद न होने के कारण कि कंटेंट को किसी चिह्नित एंटिटी की रिपोर्ट करने, निष्पक्ष चर्चा करने या आलोचना करने के लिए शेयर किया गया था, कंटेंट को हटाना उचित था.

बोर्ड के अल्पसंख्य सदस्य मानते हैं कि Meta ने इस कंटेंट को हटाकर गलती की. इन अल्पसंख्य सदस्यों ने नोट किया कि यह करते समय संदर्भात्मक विश्लेषण ज़रूरी होता है कि क्या कंटेंट नुकसानदेह है. किसी ऐसी पोस्ट को हटाना जिसमें बस किसी चिह्नित एंटिटी का प्रतीक शेयर किया गया हो और जिसमें हिंसा के उकसावे या गैर-कानूनी एक्शन का कई संकेत न हो, अनुपातहीन है और वह नुकसान से बचाने का सबसे कम बाधाकारी उपाय नहीं हो सकता.

9. ओवरसाइट बोर्ड का फ़ैसला

ओवरसाइट बोर्ड ने दोनों केसों में पोस्ट को हटाने के Meta के फ़ैसले को कायम रखा है.

10. सुझाव

कंटेंट पॉलिसी

1. यूज़र्स को ज़्यादा स्पष्टता देने के लिए, Meta को खतरनाक संगठनों और लोगों से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड के तहत पॉलिसी के उस अपवाद के दायरे को ज़्यादा स्पष्ट करना चाहिए जिसमें “खतरनाक संगठनों और लोगों या उनकी एक्टिविटी की रिपोर्टिंग, निष्पक्ष चर्चा या आलोचना” को “सामाजिक और राजनैतिक बातचीत” के संदर्भ में शेयर करने की परमिशन दी जाती है. खास तौर पर, Meta को यह स्पष्ट करना चाहिए कि पॉलिसी का यह अपवाद, चुनाव से संबंधित कंटेंट से किस तरह संबंधित है.

बोर्ड इसे तब लागू मानेगा जब Meta अपने कम्युनिटी स्टैंडर्ड में स्पष्टता से संबंधित यह बदलाव कर देगा.

*प्रक्रिया संबंधी नोट:

ओवरसाइट बोर्ड के फ़ैसले पाँच मेंबर्स के पैनल द्वारा लिए जाते हैं और उन पर बोर्ड के अधिकांश मेंबर्स की सहमति होती है. ज़रूरी नहीं है कि बोर्ड के फ़ैसले, सभी सदस्यों की निजी राय दर्शाएँ.

इस फ़ैसले के लिए, बोर्ड की ओर से स्वतंत्र रिसर्च करवाई गई थी. बोर्ड की सहायता एक स्वतंत्र शोध संस्थान ने की जिसका मुख्यालय गोथेनबर्ग यूनिवर्सिटी में है और जिसके पास छह महाद्वीपों के 50 से भी ज़्यादा समाजशास्त्रियों की टीम के साथ ही दुनियाभर के देशों के 3,200 से भी ज़्यादा विशेषज्ञ हैं. बोर्ड को Duco Advisers की सहायता भी मिली, जो भौगोलिक-राजनैतिक, विश्वास और सुरक्षा और टेक्नोलॉजी के आपसी संबंध पर काम करने वाली एक एडवाइज़री फ़र्म है. Memetica ने भी विश्लेषण उपलब्ध कराया जो सोशल मीडिया ट्रेंड पर ओपन-सोर्स रिसर्च में एंगेज होने वाला संगठन है.

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