एकाधिक मामले का निर्णय
आंशिक रूप से नग्न आदिवासी महिलाओं की फ़ोटो
3 जून 2025
ओवरसाइट बोर्ड ने ऐसे चार में से तीन केसों में Meta के फ़ैसलों को पलट दिया है जिनमें कुछ खास यूज़र्स पर वयस्क नग्नता और यौन गतिविधि से जुड़ी पॉलिसी के अनुपातहीन असर पड़ रहे थे, जबकि एक तीसरे केस में कंटेंट को प्लेटफ़ॉर्म पर बनाए रखने के फ़ैसले को कायम रखा है.
4 इस बंडल में केस शामिल हैं
IG-K2VKGH0Z
Instagram पर वयस्कों से जुड़ी नग्नता और सेक्शुअल एक्टिविटी से जुड़ा केस
IG-V2CNBBWA
Instagram पर वयस्कों से जुड़ी नग्नता और सेक्शुअल एक्टिविटी से जुड़ा केस
IG-E7ESESOY
Instagram पर वयस्कों से जुड़ी नग्नता और सेक्शुअल एक्टिविटी से जुड़ा केस
FB-OIPQ123W
Facebook पर वयस्कों में नग्नता और सेक्शुअल एक्टिविटी से जुड़ा केस
पूरे फ़ैसले को जर्मन भाषा में पढ़ने के लिए, यहाँ क्लिक करें.
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सारांश
ओवरसाइट बोर्ड ने ऐसे चार केसों में से तीन में Meta के फ़ैसलों को पलट दिया जिनमें उन यूज़र्स पर वयस्क नग्नता और यौन गतिविधि पॉलिसी के बुरे असर दिखाई दे रहे थे जिन्होंने आदिवासी महिलाओं के खुले वक्षस्थल की फ़ोटो शेयर की थीं, जबकि ऐसी नग्नता उन आदिवासी लोगों की मान्यताओं और प्रथाओं का भाग है. खबरों में रहने लायक होने की छूट के कारण बोर्ड ने तीसरे केस में कंटेंट के प्लेटफ़ॉर्म पर बनाए रखने के फ़ैसले को कायम भी रखा.
गैर-कामुक संदर्भों में आदिवासी महिलाओं की खुले वक्षस्थल वाली फ़ोटो पोस्ट करने पर Meta का संपूर्ण प्रतिबंध, जिसमें कभी-कभी कोई अपवाद शामिल होता है, अभिव्यक्ति पर अनिवार्य रूप से आवश्यक और आनुपातिक रोक नहीं लगाता. इसके बजाय अभिव्यक्ति के लिए यूज़र्स के अधिकार पर अनुपातहीन प्रतिबंध लगता है जिसमें आदिवासी लोगों का अधिकार भी शामिल है जिनके लिए नग्नता उनकी संस्कृति का भाग है.
Meta को वयस्क नग्नता और यौन गतिविधि से जुड़ी अपनी पॉलिसी के उस अपवाद को सार्वजनिक करना चाहिए जिसमें कुछ परिस्थितियों में खुले वक्षस्थल वाली आदिवासी महिलाओं को दिखाने वाले कंटेंट की परमिशन तब दी जाती है जब ऐसी नग्नता सामाजिक रूप से स्वीकार्य प्रथा और मान्यता दर्शाती है और इन व्यवहारों को गलत ढंग से पेश नहीं करती.
केस की जानकारी
बोर्ड ने ऐसे चार केसों का रिव्यू किया जिनमें गैर-कामुक संदर्भों में खुले वक्षस्थलों वाली आदिवासी महिलाओं की फ़ोटो पोस्ट की गई थी.
पहले केस में, Instagram के एक यूज़र ने जुलाई 2024 में एक फ़ोटो पोस्ट की थी जिसमें नामीबिया के हिम्बा लोगों के पारंपरिक परिधान में खुले वक्षस्थल वाली दो महिलाएँ दिखाई दे रही थीं. पोस्ट के साथ अंग्रेज़ी भाषा में कोटेशन और कैप्शन था जिनमें हिम्बा लोगों का संदर्भ था. ऐसा लगता है कि यूज़र कोई आगंतुक या पर्यटक है और हिम्बा नहीं है. नग्नता और पोर्नोग्राफ़ी से जुड़े ऑटोमेटेड क्लासिफ़ायर ने इसे हटा दिया. यूज़र ने हटाने के खिलाफ़ अपील की. ह्यूमन रिव्यू के बाद, Meta ने अपने फ़ैसले को कायम रखा.
दूसरे केस में Instagram के एक यूज़र ने जुलाई 2024 में एक छोटा वीडियो पोस्ट किया जिसमें हिम्बा पुरुष नृत्य कर रहे हैं और उनके साथ में बैकग्राउंड में पारंपरिक हिम्बा परिधान में खुले वक्षस्थल वाली महिलाएँ हैं. कैप्शन में हिम्बा लोगों और संस्कृति का संदर्भ दिया गया है. ऑटोमेटेड और ह्यूमन रिव्यू के बाद, Meta ने कंटेंट को हटा दिया.
तीसरे केस में, मार्च 2023 में ब्राज़ील की एक राजनैतिक पार्टी के आधिकारिक Instagram अकाउंट से एक फ़ोटो पोस्ट की गई जिसमें पारंपरिक यानोमामी परिधान में खुले वक्षस्थल वाली आदिवासी महिलाओं की फ़ोटो थी. साथ में दिए टेक्स्ट में सरकार की प्रशंसा करते हुए कहा गया था कि वह यानोमामी भूमियों पर गैर-कानूनी खनन रोकने के लिए अच्छा काम कर रही है. एक यूज़र ने इसकी रिपोर्ट की और क्लासिफ़ायर ने इसकी पहचान की जिसके बाद ह्यूमन रिव्यूअर ने वयस्क नग्नता और यौन गतिविधि से जुड़ी पॉलिसी के उल्लंघन के कारण इसे हटा दिया. पोस्ट करने वाले यूज़र ने एक निजी संपर्क के ज़रिए Meta को अपील की. Meta ने खबरों में रहने लायक होनी की छूट देते हुए इसे रीस्टोर कर दिया और कहा कि इस कंटेंट की जनहित वैल्यू, उससे होने वाले नुकसान से ज़्यादा है. कंटेंट पर खबरों में रहने लायक होने का लेबल लगाया गया. सितंबर 2024 में, Meta ने इस केस को बोर्ड को रेफ़र किया.
चौथे केस में, एक जर्मन न्यूज़पेपर के Facebook पेज ने मई 2023 में एक फ़ोटो पोस्ट की जिसमें खुले वक्षस्थल वाली एक आदिवासी महिला की फ़ोटो थी जिसकी गोद में एक बच्चा था. जर्मन भाषा में दिए कैप्शन और टेक्स्ट ओवरले में एक अमेरिकी पत्रकार की माएन के एक गाँव की यात्रा और अलग-अलग संस्कृतियों में बच्चों की देखभाल के बारे में उनके नज़रिए का वर्णन किया गया था. पोस्ट एक आर्टिकल से लिंक थी. आदिवासी महिला की फ़ोटो किसी फ़ोटो एजेंसी से ली गई लगती है, जो इथियोपिया के कारो लोगों के ऑनलाइन कलेक्शन में शामिल है. यूज़र ने Meta को कंटेंट की रिपोर्ट की और दो ह्यूमन रिव्यूअर इस बात से सहमत हुए कि इससे वयस्क नग्नता और यौन गतिविधि से जुड़ी पॉलिसी का उल्लंघन होता है. यह अकाउंट क्रॉस-चेक प्रोग्राम में शामिल है, इसलिए पोस्ट को अतिरिक्त रिव्यू के लिए भेजा गया था. Meta ने तब पाया कि कंटेंट को पॉलिसी की भावना से जुड़ी छूट दी जानी चाहिए और उसे Facebook पर बने रहना चाहिए क्योंकि भले ही इससे नग्नता से जुड़े Meta के नियमों का उल्लंघन होता है, इसे बनाए रखना पॉलिसी बनाने के कारण के अनुसार है. सितंबर 2024 में, Meta ने इस केस को बोर्ड को रेफ़र किया.
मुख्य निष्कर्ष
भले ही Meta गैर-कामुक संदर्भों में आदिवासी महिलाओं के “खुले निप्पल” वाली फ़ोटो को प्रतिबंधित करता है, वह कभी-कभी पॉलिसी की भावना को बनाए रखने और खबरों में रहने लायक होने की छूट देने के लिए इस कंटेंट को परमिशन देता है.
यानोमामी पोस्ट में Meta ने इस पोस्ट को बनाए रखकर सही किया क्योंकि उसकी जनहित वैल्यू ज़्यादा थी और उससे होने वाले नुकसान का जोखिम कम था. यानोमामी लोगों में वक्षस्थल को नग्न रखने की सामाजिक और सांस्कृतिक परंपरा है और फ़ोटो में इसकी सहमति के संकेत दिखाई देते हैं..
दो हिम्बा पोस्ट के संबंध में, बोर्ड ने पाया कि पॉलिसी की भावना से जुड़ी छूट न देकर Meta ने सही नहीं किया. Meta ने आदिवासी लोगों की नग्नता के संदर्भ में अस्पष्ट सहमति के अपवाद से जुड़ी अपनी ही गाइडलाइन का पालन नहीं किया जो इस बात पर फ़ोकस करती है कि क्या खुले वक्षस्थल की नग्नता किसी खास तरह के आदिवासी लोगों की मान्यताओं और प्रथाओं का भाग है और क्या उन्हें सामाजिक रूप से स्वीकार किया जाता है. नग्नता, हिम्बा प्रथा का सामाजिक और ऐतिहासिक रूप से स्वीकार्य पहलू है और दोनों पोस्ट में इस बात के पर्याप्त संकेत हैं कि उन्होंने फ़ोटो लेने और रिकॉर्ड किए जाने की अस्पष्ट सहमति दी है जो यह छूट देने के लिए काफ़ी है.
माया/कारो पोस्ट में, बोर्ड के बहुसंख्य सदस्यों ने पाया कि किसी न्यूज़ आउटलेट द्वारा फ़ोटो को शेयर किया जाना सहमति दिखाने के लिए निर्णयात्मक कारक नहीं है. इस केस में, आर्टिकल के विषय (मायान लोग) और फ़ोटो में दिखाए गए व्यक्ति (कारो महिला) के बीच स्पष्ट रूप से अंतर है. मायान संस्कृतियों में बच्चों के लालन-पालन पर फ़ोकस करने वाला यह कंटेंट, नग्नता की सामाजिक या ऐतिहासिक परंपरा से संबंधित नहीं है. इसलिए कंटेंट को प्लेटफ़ॉर्म पर बनाए रखने की परमिशन देना, Meta के पॉलिसी बनाने के कारण के अनुरूप नहीं है. बोर्ड के अल्पसंख्य सदस्य इस बात से असहमत हैं और उनके अनुसार इस पोस्ट को बनाए रखकर Meta ने सही किया, क्योंकि फ़ोटो में दिखाई गई नग्नता, दिखाए गए आदिवासी समूह के सांस्कृतिक नियमों के अनुरूप है. अल्पसंख्य सदस्यों के अनुसार, सभी फ़ोटो के बीच अंतर एक मामूली भूल है और इससे पोस्ट के जनहित पर कोई असर नहीं पड़ता.
हिम्बा पोस्ट को हटाना और माया/कारो पोस्ट को बनाए रखना भी Meta की मानवाधिकार से जुड़ी ज़िम्मेदारियों के अनुरूप नहीं था. गैर-कामुक संदर्भों में देशीय महिलाओं की खुले वक्षस्थल वाली फ़ोटो पोस्ट करने पर Meta का संपूर्ण प्रतिबंध और उससे कभी-कभी छूट देना, अभिव्यक्ति को अनुपातहीन रूप से प्रतिबंधित करता है. यह आदिवासी महिलाओं के खुद को व्यक्त करने और सांस्कृतिक प्रथाओं के बारे में जानकारी शेयर करने के अधिकार पर अनुपातहीन रूप से असर डालता है और उस जानकारी तक अन्य लोगों की एक्सेस को प्रतिबंधित करता है. बोर्ड, आदिवासी संस्कृतियों को ऐसे तरीके से प्रस्तुत करने के महत्व पर ज़ोर देता है जिससे उनका स्वरूप नहीं बिगड़ता या उन्हें दूसरे संदर्भ में प्रस्तुत नहीं किया जाता.
बोर्ड इस बात से चिंतित है कि पॉलिसी की भावना और खबरों में रहने लायक होने की छूट में एक्सेसिबिलिटी और पूर्वानुमान से जुड़ी गंभीर सीमाएँ हैं. इसलिए, उसका मानना है कि अपवाद को स्पष्ट रूप से परिभाषित करना बेहतर होगा.
बोर्ड मानता है कि शुरुआती रिव्यूअर्स के लिए Meta ऐसी आंतरिक गाइडलाइन बना सकता है जो आदिवासी लोगों की नग्नता से जुड़े ऐसे कंटेंट को एस्केलेट करने में मदद करे जिसे ऐसे अपवादों का संभावित रूप से फ़ायदा मिल सकता है. ऐसा करते समय वे निष्पक्ष मापदंडों का उपयोग करेंगे जैसे प्रासंगिक हैशटैग या सांस्कृतिक प्रतीकों सहित विज़ुअल संकेत.
ओवरसाइट बोर्ड का फ़ैसला
बोर्ड ने दो हिम्बा महिलाओं और हिम्बा लोगों के नृत्य से जुड़े केसों में पोस्ट को हटाने के Meta के फ़ैसले को पलट दिया. बोर्ड ने माया/कारो केस में कंटेंट को प्लेटफ़ॉर्म पर बनाए रखने के Meta के फ़ैसले को भी पलट दिया है. बोर्ड ने यानोमामी केस में कंटेंट को प्लेटफ़ॉर्म पर बनाए रखने के Meta के फ़ैसले को कायम रखा है.
बोर्ड ने Meta को ये सुझाव भी दिए हैं कि वह:
- वयस्क नग्नता और यौन गतिविधि से जुड़ी पॉलिसी के अपवाद को सार्वजनिक करे जिसमें कुछ मामलों में आदिवासी महिलाओं के खुले वक्षस्थल दिखाने वाले कंटेंट को परमिशन दी जाती है. यह अपवाद सिर्फ़ एस्केलेशन के समय उपयोग किया जाना चाहिए. अपवाद में ऐसी नग्नता को तब परमिशन दी जानी चाहिए जब उसमें सामाजिक रूप से स्वीकार्य प्रथा और मान्यता दिखाई जाती है और इन प्रथाओं को गलत ढंग से पेश नहीं किया जाता है.
*केस के सारांश से केस का ओवरव्यू मिलता है और भविष्य में लिए जाने वाले किसी फ़ैसले के लिए इसको आधार नहीं बनाया जा सकता है.
केस का पूरा फ़ैसला
1. केस की जानकारी और बैकग्राउंड
इस फ़ैसले में ऐसे चार केसों की बात की गई है जिनमें खुले वक्षस्थल वाली आदिवासी महिलाओं की इमेजरी दिखाई गई थी. Meta ने पाया कि सभी चार मामलों में कंटेंट से उसकी वयस्क नग्नता और यौन गतिविधि से जुड़ी पॉलिसी का उल्लंघन होता है जिसके तहत “महिलाओं को निप्पल दिखाना” प्रतिबंधित है. Meta ने ऐसे दो केसों को ओवरसाइट बोर्ड को रेफ़र किया जिनमें नियमों का उल्लंघन करने के बावजूद कंटेंट को प्लेटफ़ॉर्म पर बनाए रखा गया था. अन्य दो केसों में यूज़र्स ने अपनी पोस्ट को हटाए जाने पर अपील की.
पहले केस में, Instagram के एक यूज़र ने अपने अकाउंट पर जुलाई 2024 में एक फ़ोटो पोस्ट की थी जिसमें नामीबिया के हिम्बा लोगों के पारंपरिक परिधान में खुले वक्षस्थल वाली दो महिलाएँ दिखाई दे रही थीं. इसमें हिम्बा, ओपुवो (कुनेने प्रांत की राजधानी जहाँ हिम्बा रहते हैं) और नामीबिया का संदर्भ देते हुए अंग्रेज़ी भाषा में एक कोटेशन और कैप्शन था. यूज़र की प्रोफ़ाइल, फ़ोटो और कैप्शन के आधार पर, ऐसा लगता है कि यूज़र हिम्बा नहीं है बल्कि कोई आगंतुक या पर्यटक है. Meta के एक ऑटोमेटेड टूल, नग्नता और पोर्नोग्राफ़ी क्लासिफ़ायर, ने Meta की वयस्क नग्नता और यौन गतिविधि से जुड़ी पॉलिसी का उल्लंघन करने के कारण पोस्ट को हटा दिया. यूज़र ने हटाने के खिलाफ़ अपील की. ह्यूमन रिव्यू के बाद, Meta ने अपने फ़ैसले को कायम रखा.
दूसरे केस में एक यूज़र ने अपने Instagram अकाउंट पर जुलाई 2024 में एक छोटा वीडियो पोस्ट किया जिसमें खुले सीने वाले हिम्बा पुरुष नृत्य कर रहे हैं और उनके साथ में बैकग्राउंड में पारंपरिक हिम्बा परिधान में खुले वक्षस्थल वाली महिलाएँ हैं. कैप्शन में अंग्रेज़ी, फ़्रेंच और अरबी भाषा में हिम्बा लोगों के संदर्भ हैं और साथ ही अफ़्रीकी नृत्य, संस्कृति और यात्रा के संदर्भ हैं. फ़ोटो पर अरबी भाषा में दिए टेक्स्ट में भी हिम्बा संस्कृति के संदर्भ दिए गए हैं. नग्नता और पोर्नोग्राफ़ी से जुड़े एक क्लासिफ़ायर ने कंटेंट को Meta की वयस्क नग्नता और यौन गतिविधि से जुड़ी पॉलिसी का संभावित उल्लंघन करने वाला पाया और उसे ह्यूमन रिव्यू के लिए भेज दिया. हालाँकि, पोस्ट को रिव्यू के लिए प्राथमिकता नहीं दी गई. व्यू या इंटरैक्शन की संख्या बढ़ने के कारण उसी क्लासिफ़ायर द्वारा फिर से पहचाने जाने के बाद, उसे एक ह्यूमन रिव्यूअर द्वारा हटा दिया गया. यूज़र ने Meta के फ़ैसले के खिलाफ़ अपील की और एक अन्य ह्यूमन रिव्यू के बाद, कंपनी ने कंटेंट को हटाने के सही बताया.
तीसरे केस में, मार्च 2023 में ब्राज़ील की एक राजनैतिक पार्टी के आधिकारिक Instagram अकाउंट से एक फ़ोटो पोस्ट की गई जिसमें पारंपरिक यानोमामी परिधान में खुले वक्षस्थल वाली आदिवासी महिलाओं की फ़ोटो थी. फ़ोटो पर पुर्तगाली भाषा में दिए टेक्स्ट में सरकार की प्रशंसा करते हुए कहा गया था कि वह यानोमामी भूमियों पर गैर-कानूनी खनन रोकने के लिए अच्छा काम कर रही है. पुर्तगाली भाषा में दिए टेक्स्ट में ऐसी सरकार के महत्व पर ज़ोर दिया गया जो ज़मीन के बारे में आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा करती है. एक अन्य यूज़र द्वारा पोस्ट की रिपोर्ट की गई लेकिन वह प्लेटफ़ॉर्म पर बनी रही. फिर एक क्लासिफ़ायर ने पाया कि वह Meta की ग्राफ़िक हिंसा से जुड़ी पॉलिसी का संभावित रूप से उल्लंघन करती है. यह अकाउंट क्रॉस-चेक प्रोग्राम का भाग है, इसलिए पोस्ट को अतिरिक्त रिव्यू के लिए भेजा गया था. Meta, क्रॉस-चेक प्रोग्राम को गलतियाँ रोकने वाली ऐसी स्ट्रेटेजी के रूप में परिभाषित करता है जो अतिरिक्त रिव्यू की सुविधा देती है. एक ह्यूमन रिव्यूअर ने पाया कि कंटेंट से Meta की वयस्क नग्नता और यौन गतिविधि से जुड़ी पॉलिसी का उल्लंघन होता है और उसने पोस्ट को हटा दिया. पोस्ट करने वाले यूज़र ने फिर Meta में अपने निजी संपर्क से बात करके इसके खिलाफ़ अपील की. अंत में, Meta के पॉलिसी विशेषज्ञों ने खबरों में रहने लायक होने की छूट दी. उन्होंने पाया कि कंटेंट से भले ही पॉलिसी का उल्लंघन होता है, लेकिन कंटेंट से होने वाले नुकसान के मुकाबले उसकी जनहित वैल्यू ज़्यादा है. कंपनी ने खबरों में रहने लायक होने का लेबल लगाकर पोस्ट को रीस्टोर कर दिया. सितंबर 2024 में, Meta ने इस केस को बोर्ड को रेफ़र किया.
चौथे केस में, एक जर्मन न्यूज़पेपर के Facebook पेज ने मई 2023 में एक फ़ोटो पोस्ट की जिसमें खुले वक्षस्थल वाली एक आदिवासी महिला की फ़ोटो थी जिसकी गोद में एक बच्चा था. कैप्शन और ओवरले में जर्मन भाषा में दिए टेक्स्ट में एक अमेरिकी पत्रकार के मैक्सिको के मायान गाँव की यात्रा का उल्लेख है. इसमें उन्होंने एक माँ के रूप में पश्चिमी और आदिवासी संस्कृतियों के बीच बच्चों के लालन-पालन में अंतर के बारे में अपना नज़रिया बताया है और साथ में आर्टिकल का लिंक दिया गया है. फ़ोटो में दिखाई दे रही आदिवासी महिला, मायान नहीं लगती. फ़ोटो किसी फ़ोटो एजेंसी से ली गई लगती है, जो इथियोपिया के कारो लोगों के ऑनलाइन कलेक्शन में शामिल है. यूज़र ने Meta को इस कंटेंट की रिपोर्ट की और दो ह्यूमन रिव्यूअर इस बात से सहमत हुए कि इससे वयस्क नग्नता और यौन गतिविधि से जुड़ी पॉलिसी का उल्लंघन होता है. यह अकाउंट क्रॉस-चेक प्रोग्राम में शामिल है, इसलिए पोस्ट को अतिरिक्त रिव्यू के लिए भेजा गया था. Meta ने तब पाया कि कंटेंट को पॉलिसी की भावना से जुड़ी छूट दी जानी चाहिए और उसे Facebook पर बने रहना चाहिए क्योंकि भले ही इससे नग्नता से जुड़े उसके नियमों का उल्लंघन होता है, इसे बनाए रखना पॉलिसी बनाने के कारण के अनुसार है. जब Meta ने यानोमामी केस को बोर्ड को रेफ़र किया, तो उसने यह केस भी रेफ़र किया.
बोर्ड ने अपना फ़ैसला करते समय नीचे दिए संदर्भ पर ध्यान दिया:
बोर्ड ने उत्तरी नामीबिया में रहने वाले हिम्बा आदिवासी लोगों सहित जिन विशेषज्ञों से विचार-विमर्श किया, उनके अनुसार महिलाएँ अपने वक्षस्थल खुले रख सकती हैं और प्रतीकात्मक ज्वेलरी और सजावटी सामान पहन सकती हैं. यह नग्नता न तो अनुचित है और न ही परंपरा के अनुसार इसे कामुक माना जाता है. इसके बजाय यह उनकी सांस्कृतिक पहचान का एक हिस्सा है. नग्नता का संबंध आध्यात्मिकता से है और शरीर पर रंग-रोगन और श्रृंगार, पैतृक और ब्रह्मांडीय दुनिया से उनका जुड़ाव दर्शाते हैं.
यानोमामी आदिवासी लोग, ब्राज़ील और वेनेज़ुएला के अमेज़न वर्षावनों में अपेक्षाकृत रूप से अलग-थलग रहते हैं. पुरुष अक्सर अपने कमर के आसपास कपड़े का छोटा टुकड़ा पहनते हैं, जबकि महिलाएँ कपड़े का एक साधारण बेल्ट पहन सकती हैं. बोर्ड ने जिन विशेषज्ञों से परामर्श किया, उनके अनुसार यानोमामी लोग अपनी परंपरा में नग्नता को कामुकता के रूप में नहीं देखते. उनके लिए यह प्रकृति और ब्रह्मांड से उनके संबंध का प्रतीक है और यह उनके रीति-रिवाजों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
मायान आदिवासी लोगों में नग्नता की परंपरा का संबंध संस्कृति या आध्यात्म से नहीं है.
2. यूज़र सबमिशन
जिन यूज़र्स ने दो हिम्बा महिलाओं और नृत्य करते हुए हिम्बा लोगों की फ़ोटो पोस्ट की थी, उन्होंने Meta द्वारा पोस्ट हटाए जाने के खिलाफ़ बोर्ड को अपील की. अपने सबमिशन में उन्होंने कहा कि उनका कंटेंट महत्वपूर्ण है क्योंकि उसमें हिम्बा लोगों के पारंपरिक परिधान और सांस्कृतिक प्रथाएँ दिखाई गई हैं जिसका उद्देश्य सांस्कृतिक जागरूकता और शिक्षा को बढ़ावा देना है. एक अपील में इस बात पर ज़ोर दिया गया कि Meta की पॉलिसीज़ का उद्देश्य अश्लील सामग्री को रोकना है और कहा गया कि पॉलिसी से जुड़े प्रतिबंध में संस्कृति और आदिवासी परंपराओं को दर्शाने वाली चीज़ें शामिल नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि “आदिवासी संस्कृतियों को समझने और उनका सम्मान करने के लिए इस कंटेंट को बहाल करना महत्वपूर्ण है.”
तीसरे और चौथे केस में Meta के रेफ़रल और बोर्ड द्वारा उन्हें स्वीकार किए जाने के बाद, कंटेंट पोस्ट करने वाले दोनों यूज़र्स को अपना बयान सबमिट करने का अवसर दिया गया. यूज़र से कोई जवाब नहीं मिला.
3. Meta की कंटेंट पॉलिसी और सबमिशन
I. Meta की कंटेंट पॉलिसी
वयस्क नग्नता और यौन गतिविधि से जुड़ी पॉलिसी
Meta के पॉलिसी बनाने के कारण में कहा गया है कि कंपनी सामान्य तौर पर नग्नता को उन यूज़र्स की सुरक्षा के लिए प्रतिबंधित करती है जो इसके प्रति संवेदनशील हैं, खास तौर पर सांस्कृतिक पृष्ठभूमि या उम्र के कारण. इसके तहत “बिना सहमति वाले या नाबालिग बच्चों से संबंधित कंटेंट की शेयरिंग को रोकने के लिए” कामुक इमेजरी को डिफ़ॉल्ट रूप से हटा दिया जाता है. पॉलिसी बनाने के कारण में यह भी कहा गया है कि “नग्नता को अलग-अलग कारणों से शेयर किया जा सकता है, जिसमें विरोध के तरीके के रूप में, किसी मुद्दे के बारे में जागरूकता लाने के लिए या शैक्षणिक या चिकित्सीय उद्देश्य शामिल हैं. जहाँ उचित हो और ऐसा इरादा स्पष्ट होता है, वहाँ हम इस कंटेंट की परमिशन दे सकते हैं.”
जिस समय इन केसों को चुना गया था, तब Meta के नियमों में “महिलाओं के खुले निप्पल” वाली इमेजरी को प्रतिबंधित किया जाता था. 14 मई, 2025 को, Meta ने इस पॉलिसी को “महिलाओं को स्पष्ट रूप से दिखाई देने वाले निप्पल” में अपडेट किया और 18 वर्ष से कम यूज़र्स के लिए नए प्रतिबंध लगाए. मौजूदा नियमों के तहत, Meta ये प्रतिबंध लगाता है: “वयस्क नग्नता की असली जैसी फ़ोटो/डिजिटल इमेजरी” जिसमें “महिलाओं को स्पष्ट रूप से दिखाई देने वाले निप्पल” शामिल हैं लेकिन उन्हें स्तनपान या विरोध प्रदर्शन के संदर्भ में शेयर किया जा सकता है.” ऐसे अन्य अपवाद मौजूद हैं जहाँ Meta की ओर से कंटेंट को लेबल किया जाता है या सिर्फ़ 18 वर्ष या उससे ज़्यादा उम्र के लोगों को उसे देखने की परमिशन दी जाती है. “महिलाओं के दिखाई देने वाले निप्पल, जब उन्हें चिकित्सा या स्वास्थ्य के संदर्भ में शेयर किया गया हो (जिसमें स्तन उच्छेदन या कैंसर से बचने वाले टैटू शामिल हैं),” के संदर्भ में कंपनी एक लेबल लगाती है जिसमें बताया जाता है कि कंटेंट संवेदनशील हो सकता है. “असली जीवन के आर्ट” या “अकाल, नरसंहार, युद्ध अपराध या मानवता के खिलाफ़ अपराध के संदर्भ में शेयर किए जाने पर” ऐसी नग्नता के लिए, Meta यह लेबल लगाता है और ऐसे कंटेंट को सिर्फ़ 18 वर्ष और उससे ज़्यादा उम्र के लोगों को ही दिखाता है.
14 मई, 2025 को हुए बदलावों से पहले और बाद की पॉलिसी में लोगों को दिखाई देने वाली भाषा में खुले वक्षस्थल वाली आदिवासी महिलाओं को कोई छूट नहीं दी गई है, लेकिन कंपनी कभी-कभी ऐसे कंटेंट को खबरों में रहने लायक होने और पॉलिसी की भावना से जुड़े अपवाद के तहत परमिशन देती है. Meta इन अपवादों का फ़ैसले शुरुआती रिव्यू में नहीं करता बल्कि ये फ़ैसले सिर्फ़ एस्केलेशन पर लिए जाते हैं. इसका मतलब है कि इसे खास रिव्यू के बाद सिर्फ़ Meta की पॉलिसी टीमों द्वारा लागू किया जाता है (ईरान में एक बाल विवाह के लिए मेक-अप का वीडियो फ़ैसला देखें).
खबरों में रहने लायक होने की छूट
कुछ परिस्थितियों में कंपनी ऐसे कंटेंट को प्लेटफ़ॉर्म पर बने रहने की परमिशन देगी जिससे उसकी पॉलिसीज़ का उल्लंघन होता है, अगर वह “खबरों में रहने लायक हो और जब उसे दिखाना जनहित में हो.” यह तय करते समय, Meta एक संतुलन जाँच करता है, जिसमें कंटेंट के जनहित और नुकसान के जोखिम का आकलन किया जाता है. कंपनी यह आकलन करती है कि “क्या कंटेंट से लोगों के स्वास्थ्य या सुरक्षा को तात्कालिक खतरा है या फ़िर उससे राजनैतिक प्रक्रिया के तहत फ़िलहाल जिन विषयों पर चर्चा चल रही है, उससे जुड़े अलग-अलग नज़रियों को रखने की आज़ादी मिल रही है.” Meta इस छूट के तहत आने वाले कंटेंट पर चेतावनी स्क्रीन लगा सकता है और 18 वर्ष से कम उम्र के लोगों को कंटेंट को देखने से रोक सकता है. अंत में कंपनी का कहना है कि: “खबरों में रहने लायक होने की छूट ‘सीमित’ हो सकती है, जिसमें छूट, किसी एक कंटेंट के लिए हो सकती है या ‘व्यापक’ हो सकती है, जिसे किसी वाक्यांश जैसी किसी चीज़ पर व्यापक रूप से लागू किया जा सकता है.”
पॉलिसी की भावना से जुड़ी छूट
Meta के अनुसार, वह उस स्थिति में कंटेंट को पॉलिसी की भावना से जुड़ी छूट दे सकता है जब पॉलिसी बनाने के कारण और Meta की वैल्यू के अनुसार परिणाम, नियमों के कठोरता से पालन के बजाय कुछ और होना चाहिए. अपने पुराने फ़ैसलों में, बोर्ड ने यह सुझाव दिया है कि Meta इस छूट की सार्वजनिक व्याख्या करे ( श्रीलंका फ़ार्मास्यूटिकल्स फ़ैसला, ओडिशा राज्य में सांप्रदायिक दंगे और ईरान में एक बाल विवाह के लिए मेक-अप का वीडियो फ़ैसलों में दोहराया गया). Meta ने कहा कि वह इस सुझाव को लागू करने की प्रक्रिया में है.
Meta ने इस बारे में आंतरिक दिशानिर्देश बनाए हैं कि पॉलिसी की भावना से जुड़े अपवाद कब लागू किए जाएँ और वयस्क नग्नता और यौन गतिविधि से जुड़ी पॉलिसी के तहत आने वाली पोस्ट को कब परमिशन दी जाए. आदिवासी लोगों की नग्नता के लिए, इन दिशानिर्देशों में सांस्कृति संदर्भ में नग्नता के संकेत शामिल होते हैं, जिनमें “रीति-रिवाजों से जुड़ी मान्यताओं, सामाजिक नियमों और जातीय, धार्मिक या सामाजिक समूह के मौलिक लक्षणों और ऐसी नग्नता की सामाजिक स्वीकार्यता” पर फ़ोकस किया जाता है. यह तय करने के लिए, Meta “अपनी क्षेत्रीय टीमों से प्राप्त, बाज़ार के संदर्भ” पर निर्भर होता है और अपनी आंतरिक टीमों से यह राय लेता है कि क्या “ऐसी नग्नता वास्तव में सामाजिक रूप से स्वीकार्य है और यह कि फ़ोटो में दिखाए गए लोगों की सुरक्षा को इससे कोई खतरा नहीं है.”
II. Meta के सबमिशन
Meta ने पाया कि सभी चार पोस्ट से उसकी वयस्क नग्नता और यौन गतिविधि से जुड़ी पॉलिसी का उल्लंघन होता है जिसके तहत “महिलाओं को निप्पल दिखाना” प्रतिबंधित है. इसके बावजूद Meta ने पाया कि यानोमामी और माया/कारो केसों में शेयर किए गए कंटेंट को क्रमशः खबरों में रहने लायक होने और पॉलिसी की भावना से जुड़ी छूट दी जा सकती है. अंततः उसने इन पोस्ट को परमिशन दी.
दो हिम्बा महिलाओं और नृत्य करते हिम्बा लोगों की पोस्ट को हटा दिया गया था. कंपनी के अनुसार, इस बात का जोखिम ज़्यादा था कि कंटेंट को कामुक रूप में उपयोग किया जाए और यह स्पष्ट नहीं था कि दिखाए गए लोगों से उनकी फ़ोटो शेयर किए जाने की सहमति ली गई थी या नहीं. कंटेंट को हटाने के समय, दोनों में से किसी भी पोस्ट को आगे के रिव्यू के लिए आंतरिक विशेषज्ञों को एस्केलेट नहीं किया गया था.
दोनों केसों में Meta ने तय किया कि पॉलिसी की भावना से जुड़ा अपवाद उचित नहीं था, क्योंकि इस बात का कोई संकेत मौजूद नहीं था कि दिखाई गई हिम्बा महिलाओं ने उनकी फ़ोटो शेयर की जाने की सहमति दी थी. Meta इस निष्कर्ष पर भी पहुँचा कि खबरों में रहने की छूट नहीं दी जा सकती, क्योंकि कंटेंट की जनहित वैल्यू, उससे होने वाले खतरों से ज़्यादा नहीं है. Meta के अनुसार, पोस्ट को ऐसे आम लोगों द्वारा शेयर किया गया था जो हिम्बा कम्युनिटी के सदस्य नहीं थे. Meta ने पाया कि मुख्य रूप से उन्होंने इसे अपने निजी उद्देश्यों से पोस्ट किया था और उनका उद्देश्य जागरूकता फैलाना या उन नज़रियों पर अपनी राय व्यक्त करना नहीं था जिनकी चर्चा हिम्बा लोगों के संबंध में की जा रही है. Meta ने तय किया कि इन केसों में प्राइवेसी और गरिमा की वैल्यू, अभिव्यक्ति की वैल्यू से ज़्यादा है.
यानोमामी केस में, Meta ने खबरों में रहने लायक होने की “संक्षिप्त” छूट दी, जो सिर्फ़ विचाराधीन पोस्ट पर लागू थी. Meta ने तय किया कि कंटेंट की जनहित वैल्यू, ऑफ़लाइन नुकसान में योगदान के संभावित जोखिम से ज़्यादा थी. फ़ुटेज को ब्राज़ील की एक राजनैतिक पार्टी के आधिकारिक Instagram अकाउंट द्वारा शेयर किया गया था, जिसमें यानोमामी लोगों से जुड़ी जारी राजनैतिक समस्या की चर्चा की गई थी. Meta के आकलन के मुख्य कारकों में पोस्ट का कैप्शन और ओवरले टेक्स्ट शामिल था, जिसका लक्ष्य यानोमामी लोगों के अधिकारों और गैर-कानूनी खनन के बारे में जागरूकता फैलाना था. Meta ने इस बात पर भी विचार किया कि कंटेंट में दिखाई गई नग्नता आकस्मिक है और जागरूकता फैलाने के व्यापक मैसेज के मुकाबले इसका महत्व कम है. कंपनी ने अपनी आंतरिक अपवाद गाइडलाइन के तहत पॉलिसी की भावना से जुड़ी छूट नहीं दी क्योंकि उसने पाया कि इस बात का कोई संकेत मौजूद नहीं था कि फ़ोटो में दिखाए गए यानोमामी लोगों ने अपनी फ़ोटो शेयर करने की सहमति दी होगी.
Meta ने माया/कारो कंटेंट के मामले में पॉलिसी की भावना से जुड़ी छूट दी. कंपनी ने पाया कि चूँकि कंटेंट को एक न्यूज़ आउटलेट द्वारा पोस्ट किया गया था, इसलिए इस बात की संभावना थी कि दिखाए गए व्यक्ति की सहमति लेकर फ़ोटो ली गई होगी और वे लोग यह समझते होंगे कि इसे अन्य लोग भी देखेंगे. कंपनी के विषयवस्तु विशेषज्ञों ने भी यह कन्फ़र्म किया कि फ़ोटो में मौजूद नग्नता “किसी ऐसे आदिवासी समूह के रीति-रिवाजों, सामाजिक नियमों और मौलिक लक्षणों से जुड़ी है जिसमें नग्नता को सामाजिक रूप से स्वीकार किया जाता है.” इस पोस्ट में, एक जर्मन दैनिक न्यूज़पेपर के हवाले से एक पत्रकार के मायान गाँव के दौरे का अनुभव बताया गया है. हालाँकि, बोर्ड के एक सवाल के जवाब में, Meta ने यह स्वीकार किया कि फ़ोटो में दिखाई देने वाले लोग मायान नहीं लगते और यह कि मायान संस्कृति में नग्नता शामिल नहीं है.
बोर्ड ने Meta से नग्नता से जुड़ी उसकी पॉलिसी, समय के साथ पॉलिसी को संशोधित करने के उसके नवाचारों और इस बारे में स्टेकहोल्डर्स से परामर्श और एन्फ़ोर्समेंट के प्रोसेस के बारे में सवाले पूछे. बोर्ड ने यह भी पूछा कि छूट देते समय Meta किस तरह सहमति का आकलन करता है या उसका अनुमान लगाता है. Meta ने सभी सवालों के जवाब दिए.
4. पब्लिक कमेंट
बोर्ड को तीन ऐसे पब्लिक कमेंट मिले जो सबमिशन की शर्तें पूरी करते हैं. एक कमेंट अमेरिका और कनाडा से, एक लैटिन अमेरिका और कैरिबियन से और एक कमेंट सब-सहारन अफ़्रीका से मिला. प्रकाशन की सहमति के साथ सबमिट किए गए पब्लिक कमेंट पढ़ने के लिए यहाँ पर क्लिक करें.
सबमिशन में इन विषयों पर बात की गई थी: वे आदिवासी समूह जो सांस्कृतिक अभिव्यक्ति के रूप में नग्नता या आंशिक नग्नता का व्यवहार करते हैं; यानोमामी लोगों की परंपराएँ और सोशल मीडिया पर उनकी अभिव्यक्ति की आज़ादी की रक्षा का महत्व; और सांस्कृतिक अभिव्यक्ति को व्यक्तिगत आज़ादी के साथ संतुलित करने में कंटेंट मॉडरेशन पॉलिसी के बारे में सोच-विचार योग्य बातें.
5. ओवरसाइट बोर्ड का विश्लेषण
बोर्ड ने इन केसों का चयन इस बात का आकलन करने के लिए किया कि आदिवासी सांस्कृतिक नग्नता का चित्रण शेयर करने की योग्यता पर Meta के नग्नता से जुड़े नियमों का क्या असर पड़ता है. साथ ही उन नियमों का आदिवासी लोगों पर क्या असर पड़ता है, खास तौर पर उन महिलाओं पर पारंपरिक रूप से अपने वक्षस्थल खुले रखती हैं. ये केस Meta की अभिव्यक्ति की वैल्यू और आदिवासी लोगों की प्राइवेसी और गरिमा सुनिश्चित करने के बीच तनाव को हाइलाइट करते हैं. ये बोर्ड की लिंग संबंधी स्ट्रेटेजी की प्राथमिकता में आते हैं.
बोर्ड ने पहले “खुले” और अब “महिलाओं के दिखाई देने वाले निप्पल” के बारे में Meta के नियमों की बात की है ( ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण और नग्नता और लिंग पहचान और नग्नता फ़ैसले). उन केसों में, कंटेंट बिना किसी दुविधा के मौजूदा पॉलिसी अपवादों में आता था. ये केस, बोर्ड को खुले वक्षस्थल वाली आदिवासी महिलाओं को दिखाने वाले कंटेंट का आकलन करने का अवसर देते हैं, जिन्हें गैर-कामुक सांस्कृतिक संदर्भ में दिखाया गया हो और जिसे पॉलिसी के लोगों को दिखाई देने वाले अपवाद में शामिल नहीं किया गया हो.
बोर्ड ने Meta की कंटेंट पॉलिसी, वैल्यू और मानवाधिकार से जुड़ी ज़िम्मेदारियाँ के संबंध में इस केस में दिए गए Meta के फ़ैसले का विश्लेषण किया. बोर्ड ने यह भी आकलन किया कि कंटेंट गवर्नेंस को लेकर Meta के व्यापक दृष्टिकोण पर इस केस का क्या असर पड़ेगा.
5.1 Meta की कंटेंट पॉलिसी का अनुपालन
कंटेंट के नियम
सभी चार पोस्ट, वयस्क नग्नता और यौन गतिविधि से जुड़ी पॉलिसी की स्पष्ट शर्तों का उल्लंघन करती हैं, जिसके अनुसार “महिलाओं के निप्पल दिखाने” वाली इमेजरी प्रतिबंधित है. उन सभी में खुले वक्षस्थल वाली आदिवासी महिलाओं को दिखाया गया था और वे पॉलिसी के अपवादों में नहीं आतीं जिनमें “स्तनपान या विरोध प्रदर्शन का काम,” “चिकित्सा या स्वास्थ्य का संदर्भ” और “अकाल, नरसंहार, युद्ध अपराध या मानवता के खिलाफ़ अपराध” से संबंधित चित्रण शामिल हैं.
बोर्ड ने इसलिए Meta के उन फ़ैसलों का विश्लेषण किया कि इन केसों में छूट दी जाए या नहीं.
यानोमामी केस में, बोर्ड ने पाया कि Meta ने Instagram पर इस पोस्ट को बनाए रखकर सही किया क्योंकि उसकी जनहित वैल्यू ज़्यादा थी और उससे होने वाले नुकसान का जोखिम कम था. इस पोस्ट में यानोमामी लोगों द्वारा अपनी भूमि पर अवैध खनन के कारण झेले जा रहे मानवीय संकट से उत्पन्न मानवाधिकारों और राजनीतिक समस्याओं की बात की गई थी. यह एक ऐसी समस्या है जिसकी चर्चा एक पब्लिक कमेंट में भी की गई थी (PC-30909, Internet Lab देखें). दूसरी ओर, जोखिम भी सीमित है, क्योंकि यानोमामी लोगों में खुले वक्षस्थल से जुड़ी नग्नता सामाजिक और सांस्कृतिक प्रथा है और इस खास फ़ोटो में, महिलाएँ कैमरे के सामने हैं और उन्हें इस बात की जानकारी है कि उनकी फ़ोटो ली जा रही है.
हालाँकि, Meta ने शेष तीन केसों में पॉलिसी की भावना से जुड़ी अपवाद को जिस तरह लागू किया, उससे बोर्ड असहमत है.
दो हिम्बा महिलाओं और नृत्य करते हिम्बा लोगों के केसों के संबंध में, बोर्ड ने पाया कि पॉलिसी की भावना से जुड़ी छूट न देकर Meta ने गलत किया. Meta का फ़ैसला इस तथ्य पर आधारित था कि उन पोस्ट को आम लोगों द्वारा शेयर किया गया था, उसमें इस बात का कोई संकेत नहीं था कि हिम्बा महिलाओं ने फ़ोटो के लिए अपनी सहमति दी थी और पोस्ट का इरादा जागरूकता फैलाना या जनहित के किसी मुद्दे की बात करना नहीं था. ये सोच-विचार के लिए उचित बातें हैं, फिर भी बोर्ड ने नोट किया कि Meta ने आदिवासी नग्नता के संबंध में अस्पष्ट सहमति से जुड़ी अपनी ही अपवाद गाइडलाइन का पालन नहीं किया.
हिम्बा रीति-रिवाजों में नग्नता एक सामाजिक और ऐतिहासिक रूप से स्वीकार्य कारक है. इसके अलावा, हिम्बा लोगों में रिसर्चर्स, पत्रकारों और पर्यटकों की दिलचस्पीबढ़ रही है और उन्होंने खुलेपन से यह स्वीकार किया है कि आगंतुक उनकी जीवनशैली को शेयर करें. इन खास पोस्ट में उनकी सहमति के संकेत मौजूद हैं. दो हिम्बा महिलाओं के केस में, उन महिलाओं के क्लोज़-अप दिखाए गए हैं और वे सीधे कैमरे में देख रही हैं. एस्केलेशन के समय Meta के रिव्यूअर्स को पोस्ट के अतिरिक्त संदर्भ पर भी विचार करना चाहिए. अपील की गई फ़ोटो के साथ हिम्बा महिलाओं की अन्य फ़ोटो भी मौजूद थीं जो उनकी सहमति की पुष्टि करती हैं. नृत्य करते हुए हिम्बा लोगों की पोस्ट में ऐसा लगता है कि फ़ोटो को उस नृत्य के दौरान करीब से लिया गया है जो बताता है कि नृत्य कर रहे पुरुषों और पृष्ठभूमि में मौजूद हिम्बा महिलाओं को इस बात की जानकारी थी कि उन्हें रिकॉर्ड किया जा रहा है.
बोर्ड ने पाया कि इस बारे में Meta की अपनी आंतरिक गाइडलाइन के अनुसार कि पॉलिसी की भावना से जुड़ी छूट कब दी जाए, ये संकेत वह छूट देने के लिए पर्याप्त हैं. बोर्ड ने पाया कि फ़ोटो खींचने की सहमति देने को हमेशा उन्हें दूसरों को वितरित करने की सहमति नहीं माना जा सकता. हालाँकि, नग्नता के प्रति हिम्बा लोगों का नज़रिया और कंटेंट में मौजूद खास संकेत, इस अपवाद को लागू करने को पॉलिसी के उस इरादे के अनुरूप बनाते हैं जिसमें प्राइवेसी और गरिमा को प्रभावित करने वाली गैर-सहमति वाली फ़ोटो को शेयर करने से रोका गया है. हालाँकि, बोर्ड ने नीचे पॉलिसी की भावना से जुड़ी Meta की छूट के बारे में अपनी चिंताएँ दोहराई हैं.
माया/कारो केस के संबंध में, बोर्ड के बहुसंख्य सदस्यों ने पाया कि Meta को अपने ही नियमों के तहत कंटेंट को Facebook पर बनाए रखने के लिए पॉलिसी की भावना से जुड़ी छूट नहीं देनी चाहिए थी. Meta ने इस बात पर फ़ोकस किया कि फ़ोटो को एक न्यूज़ आउटलेट द्वारा शेयर किया गया था. कंपनी के अनुसार सामान्य तौर पर इससे यह संकेत मिलता है कि महिलाओं ने इसकी सहमति दी है और वे यह समझती हैं कि उनकी फ़ोटो को आगे वितरित किया जाएगा, इसलिए यह निर्णायक कारक नहीं होना चाहिए. इस केस में, आर्टिकल के विषय (मायान लोग) और फ़ोटो में दिखाए गए व्यक्ति (कारो महिला) के बीच स्पष्ट रूप से अंतर है. बोर्ड ने पाया कि न्यूज़ आउटलेट को शायद इस बात की जानकारी है कि वह मायान महिला नहीं है, फिर भी उसने कारो महिला की ऐसी नग्न फ़ोटो को चुना जिसका उससे कोई संबंध नहीं था.
सांस्कृतिक नग्नता की अनुमति देने के Meta के अपने आंतरिक मानदंड की इस केस में पूर्ति नहीं होती जिसके अनुसार ऐसी नग्नता को तब छूट दी जाती है जब यह "किसी समूह के रीति-रिवाजों की मान्यताओं, सामाजिक नियमों और बुनियादी लक्षणों से जुड़ी हो और जहाँ ऐसी नग्नता सामाजिक रूप से स्वीकार्य हो." मायान संस्कृतियों में बच्चों के लालन-पालन पर फ़ोकस करने वाला यह कंटेंट, नग्नता की सामाजिक या ऐतिहासिक परंपरा से संबंधित नहीं है. यह केस फिर से इन समस्याओं को उठाता है कि क्या फ़ोटो लेने की सहमति को वितरण की अस्पष्ट सहमति माना जा सकता है. यह चिंता उस क्लिकबेट के संदर्भ में और गंभीर हो जाती है जिसमें पोस्ट के साथ एंगेजमेंट हासिल करने के लिए बढ़ा-चढ़ाकर बनाए गए या गुमराह करने वाले टाइटल या इमेजरी का उपयोग किया जाता है. इसलिए कंटेंट को प्लेटफ़ॉर्म पर बनाए रखने की परमिशन देना, Meta के पॉलिसी बनाने के कारण के अनुरूप नहीं है.
बोर्ड के अल्पसंख्य सदस्य इस बात से असहमत हैं. उनके अनुसार जनहित के मामले में चर्चा के स्थान पर पोस्ट को बनाए रखकर Meta ने सही फ़ैसला किया. मौजूदा पॉलिसी को देखते हुए, इसे खबरों में रहने लायक माना जाना चाहिए. बोर्ड के अल्पसंख्य सदस्यों के लिए, सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि फ़ोटो में मौजूद नग्नता, दिखाए गए आदिवासी समूह के सांस्कृतिक नियमों के अनुरूप है. उनकी राय में, माया महिला की जगह कारो महिला की फ़ोटो का उपयोग किसी थर्ड-पार्टी के कारण हुई एक मामूली भूल है और इसके कारण पोस्ट की जनहित वैल्यू समाप्त नहीं हो जाती.
5.2 Meta की मानवाधिकारों से जुड़ी ज़िम्मेदारियों का अनुपालन
अभिव्यक्ति की आज़ादी (आर्टिकल 19 ICCPR)
16 मार्च, 2021 को Meta ने अपनी कॉर्पोरेट मानवाधिकार पॉलिसी की घोषणा की, जिसमें उसने बिज़नेस और मानवाधिकार के बारे में संयुक्त राष्ट्र के मार्गदर्शक सिद्धांतों (UNGP) के अनुसार अधिकारों का ध्यान रखने की अपनी प्रतिबद्धता दर्शाई. UNGP के अनुसार कंपनियों को “अन्य लोगों के मानवाधिकारों का उल्लंघन करने से बचना चाहिए और शामिल लोगों के मानवाधिकारों पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों का समाधान करना चाहिए” (सिद्धांत 11, UNGP).
नागरिक और राजनैतिक अधिकारों पर अंतरराष्ट्रीय समझौते (ICCPR) का अनुच्छेद 19, अभिव्यक्ति की आज़ादी को व्यापक सुरक्षा प्रदान करता है. “लिंग” या “अन्य स्टेटस” के आधार पर भेदभाव किए बिना, सभी लोगों को अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकार की गारंटी है ( ICCPR, अनुच्छेद 2, पैरा. 1). अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकार पर संयुक्त राष्ट्र (UN) का विशेष रैपर्टर इस बात पर ज़ोर देता है कि “अल्पसंख्यकों और आदिवासी लोगों के लिए विचार और अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकार का उपयोग करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह इन समूहों द्वारा माँगे गए अधिकारों की विशिष्ट मान्यता सुनिश्चित करने का बुनियादी साधन है” ( A/HRC/14/23 पैरा. 41 और 59).
आर्टिकल 19, जानकारी माँगने और पाने के अधिकार की रक्षा भी करता है. इन केसों में अभिव्यक्ति का महत्व और बढ़ जाता है क्योंकि कंटेंट में ऐसी जानकारी शेयर की गई है जो सांस्कृतिक अधिकारों के लिए प्रासंगिक है. अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकार पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष रैपर्टर में कहा गया है कि अभिव्यक्ति अन्य अधिकारों को “सक्षम करने” का काम करती है, जिसमें [...] सांस्कृतिक जीवन में भाग लेने का अधिकार [...] और नागरिक और राजनैतिक अधिकार शामिल हैं” ( A/HRC/17/27, पैरा. 22, सामान्य कमेंट सं. 21, E/C.12/GC/21, पैरा. 13-19, 37 भी देखें). आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र समिति (CESCR) के अनुसार, सांस्कृतिक जीवन में भाग लेने के अधिकार में “सांस्कृतिक जानकारी और अभिव्यक्ति माँगने और विकसित करने और उन्हें दूसरों से शेयर करने” का अधिकार शामिल है ( सामान्य कमेंट सं. 21, E/C.12/GC/21, पैरा. 15). इसमें “शिक्षा और जानकारी के ज़रिए अपनी और दूसरों की संस्कृति को समझना” और “सूचना या कम्युनिकेशन के किसी भी तकनीकी माध्यम के माध्यम से अभिव्यक्ति और प्रसार के रूपों के बारे में सीखना” शामिल है ( सामान्य कमेंट सं. 21, E/C.12/GC/21, पैरा. 15).
इसके अलावा, संयुक्त राष्ट्र के मैकेनिज़्म ने बार-बार माना है कि सांस्कृतिक जीवन में परंपराएँ, रीति-रिवाज और परिधान शामिल हैं (सांस्कृतिक अधिकारों पर विशेष रैपर्टर, A/HRC/17/38 और कोरि.1, पैरा. 4; CESCR, सामान्य कमेंट सं. 21, E/C.12/GC/21, पैरा. 13; आदिवासी लोगों के अधिकारों पर विशेषज्ञ मैकेनिज़्म A/HRC/30/53, पैरा. 5, 7). इसी तरह, आदिवासी लोगों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र घोषणापत्र, खास तौर पर आदिवासी लोगों के सांस्कृतिक प्रथाओं के अधिकारों को मान्यता देता है (अनुच्छेद 11-13, 15 और 31).
इस संदर्भ में, बोर्ड के विश्लेषण में अधिकारों को सक्षम बनाने वाले कारक के रूप में अभिव्यक्ति के लिए मज़बूत सुरक्षा का उपयोग किया गया है जिसमें सांस्कृतिक अधिकारों के साथ-साथ नागरिक और राजनैतिक अधिकार भी शामिल हैं. जहाँ राज्य, अभिव्यक्ति पर प्रतिबंध लगाता है, वहाँ प्रतिबंधों को वैधानिकता, वैधानिक लक्ष्य और आवश्यकता और आनुपातिकता की शर्तों को पूरा करना चाहिए (अनुच्छेद 19, पैरा. 3, ICCPR). इन आवश्यकताओं को अक्सर “तीन भागों वाला परीक्षण” कहा जाता है. बोर्ड इस फ़्रेमवर्क का उपयोग Meta की मानवाधिकार से जुड़ी ज़िम्मेदारियों की व्याख्या करने के लिए करता है. ये ज़िम्मेदारियाँ खास पोस्ट और कंटेंट गवर्नेंस के प्रति Meta के नज़रिए से संबंधित हैं.
यह देखते हुए कि Meta ने यानोमामी पोस्ट को अपने प्लेटफ़ॉर्म पर बनाए रखने का फ़ैसला किया, कंटेंट को हटाया नहीं गया और इसलिए इस खास कंटेंट के संबंध में अभिव्यक्ति का कोई उल्लंघन नहीं हुआ. परिणामस्वरूप, बोर्ड इस केस में आगे इसका विश्लेषण नहीं करेगा और Meta के फ़ैसले को बनाए रखेगा.
Meta ने हिम्बा पोस्ट को हटा दिया था और बोर्ड ने पाया कि उसके अपने नियमों के तहत माया/कारो पोस्ट को हटा दिया जाना चाहिए, इसलिए उसने इन पोस्ट का आकलन तीन-भाग वाले परीक्षण के फ़्रेमवर्क के तहत किया.
I. वैधानिकता (नियमों की स्पष्टता और सुलभता)
वैधानिकता के सिद्धांत के अनुसार अभिव्यक्ति पर रोक लगाने वाले नियम स्पष्ट और एक्सेस योग्य होने चाहिए (सामान्य कमेंट सं. 34, पैरा. 25). Meta के प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करने वाले लोगों के लिए ये नियम एक्सेस करने और समझने लायक होने चाहिए और उनके एन्फ़ोर्समेंट के संबंध में कंटेंट रिव्यूअर्स को स्पष्ट मार्गदर्शन दिया जाना चाहिए.
Meta की नग्नता और यौन गतिविधि से जुड़ी पॉलिसी ऐसे कंटेंट को प्रतिबंधित करती है: “महिलाओं के दिखाई देने वाले निप्पल.” सिर्फ़ कुछ खास संदर्भों में इन्हें दिखाए जाने की परमिशन है जैसे “स्तनपान या विरोध प्रदर्शन” या "जब उन्हें चिकित्सीय या स्वास्थ्य के संदर्भ में शेयर किया गया हो (जिसमें स्तन उच्छेदन या कैंसर से बचने वाले टैटू शामिल हैं).” बोर्ड ने पाया कि “महिलाओं के निप्पल दिखाना” प्रतिबंधित करने वाले खास नियम पर्याप्त रूप से स्पष्ट हैं, जैसा कि इन केसों के तथ्यों पर उन्हें लागू किया गया है.
हालाँकि, बोर्ड ने Meta द्वारा छूट के उपयोग के संबंध में अपनी चिंताएँ दोहराईं. खबरों में रहने लायक होने के संबंध में, बोर्ड ने कहा कि Meta ने बोर्ड के सुझावों के जवाब में अपने ट्रांसपेरेंसी सेंटर में इस छूट के प्रोसेस और शर्तों के बारे में ज़्यादा स्पष्टता दी है (पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप का सस्पेंशन, कोलंबिया का विरोध प्रदर्शन और ईरान में विरोध प्रदर्शन का स्लोगन फ़ैसले देखें).
पॉलिसी की भावना से जुड़ी छूट के संबंध में, बोर्ड ने बार-बार कहा है कि इस छूट में “वैधानिकता के मानक की कमी हो सकती है” (श्रीलंका फ़ार्मास्यूटिकल्स, भारत के ओडिशा राज्य में सांप्रदायिक दंगे और ईरान में एक बाल विवाह के लिए मेक-अप का वीडियो फ़ैसले देखें). श्रीलंका फ़ार्मास्यूटिकल्स फ़ैसले में, बोर्ड ने माना कि वैश्विक स्तर पर कंटेंट की भारी मात्रा को मॉडरेट करते समय स्पष्ट अन्याय को रोकने के लिए एक ऐसी छूट की ज़रूरत है जिसमें कई चीज़ें शामिल हों. हालाँकि, उसने सुझाव दिया कि Meta इस छूट को लागू करने के लिए उपयोग की जाने वाली शर्त की व्याख्या करे और सिर्फ़ खास परिस्थितियों में ही इसका उपयोग करे. Meta ने ऐसा करने की प्रतिबद्धता जताई.
इन खास छूट की महत्वपूर्ण सीमाएँ हैं. अनुमान लगाने के संबंध में, इस तरह के कंटेंट को परमिशन देने के लिए Meta के नियम उसकी गोपनीय आंतरिक गाइडलाइन में बताए गए हैं, जो सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं हैं. इसमें इस बात की पर्याप्त जानकारी नहीं है कि किस तरह के कंटेंट को परमिशन दी जाती है. एक्सेसिबिलिटी के संदर्भ में, Meta के पास ऐसे कंटेंट की पहचान करने के सीमित रास्ते उपलब्ध हैं जिन्हें ये छूट दी जानी चाहिए क्योंकि Meta के शुरुआती रिव्यू करने वाले मॉडरेटर उन्हें लागू नहीं कर सकते और उन्हें ऐसे कंटेंट की पहचान करने और उसे एस्केलेट करने के निर्देश या अधिकार नहीं दिए गए हैं जिन्हें उनका फ़ायदा मिल सकता है (मैक्सिको में मेयर पद के उम्मीदवार की हत्या फ़ैसला देखें). यहाँ, उदाहरण के लिए, सिर्फ़ क्रॉस-चेक में शामिल अकाउंट द्वारा पोस्ट किया गया कंटेंट ही प्लेटफ़ॉर्म पर बना रह सकता है. ऐसे अकाउंट को, जो Meta के क्रॉस-चेक प्रोग्राम का भाग नहीं है या जिनका Meta में कोई संपर्क नहीं है, उन विशेषज्ञ टीमों तक पहुँचने में बड़ी मुश्किल आती है जो ये छूट दे सकती हैं. इस केस में बोर्ड को दिए गए अपने जवाब में, Meta ने माना कि एस्केलेशन पर इन छूटों को लागू करने से एन्फ़ोर्समेंट में असमानताएँ आ सकती हैं.
जहाँ छूटों को बार-बार एक ही तरह से उपयोग किया जाता है, वहाँ कंपनी को सावधानीपूर्वक यह आकलन करना चाहिए कि क्या उन्हें पॉलिसी में स्पष्ट रूप से शामिल किया जाना चाहिए. Meta के अनुसार, सांस्कृतिक नग्नता एक गंभीर समस्या है जिसे उसके प्लेटफ़ॉर्म पर बार-बार उठाया जाता है.
यह सुनिश्चित करने के लिए कि Meta अपने अपवादों को स्पष्ट शर्तों के आधार पर लागू करता है, बोर्ड ने सुझाव दिया है कि Meta आदिवासी सांस्कृतिक नग्नता के संकेत तय करे, जैसा कि नीचे बताया गया है. इसमें वयस्क नग्नता और यौन गतिविधि से जुड़ी लोगों को दिखाई देने वाली पॉलिसी के तहत एक सीमित अपवाद भी शामिल होना चाहिए, जो गैर-कामुक सांस्कृतिक संदर्भों में आदिवासी महिलाओं के खुले वक्षस्थल दिखाने वाले कंटेंट को परमिशन दे.
II.वैधानिक लक्ष्य
अभिव्यक्ति की आज़ादी पर लगाए जाने वाले सभी प्रतिबंधों में ICCPR में बताए गए कानूनी लक्ष्यों में से एक या एक से ज़्यादा को पूरा किया जाना चाहिए, जिसमें अन्य लोगों के अधिकारों की रक्षा शामिल है. जैसा कि पहले लिंग पहचान और नग्नता फ़ैसले में पाया गया है, Meta की वयस्क नग्नता और यौन गतिविधि से जुड़ी पॉलिसी अन्य उद्देश्यों के साथ-साथ दूसरों के अधिकारों की रक्षा करने के वैधानिक लक्ष्य को पूरा करने की कोशिश करती है. "बिना सहमति वाले कंटेंट को शेयर करने से रोकने" की कोशिश करते समय यह पॉलिसी दूसरों की प्राइवेसी के अधिकार (ICCPR, अनुच्छेद 17) की रक्षा करने के वैधानिक लक्ष्य की पूर्ति करती है, खास तौर पर इस केस में आदिवासी महिलाओं के अधिकार की.
इस केस में बोर्ड को बताए गए अपने कारण में, Meta ने “यूज़र्स की संवेदनशीलता” की रक्षा करने के लक्ष्य का भी उल्लेख किया. पहले लैंगिक पहचान और नग्नता केस में, Meta ने “कम्युनिटी संवेदनशीलता” का संदर्भ दिया था. वहाँ, बोर्ड ने कहा कि यह "सार्वजनिक नैतिकता" की रक्षा करने के लक्ष्य के अनुरूप हो सकता है, लेकिन उसने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि सरकारों द्वारा कमज़ोर समूहों के सदस्यों के अधिकारों का हनन करने के लिए इस कंसेप्ट का दुरुपयोग किया गया है. मानवाधिकार समिति ने चेतावनी दी है कि "नैतिकता की कंसेप्ट कई सामाजिक, दार्शनिक और धार्मिक परंपराओं से मिलकर बनी है; इसकी वजह से, नैतिकता की सुरक्षा के उद्देश्य के लिए... सीमाएँ सिद्धांतों पर आधारित होनी चाहिए, किसी खास परंपरा से उत्पन्न नहीं होनी चाहिए" (मानवाधिकार समिति, सामान्य कमेंट 34, पैरा. 32). परिणामस्वरूप, बोर्ड ने प्राइवेसी के अधिकार की सुरक्षा पर फिर से ज़्यादा ज़ोर दिया है.
बोर्ड के अल्पसंख्य सदस्यों का मानना है कि "कम्युनिटी संवेदनशीलता" को अभिव्यक्ति सीमित करने का वैधानिक कारण नहीं माना जा सकता है, जब तक कि इसका इरादा स्पष्ट रूप से सार्वजनिक नैतिकता की रक्षा करने का न हो, जो इस केस में दिखाई नहीं देता. Meta को अभिव्यक्ति को प्रतिबंधित करने के लिए सूचीबद्ध आधारों का विस्तार नहीं करना चाहिए. इसके अलावा, अभिव्यक्ति की आज़ादी में ऐसी अभिव्यक्ति शामिल हैं जो अप्रिय या आपत्तिजनक होती हैं.
III.आवश्यकता और आनुपातिकता
ICCPR के आर्टिकल 19(3) के तहत, आवश्यकता और आनुपातिकता के सिद्धांत के अनुसार यह ज़रूरी है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर लगाए जाने वाले प्रतिबंध “उनके सुरक्षात्मक कार्य को सही तरीके से पूरा करने वाले होने चाहिए; उनसे उन लोगों के अधिकारों के साथ कम से कम हस्तक्षेप होना चाहिए, जिन अधिकारों से उन्हें सुरक्षात्मक कार्यों का लाभ मिल सकता है; उन हितों के अनुसार सही अनुपात में होने चाहिए, जिनकी सुरक्षा की जानी है,” (सामान्य कमेंट सं. 34, पैरा. 34).
सबसे पहले, बोर्ड हिम्बा केसों और माया/कारो केस में लागू आवश्यकता और आनुपातिकता टेस्ट का विश्लेषण करेगा. इसके बाद, वह Meta की उस पॉलिसी का व्यापक विश्लेषण करेगा, जो खुले वक्षस्थल वाली आदिवासी महिलाओं को दिखाने वाले कंटेंट पर प्रतिबंध लगाती है, जबकि नग्नता उनकी सांस्कृतिक अभिव्यक्ति का हिस्सा होता है.
बोर्ड का मानना है कि दो हिम्बा महिलाओं और नृत्य करते हिम्बा लोगों के केसों में पोस्ट को हटाने का Meta का फ़ैसला न तो आवश्यक था और न ही आनुपातिक. फ़ोटो की प्रकृति और सहमति के संकेतों और हिम्बा लोगों के नग्नता के प्रति दृष्टिकोण को देखते हुए, उन दिखाए गए लोगों की प्राइवेसी की रक्षा के लिए अभिव्यक्ति पर प्रतिबंध लगाना आवश्यक नहीं था. दिखाई गई नग्नता, हिम्बा महिलाओं की विरासत का सांस्कृतिक रूप से स्वीकृत और ऐतिहासिक रूप से अंतर्निहित हिस्सा है. इन पोस्ट में अस्पष्ट सहमति के कई संकेत मौजूद हैं, जैसे कैमरे की तरफ़ सीधे देखना, स्पष्ट रूप से मौजूद फ़ोटोग्राफ़र से बातचीत और सार्वजनिक प्रदर्शन का माहौल, जिससे पता चलता है कि महिलाओं को शायद जानकारी थी कि उन्हें रिकॉर्ड किया जा रहा है. इसके अतिरिक्त, किसी भी पोस्ट में हिम्बा महिलाओं को विकृत, अप्रासंगिक, अपमानजनक या शोषण करने वाले तरीके से नहीं दिखाया गया है. इसलिए, कंटेंट को हटाने से पोस्ट करने वाले व्यक्ति और दर्शकों पर अनुपातहीन बोझ पड़ता है, जो हिम्बा परंपराओं के बारे में जानकारी शेयर कर रहे थे और जानकारी माँग रहे थे.
माया/कारो केस में, बोर्ड के बहुसंख्य सदस्यों ने पाया कि, Meta के मौजूदा नियमों के सही उपयोग के अनुसार, आदिवासी महिलाओं के प्राइवेसी के अधिकार की रक्षा के लिए कंटेंट को हटाना आवश्यक और आनुपातिक था. कारो महिला ने अपनी फ़ोटो लेने की सहमति दी है या नहीं, इस बात पर ध्यान दिए बगैर थर्ड-पार्टी द्वारा पोस्ट किया गया यह कंटेंट उसके सांस्कृतिक रीति-रिवाजों को गलत तरीके से पेश करता है. फ़ोटो में इथियोपिया की एक कारो आदिवासी महिला को दिखाया गया है, जो एक ऐसी कम्युनिटी है जिसमें नग्नता को सांस्कृतिक रूप से स्वीकार किया जाता है. जबकि आर्टिकल में माया लोगों के बीच बच्चों के लालन-पालन की प्रथाओं की चर्चा की गई है, जिनके सांस्कृतिक नियमों में नग्नता शामिल नहीं है. आर्टिकल में कारो महिला का कोई संदर्भ नहीं है. यह बेमेल प्रस्तुतिकरण, दिखाई गई महिला की संस्कृति को गलत तरीके से पेश करके उसकी प्राइवेसी और गरिमा को प्रभावित करता है. इसे देखते हुए, उसे हटाना, Meta की मानवाधिकार से जुड़ी ज़िम्मेदारियों के अनुसार आवश्यक और आनुपातिक जवाब है.
बोर्ड के अल्पसंख्य सदस्य इससे असहमत हैं. उनके अनुसार नग्नता, कारो संस्कृति का हिस्सा है, जिसे अग्रिम सहमति माना जा सकता है. यह खास तौर पर सही है क्योंकि कम्युनिटी ने कई अन्य मामलों में अपनी फ़ोटो लेने की अनुमति दी है. इस बात का कोई संकेत नहीं है कि कारो महिला ने खुले वक्षस्थल की फ़ोटो लेने की अस्पष्ट सहमति नहीं दी थी और इसलिए उसके अधिकारों को नुकसान नहीं हुआ है. बोर्ड के इन अल्पसंख्य सदस्यों के अनुसार, बिना सबूत के अनुचित उद्देश्यों का आरोप, अभिव्यक्ति को प्रतिबंधित करने का आधार नहीं बन सकता. इस केस में, न्यूज़पेपर ने अच्छी नीयत से एक फ़ोटो एजेंसी की फ़ोटो पर भरोसा किया. चूँकि किसी मायान व्यक्ति को दिखाया नहीं गया था, इसलिए मायान लोगों के लिए प्राइवेसी की कोई समस्या नहीं हो सकती.
बोर्ड ने यह भी पाया कि गैर-कामुक संदर्भों में आदिवासी महिलाओं की खुले वक्षस्थल वाली फ़ोटो पोस्ट करने पर Meta का संपूर्ण प्रतिबंध, जिसे Meta की खास टीमों तक पहुँचने पर कभी-कभी छूट दी जाती है, अभिव्यक्ति पर आवश्यक और आनुपातिक प्रतिबंध नहीं लगाता. आदिवासी नग्नता के कुछ चित्रण प्राइवेसी के अधिकारों को प्रभावित कर सकते हैं, जैसा कि माया/कारो केस में दिखाई देता है, लेकिन पूर्ण प्रतिबंध अभिव्यक्ति को अनुपातहीन रूप से सीमित करता है.
बोर्ड ने पहले कहा है कि “इस पॉलिसी का उन कम्युनिटी पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा जिनमें महिलाएँ पारंपरिक रूप से अपना वक्षस्थल खुला रख सकती हैं.” पूर्ण प्रतिबंध से खुद की अभिव्यक्ति और खुद के प्रतिनिधित्व के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करने की उनकी क्षमता सामान्य तौर पर सीमित हो जाती है, और डिजिटल स्थानों से उनका बहिष्कार बना रहता है. चाहे ये फ़ोटो उन महिलाओं द्वारा खुद पोस्ट की गई हों या अन्य लोगों द्वारा, दैनिक जीवन के सभी चित्रण, साथ ही खुले वक्षस्थल वाली आदिवासी महिलाओं द्वारा नागरिक और राजनैतिक अधिकारों का उपयोग करने की फ़ोटो हटा दी जाएँगी.
यह आदिवासी लोगों के पारंपरिक परिधान सहित खास तौर पर उनके सांस्कृतिक व्यवहार के बारे में जानकारी शेयर करने के अधिकार पर भी बुरा असर डालता है, जबकि अन्य लोगों की उस जानकारी तक एक्सेस रोकता है. डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म, लोगों को परंपराओं को संरक्षित करने और दूसरों को अपनी संस्कृतियों के बारे में बताने के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान देते हैं ( A/74/255, पैरा. 6, 70, 83). बोर्ड ने जिन विशेषज्ञों से परामर्श किया, उन्होंने कहा कि कुछ आदिवासी महिलाएँ अपनी कहानियों को अपनी शर्तों पर एकदम सही रूप में शेयर करने और सांस्कृतिक परंपराओं को आगे बढ़ाने के लिए सोशल मीडिया में ऐसी फ़ोटो का उपयोग करती हैं.
एक अलग नज़रिए से यूज़र्स की अभिव्यक्ति को बेहतर सम्मान मिलेगा और साथ ही आदिवासी महिलाओं की प्राइवेसी के अधिकार की रक्षा होगी. बोर्ड ने सुझाव दिया है कि Meta अपनी वयस्क नग्नता और यौन गतिविधि से जुड़ी पॉलिसी के आंतरिक अपवाद को सार्वजनिक करे, ताकि कुछ परिस्थितियों में खुले वक्षस्थल वाली आदिवासी महिलाओं की फ़ोटो को अनुमति दी जा सके. छूट के बजाय एक सार्वजनिक अपवाद, अभिव्यक्ति के लिए इस ज़रूरत हो दूर करता है कि खुले वक्षस्थल वाली आदिवासी महिलाओं को ऑनलाइन रहने या चित्रित होने के लिए "खबरों में रहने लायक होना" या "जागरूकता फैलाने वाला होना" या "शैक्षणिक होना" ज़रूरी है.
अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकार पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष रैपर्टर में ज़ोर देकर कहा गया है कि कंपनी दुनियाभर के आदिवासी समूहों के साथ मिलकर "जिन कंटेंट में नग्नता दिखाई गई हो, उनका आकलन करते समय सांस्कृतिक और कलात्मक संदर्भ पर विचार करने के लिए बेहतर संकेत तैयार करें)" ( A/HRC/38/35, पैरा 54).
सहमति के संबंध में, बोर्ड यह मानता है कि फ़ोटो खींचने या रिकॉर्ड करने के लिए सहमत होने का अर्थ हमेशा उन फ़ोटो के वितरण की सहमति नहीं होता. हालाँकि, नग्नता और ऐसी फ़ोटो को शेयर करने के बारे में कई आदिवासी लोगों के दृष्टिकोण, Meta के नियमों में दिए गए नग्नता और सहमति के विचारों से अलग हैं. यह अंतर, छूट देने के बारे में Meta की मौजूदा आंतरिक गाइडलाइन में अस्पष्ट रूप से दिखाई देता है. इन गाइडलाइन के अनुसार ऐसे कंटेंट का आकलन करते समय इन सांस्कृतिक अंतरों को ध्यान में रखा जाता है. Meta की आंतरिक गाइडलाइन इस बात पर ध्यान केंद्रित करती है कि क्या खुले वक्षस्थल वाली नग्नता, आदिवासी लोगों की मान्यताओं और रीति-रिवाजों का हिस्सा है और क्या यह सामाजिक रूप से स्वीकार्य है. बोर्ड यह समझता है कि कुछ आदिवासी सांस्कृतिक संदर्भों में, जैसे कि इन केसों के संदर्भ में, नग्नता को स्वाभाविक रूप से कामुक नहीं बल्कि सांस्कृतिक पहचान का एक अभिन्न अंग समझा जाता है. Meta की आंतरिक गाइडलाइन के अनुसार, बोर्ड का मानना है कि Meta को इसे तब अस्पष्ट सहमति मानना चाहिए, जब यह तय हो जाए कि कंटेंट ऐसी प्रथाओं और मान्यताओं को दर्शाता है, खास तौर पर जब यह पाया जाए कि कंटेंट को खुद आदिवासी लोगों द्वारा शेयर किया गया था.
हालाँकि, इसके अलावा बोर्ड ने यह भी कहा कि अंतरराष्ट्रीय साधनों और संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने आदिवासी संस्कृतियों के ऐसे प्रतिनिधित्व के महत्व पर जोर दिया है जिनमें उन्हें तोड़-मरोड़कर या संदर्भ से बाहर न दिखाया गया हो.
उदाहरण के लिए, आदिवासी लोगों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र का घोषणापत्र, आदिवासी लोगों के "अपनी संस्कृतियों, परंपराओं, इतिहास और आकांक्षाओं की गरिमा और विविधता के अधिकार की पुष्टि करता है, जिसे शिक्षा और सार्वजनिक जानकारी में उचित रूप से दिखाया जाएगा (अनुच्छेद 15, अनुच्छेद 31 भी देखें, सामान्य कमेंट सं. 21, E/C.12/GC/21, पैरा. 37). इसी तरह, संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) इस बात पर ज़ोर देता है कि आदिवासी संस्कृतियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के कोशिशों को “अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के प्रदर्शन या अभिव्यक्तियों को संदर्भहीन या अप्राकृतिक बनाने” से बचना चाहिए. यूनेस्को "आपसी सम्मान" और "अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रशंसा" के महत्व पर ज़ोर देता है (अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिए यूनेस्को का सम्मेलन, इसके परिचालन निर्देश, पैरा. 102.a) और नैतिक सिद्धांत, 3 और 10 देखें). बोर्ड का मानना है कि "संदर्भहीन या अप्राकृतिक बनाने" का मतलब कंटेंट को उसके मूल संदर्भ से हटकर शेयर करना है, जिससे उसका इच्छित अर्थ या सांस्कृतिक महत्व बदल जाता है और गलत ढंग से पेश करने या उसका रूप बिगड़ने का जोखिम बढ़ जाता है. संदर्भहीन बनाने के उदाहरणों में बिना किसी सीमा के ऐसा कंटेंट शामिल है जो कामुक, भेदभावपूर्ण या क्लिकबेट तरीके से सांस्कृतिक नग्नता को दर्शाता है. वयस्क नग्नता और यौन गतिविधि से जुड़ी अपनी पॉलिसी के अपवाद में, Meta द्वारा उपयोग किए जाने वाले मौजूदा कारकों के अलावा, कंपनी को आदिवासी प्रथाओं के संदर्भहीन बनने से बचने के इस कारक को भी शामिल करना चाहिए, खास तौर पर जब फ़ोटो को थर्ड-पार्टी द्वारा शेयर किया जाता है.
बोर्ड मानता है कि इन कारकों के आधार पर आदिवासी नग्नता से जुड़े कंटेंट को कब परमिशन दी जाए, यह तय करने के लिए संदर्भ से जुड़े विश्लेषण की ज़रूरत होगी. इससे शुरुआती रिव्यू करने वाले रिव्यूअर्स के लिए यह काम मुश्किल होगा और यह काम एस्केलेशन के समय उचित रहेगा. बोर्ड ने सिर्फ़ एस्केलेशन के समय लागू होने वाली पॉलिसी की प्रभावशीलता के बारे में चिंता व्यक्त की है (सूडान की रैपिड सपोर्ट फ़ोर्स वीडियो कैप्टिव और जापान के प्रधानमंत्री से जुड़े बयान फ़ैसले देखें), लेकिन उसने दोहराया कि स्पष्ट रूप से परिभाषित अपवाद, छूट पर भरोसा करने से बेहतर है.
Meta ने बोर्ड को नग्नता से जुड़ी अपनी पॉलिसी में किसी भी नए अपवाद को मौजूदा एन्फ़ोर्समेंट टेक्नोलॉजी के साथ लागू करने में आने वाली कठिनाइयाँ बताईं. बोर्ड ने उन चुनौतियों को माना जो Meta के सामने आदिवासी नग्नता की पहचान करने की शर्त को लागू करते समय आ सकती हैं. हालाँकि, कम्युनिटी स्टैंडर्ड में पहले से ही अपवादों की एक लिस्ट शामिल है, जिसके तहत कंपनी को अलग-अलग तरह की नग्नता के बीच अंतर करना ज़रूरी है, जैसे कि "विरोध प्रदर्शन" दर्शाने वाली फ़ोटो. इसलिए, इन पॉलिसी को लागू करने में आने वाली चुनौतियों के बावजूद, बोर्ड का मानना है कि आदिवासी सांस्कृतिक अभिव्यक्ति को भी समान महत्व दिया जाना चाहिए.
बोर्ड मानता है कि शुरुआती रिव्यूअर्स के लिए Meta ऐसे स्पष्ट तरीके और ऐसी आंतरिक गाइडलाइन बना सकता है जो आदिवासी लोगों की खुले वक्षस्थल वाली नग्नता से जुड़े ऐसे कंटेंट को एस्केलेट करने में मदद करे जिसे ऐसे अपवादों का संभावित रूप से फ़ायदा मिल सकता है. ऐसा करते समय वे निष्पक्ष मापदंडों का उपयोग करेंगे. इन सिग्नल में प्रासंगिक हैशटैग या जियो-टैगिंग जैसे संकेत शामिल हो सकते हैं. इसके अलावा, शरीर पर रंग-रोगन, आभूषण, पंख, सांस्कृतिक प्रतीक या औपचारिक वस्तुएँ जैसे दिखाई देने वाले संकेत यह स्पष्ट करने में मदद कर सकते हैं कि फ़ोटो में आदिवासी नग्नता हो सकती है.
आदिवसी नग्नता के चित्रण से होने वाले संभावित नुकसान को कम करने के लिए Meta अन्य उपाय भी अपना सकता है, जिसमें कम्युनिटी की अपनी अभिव्यक्ति की आज़ादी को होने वाला नुकसान भी शामिल है. उदाहरण के लिए, यह अपील के सांस्कृतिक रूप से उपयुक्त तरीके लागू कर सकता है, जो आदिवासी लोगों और उनके सदस्यों को ऐसा कंटेंट बहाल करने का अनुरोध करने की सुविधा देता है, जिसमें खुले वक्षस्थल वाली आदिवासी महिलाओं को दर्शाया गया है और जिसे अनुचित तरीके से हटा दिया गया था. इसके अलावा यह बिना सहमति के शेयर किए गए कंटेंट या उनकी संस्कृति को गलत तरीके से प्रस्तुत करने वाले कंटेंट को हटाने की सुविधा देता है. इसके अलावा, Meta इन कम्युनिटी को Meta के भरोसेमंद पार्टनर प्रोग्राम के माध्यम से ऐसे कंटेंट को फ़्लैग करने का अधिकार दे सकता है, जिसे उनके अनुसार गलत तरीके से हटा दिया गया है या जो उनकी परंपराओं को गलत तरीके से दर्शाता है.
बोर्ड ने यह भी कहा कि Meta को सांस्कृतिक नग्नता के अन्य उदाहरणों पर भी बोर्ड द्वारा सुझाए गए तरीके को लागू करने पर विचार करना चाहिए. उदाहरण के लिए, कुछ पारंपरिक समारोहों, उत्सवों और आयोजनों के सार्वजनिक चित्रण में, जैसे एस्वातीनी में रीड नृत्य में, जहाँ कुछ महिलाएँ अपने वक्षस्थल खुले रखती हैं. Meta के मौजूदा नियम इन सांस्कृतिक समूहों और कम्युनिटी के महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में जानकारी शेयर करने पर भी रोक लगाते हैं.
6. ओवरसाइट बोर्ड का फ़ैसला
ओवरसाइट बोर्ड ने दो हिम्बा महिलाओं और हिम्बा लोगों के नृत्य से जुड़े केसों में पोस्ट को हटाने के Meta के फ़ैसले को पलट दिया और उन्हें बहाल करने के लिए कहा है. बोर्ड ने माया/कारो केस में कंटेंट को प्लेटफ़ॉर्म पर बनाए रखने के Meta के फ़ैसले को भी पलट दिया है और उन्हें हटाने के लिए कहा है. बोर्ड ने यानोमामी केस में कंटेंट को प्लेटफ़ॉर्म पर बनाए रखने के Meta के फ़ैसले को कायम रखा है.
7. सुझाव
कंटेंट पॉलिसी
1. अभिव्यक्ति की बेहतर सुरक्षा के लिए, आदिवासी लोगों और उनके सदस्यों के अधिकारों की रक्षा करते समय, Meta को वयस्क नग्नता और यौन गतिविधि से जुड़ी अपनी पॉलिसी के उस अपवाद को सार्वजनिक करना चाहिए जिसमें कुछ परिस्थितियों में खुले वक्षस्थल वाली देशीय महिलाओं को दिखाने वाले कंटेंट की परमिशन तब दी जाती है. यह अपवाद सिर्फ़ एस्केलेशन के समय लागू किया जाना चाहिए और उसमें ऐसी नग्नता को तब परमिशन दी जानी चाहिए जब उसमें सामाजिक रूप से स्वीकार्य प्रथा और मान्यता दिखाई जाती है और इन प्रथाओं को गलत ढंग से पेश नहीं किया जाता है.
बोर्ड इस सुझाव को तब लागू मानेगा जब Meta, वयस्क नग्नता और यौन गतिविधि से जुड़े अपने कम्युनिटी स्टैंडर्ड की लोगों को दिखाई देने वाली भाषा को पॉलिसी अपवाद के साथ अपडेट करेगा.
*प्रक्रिया संबंधी नोट:
- ओवरसाइट बोर्ड के फ़ैसले पाँच मेंबर्स के पैनल द्वारा लिए जाते हैं और उन पर बोर्ड के अधिकांश मेंबर्स की सहमति होती है. ज़रूरी नहीं है कि बोर्ड के फ़ैसले, सभी सदस्यों की राय दर्शाएँ.
- अपने चार्टर के तहत, ओवरसाइट बोर्ड उन यूज़र्स की अपील रिव्यू कर सकता है, जिनका कंटेंट Meta ने हटा दिया था और उन यूज़र्स की अपील जिन्होंने उस कंटेंट की रिपोर्ट की थी जिसे Meta ने बनाए रखा. साथ ही, बोर्ड Meta की ओर से रेफ़र किए गए फ़ैसलों का रिव्यू कर सकता है (चार्टर आर्टिकल 2, सेक्शन 1). बोर्ड के पास Meta के कंटेंट से जुड़े फ़ैसलों को कायम रखने या उन्हें बदलने का बाध्यकारी अधिकार है (चार्टर आर्टिकल 3, सेक्शन 5; चार्टर आर्टिकल 4). बोर्ड ऐसे गैर-बाध्यकारी सुझाव दे सकता है, जिनका जवाब देना Meta के लिए ज़रूरी है (चार्टर आर्टिकल 3, सेक्शन 4; अनुच्छेद 4). जहाँ Meta, सुझावों पर एक्शन लेने की प्रतिबद्धता व्यक्त करता है, वहाँ बोर्ड उनके लागू होने की निगरानी करता है.
इस केस के फ़ैसले के लिए, बोर्ड की ओर से स्वतंत्र रिसर्च करवाई गई थी. बोर्ड को Duco Advisers की सहायता मिली, जो भौगोलिक-राजनैतिक, विश्वास और सुरक्षा तथा टेक्नोलॉजी के आपसी संबंध पर काम करने वाली एक एडवाइज़री फ़र्म है. Memetica ने भी रिसर्च संबंधी सेवाएँ दीं, जो ऑनलाइन नुकसान को कम करने के लिए जोखिम परामर्श और खतरे की आशंका से जुड़ी सेवाएँ देने वाला एक डिजिटल इनवेस्टिगेशन ग्रुप है.